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8. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार

व्यापार - वस्तुओं और सेवाओं के स्वैच्छिक आदान-प्रदान व्यापार कहलाता है। व्यापार करने के लिए दो पक्षों का होना आवश्यक है। एक व्यक्ति/पक्ष बेचता है और दूसरा खरीदता है। आदिम समाज में व्यापार का आरंभिक स्वरूप ‘विनिमय व्यवस्था’ था, जिसमें वस्तुओं का प्रत्यक्ष आदान-प्रदान होता था हर जनवरी में फसल कटाई की ऋतु के बाद गुवाहाटी से 35 कि.मी दूर जागीरॅाड में जॉन बील मेला लगता है और संभवतः यह भारत का एकमात्र मेला है, जहाँ विनिमय व्यवस्था आज भी जीवित है।
‘सैलेरी’ (Salary) शब्द लैटिन शब्द ‘सैलेरिअम’ (Salarium) से बना है, जिसका अर्थ है नमक के द्वारा भुगतान। क्योंकि उस समय समुद्र के जल से नमक बनाना ज्ञात नहीं था और इसे केवल खनिज नमक से बनाया जा सकता था, जो उस समय प्राय : दुर्लभ और खर्चीला था, यही वजह है कि यह भुगतान का एक माध्यम बना 
व्यापार दो स्तरों पर किया जा सकता है- 1. अंतर्राष्ट्रीय  2. राष्ट्रीय।

1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार - विभिन्न राष्ट्रों के बीच राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहलाता है
राष्ट्रों को व्यापार करने की आवश्यकता उन वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए होती है, जिन्हें या तो वे (देश) स्वयं उत्पा
दित नहीं कर सकते या जिन्हें वे अन्य स्थान से कम दामों में खरीद सकते हैं।
2. राष्ट्रीय व्यापार - देश के भीतर ही देश के विभिन्न भागों के बीच होने वाला व्यापार ‘राष्ट्रीय व्यापार’ कहलाता है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का इतिहास
प्राचीन काल में, लंबी दूरियों तक वस्तुओं का परिवहन जोखिमपूर्ण होता था, इसलिए व्यापार स्थानीय बाजारों तक ही सीमित था। केवल धनी लोग ही आभूषण व महँगे परिधन खरीदते थे, और परिणामस्वरूप विलास की वस्तुओं का व्यापार होता था  रेशम मार्ग लंबी दूरी के व्यापार का एक आरंभिक उदाहरण है, जो 6000 कि.मी. लंबे मार्ग के सहारे रोम को चीन से जोड़ता था। था। इस मार्ग के द्वारा व्यापारी चीन में बने रेशम, रोम की ऊन व बहुमूल्य धातुओं का परिवहन करते थे।
15वीं शताब्दी से यूरोपीय उपनिवेशवाद शुरू हुआ और विदेशी वस्तुओं के व्यापार के साथ ही व्यापार के एक नए स्वरूप ‘दास व्यापार’ का उदय हुआ 
औद्योगिक क्रान्ति के बाद व्यापार का संयोजन बदला और  विलासिता की वस्तुओं के साथ कच्चे माल, ईंधन, उपभोक्ता पदार्थ आदि का व्यापार होने लगा
19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में, प्राथमिक वस्तुओं का उत्पादन करने वाले प्रदेश अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं रहे और औद्योगिक राष्ट्र एक दूसरे के मुख्य ग्राहक बन गए।
प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पहली बार राष्ट्रों ने व्यापार कर और संख्यात्मक प्रतिबंध् लगाए। विश्व युद्ध के बाद के समय के दौरान ‘व्यापार व शुल्क हेतु सामान्य समझौता’ (GATT) जो कि बाद में विश्व व्यापार संगठन (WHO) बना ने शुल्क को घटाने में सहायता की।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अस्तित्व 
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यदि विभिन्न राष्ट्र वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्ध्ता में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को प्रयोग में लाएँ तो यह विश्व की अर्थव्यवस्था लाभान्वित करता है  अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं और सेवाओं के तुलनात्मक लाभ, परिपूरकता व हस्तांतरणीयता के सिद्धांतों पर आधरित होता है आधुनिक समय में व्यापार, विश्व के आर्थिक संगठन का आधार है सुविकसित परिवहन तथा संचार प्रणाली से युक्त कोई भी देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी से मिलने वाले लाभों को छोड़ने का इच्छुक नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार /प्रभावित करने वाले कारक
1. राष्ट्रीय संसाधनों में भिन्नता-  
विश्व में प्राकृतिक संसाधनों का वितरण बहुत असमान है। विश्व की भौगोलिक संरचना व जलवायु में भिन्नता के कारण विश्व में प्राकृतिक संसाधनों का असमान वितरण पाया जाता है कुछ देशो में कुछ संसाधन उनकी आवश्यकता से अधिक पाये जाते है, जैसे अरब देशो मे पैट्रोलियम के विशाल भण्डार है। वे पैट्रोलियम मे अभाव वाले देशो को उसका निर्यात कर देते है। इस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों में असमानता अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का मुख्य आधार है।
2. जनसंख्या कारक- विश्व में जनसंख्या का असमान वितरण व विभिन्न संस्कृतियों के कारण व्यापार की गई वस्तु की मात्रा एवं प्रकार प्रभावित होते हैं सघन बसे क्षेत्रों में उत्पादित माल का अधिकांश भाग स्थानीय बाजार में खप जाता है इसलिए वहां आंतरिक व्यापार अधिक व बाह्य व्यापार कम होता है कुछ विशिष्ट संस्कृतियों मे कला व हस्तशिल्प के विकास के कारण विशेष वस्तुओं का व्यापार होता है जैसे चीन का पॉर्सलिन (चीनी मिट्टी का बर्तन) तथा ब्रोकेड (किमखाब-जरीदार या बूटेदार कपड़ा) और इंडोनेशियाई का बटिक (छींट वाला) वस्त्र विश्व प्रसिद्ध हैं।
3. आर्थिक विकास की प्रावस्था -आर्थिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं में व्यापार की गई वस्तुओं का प्रकार व मात्रा बदल जाती है कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले देश (विकासशील देश) कृषि उत्पादों का निर्यात और विनिर्माण वस्तुओं का आयात करते हैं इसी प्रकार औद्योगिक राष्ट्र (विकसित देश) विनिर्माण वस्तुओं का निर्यात व खाद्यान्न पदार्थों का आयात करते हैं
4. विदेशी निवेश की सीमा- विदेशी निवेश विकासशील देशों में व्यापार को बढ़ावा देता हैं इन देशों के पास पूंजी का अभाव होता है अतः विकसित देश इन देशों में पूंजी लगाते हैं और अपने लिए खाद्य पदार्थों एवं खनिजों का आयात सुनिश्चित करते हैं और अपने तैयार माल के लिए विकासशील देशों में बाजार तैयार करते हैं जिसके फलस्वरूप विकासशील एवं विकसित देशों के बीच व्यापार आगे बढ़ता है
5. परिवहन के साधनों का विकास- परिवहन के साधनों के विकास का व्यापार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है प्राचीन समय में परिवहन के साधनों का अभाव व्यापार को प्रतिबंधित करता था परंतु वर्तमान समय में परिवहन साधनों के विकास के कारण व्यापार में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्वपूर्ण पक्ष
1.व्यापार का परिमाण - व्यापार की गई वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य व्यापार का परिमाण कहलाता है
2 व्यापार संरचना या संयोजन - व्यापार संयोजन का अर्थ आयात व निर्यात की गई वस्तु व सेवाओं के प्रकार हैं
3. व्यापार की दिशा- व्यापार की दिशा से अभिप्राय उन देशों से होता है जिन देशों के साथ किसी देश का व्यापार होता है
व्यापार संतुलन 
किसी देश के आयात व निर्यात मूल्यो में सम अंतर व्यापार संतुलन कहलाता है
यह दो प्रकार का होता है व्यापार संतुलन किसी देश द्वारा आयात व निर्यात की गई वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा का प्रलेखन करता है

1. प्रतिकुल या ॠणात्मक व्यापार संतुलन-  यदि किसी देश का आयात मूल्य निर्यात मूल्य से अधिक है तो इसे प्रतिकूल या ऋणात्मक व्यापार संतुलन कहते हैं ऋणात्मक संतुलन का अर्थ है कि देश वस्तुओं के क्रय पर विक्रय से अधिक व्यय करता है यह अंतिम रूप में वित्तीय संचय की समाप्ति को अभिप्रेरित करता है।
2. अनुकूल या धनात्मक व्यापार संतुलन -यदि किसी देश का निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक हो तो इसे अनुकूल या धनात्मक व्यापार संतुलन कहते है
मुक्त व्यापार - व्यापार हेतु अर्थव्यवस्थाओं को खोलने की प्रक्रिया को ‘मुक्त व्यापार’ या ‘व्यापारिक उदारीकरण’ कहते हैं।
यह कार्य व्यापारिक अवरोधों जैसे सीमा शुल्क को घटाकर किया जाता है। मुक्त व्यापार घेरलू उत्पादों एवं सेवाओं से प्रतिस्पर्धा करने के लिए सभी स्थानों से वस्तुओं और सेवाओं के लिए अनुमति प्रदान करता है।
डंप करना - डंप करना लागत की दृष्टि से नहीं वरन् भिन्न-भिन्न कारणों से अलग-अलग कीमत की किसी वस्तु को दो देशों में विक्रय करने की प्रथा डंप करना कहलाती है। मुक्त व्यापार के साथ सस्ते मूल्य की डंप की गई वस्तुएँ घरेलू उत्पादकों को नुकसान पहुँचाती है।
प्रशुल्क एवम् व्यापार समझौता (GATT) 
उच्च सीमा शुल्क व अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में आने वाली बाधाओं से मुक्ति दिलाने के लिए किया गया  व्यापार के प्रतिबन्धों को कम करके अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि करने के उद्देश्य से सन् 1948 में जिनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में गैट अर्थात् ‘जनरल एग्रीमेण्ट ऑन ट्रेड एण्ड टैरिफ’ नामक संस्था की स्थापना की गई। गेट विश्व का पहला और विशाल अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक समझौता था। जिस पर 30 अक्टूबर 1947 को 96 देशों ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता 1 जनवरी 1948 को लागू हुआ। इसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में था।  गेट एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था थी जिसने सदस्य देशो को एकत्रित होकर अपनी व्यापारिक समस्याओं पर विचार विमर्श करने व उनका समाधान ढूंढने के लिए एक मंच प्रदान किया है जनवरी 1995 को गेट विश्व व्यापार संगठन में बदल गया
विश्व व्यापार संगठन
विभिन्न देशों के मध्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को निर्बाध रूप से संचालित करने के उद्देश्य से  1 जनवरी 1995 को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना की गई  इसका मुख्यालय जिनेवा( स्विट्ज़रलैंड) में है विश्व व्यापार संगठन के दिसंबर 2005 में 149  देश सदस्य थे भारत इसका संस्थापक सदस्य है
विश्व व्यापार संगठन के आधारभूत कार्य
विश्व व्यापार संगठन एकमात्र अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के मध्य वैश्विक नियमों को लागू करता है।
विश्व व्यापार संगठन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए नियमो का निर्धारण करता है एवं सदस्य देशो के मध्य विवादों का निपटारा करता है
यह विश्व व्यापार के लिए प्रबंधक सलाहकार है एवं विश्व अर्थव्यवस्था पर कड़ी नजर रखता है
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभ
1.उत्पादन में वृद्धि- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संलग्न देश कम लागत पर तैयार होने वाली वस्तुओं का उत्पादन अधिक करते हैं अतः उत्पादन में वृद्धि होती है
2.श्रम विभाजन व विशिष्टीकरण- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वस्तुएं देशों की सीमाओं के बाहर जाती है अतः वस्तुओं के उत्पादन में विशिष्टीकरण व श्रम विभाजन से लाभ प्राप्त होते हैं
3.अतिरेक का निर्माण- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संलग्न देश व्यर्थ पड़े संसाधनों का प्रयोग कर अपनी आवश्यकता से अधिक उत्पादित वस्तुओं का निर्यात करते हैं
4.संसाधनों का कुशल प्रयोग- अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए निर्मित वस्तुओं के उत्पादन में विशिष्टीकरण पाया जाता है जिससे उनके उत्पादन में कुशलता आती है एवं संसाधनों का कुशल प्रयोग होता है
5.राष्ट्रीय आय में वृद्धि- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संलग्न देशों को निर्यात से आय प्राप्त होती है जिससे देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है
6.बड़े पैमाने पर उत्पादन- अंतरराष्ट्रीय व्यापार के बाजार विस्तृत होते हैं अतः वस्तुओं की मांग भी अधिक होती है इसलिए वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है
7.बाजार का विस्तार- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से बाजार का विस्तार होता है और वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति विस्तृत क्षेत्र में होने लगती है
8.वस्तुओ व सेवाओं की उपलब्धता- अंतरराष्ट्रीय व्यापार से बाजार विस्तृत होते हैं अतः उनमें सभी प्रकार की वस्तुएं एवं सेवाएं उपलब्ध होती है
9.मूल्यों में समता- अंतरराष्ट्रीय व्यापार के कारण सभी देशों में सभी प्रकार की वस्तुएं एवं सेवाएं उपलब्ध रहती है इसलिए वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में समानता पाई जाती है
10.सांस्कृतिक लाभ- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा विभिन्न देशों के लोग एक दूसरे के संपर्क में आते हैं तथा एक दूसरे की संस्कृति, धर्म, रीति-रिवाज आदि से परिचित होते हैं
अंतरराष्ट्रीय व्यापार की हानियां
1.प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक विदोहन - विकासशील व अल्पविकसित देश अधिक धन कमाने के लिए निर्यात बढ़ाते हैं और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन करते हैं जिससे इनका संचित भंडार समाप्त होने लगता है
2. देश का एकांगी विकास- व्यापार के लिए प्रत्येक देश केवल न्यूनतम लागत पर तैयार होने वाली वस्तुओं का ही उत्पादन करता है जिससे देश का संतुलित औद्योगिक विकास न होकर कुछ ही उद्योगों का विकास होता है
3.विदेशी निर्भरता- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से विभिन्न देशों की निर्भरता एक दूसरे पर बढ़ जाती है अत: आपातकालीन स्थिति में भारी संकट उत्पन्न हो जाता है
4. राजनितिक दासता- विश्व के शक्तिशाली देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से कमजोर देशों के संसाधनों पर अपना अधिकार जताने लगते हैं जिससे उनकी स्वाधीनता खतरे में पड़ जाती है
5. विदेशी प्रतियोगिता का प्रतिकूल प्रभाव- सस्ती विदेशी वस्तुओं के आयात से देश के घरेलू उद्योग खतरे में पड़ जाते हैं और देश की अर्थव्यवस्था पराश्रित हो जाती है
प्रादेशिक व्यापार समूह
विभिन्न देशों के मध्य व्यापार को बढ़ाने तथा विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबंधों को हटाने के उद्देश्य से कुछ देशों द्वारा बनाया गया व्यापारिक संगठन प्रादेशिक व्यापार समूह कहते है
A.आसियान (Association of Southeast Asian Nations )
1.इसका पूरा नाम दक्षिणी पूर्वी एशियाई राष्ट्रो का संगठन है
2. इसकी स्थापना 1967 ने हुई
3.इसका मुख्यालय जकार्ता (इंडोनेशिया) में है
4. सदस्य देश- इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड
B. ओपेक (Organization of the Petroleum Exporting Countries)
1. पूरा नाम -तेल निर्यातक देशों का संगठन है
2. स्थापना -1949 में  हुई  इसका मुख्यालय  वियना है 
3.यह संगठन खनिज तेल की नीतियों का समन्वय व एकीकरण करता है
4. सदस्य सदस्य देश- इरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात
C. नाफ्टा (North American Free Trade Agreement )
1. पूरा नाम-उतरी अमरीका मुक्त व्यापार समझौता है
2.यह समझोता 1994 में हुआ
3.यह समझौता संयुक्त राज्य अमरीका, मेक्सिको व कनाडा के मध्य हुआ
D.साफ्टा (South Asian Free Trade Agreement)
1. पूरा नाम दक्षिणी एशियाई मुक्त व्यापार समझौता है
2.यह समझौता 2006 में हुआ
3.सदस्य देश- बंगलादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान
E. सी०आई०एस० (C.I.S.) 
1. इसका गठन तत्कालीन सोवियत संघ के विघटन के बाद किया गया।
2. इसका मुख्यालय मिस्क (बेलारूस) है।
3. सदस्य देश - आरमीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, जार्जिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, मौल्डोवा, रूस, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उक्रेन तथा उजबेकिस्तान 
F. यूरोपीय संघ (E.U.) 
1.  इसका गठन यूरोपीय आर्थिक समुदाय’ (EEC)  के नाम से मार्च 1957  किया गया। फरवरी 1992 में इसका नाम ‘यूरोपीय संघ’ कर दिया गया।
2. इसका मुख्यालय बुसेल्स (बेल्जियम) में है
3. सदस्य देश- फ्रांस, बेल्जियम, लक्जेमबर्ग, नीदरलैण्ड्स, जर्मन संघीय गणराज्य तथा इटली।। 
G. लैटिन अमेरिकन इंटीग्रेशन एसोसिएशन (LAIA) – 
1. इसका गठन सन् 1960 में किया गया था। 
2. इसका मुख्यालय मॉण्टोविडियो (उरुग्वे) में है। 
3. सदस्य देश-अर्जेण्टीना, बोलिविया, ब्राजील, कोलम्बिया, इक्वाडोर, मैक्सिको, पराग्वे, पेरु, उरुग्वे, वेनेजुएला
पत्तन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार पत्तन
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की दुनिया के मुख्य प्रवेश द्वार पोताश्रय तथा पत्तन होते हैं। इन्हीं पत्तनों के द्वारा जहाजी माल तथा यात्री विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं। पत्तनों पर जहाजों के ठहरने का उचित प्रबन्ध होता है। जहाजों से सामान उतारने तथा उन पर सामान लादने की भी उचित व्यवस्था होती है। इन सुविधाओं को प्रदान करने के उद्देश्य से पत्तन के प्राधिकारी नौगम्य द्वारों का रख-रखाव, रस्सों व बजरों (छोटी अतिरिक्त नौकाएँ) की व्यवस्था करने और श्रम एवं प्रबंधकीय सेवाओं को उपलब्ध कराने की व्यवस्था करते हैं। सैन फ़्रांसिस्को, विश्व का सबसे बड़ा स्थलरुढ पत्तन है 
पत्तन के प्रकार
निपटाए गये नौभार के अनुसार पत्तनों के प्रकार 
1. औद्योगिक पत्तन – ये पत्तन थोक नौभार के लिए विशेषीकृत होते हैं; जैसे–अनाज, चीनी, अयस्क, तेल आदि 
2. वाणिज्यिक पत्तन – ये मुख्यतः सामान के आयात-निर्यात के लिए प्रयोग किए जाते हैं। कुछ पत्तनों को सवारियाँ भी प्रयोग करती हैं तथा कुछ मत्स्यन जलपोतों को आश्रय देते हैं।
3. विस्तृत पत्तन – ये पत्तन बड़े पैमाने पर सामान्य नौभार का थोक प्रबन्ध करते हैं। विश्व के अधिकांश बड़े पत्तन इसी वर्ग के हैं।
अवस्थिति के आधार पर पत्तनों के प्रकार
1. अंतर्देशीय /आन्तरिक पत्तन : ये पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं। ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। इन पत्तनो तक चौरस तल वाले जहाज या बजरे द्वारा ही पहुंचा जा सकता है उदाहरण – मानचेस्टर, ड्यूसबर्ग और कोलकाता 
2. बाह्य पत्तन – ये गहरे पानी के पत्तन हैं। ये वास्तविक पत्तनों से दूर गहरे समुद्रों में बनाए जाते हैं, क्योंकि जलपोत या तो अपने बड़े आकार के कारण या अधिक मात्रा में अवसाद हो जाने के कारण वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुंच पाते। बोस्टन ऐसा ही पत्तन है। उदाहरणस्वरूप एथेंस तथा यूनान में इसके बाह्य पत्तन पिरेइअस एक उच्चकोटि का संयोजन है। 
विशिष्टीकृत कार्यकलापों के आधार पर पत्तनों के प्रकार
1. तैल पत्तन : ये पत्तन तेल के प्रक्रमण और नौ-परिवहन का कार्य करते हैं। इनमें से कुछ टैंकर पत्तन तथा कुछ तेल शोधन पत्तन हैं। वेनेजुएला में माराकाइबो, ट्यूनिशिया में एस्सखीरा, लेबनान में त्रिपोली टैंकर पत्तन हैं। पर्शिया की खाड़ी पर अबादान एक तेलशोधन पत्तन है।
2. मार्ग पत्तन (विश्राम पत्तन) : ये ऐसे पत्तन हैं, जो मूल रूप से मुख्य समुद्री मार्गों पर विश्राम केंद्र के रूप में विकसित हुए, जहाँ पर जहाज पुन : ईंधन भरने, जल भरने तथा खाद्य सामग्री लेने के लिए लंगर डाला करते थे। बाद में, वे वाणिज्यिक पत्तनों में विकसित हो गए। अदन, होनोलूलू तथा सिंगापुर इसके अच्छे उदाहरण हैं।
3. पैकेट स्टेशन : इन्हें फेरी-पत्तन भी कहते हैं। इनका छोटे समुद्री मार्ग से आने वाले यात्रियों को उतारने-चढ़ाने तथा डाक लाने व ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है। ये स्टेशन जोड़ों जलीय क्षेत्र के आरपार एक दूसरे के आमने-सामने स्थित होते हैं। उदाहरणस्वरूप - इंग्लिश चैनल के आरपार डोवर(इंग्लैंड) तथा कैलाइस(फ़्रांस) 
4.आंत्रापो पत्तन : ये पत्तन एक देश के माल को दूसरे देश में भेजने का कार्य करते हैं। ऐसे पत्तनों पर जो माल आता है, उसका गन्तव्य अन्य देश होते हैं, अत: उस माल का संचयन बड़े-बड़े गोदामों में किया जाता है और दूसरे देशों को भेजा जाता है। सिंगापुर एशिया के लिए, रोटरडम यूरोप के लिए और कोपेनहेगेन बाल्टिक क्षेत्र के लिए आंत्रापो पत्तन हैं। 
5. नौ सेना पत्तन : ये केवल सामारिक महत्त्व के पत्तन हैं। ये पत्तन युद्धक जहाजों को सेवाएँ देते हैं तथा उनके लिए मरम्मत कार्यशालाएँ चलाते हैं। कोच्चि तथा कारवाड़ भारत में ऐसे पत्तनों के उदाहरण हैं।
       1.5 अंक के 2 प्रश्न   1.5 x 2 = 3  अंक (1 प्रश्न ज्ञान व 1 प्रश्न अवबोध )  
  1. विश्व के किस महाद्वीप में व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है ?
    यूरोप
  2. विभिन देशों से निर्यात के लिए लाए गए माल के संचयन करने वाले पत्तन कहलाते हैं ?
    आंत्रपो पत्तन 
  3. कोच्चि व कारवाड किस प्रकार के पतन  हैं ?
    नौ सेना पत्तन 
  4.  विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय कहां है ?
    जिनेवा (स्विट्जरलैंड)
  5. WTO का पूरा नाम क्या है ?
    ‘World Trade Organisation’
     (विश्व व्यापार संगठन).
  6. प्राचीन रेशम मार्ग किन देशों को जोड़ता था ?
    रोम व चीन को
  7. संसार के अधिकांश महान पत्तन किस वर्ग में वर्गीकृत किए गए हैं ?
    विस्तृत पत्तन
  8. किस महाद्वीप में से विश्व व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है ?
    यूरोप
  9. MFN का पूरा नाम लिखिए
    सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (Most favourite Nation)
  10. GATT का पुरा नाम लिखिए 
    General Agreement on Tariffs and Trade (प्रशुल्क एवम् व्यापार पर सामान्य समझौता)
  11. व्यापार के स्तर कौन-कौन से हैं ?
    व्यापार के दो स्तर होते हैं 1.राष्ट्रीय व्यापार 2.अंतरराष्ट्रीय व्यापार
  12. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के द्वार कौन होते हैं
    समुद्री बन्दरगाह।
  13. आयात और निर्यात के बीच मूल्य के अन्तर को क्या कहा जाता है
    व्यापार सन्तुलन
  14. जब निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य अधिक होता है, तो व्यापार कहलाता है
    ऋणात्मक व्यापार सन्तुलन।
  15. डंप करना से क्या अभिप्राय है?
    डंप करना लागत की दृष्टि से नहीं वरन् भिन्न-भिन्न कारणों से अलग-अलग कीमत की किसी वस्तु को दो देशों में विक्रय करने की प्रथा डंप करना कहलाती है। 
  16. व्यापार संतुलन किसका प्रलेखन करता है?
    व्यापार संतुलन किसी देश द्वारा  आयात व निर्यात की गई वस्तुओं एवं सेवाओं की मात्रा का प्रलेखन करता है
  17. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं 
    विभिन्न राष्ट्रों के बीच राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहलाता है
  18. मुक्त व्यापार किसे कहते हैं?
    व्यापार हेतु अर्थव्यवस्थाओं को खोलने की प्रक्रिया को ‘मुक्त व्यापार’ या ‘व्यापारिक उदारीकरण’ कहते हैं।
  19. विश्व व्यापार संगठन का गठन कब हुआ ?इसका पुराना नाम क्या था ?
    विश्व व्यापार संगठन का गठन 1995 में हुआ। इसका पुराना नाम था गेट् (जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेफिक एण्ड ट्रेंड) 
  20. ‘मुक्त व्यापार की स्थिति’ का अर्थ स्पष्ट करो ।
    व्यापार हेतु अर्थव्यवस्थाओं को खोलने का कार्य मुक्त व्यापार या व्यापार उदारीकरण के रूप में जाना जाता है। यह कार्य व्यापारिक अवरोधों जैसे सीमा शुल्क को घटाकर किया जाता है। मुक्त व्यापार घेरलू उत्पादों एवं सेवाओं से प्रतिस्पर्धा करने के लिए सभी स्थानों से वस्तुओं और सेवाओं के लिए अनुमति प्रदान करता है।
  21. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रकार लिखिए।
    अंतरराष्ट्रीय व्यापार दो प्रकार का होता है
    1.द्विपार्श्विक व्यापार -दो देशों द्वारा एक दूसरे के साथ किया जाने वाला व्यापार द्विपार्श्विक व्यापार कहलाता है
    2.बहुपार्श्विक व्यापार -बहुत से व्यापारिक देशो के साथ किया जाने वाला व्यापार बहुपार्श्विक व्यापार कहलाता है
  22. ऋणात्मक भुगतान सन्तुलन का होना किसी देश के लिए क्यों हानिकारक होता है?
    एक ऋणात्मक भुगतान सन्तुलन का अर्थ होगा कि देश. वस्तुओं के क्रय पर विक्रय अधिक खर्च करता है जो  अन्तिम रूप में वित्तीय संचय की समाप्ति  को अभिप्रेरित करता है। इसलिए ऋणात्मक भुगतान सन्तुलन का होना किसी देश के लिए हानिकारक होता है
  23. अंतर्देशीय  व बाह्य पत्तन में अंतर लिखिए 
    अंतर्देशीय  पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं। ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। इन पत्तनो तक चौरस तल वाले जहाज या बजरे द्वारा ही पहुंचा जा सकता है जबकि  बाह्य पत्तन  गहरे पानी के पत्तन हैं। ये वास्तविक पत्तनों से दूर गहरे समुद्रों में बनाए जाते हैं, क्योंकि जलपोत या तो अपने बड़े आकार के कारण या अधिक मात्रा में अवसाद हो जाने के कारण वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुंच पाते। 
  24. विश्व व्यापार संगठन के आधारभूत कार्य कौन-से हैं ?
    विश्व व्यापार संगठन एकमात्र अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के मध्य वैश्विक नियमों को लागू करता है।
    विश्व व्यापार संगठन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए नियमो का निर्धारण करता है
    विश्व व्यापार संगठन सदस्य देशो के मध्य विवादों का निपटारा करता है
    यह विश्व व्यापार के लिए प्रबंधक सलाहकार है एवं विश्व अर्थव्यवस्था पर कड़ी नजर रखता है
  25. अंतरराष्ट्रीय व्यापार की हानियां लिखिए
    1.प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक विदोहन 
    2. देश का एकांगी विकास 
    3.विदेशी निर्भरता
    4. राजनितिक दासता
    5. विदेशी प्रतियोगिता का प्रतिकूल प्रभाव 
  26. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभ लिखिए (Board Exam 2020)
    1. उत्पादन में वृद्धि- 
    2. श्रम विभाजन व विशिष्टीकरण- 
    3. बड़े पैमाने पर उत्पादन
    4. ज्ञान एवं संस्कृति का प्रस्पुफरण 
    5.वस्तुओ व सेवाओं की उपलब्धता 
    6.मूल्यों में समता
    7. उच्च रहन-सहन का स्तर
  27. व्यापार संतुलन से क्या अभिप्राय है समझाइए
    किसी देश के आयात व निर्यात मूल्यो में सम अंतर व्यापार संतुलन कहलाता है
    यह दो प्रकार का होता है
    1.प्रतिकुल या ॠणात्मक व्यापार संतुलन- यदि किसी देश का आयात मूल्य निर्यात मूल्य से अधिक है तो इसे प्रतिकूल या ऋणात्मक व्यापार संतुलन कहते हैं
    2.अनुकूल या धनात्मक व्यापार संतुलन -यदि किसी देश का निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक हो तो इसे अनुकूल या धनात्मक व्यापार संतुलन कहते है
  28. प्रशुल्क एवम् व्यापार समझौता(GATT) क्या है समझाइए
    गेट विश्व का पहला और विशाल अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक समझोता था। जिस पर 30 अक्टूबर 1947 को 96 देशों ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता 1 जनवरी 1948 को लागू हुआ। इसका मुख्यालय जिनेवा में था। गेट एक बहुपक्षीय संधि थी जिसका गठन उच्च सीमा शुल्क व व्यापार में आने वाली बाधाओं से मुक्ति दिलाने के लिए किया गया । गेट एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था थी जिसने सदस्य देशो को एकत्रित होकर अपनी व्यापारिक समस्याओं पर विचार विमर्श करने व उनका समाधान ढूंढने के लिए एक मंच प्रदान किया है जनवरी 1995 को गेट विश्व व्यापार संगठन में बदल गया
  29. अवस्थिति के आधार पर विश्व के पत्तनों को दो प्रकार में  वर्गीकृत कीजिए 
    1. अंतर्देशीय /आन्तरिक पत्तन : ये पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं। ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। इन पत्तनो तक चौरस तल वाले जहाज या बजरे द्वारा ही पहुंचा जा सकता है उदाहरण – मानचेस्टर, ड्यूसबर्ग और कोलकाता 
    2. बाह्य पत्तन – ये गहरे पानी के पत्तन हैं। ये वास्तविक पत्तनों से दूर गहरे समुद्रों में बनाए जाते हैं, क्योंकि जलपोत या तो अपने बड़े आकार के कारण या अधिक मात्रा में अवसाद हो जाने के कारण वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुंच पाते। बोस्टन ऐसा ही पत्तन है। उदाहरणस्वरूप एथेंस तथा यूनान में इसके बाह्य पत्तन पिरेइअस एक उच्चकोटि का संयोजन है। 
  30. अंतरराष्ट्रीय व्यापार के पक्ष लिखिए
    1.व्यापार का परिमाण - व्यापार की गई वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य व्यापार का परिमाण कहलाता है
    2 व्यापार संरचना या संयोजन -व्यापार संयोजन का अर्थ आयात व निर्यात की गई वस्तु व सेवाओं के प्रकार हैं
    3. व्यापार की दिशा- व्यापार की दिशा से  अभिप्राय उन  देशों से होता है जिन देशों के साथ किसी देश  का व्यापार  होता है
    4.व्यापार संतुलन- किसी देश के आयात व निर्यात मूल्य में  समांतर व्यापार संतुलन कहलाता है व्यापार संतुलन किसी देश द्वारा आयात व निर्यात की गई वस्तुओं और सेवाओं की  मात्रा का प्रलेखन करता है
  31. विश्व व्यापार संगठन क्या है समझाइए
    1.विश्व व्यापार संगठन की स्थापना 1 जनवरी  1995 मे हुई
    2.इसका मुख्यालय जिनेवा( स्विट्ज़रलैंड) में है
    3.विश्व व्यापार  संगठन की स्थापना विभिन्न देशों के मध्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को निर्बाध रूप से संचालित करने के उद्देश्य से की गई
    4.विश्व व्यापार संगठन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए नियमो का निर्धारण करता है एवं सदस्य देशो के मध्य विवादों का निपटारा करता है
    5.यह विश्व व्यापार के लिए प्रबंधक सलाहकार है एवं विश्व अर्थव्यवस्था पर कड़ी नजर रखता है
    6.दिसंबर 2015 में विश्व व्यापार संगठन के 164 देश सदस्य थे भारत इसका संस्थापक सदस्य है
    7.विश्व व्यापार संगठन उदारीकरण, भूमंडलीकरण व निजीकरण की एक अंतर्राष्ट्रीय कार्ययोजना है जिसकी सभी देश अनुपालन करते हैं
  32. विशिष्टीकृत क्रियाकलापों के आधार पर पत्तनों को वर्गीकृत कीजिए।
    1. तैल पत्तन : ये पत्तन तेल के प्रक्रमण और नौ-परिवहन का कार्य करते हैं। इनमें से कुछ टैंकर पत्तन तथा कुछ तेल शोधन पत्तन हैं। वेनेजुएला में माराकाइबो, ट्यूनिशिया में एस्सखीरा, लेबनान में त्रिपोली टैंकर पत्तन हैं। पर्शिया की खाड़ी पर अबादान एक तेलशोधन पत्तन है।
    2. मार्ग पत्तन (विश्राम पत्तन) : ये ऐसे पत्तन हैं, जो मूल रूप से मुख्य समुद्री मार्गों पर विश्राम केंद्र के रूप में विकसित हुए, जहाँ पर जहाज पुन : ईंधन भरने, जल भरने तथा खाद्य सामग्री लेने के लिए लंगर डाला करते थे। बाद में, वे वाणिज्यिक पत्तनों में विकसित हो गए। अदन, होनोलूलू तथा सिंगापुर इसके अच्छे उदाहरण हैं।
    3. पैकेट स्टेशन : इन्हें फेरी-पत्तन भी कहते हैं। इनका छोटे समुद्री मार्ग से आने वाले यात्रियों को उतारने-चढ़ाने तथा डाक लाने व ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है। ये स्टेशन जोड़ों जलीय क्षेत्र के आरपार एक दूसरे के आमने-सामने स्थित होते हैं। उदाहरणस्वरूप - इंग्लिश चैनल के आरपार डोवर(इंग्लैंड) तथा कैलाइस(फ़्रांस) 
    4.आंत्रापो पत्तन : ये पत्तन एक देश के माल को दूसरे देश में भेजने का कार्य करते हैं। ऐसे पत्तनों पर जो माल आता है, उसका गन्तव्य अन्य देश होते हैं, अत: उस माल का संचयन बड़े-बड़े गोदामों में किया जाता है और दूसरे देशों को भेजा जाता है। सिंगापुर एशिया के लिए, रोटरडम यूरोप के लिए और कोपेनहेगेन बाल्टिक क्षेत्र के लिए आंत्रापो पत्तन हैं। 
    5. नौ सेना पत्तन : ये केवल सामारिक महत्त्व के पत्तन हैं। ये पत्तन युद्धक जहाजों को सेवाएँ देते हैं तथा उनके लिए मरम्मत कार्यशालाएँ चलाते हैं। कोच्चि तथा कारवाड़ भारत में ऐसे पत्तनों के उदाहरण हैं।
  33. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार /प्रभावित करने वाले कारक लिखिए
    1.राष्ट्रीय संसाधनों में भिन्नता- विश्व की भौगोलिक संरचना व जलवायु में भिन्नता के कारण विश्व में राष्ट्रीय संसाधनों का असमान वितरण पाया जाता है जिसके कारण व्यापार होता है
    2.जनसंख्या कारक- विश्व में जनसंख्या का असमान वितरण व विभिन्न संस्कृतियों के कारण व्यापार की गई वस्तु की मात्रा एवं प्रकार प्रभावित होते हैं सघन बस क्षेत्रों में उत्पादित माल का अधिकांश भाग स्थानीय बाजार में खप जाता है इसलिए वहां आंतरिक व्यापार अधिक व बाह्य व्यापार कम होता है कुछ विशिष्ट संस्कृतियों मे कला व हस्तशिल्प के विकास के कारण विशेष वस्तुओं का व्यापार होता है
    3.आर्थिक विकास की प्रावस्था -आर्थिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं में व्यापार की गई वस्तुओं का प्रकार व मात्रा बदल जात है कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले देश (विकासशील देश) कृषि उत्पादों का निर्यात और विनिर्माण वस्तुओं का आयात करते हैं इसी प्रकार औद्योगिक राष्ट्र (विकसित  देश) विनिर्माण वस्तुओं का निर्यात व खाद्यान्न पदार्थों का आयात करते हैं 
    4.विदेशी निवेश की सीमा- विदेशी निवेश विकासशील देशों में व्यापार को बढ़ावा देते हैं इन देशों के पास पूंजी का अभाव होता है अतः विकसित देश इन देशों में पूंजी लगाते हैं और अपने लिए खाद्य पदार्थों एवं खनिजों का आयात सुनिश्चित करते हैं और अपने तैयार माल के लिए विकासशील देशों में बाजार तैयार करते हैं जिसके फलस्वरूप विकासशील एवं विकसित देशों के बीच व्यापार आगे बढ़ता है 
    5.परिवहन के साधनों का विकास- परिवहन के साधनों के विकास का व्यापार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है प्राचीन समय में परिवहन के साधनों का अभाव व्यापार को प्रतिबंधित करता था परंतु वर्तमान समय में परिवहन साधनों के विकास के कारण व्यापार में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है

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