द्वितीयक क्रियाएं- वे क्रियाएं जो द्वारा प्रकृति प्रदत्त संसाधनों का रूप बदल कर उनकी उपयोगिता व मूल्य बढ़ा देती हैं द्वितीयक क्रियाएं कहलाती हैं जैसे विनिर्माण, प्रसंस्करण और निर्माण आदि
विनिर्माण - विनिर्माण का शाब्दिक अर्थ है ‘हाथ से बनाना’ फिर भी इसमें यंत्रों द्वारा बनाया गया सामान भी सम्मिलित किया जाता है। इसलिए विनिर्माण से आशय किसी भी वस्तु का उत्पादन है। हस्तशिल्प कार्य से लेकर लोहे व इस्पात को गढ़ना, प्लास्टिक के खिलौने बनाना, कंप्यूटर के अति सूक्ष्म घटकों को जोड़ना एवं अंतरिक्ष यान निर्माण इत्यादि सभी प्रकार के उत्पादन को विनिर्माण के अंतर्गत ही माना जाता है। अतः प्राथमिक व्यवसाय से प्राप्त कच्चे माल से किसी वस्तु का उत्पादन करना विनिर्माण कहलाता है इस प्रकार की वस्तुओं का निर्माण विभिन्न प्रकार के उद्योगों में किया जाता है जिन्हें निर्माण उद्योग कहते है
बडे़ पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की निम्नलिखित विशेषताएँ
1. कौशल का विशिष्टीकरण/उत्पादन विधियाँ
-छेटे यन्त्रों एवं हस्त-विनिर्माण से उत्पादन काफी कम तथा लागत अधिक आती थी। इसके
साथ ही विनिर्मित सामान की गुणवत्ता भी उतनी उच्छी नहीं होती थी। मशीनों के प्रयोग
से उत्पादन का विशेषीकरण बढ़ा है। अब एक व्यक्ति एक ही प्रकार का कार्य करता है
जिससे वह अपने कार्य में अधिक दक्ष हो जाता है तथा उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ जाती
है।
2.यंत्रीकरण- किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए मशीनों का प्रयोग करना यंत्राीकरण कहलाता है। सन् 1860 की औद्योगिक क्रान्ति के बाद इस क्षेत्र में मशीनों का प्रयोग बढ़ा है, किन्तु वर्तमान में विकसित की गई स्वचालित मशीनें यंत्रीकरण की विकसित अवस्था है। पुनर्निवेशन एवं संवृत्त-पाश कंप्यूटर नियंत्राण प्रणाली से युक्त स्वचालित कारखाने जिनमें, मशीनों को ‘सोचने’ के लिए विकसित किया गया है, पूरे विश्व में नजर आने लगी है। ये मशीनें बिना मानवीय सोच के कार्य करती हैं और इसमें मनुष्यों का कार्य केवल मशीनों को चला देना भर होता है। ये मशीनें पुनर्निविशन और संवृत्त-पाश कम्प्यूटर प्रणाली से युक्त होती हैं।
3. प्रौद्योगिकीय नवाचार - नवाचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए नवीन आविष्कारों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत शोध एवं विकासमान युक्तियों के द्वारा विनिर्माण की गुणवत्ता को नियन्त्रित करना, अपशिष्टों का निस्तारण एवं अदक्षता को समाप्त करना तथा पर्यावरणीय प्रदूषण के विरुद्ध संपर्ष करना सम्मिलित है।
4. संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीकरण - संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीकरण से संबंधिक आधुनिक विनिर्माण की निम्न विशेषताएँ हैं:
(i) यह एक जटिल प्रोद्यौगिकी यंत्र है
(ii) इसमें अत्यधिक विशिष्टीकरण एवं श्रम
विभाजन के द्वारा कम प्रयास एवं अल्प लागत से अधिक माल का उत्पादन किया जाता है
(iii) इसमे अधिक पूँजी का प्रयोग किया जाता है
(ii) इसमे वृहत औद्योगिक संगठन मिलता है
(iii) इसमे प्रशासन हेतु प्रशासकीय
अधिकारी-वर्ग रहता है
5. अनियमित भौगोलिक वितरण- आधुनिक उद्योगों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू है उनका सीमित स्थानों पर अत्यधिक सकेन्द्रण मिलना। वर्तमान में विश्व का एक बड़ा क्षेत्र ऐसा है जो औद्योगिक विकास से पूर्णतया वंचित हैं विश्व के कुल भूभाग का केवल 10 प्रतिशत भाग ऐसा है जो औद्योगिक दृष्टि विकसित है। ऐसे ही औद्योगिक रूप से विकसित क्षेत्र किसी देश की आर्थिक तथा राजनीतिक शक्ति का केन्द्र होते हैं। यद्यपि ऐसे औद्योगिक क्षेत्र कृषि की तुलना में बहुत छोटे क्षेत्र पर सकेन्द्रित होते हैं, लेकिन उत्पादन तथा रोजगार प्रदान करने की दृष्टि से ऐसे क्षेत्र देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र होते हैं।
स्वच्छंद उद्योग
जब किसी उद्योग में अनेक प्रकार के कच्चे माल की आवश्यकता होती है
तो ऐसे
उद्योगों के स्थानीयकरण में कच्चे मालों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और इस प्रकार
के उद्योग कच्चे माल के उपलब्धता स्थलों की अवहेलना करते हुए किसी भी उपयुक्त स्थल
पर स्थापित होने के लिए सवतंत्र होते हैं। ऐसे उद्योगों को स्वच्छंद उद्योग कहा
जाता हैं।
स्वच्छन्द उद्योग की विशेषताएँ
1. यह उद्योग संघटक पुर्जों पर निर्भर
रहते हैं
2. इसमें उत्पादन कम मात्रा में होता है
3. इन उद्योगों में श्रमिकों की कम
आवश्यकता होती है।
4. ये उद्योग स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त
होते हैं।
5. इन उद्योगों द्वारा अभिगम्यता (परिवहन)
को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की जाती है।
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक
उद्योग अपनी लागत घटाकर लाभ को बढ़ाते हैं इसलिए उद्योगों की स्थापना उस
स्थान पर की जानी चाहिए जहाँ पर उत्पादन लागत कम आए। उद्योगों की स्थिति को
प्रभावित करने वाले कुछ कारक निम्न हैं।
1. बाजार तक अभिगम्यता - उद्योगों में तैयार माल को बेचने के लिए बाजार एक प्रथम आवश्यकता है बाजार से तात्पर्य उस क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की माँग एवं वहाँ के निवासियों में खरीदने की क्षमता (क्रय शक्ति) है। दूरस्थ क्षेत्र जहाँ कम जनसंख्या निवास करती है छोटे बाजारों से युक्त होते हैं। यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान एवं आस्ट्रेलिया के क्षेत्र वृहद् वैश्विक बाजार हैं, क्योंकि इन प्रदेशों के लोगों की क्रय क्षमता अधिक है। दक्षिणी एवं दक्षिणी पूर्वी एशिया के घने बसे प्रदेश भी वृहद् बाजार उपलब्ध् कराते हैं। भारी उत्पाद वाले उद्योगों की स्थापना उच्च माँग क्षेत्रों के समीप की जाती है, इसलिए इन उद्योगों को बाजार-अभिमुख उद्योग कहा जाता है। सूती वस्त्र उद्योग में कपास जैसे शुद्ध (जिसमें भार ह्रास नहीं होता) कच्चे माल का उपयोग किया जाता है, इसी कारण यह उद्योग भी बाजार अभिमुख होता है। खनिज तेल शोधनशालाओं की स्थापना में भी बाजार की समीपता महत्वपूर्ण मानी जाती है।
2. कच्चे माल की प्राप्ति तक अभिगम्यता - जिन उद्योगों में भारी, सस्ते एवं निर्माण के दौरान वजन कम होने वाले (भार ह्रास) कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है उन उद्योगों को परिवहन व्यय घटाने के लिए कच्चे माल के स्रोत के समीप स्थापित किए जाते हैं जैसे लोहा उद्योग में भारी कच्चा माल प्रयुक्त होता है इसलिए ये उद्योग लोहे अयस्क व कोयला खदानों के समीप अवस्थित है चीनी उद्योग में भार ह्रास वाला कच्चा माल प्रयुक्त होता है इसलिए यह उद्योग गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के समीप अवस्थित होते हैं इसी प्रकार शीघ्र खराब होने वाले कच्चे माल जैसे फल, सब्जी, दुग्ध आदि पर आधारित उद्योग इनके कच्चे माल के स्रोत के समीप अवस्थित होते हैं
3. शक्ति के साधनों तक अभिगम्यता- जिन उद्योगों में शक्ति की अधिक आवश्यकता होती है उन उद्योगों को ऊर्जा स्रोतों के समीप स्थापित किया जाता है जैसे लोहा इस्पात उद्योग कोयला खानों के पास व एल्युमीनियम उद्योग जलविद्युत स्रोतों के पास स्थित होते हैं
4. श्रम आपूर्ति तक अभिगम्यता -यद्यपि वर्तमान समय में मशीनीकरण का बोलबाला है फिर भी जिन उद्योगों में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है वे उद्योग वहां स्थापित किए जाते हैं जहां आसानी से कुशल श्रमिक उपलब्ध हो सके
5. परिवहन एवं संचार की सुविधओं तक अभिगम्यता - कच्चे माल को कारखाने तक लाने व तैयार माल को बाजार तक पहुंचाने के लिए तीव्र व सक्षम परिवहन की आवश्यकता होती है साथ ही उद्योग संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए सुदृढ़ संचार के साधनो की आवश्यकता होती है अतः जिन क्षेत्रों में सुदृढ़ परिवहन जाल व मजबूत सूचना तंत्र उपलब्ध होता है वहां औद्योगिक विकास अधिक होता है जैसे पश्चिमी यूरोप व उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में विकसित परिवहन के जाल के कारण उद्योगों का जमाव अधिक है पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में अत्यधिक परिवहन तंत्र विकसित होने के कारण अधिक उद्योग अवस्थित है।
6. सरकारी नीति - उद्योगों की स्थापना में किसी देश या राज्य की सरकारी नीति भी विशेष महत्त्व रखती है। संतुलित आर्थिक विकास हेतु सरकार प्रादेशिक नीतियां अपनाती है जिसके अंतर्गत विशिष्ट क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना की जाती है। ऐसे क्षेत्र जहाँ सरकार उद्योग स्थापित करने के लिए विशेष सुविधाएँ प्रदान करती हैं, उनमें उद्योगों की शीघ्र ही स्थापना होने लगती है।
7. समूहन अर्थव्यवस्था तक अभिगम्यता/उद्योगों के मध्य सम्बन्ध- ऐसे औद्योगिक क्षेत्र जहाँ प्रधान उद्योग की निकटता से अनेक लघु उद्योग स्थापित हो जाते हैं तो ऐसी स्थिति में विभिन्न उद्योगों के मध्य अंतर्संबंध हो जाते है प्रधान उद्योग की समीपता से अन्य अनेक उद्योग समूहन अर्थव्यवस्था से लाभ प्राप्त कर अधिक बचत करते है।
विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण
विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण उनके आकार,
कच्चा माल,
उत्पाद
एवं स्वामित्व के आधर पर किया जाता है
A. आकार पर आधरित उद्योग
किसी उद्योग का आकार उसमें निवेशित पूँजी,
कार्यरत
श्रमिकों की संख्या एवं उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है। आकार के आधार पर
उद्योगों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है
1. कुटीर उद्योग
2. लघु
उद्योग 3. बड़े पैमाने के उद्योग
1. कुटीर उद्योग
विनिर्माण की सबसे छोटी इकाई जिसमें स्थानीय कच्चे माल का प्रयोग कर साधरण औजारों द्वारा परिवार के सभी
सदस्यों द्वारा अपने दैनिक उपभोग की वस्तुओं का उत्पादन
किया जाता है कुटीर उद्योग कहलाता है
1. कुटीर उद्योग निर्माण की सबसे छोटी
इकाई है।
2. कुटीर उद्योग में स्थानीय कच्चे माल का
उपयोग करते हैं एवं साधरण औजारों द्वारा परिवार के सभी सदस्य मिलकर अपने दैनिक
जीवन के उपभोग की वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।
3. कुटीर उद्योग में तैयार माल का या तो
वे स्वयं उपभोग करते है या इसे स्थानीय गाँव के बाजार में विक्रय कर देते हैं।
4. कुटीर उद्योग को पूँजी एवं परिवहन अधिक
प्रभावित नहीं करते हैं
5. कुटीर उद्योग में दैनिक जीवन के उपभोग
की वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थ, कपड़ा,
चटाइयाँ,
बर्तन,
औजार,
फर्नीचर,
जूते,
मिट्टी के
बर्तन एवं लघु मूर्तियाँ उत्पादित की जाती हैं। इसके अतिरिक्त पत्थर एवं मिट्टी के
बर्तन एवं ईंट, चमड़े से कई प्रकार का सामान बनाया जाता
है।
2. लघु या छोटे पैमाने के उद्योग
1. छोटे पैमाने के उद्योग विनिर्माण की
मध्यम इकाई है
2. छोटे पैमाने के उद्योगों में स्थानीय
कच्चे माल के साथ बाहरी कच्चे माल का भी उपयोग होता है
3. छोटे पैमाने के उद्योगों में
अर्द्धकुशल श्रमिक व शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रों का प्रयोग किया जाता
है।
4. छोटे पैमाने के उद्योग घर से बहार लगाए
जाते है
5.
भारत, चीन,
इंडोनेशिया
एवं ब्राजील ने अपनी जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए छोटे पैमाने के
उद्योग स्थापित किए गए हैं।
3.बडे़ पैमाने के उद्योग
1.इन उद्योग में विभिन्न प्रकार का कच्चा
माल, कुशल श्रमिक, उच्च प्रौद्योगिकी एवं अधिक पूंजी की
आवश्यकता होती है
2.इन उद्योगों में बड़ी-बड़ी मशीनों का
प्रयोग किया जाता है
3.इन उद्योगों में उत्पादन बड़े पैमाने
पर किया जाता है
4.उत्पादन विशिष्टीकरण इन उद्योगों की
प्रमुख विशेषता है
विश्व के प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों को उनके वृहत् पैमाने पर किए गए निर्माण
के आधर पर दो बडे़ समूहों में बाँटा जा सकता है
(i) परंपरागत वृहत औद्योगिक प्रदेश जिनके
समूह कुछ अधिक विकसित देशों में है।
(ii) उच्च प्रौद्योगिकी वाले वृहत औद्योगिक
प्रदेश जिनका विस्तार कम विकसित देशों में हुआ है।
B. कच्चे माल पर आधरित उद्योग
कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित भागों में
विभाजित किया जा सकता है
(i) कृषि आधरित उद्योग- वे उद्योग जिनमें कृषि (खेतों) से
प्राप्त कच्चे माल का उपयोग किया जाता है उन्हें कृषि आधरित उद्योग कहलाते है जैसे
सूती व
रेशम वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग,
जूट
उद्योग, रबर उद्योग,
चाय व
कॉफी उद्योग, भोजन प्रसंस्करण उद्योग
(ii) खनिज आधारित उद्योग - वे उद्योग जिनमें खनिजों को कच्चे माल
के रूप में उपयोग किया जाता है उन्हें कृषि आधरित उद्योग कहते है जैसे लोहा इस्पात उद्योग,
सीमेंट
उद्योग, रेल इंजन उद्योग,
तांबा
उद्योग, चीनी मिट्टी बर्तन उद्योग
(iii) रसायन आधारित उद्योग - वे उद्योग जिनमें प्राकृतिक रूप में
पाए जाने वाले रासायनिक खनिजों का उपयोग किया जाता है उन्हें रसायन आधारित उद्योग
कहते है जैसे रासायनिक उर्वरक उद्योग,
पेंट और
वार्निश उद्योग, प्लास्टिक उद्योग,
औषधि
उद्योग,कृत्रिम रेशे उद्योग, पेट्रो रसायन उद्योग आदि। नमक,
गंधक एवं
पोटाश उद्योगों में भी प्राकृतिक खनिजों को काम में लेते हैं।
(iv) वनों पर आधरित उद्योग - वे उद्योग जिनमें वनों से प्राप्त
मुख्य एवं
गौण उपज को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है उन्हें वनों पर आधरित उद्योग
कहते है जैसे फर्नीचर उद्योग, कागज व लुगदी उद्योग के लिए लकड़ी,
लाख
उद्योग, दियासलाई उद्योग आदि
(v) पशु आधारित उद्योग - वे उद्योग जिनमें पशुओं से प्राप्त चमड़ा,
ऊन तथा
अन्य पदार्थों को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया
जाता है उन्हें पशु आधारित उद्योग कहते है चमड़ा उद्योग,
ऊनी
वस्त्र उद्योग, हाथीदाँत उद्योग
C. उत्पादन/उत्पाद आधरित उद्योग
उत्पादन/उत्पाद के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित
भागों में विभाजित किया जा सकता है
1. आधारभूत उद्योग - वे उद्योग जिनके उत्पादों को अन्य उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है आधारभूत उद्योग कहलाते हैं जैसे लोहा इस्पात उद्योग
2. उपभोक्ता वस्तु उद्योग- वे उद्योग
जिनमें निर्मित तैयार माल (उत्पाद) का प्रत्यक्ष रूप में उपभोक्ता द्वारा
उपभोग किया जाता है उपभोक्ता वस्तु उद्योग कहलाते है जैसे ब्रेड एवं बिस्कुट,
चाय,
साबुन,
एवं
शृंगार उद्योग
D. स्वामित्व के आधर पर उद्योग
स्वामित्व के आधर पर उद्योगों को निम्नलिखित भागों में
विभाजित किया जा सकता है
1. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग - वे उद्योग जिनका स्वामित्व,
प्रबन्ध
एवं नियन्त्रण पूर्णतया सरकार के पास होता है सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहलाते है
समाजवादी देशों में भी अनेक उद्योग सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं। मिश्रित
अर्थव्यवस्था में निजी एवं सार्वजनिक दोनों प्रकार के उद्यम पाए जाते हैं।
2. निजी क्षेत्र के उद्योग- वे उद्योग जिनका स्वामित्व व्यक्तिगत निवेशकों के पास
होता है।निजी क्षेत्र के उद्योग कहलाते है ये निजी संगठनों द्वारा संचालित होते
हैं।पूँजीवादी देशों में अधिकतर उद्योग निजी क्षेत्र के होते
है।
3.संयुक्त क्षेत्र के उद्योग- वे उद्योग जिनका संचालन संयुक्त कंपनी
के द्वारा या किसी निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के संयुक्त प्रयासों
द्वारा किया जाता है। संयुक्त क्षेत्र के उद्योग कहलाते है
परंपरागत बडे़ पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेश
यह वह औद्योगिक क्षेत्र है जहाँ भारी उद्योगों का संकेन्द्रण पाया जाता
है इसमे कोयला खानों के समीप स्थित इस्पात उद्योग,
भारी
इंजीनियरिंग उद्योग, रसायन उद्योग तथा कई अन्य उधोग एक साथ
स्थित होते है इन्हें धुएँ की चिमनी वाले उद्योग भी कहते हैं। भारत में जमशेदपुर
क्षेत्र तथा जर्मनी में रूहर क्षेत्र, ग्रेट-ब्रिटेन में काला प्रदेश
(बर्किंघम क्षेत्र) इस तरह के औद्योगिक प्रदेशों के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।
इस तरह के औद्योगिक प्रदेशों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) इस क्षेत्र में भारी उद्योग स्थित होते
हैं तथा क्षेत्र के अधिकांश लोग इन्हीं उद्योगों में कार्यशील होते हैं।
(ii) यहाँ का वातावरण प्रदूषण युक्त एवं
अनाकर्षक होता है।
(iii) यहाँ घरों का घनत्व उच्च होता है
किन्तु घर घटिया प्रकार के बने होतेहैं।
(iv) विश्वव्यापी माँग में कमी होने से
क्षेत्र में कुछ समय बाद कारखाने बन्द होने लगते हैं जिससे बेरोजगारी की समस्या
उत्पन्न होने लगती है। तथा यहाँ की भूमि अनुपजाऊ हो जाती है इसलिए इसे परित्यक्त
भूमि का क्षेत्र कहते हैं।
जर्मनी का रूहर कोयला क्षेत्र
यह जर्मनी(यूरोप) का महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रदेश रहा है क्योंकि यहाँ कोयला
एवं लोहा दोनों पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं जर्मनी के इस्पात उद्योग के कुल
उत्पादन का यहाँ से 80 प्रतिशत प्राप्त होता है किन्तु
वर्तमान समय में कोयला की माँग घट जाने से इस्पात उद्योग संकुचित हो रहा है।
औद्योगिक ढाँचे में परिवर्तन के कारण कुछ क्षेत्रों के उत्पादन में गिरावट आई है
एवं प्रदूषण व औद्योगिक अपशिष्टकी समस्या भी होने लगी है। वर्तमान समय में यहाँ एक
नया औद्योगिक भू-दृश्य विकसित हो रहा है जिसमें विशाल इस्पात कारखानों के स्थान पर
ओपेल कार का कारखाना, रसायन संयन्त्र तथा विश्वविद्यालय आदि
स्थापित हो रहे हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र में खरीदारी के बड़े-बड़े बाजारों का
उदय हो रहा है। जिससे यहाँ “नवीन रूहर' भूदृश्य विकसित हो गया है।
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग की संकल्पना
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग निर्माण क्रियाओं की नवीनतम पीढ़ी है जिसमें
उन्नत वैज्ञानिक एवं इन्जीनियरिंग उत्पादों का निर्माण गहन शोध एवं विकास के
माध्यम से किया जाता है। उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग के अन्तर्गत यन्त्र मानव,
कम्प्यूटर
आधारित डिजाइन तथा निर्माण, धातु पिघलाने एवं शोधन सम्बन्धी
इलेक्ट्रॉनिक नियन्त्रण तथा नवीन रासायनिक व औषधीय उत्पादन प्रमुख रूप से सम्मिलित
हैं। इन उद्योगों में लगे सम्पूर्ण श्रमिक शक्ति का अधिकांश भाग व्यावसायिक
श्रमिकों (सफेद कॉलर) का होता है इनमें शोध वैज्ञानिक इन्जीनियर तथा उच्च दक्षता
प्राप्त तकनीशियन प्रमुख रूप से शामिल हैं।
ऐसे उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग जो किसी विशिष्ट
प्रदेश में संकेन्द्रित होते हैं, आत्म निर्भर एवं उच्च विशिष्टता के लिए
होते हैं, उन्हें प्रौद्योगिक ध्रुव कहा जाता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में सेनफ्रांसिस्को के निकट स्थित सिलिकॉन घाटी और सिएटल के
समीप स्थित सिलिकॉन वन प्रौद्योगिक ध्रुव के अच्छे उदाहरण हैं। प्रौद्योगिकी
ध्रुव में विज्ञान अथवा प्रौद्योगिकी पार्क, विज्ञान नगर तथा दूसरे उच्च तकनीकी
औद्योगिक संकुल सम्मिलित होते हैं।
लौह इस्पात उद्योग
लौह इस्पात उद्योग अन्य कई उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराता है
इसलिए इसे आधारभूत उद्योग कहते है इसे भारी उद्योग भी कहते हैं क्योंकि इसमें बड़ी
मात्रा में भारी-भरकम कच्चा माल उपयोग में लाया जाता है एवं इसके उत्पाद भी भारी
होते हैं। लौह-इस्पात उद्योग सभी उद्योगों की
जननी तथा
औद्योगिक सभ्यता का आधार है।
लौह-अयस्क को कोक तथा चूना पत्थर के साथ मिलाकर झोंका भट्टी में पिघलाने पर
लोहा प्राप्त होता है। पिघला हुआ लौह बाहर निकलकर जब ठंडा हो जाता है तो उसे कच्चा
लोहा कहते हैं। इसी कच्चे लोहे में मैंगनीज मिलाकर इस्पात बनाया जाता है।
लौह इस्पात उद्योग में प्रयुक्त सभी प्रकार का कच्चामाल भारी होता है अतः
परंपरागत रूप से बडे़ इस्पात उद्योग कच्चे माल के स्रोत के समीप स्थित होते है
जहाँ लौह-अयस्क, कोयला,
मैंगनीज
एवं चूना-पत्थर आसानी से उपलब्ध् हो जाता हो या यह ऐसे स्थान पर भी अवस्थित हो
सकता है जहाँ कच्चा माल आसानी से पहुँचाया जा सके जैसे पत्तन के समीप। परंतु छोटे
इस्पात कारखाने जिनका निर्माण और प्रचालन कम महँगा है की अवस्थिति के लिए कच्चेमाल
की अपेक्षा बाजार का समीप होना अधिक महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि कच्चे माल के रूप
में रद्दी धातु बाजार से उपलब्ध् हो जाती है।
वितरणः लौह इस्पात उद्योग में अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है। अतः लौह
इस्पात उद्योग का केंद्रीकरण उत्तरी अमेरिका, यूरोप एवं एशिया के विकसित देशों में
है।
(i) संयुक्त राज्य अमेरिका-
उत्तरी अप्लेशियन प्रदेश में पिट्सबर्ग (वर्तमान में पिट्सबर्ग क्षेत्र के लौह-इस्पात उद्योग का महत्व कम हो जाने के कारण इसे जंग का कटोरा कहा जाता है।)
महान झील क्षेत्र में शिकागो, गैरी,
इरी,क्लौवलैण्ड ,
लोरेन,बफैलो एवं डुलुब।
अटलांटिक तट पर स्पैरोज पोडंट एवं मोरिसविले।
अलाबामा राज्य में अलाबामा।
(ii) यूरोप
ग्रेट ब्रिटेन : बरमिंघम एवं शैफील्ड-
जर्मनी : - डूइसबर्ग, डोरटमुंड,
डूसूलडोरफ
एवं ऐसेन
फ्रांस प्रमुख केन्द्र : ली क्रीयुसोट एवं सेंट इटीनी।,
सोवियत रूस : मॉस्को, सेंटपीट्सबर्ग,
लीपेटस्क
एवं तुला।
यूक्रेन-प्रमुख केन्द्र : क्रिवाईरॉग एवं डोनेत्सक
(iii) एशिया
जापान-प्रमुख केन्द्र : नागासाकी, टोक्यो एवं याकोहामा।
चीन प्रमुख केन्द्र : शंघाई, तियनस्तिन एवं बुहान।
भारत प्रमुख केन्द्र : जमशेदपुर, कुल्टी-बर्नपुर,
दुर्गापुर,
राउरकेला,
भिलाई,
सलेम,
विशाखापट्टनम
एवं भद्रावती।
सूती कपड़ा उद्योग
सूती कपड़ा उद्योग उन्ही क्षेत्रों में स्थापित किया जाता है। जहाँ नम
जलवायु पायी जाती है। शुष्क जलवायु के कारण धागा टूट जाता है। सृत को रंगाई,
घुलाई के
लिये तथा अन्य कार्यों के लिये शुद्ध जल की आवश्यकता होती है। इस कारण नदियों या
झीलों के किनारे सूती वस्त्र व्यवसाय के केन्द्र स्थापित किये गये हैं। इस उद्योग
के लिये कुशल कारीगर की आवश्यकता होती है। सूती कपड़ा बनाने के लिये कपास की आवश्यकता
होती है। सूती कपड़े के उद्योग साधारणतया उन्हीं स्थानों पर स्थापित किये जाते हैं
जहाँ कोयला अथवा जल-विद्युत् आसानी से प्राप्त होती है। सूती वस्त्र उद्योग के
निम्न तीन उपक्षेत्र है
(i) हथकरघा यह उपक्षेत्र श्रम पर आधारित
है। इसमें अर्द्ध-कुशल एवं कुशल श्रमिकों कौ आवश्यकता होती है। यह अधिक संख्या में
श्रमिकों को रोजगार प्राप्त कराता है। इसमें कम पूँजी कीआवश्यकता होती है। इसके
अन्तर्गत सूत की कताई तथा वस्त्रों की बुनाई आदि कार्य किये जाते हैं।
(ii) बिजली करघा – इन करघों को बिजली से
चलाया जाता है और श्रम की आवश्यकता कम तथा उत्पादकता अधिक होती है।
(iii) कारखाना - इसमें वस्त्र निर्माण का
कार्य बड़े-बड़े कारखानों में किया जाता है तथा अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है। उच्च कोटि के
वस्त्रों का उत्पादन अधिक मात्रा मेँ होता है।
विश्व वितरण - सूती वस्त्र उद्योग का विकास कपास की मात्रा पर निर्भर करता
है। विश्व की 50% से अधिक कपास भारत,
चीन,
अमेरिका,
पाकिस्तान,
उम्बेकिस्तान
तथा मिस्र पैदा करते हैं। दूसरी ओर विश्व में आयातित धागे से सूती वस्त्र निर्माण
करने वाले देशों में ग्रेट ब्रिटेन, उत्तरी-पश्चिमी यूरोप के देश तथा जापान
सर्वप्रमुख हैं। अकेला यूरोप विश्व की आधी कपास का आयात करता है।
कृषि व्यापार
कृषि व्यापार एक प्रकार की व्यापारिक कृषि है जो औद्योगिक पैमाने पर की
जाती है इसका वित्त-पोषण प्रायः वह व्यापारी करता है जिसकी मुख्य रुचि कृषि के
बाहर हो। कृषि व्यापार फार्म से आकार में बड़े, यंत्रकृत,
रसायानों
पर निर्भर एवं अच्छी संरचना वाले होते हैं। इनको ‘कृषि कारखाने’ भी कहा जाता है।
भोजन प्रसंस्करण
खाद्य प्रसंस्करण एक औद्योगिक प्रक्रिया है जिसमे कृषि उत्पादों का भोजन ,
या भोजन
के एक रूप को अन्य रूपों में बदला जाता है इसमें कृषि से प्राप्त कच्चे माल से
तैयार खाद्य निर्माण जैसे मलाई (क्रीम) का उत्पादन,
डिब्बा
खाद्य, फलों से खाद्य तैयार करना एवं मिठाइयाँ सम्मिलित की जाती हैं।
- निम्नलिखित में से कौन-सा उद्योग दूसरे उद्योगों के लिए कच्चा माल तैयार करता है?
[अ] आधारभूत उद्योग
[ब] कुटीर उद्योग
[स] स्वच्छंद उद्योग
[द] लघु उद्योग [अ] - निम्नलिखित में कौन औद्योगिक अवस्थापना का प्रमुख कारक नहीं है?
[अ] बाजार
[ब] पूँजी
[स] जनसंख्या घनत्व
[द] ऊर्जा [स] - निम्न में से कौन-सा एक जोड़ा सही मेल खाता है?
[अ] स्वचालित वाहन उद्योग……..लॉस एंजिल्स
[ब] पोत निर्माण उद्योग…….लूसाका
[स] वायुयान निर्माण उद्योग……फलोरेंस
[द] लौह-इस्पात उद्योग…….पिट्सबर्ग [द] - निम्न में से कौन-सी एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन का स्वामित्व व्यक्तिगत होता है?
[अ] पूंजीवाद
[ब] मिश्रित
[स] समाजवाद
[द] कोई भी नहीं [अ] - विनिर्माण शब्द निम्नलिखित में से किस प्रकार के क्रियाकलाप से संबंधित है
[अ] प्राथमिक
[ब] द्वितीयक
[स] तृतीय
[द] चतुर्थ [ब] - निम्नलिखित में से कौन-सा एक कृषि आधारित उद्योग नहीं है?
[अ] सूती वस्त्र
[ब] ऊनी वस्त्र
[स] चीनी.
[द] जूट [ब] - "जंग का कटोरा' निम्नलिखित में से संयुक्त राज्य अमेरिका के किस को कहा जाता है?
[अ] शिकागो-नैरी क्षेत्र
[ब] पीटर्सबर्ग क्षेत्र
[स] क्लीबलैंड क्षेत्र
[द] अलाबामा क्षेत्र [ब] - विनिर्माण की सबसे छोटी इकाई है।
[अ] बडे़ पैमाने के उद्योग
[ब] कुटीर उद्योग
[स] स्वच्छंद उद्योग
[द] लघु उद्योग [ब] - कच्चे लोहे में .................. मिलाकर इस्पात बनाया जाता है।
[अ] मैंगनीज
[ब] ताम्बा
[स] कोयला
[द] एलुमिनियम [अ] - महान झील औद्योगिक प्रदेश किस देश में स्थित है
[अ] जापान
[ब] संयुक्त राज्य अमेरिका
[स] चीन
[द] भारत [ब] - उच्च प्रोधोगिकी उद्योग में लगे कर्मियों का अधिकतर भाग किस श्रेणी में आता है ?
[अ] लाल कॉलर श्रमिक
[ब] सफ़ेद कॉलर श्रमिक
[स] हरा कॉलर श्रमिक
[द] नीला कॉलर श्रमिक [ब] - बर्मिंघम किस प्रकार के उद्योग के लिए प्रसिद्ध है?[अ] सूती वस्त्र[ब] चीनी[स] लोहा-इस्पात[द] पेट्रो-रसायन [स]
- सिलिकॉन घाटी कहां स्थित है?
[अ] सेनफ्रांसिस्को के निकट
[ब] सिएटल के समीप
[स]पीटर्सबर्ग के समीप
[द] फलोरेंस के समीप [अ] - बिस्किट उद्योग किस उद्योग से सम्बंधित है[अ] आधारभूत उद्योग
[ब] कुटीर उद्योग
[स] स्वच्छंद उद्योग
[द] उपभोक्ता उद्योग [द] - संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा लौह-इस्पात उत्पादक क्षेत्र कौन है ?[अ] पिट्सबर्ग क्षेत्र[ब] मध्य अटलांटिक तट क्षेत्र[स] बर्मिंघम क्षेत्र[द] झील तटीय क्षेत्र [अ]
- उद्योग जिनके स्थानीयकरण के लिए कच्चा माल, परिवहन, बाजार आदि की सुविधा के आधार किसी विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं होती है, कहलाते हैं ?[अ] द्वितीयक उद्योग[ब] स्वछन्द उद्योग[स] उपभोक्ता उद्योग[द] प्राथमिक उद्योग [ब]
- निम्न में से कौन - सा एक स्वछन्द उद्योग है ?[अ] इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग[ब] चमड़ा उद्योग[स] कागज उद्योग[द] सीमेंट उद्योग [अ]
- लाख उद्योग किस प्रकार उद्योग है[अ] वन आधारित उद्योग[ब] कृषि आधारित उद्योग[स] रसायन आधारित उद्योग[द] पशु आधारित उद्योग [अ]
- रूहर कोयला क्षेत्र किस देश में स्थित है[अ] जर्मनी[ब] संयुक्त राज्य अमेरिका[स] जापान[द] कनाडा [अ]
- शक्ति के साधनों तक अभिगम्यता किस उद्योग की अवस्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है[अ] पेट्रो-रसायन उद्योग[ब] एल्युमीनियम उद्योग[स] चीनी उद्योग[द] सूती वस्त्र उद्योग [ब]
- किस उद्योग को विनिर्माण की सबसे छोटी इकाई माना जाता हैकुटीर उद्योग
- उत्पादन के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए1.आधारभूत उद्योग 2.उपभोक्ता वस्तु उद्योग
- आकार के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए1.कुटीर उद्योग 2.लघु उद्योग 3.बड़े पैमाने के उद्योग
- विश्व के प्रमुख इस्पात उत्पादक देशों के नाम लिखिए1.चीन 2.जापान 3.संयुक्त राज्य अमेरिका 4.रूस
- उच्च तकनीकी उद्योगों के दो उदाहरण दीजिए ?कंप्यूटर और रसायन उद्योग।
- महान झील औद्योगिक प्रदेश किस देश में स्थित हैसंयुक्त राज्य अमेरिका
- किसी उद्योग का आकार किन कारकों पर निर्भर करता है1.निवेशित पूंजी 2. कार्यरत श्रमिकों की संख्या 3.उत्पादन की मात्रा
- इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहते हैलौह इस्पात उद्योग अन्य कई उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराता है इसलिए इसे आधारभूत उद्योग कहते है
- विनिर्माण उद्योग किसे कहते हैंप्राथमिक व्यवसाय से प्राप्त कच्चे माल से किसी वस्तु का उत्पादन करना विनिर्माण कहलाता है
- आधारभूत उद्योग किसे कहते हैंवे उद्योग जिनके उत्पादों को अन्य उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है आधारभूत उद्योग कहलाते हैं जैसे लोहा इस्पात उद्योग
- कुटीर उद्योग किसे कहते हैंविनिर्माण की सबसे छोटी इकाई जिसमें स्थानीय कच्चे माल का प्रयोग कर साधरण औजारों द्वारा परिवार के सभी सदस्यों द्वारा अपने दैनिक उपभोग की वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है कुटीर उद्योग कहलाता है
- उच्च प्रोधोगिकी उद्योग में लगे कर्मियों का अधिकतर भाग किस श्रेणी में आता है ?उच्च प्रोधोगिकी उद्योगों में लगे सम्पूर्ण श्रमिक शक्ति का अधिकांश भाग व्यावसायिक श्रमिकों (सफेद कॉलर) का होता है
- प्रौद्योगिक ध्रुव क्या है ?उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग जो किसी विशिष्ट प्रदेश में संकेन्द्रित होते हैं, आत्म निर्भर एवं उच्च विशिष्टता के लिए होते हैं, उन्हें प्रौद्योगिक ध्रुव कहा जाता है।
- पशु आधारित चार उद्योगों के नाम लिखिए ।1.चमड़ा उद्योग 2.ऊनी वस्त्र उद्योग3.मांस उद्योग 4.डेयरी उद्योग
- धुएँ की चिमनी वाले उद्योग से क्या अभिप्राय हैकोयला खानों के समीप स्थित इस्पात उद्योग, भारी इंजीनियरिंग उद्योग, रसायन उद्योग तथा कई अन्य उधोग एक साथ स्थित होते है इन्हें धुएँ की चिमनी वाले उद्योग कहते हैं।
- कृषि आधारित उद्योगों के नाम लिखिए।1.सूती वस्त्र उद्योग 2.चीनी उद्योग3.जूट उद्योग 4.भोजन प्रसंस्करण उद्योग
- कृषि आधारित उद्योगों के नाम लिखिए।1.सूती वस्त्र उद्योग 2.चीनी उद्योग3.जूट उद्योग 4.भोजन प्रसंस्करण उद्योग
- खनिज आधारित चार उद्योगों के नाम लिखिए।1.लोहा इस्पात उद्योग 2.सीमेंट उद्योग3.रेल इंजन उद्योग 4.तांबा उद्योग
- रसायन आधारित चार उद्योगों के नाम लिखिए।1.रासायनिक उर्वरक उद्योग 2.पेंट और वार्निश उद्योग3.प्लास्टिक उद्योग 4.औषधि उद्योग
- ’जंग का कटोरा‘ नाम से किस क्षेत्र को जाना है?संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित पिट्सबर्ग क्षेत्र के लौह-इस्पात उद्योग का महत्व कम हो जाने के कारण इसे जंग का कटोरा कहा जाता है।
- विश्व के वृहद् औद्योगिक प्रदेशों के दो समूहों के नाम बताइए।[1] परंपरागत वृहत औद्योगिक प्रदेश[2] उच्च प्रौद्योगिकी वाले वृहत औद्योगिक प्रदेश
- वन आधारित चार उद्योगों के नाम लिखिए।1.कागज व लुगदी उद्योग 2.फर्नीचर उद्योग3.दियासलाई उद्योग 4.लाख उद्योग
- कच्चे माल के आधार पर उद्योगो का वर्गीकरण कीजिए।कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है(i) कृषि आधरित उद्योग(ii) खनिज आधारित उद्योग(iii) रसायन आधारित उद्योग(iv) वनों पर आधरित उद्योग(v) पशु आधारित उद्योग
- उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग की संकल्पना क्या है ?उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग निर्माण क्रियाओं की नवीनतम पीढ़ी है जिसमें उन्नत वैज्ञानिक एवं इन्जीनियरिंग उत्पादों का निर्माण गहन शोध एवं विकास के माध्यम से किया जाता है। उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग के अन्तर्गत यन्त्र मानव, कम्प्यूटर आधारित डिजाइन तथा निर्माण, धातु पिघलाने एवं शोधन सम्बन्धी इलेक्ट्रॉनिक नियन्त्रण तथा नवीन रासायनिक व औषधीय उत्पादन प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं।
- आकार के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए एवं प्रत्येक की दो-दो विशेषताएं लिखिएआकार के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है1. कुटीर उद्योग(i) कुटीर उद्योग निर्माण की सबसे छोटी इकाई है।(ii) कुटीर उद्योग में स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करते हैं एवं साधरण औजारों द्वारा परिवार के सभी सदस्य मिलकर अपने दैनिक जीवन के उपभोग की वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।2. लघु या छोटे पैमाने के उद्योग(i) छोटे पैमाने के उद्योग विनिर्माण की मध्यम इकाई है(ii) छोटे पैमाने के उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल के साथ बाहरी कच्चे माल का भी उपयोग होता है3.बडे़ पैमाने के उद्योग(i)इन उद्योग में विभिन्न प्रकार का कच्चा माल, कुशल श्रमिक, उच्च प्रौद्योगिकी एवं अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है(ii) इन उद्योगों में बड़ी-बड़ी मशीनों का प्रयोग किया जाता है
- छोटे एवं बड़े पैमाने के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।1. छोटे पैमाने के उद्योग विनिर्माण की मध्यम इकाई है जबकि बड़े पैमाने के उद्योग विनिर्माण की उच्चतम इकाई है2 . छोटे पैमाने के उद्योगों में शक्ति से चलने वाली छोटी-छोटी मशीनों का प्रयोग होता है। जबकि बड़े पैमाने के उद्योगों में शक्तिचालित बड़ी-बड़ी मशीनों का प्रयोग होता है।3 . छोटे पैमाने के उद्योगों में अर्द्धकुशल श्रमिकों द्वारा कार्य किया जाता है। जबकि बड़े पैमाने उद्योगों में कुशल श्रमिकों द्वारा कार्य किया जाता है।4 . छोटे पैमाने के उद्योगों में कम मात्रा में पूँजी का निवेश होता है। जबकि बड़े पैमाने के उद्योगों में अधिक मात्रा में पूँजी का निवेश होता है।
- स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिएस्वामित्व के आधर पर उद्योगों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है1. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग - वे उद्योग जिनका स्वामित्व, प्रबन्ध एवं नियन्त्रण पूर्णतया सरकार के पास होता है सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहलाते है समाजवादी देशों में भी अनेक उद्योग सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं। मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी एवं सार्वजनिक दोनों प्रकार के उद्यम पाए जाते हैं।2. निजी क्षेत्र के उद्योग- वे उद्योग जिनका स्वामित्व व्यक्तिगत निवेशकों के पास होता है।निजी क्षेत्र के उद्योग कहलाते है ये निजी संगठनों द्वारा संचालित होते हैं।पूँजीवादी देशों में अधिकतर उद्योग निजी क्षेत्र के होते है।3.संयुक्त क्षेत्र के उद्योग- वे उद्योग जिनका संचालन संयुक्त कंपनी के द्वारा या किसी निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के संयुक्त प्रयासों द्वारा किया जाता है। संयुक्त क्षेत्र के उद्योग कहलाते है
- कुटीर उद्योग व लघु उद्योग में अंतर लिखिए।1.कुटीर उद्योग विनिर्माण की सबसे छोटी इकाई है जबकि लघु उद्योग विनिर्माण की मध्यम इकाई है2. कुटीर उद्योग में स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है जबकि लघु उद्योग स्थानीय कच्चे माल के साथ बाहरी कच्चे माल का भी उपयोग होता है3.कुटीर उद्योग में दैनिक जीवन के उपभोग की वस्तु का उत्पादन किया जाता है जबकि लघु उद्योग में व्यापारिक महत्व की वस्तुओं का निर्माण किया जाता है4.कुटीर उद्योग मशीन तथा चालक शक्ति का उपयोग नहीं किया जाता है जबकि लघु उद्योग में छोटी-छोटी मशीनों का उपयोग किया जाता है5.कुटीर उद्योग में वस्तुओं का निर्माण परिवार के सदस्यों द्वारा घर में ही किया जाता है लघु उद्योग में वैतनिक श्रमिक रखे जाते हैं
- स्वच्छंद उद्योग किसे कहते है इन उद्योगों की विशेषताएं लिखिए ।जब किसी उद्योग में अनेक प्रकार के कच्चे माल की आवश्यकता होती है तो ऐसे उद्योगों के स्थानीयकरण में कच्चे मालों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और इस प्रकार के उद्योग कच्चे माल के उपलब्धता स्थलों की अवहेलना करते हुए किसी भी उपयुक्त स्थल पर स्थापित होने के लिए सवतंत्र होते हैं। ऐसे उद्योगों को स्वच्छंद उद्योग कहा जाता हैं।स्वच्छन्द उद्योग की विशेषताएँ1. यह उद्योग संघटक पुर्जों पर निर्भर रहते हैं2. इसमें उत्पादन कम मात्रा में होता है3. इन उद्योगों में श्रमिकों की कम आवश्यकता होती है।4. ये उद्योग स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त होते हैं।5. इन उद्योगों द्वारा अभिगम्यता (परिवहन) को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की जाती है।
- आधुनिक बडे़ पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की विशेषताएँ लिखिए1. कौशल का विशिष्टीकरण/उत्पादन विधियाँ -छेटे यन्त्रों एवं हस्त-विनिर्माण से उत्पादन काफी कम तथा लागत अधिक आती थी। इसके साथ ही विनिर्मित सामान की गुणवत्ता भी उतनी उच्छी नहीं होती थी। मशीनों के प्रयोग से उत्पादन का विशेषीकरण बढ़ा है। अब एक व्यक्ति एक ही प्रकार का कार्य करता है जिससे वह अपने कार्य में अधिक दक्ष हो जाता है तथा उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ जाती है।2.यंत्राीकरण- किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए मशीनों का प्रयोग करना यंत्राीकरण कहलाता है। सन् 1860 की औद्योगिक क्रान्ति के बाद इस क्षेत्र में मशीनों का प्रयोग बढ़ा है, किन्तु वर्तमान में विकसित की गई स्वचालित मशीनें यंत्रीकरण की विकसित अवस्था है। पुनर्निवेशन एवं संवृत्त-पाश कंप्यूटर नियंत्रण प्रणाली से युक्त स्वचालित कारखाने जिनमें, मशीनों को ‘सोचने’ के लिए विकसित किया गया है, पूरे विश्व में नजर आने लगी है। ये मशीनें बिना मानवीय सोच के कार्य करती हैं और इसमें मनुष्यों का कार्य केवल मशीनों को चला देना भर होता है।3. प्रौद्योगिकीय नवाचार - नवाचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए नवीन आविष्कारों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत शोध एवं विकासमान युक्तियों के द्वारा विनिर्माण की गुणवत्ता को नियन्त्रित करना, अपशिष्टों का निस्तारण एवं अदक्षता को समाप्त करना तथा पर्यावरणीय प्रदूषण के विरुद्ध संपर्ष करना सम्मिलित है।4. संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीकरण - संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीकरण से संबंधिक आधुनिक विनिर्माण की निम्न विशेषताएँ हैं:(i) यह एक जटिल प्रोद्यौगिकी यंत्र है(ii) इसमें अत्यधिक विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन के द्वारा कम प्रयास एवं अल्प लागत से अधिक माल का उत्पादन किया जाता है(iii) इसमे अधिक पूँजी का प्रयोग किया जाता है(ii) इसमे वृहत औद्योगिक संगठन मिलता है(iii) इसमे प्रशासन हेतु प्रशासकीय अधिकारी-वर्ग रहता है5. अनियमित भौगोलिक वितरण- आधुनिक उद्योगों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू है उनका सीमित स्थानों पर अत्यधिक सकेन्द्रण मिलना। वर्तमान में विश्व का एक बड़ा क्षेत्र ऐसा है जो औद्योगिक विकास से पूर्णतया वंचित हैं विश्व के कुल भूभाग का केवल 10 प्रतिशत भाग ऐसा है जो औद्योगिक दृष्टि विकसित है। ऐसे ही औद्योगिक रूप से विकसित क्षेत्र किसी देश की आर्थिक तथा राजनीतिक शक्ति का केन्द्र होते हैं। यद्यपि ऐसे औद्योगिक क्षेत्र कृषि की तुलना में बहुत छोटे क्षेत्र पर सकेन्द्रित होते हैं, लेकिन उत्पादन तथा रोजगार प्रदान करने की दृष्टि से ऐसे क्षेत्र देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र होते हैं।
- उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।उद्योग अपनी लागत घटाकर लाभ को बढ़ाते हैं इसलिए उद्योगों की स्थापना उस स्थान पर की जानी चाहिए जहाँ पर उत्पादन लागत कम आए। उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं।1. बाजार तक अभिगम्यताउद्योगों में तैयार माल को बेचने के लिए बाजार एक प्रथम आवश्यकता है बाजार से तात्पर्य उस क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की माँग एवं वहाँ के निवासियों में खरीदने की क्षमता (क्रय शक्ति) है। दूरस्थ क्षेत्र जहाँ कम जनसंख्या निवास करती है छोटे बाजारों से युक्त होते हैं। यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान एवं आस्ट्रेलिया के क्षेत्र वृहद् वैश्विक बाजार हैं, क्योंकि इन प्रदेशों के लोगों की क्रय क्षमता अधिक है। दक्षिणी एवं दक्षिणी पूर्वी एशिया के घने बसे प्रदेश भी वृहद् बाजार उपलब्ध् कराते हैं। भारी उत्पाद वाले उद्योगों की स्थापना उच्च माँग क्षेत्रों के समीप की जाती है, इसलिए इन उद्योगों को बाजार-अभिमुख उद्योग कहा जाता है। सूती वस्त्र उद्योग में कपास जैसे शुद्ध (जिसमें भार हास नहीं होता) कच्चे माल का उपयोग किया जाता है, इसी कारण यह उद्योग भी बाजार अभिमुख होता है। खनिज तेल शोधनशालाओं की स्थापना में भी बाजार की समीपता महत्वपूर्ण मानी जाती है।2. कच्चे माल की प्राप्ति तक अभिगम्यताजिन उद्योगों में भारी, सस्ते एवं निर्माण के दौरान वजन कम होने वाले (भार ह्रास) कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है उन उद्योगों को परिवहन व्यय घटाने के लिए कच्चे माल के स्रोत के समीप स्थापित किए जाते हैं जैसे लोहा उद्योग में भारी कच्चा माल प्रयुक्त होता है इसलिए ये उद्योग लोहे अयस्क व कोयला खदानों के समीप अवस्थित है चीनी उद्योग में भार ह्रास वाला कच्चा माल प्रयुक्त होता है इसलिए यह उद्योग गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के समीप अवस्थित होते हैं इसी प्रकार शीघ्र खराब होने वाले कच्चे माल जैसे फल, सब्जी, दुग्ध आदि पर आधारित उद्योग इनके कच्चे माल के स्रोत के समीप अवस्थित होते हैं3. शक्ति के साधनों तक अभिगम्यताजिन उद्योगों में शक्ति की अधिक आवश्यकता होती है उन उद्योगों को ऊर्जा स्रोतों के समीप स्थापित किया जाता है जैसे लोहा इस्पात उद्योग कोयला खानों के पास व एल्युमीनियम उद्योग जलविद्युत स्रोतों के पास स्थित होते हैं4. श्रम आपूर्ति तक अभिगम्यतायद्यपि वर्तमान समय में मशीनीकरण का बोलबाला है फिर भी जिन उद्योगों में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है वे उद्योग वहां स्थापित किए जाते हैं जहां आसानी से कुशल श्रमिक उपलब्ध हो सके5. परिवहन एवं संचार की सुविधओं तक अभिगम्यताकच्चे माल को कारखाने तक लाने व तैयार माल को बाजार तक पहुंचाने के लिए तीव्र व सक्षम परिवहन की आवश्यकता होती है साथ ही उद्योग संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए सुदृढ़ संचार के साधनो की आवश्यकता होती है अतः जिन क्षेत्रों में सुदृढ़ परिवहन जाल व मजबूत सूचना तंत्र उपलब्ध होता है वहां औद्योगिक विकास अधिक होता है जैसे पश्चिमी यूरोप व उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में विकसित परिवहन के जाल के कारण उद्योगों का जमाव अधिक है पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में अत्यधिक परिवहन तंत्र विकसित होने के कारण अधिक उद्योग अवस्थित है।6. सरकारी नीतिउद्योगों की स्थापना में किसी देश या राज्य की सरकारी नीति भी विशेष महत्त्व रखती है। संतुलित आर्थिक विकास हेतु सरकार प्रादेशिक नीतियां अपनाती है जिसके अंतर्गत विशिष्ट क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना की जाती है। ऐसे क्षेत्र जहाँ सरकार उद्योग स्थापित करने के लिए विशेष सुविधाएँ प्रदान करती हैं, उनमें उद्योगों की शीघ्र ही स्थापना होने लगती है।7. समूहन अर्थव्यवस्था तक अभिगम्यता/उद्योगों के मध्य सम्बन्धऐसे औद्योगिक क्षेत्र जहाँ प्रधान उद्योग की निकटता से अनेक लघु उद्योग स्थापित हो जाते हैं तो ऐसी स्थिति में विभिन्न उद्योगों के मध्य अंतर्संबंध हो जाते है प्रधान उद्योग की समीपता से अन्य अनेक उद्योग समूहन अर्थव्यवस्था से लाभ प्राप्त कर अधिक बचत करते है।