पर्यावरण प्रदूषण मानवीय क्रियाकलापों के अपशिष्ट उत्पादों से मुक्त द्रव्य एवं ऊर्जा का परिणाम है। प्रदूषकों के परिवहित एवं विसरित होने के माध्यम के आधार पर प्रदूषण को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है
जल प्रदूषण
जल की भौतिक, रासायनिक व जैविक विशेषताओं में होने वाले अवांछित परिवर्तन जो मानव सहित अन्य जीवो पर बुरा असर डालते हैं जल प्रदूषण कहलाता है
जल प्रदूषण के कारण/स्रोत
A. मानवीय स्रोत
1. औद्योगिक अपशिष्ट- जल प्रदूषण में उद्योग सर्वाधिक महत्वपूर्ण है उत्पादन प्रक्रिया में, उद्योग अनेक अवांछित उत्पाद जैसे औद्योगिक कचरा, प्रदूषित अपशिष्ट जल, जहरीली गैसें, रासायनिक अवशेष, भारी धातुएँ, धूल, धुआँ आदि पैदा करते हैं जिनमें शामिल होता है। अधिकतर औद्योगिक कचरे को बहते जल में अथवा झीलों आदि में विसर्जित कर दिया जाता है। परिणामस्वरूप विषाक्त रासायनिक तत्व जलाशयों, नदियों तथा अन्य जल भंडारों में पहुँच जाते हैं जो इन जलों में रहने वाली जैव प्रणाली को नष्ट करते हैं। सर्वाधिक जल प्रदूषक उद्योग- चमड़ा, लुगदी व कागज, वस्त्र तथा रसायन हैं।
2. कृषि अपशिष्ट - आधुनिक कृषि में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों जैसे उर्वरक, कीटनाशक, खरपतवार नाशक आदि का उपयोग होता है इन रसायनों को नदियों, झीलों तथा तलाबों में बहा दिया जाता है। यह सभी रसायन जल के माध्यम में जमीन में स्रवित होते हुए भू-जल तक पहुँच जाते हैं। उर्वरक धरातलीय जल में नाइट्रेट की मात्रा को बढ़ा देते हैं।
3.सांस्कृतिक गतिविधियाँ - भारत में तीर्थ यात्राओं, धार्मिक मेले व पर्यटन आदि जैसी सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी जल प्रदूषण का कारण हैं। इन गतिविधियों के आयोजन से विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट उत्पन्न होते है जो जल प्रदूषण का कारण बनाते है
4. घरेलू वाहित मल - वाहित मल के अन्तर्गत मुख्य रूप से घरेलू एवं सार्वजनिक शौचालयों से निःसृत मानव मल को सम्मिलित किया जाता है। वाहित मल नालों से होता हुआ जलस्रोतों में मिल जाता है जो भयंकर जल प्रदूषण का कारण बनता है।
B. जल प्रदूषण प्राकृतिक स्रोत- अपरदन, भू-स्खलन और पेड़-पौधों तथा मृत पशु के सड़ने-गलने आदि से प्राप्त प्रदूषकों से भी जल प्रदूषित होता है,
जल प्रदूषण के दुष्परिणाम
1. प्रदूषित जल में विषाक्त पदार्थों के साथ-साथ कई बीमारियों के जीवाणु व विषाणु पाए जाते हैं अतः प्रदूषित जल से मनुष्यों में हैजा, डायरिया, पीलिया व हेपेटाइटिस जैसे रोग हो जाते हैं
2.जल का तापमान बढ़ने से जलीय जीवों तथा वनस्पति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
3. जल प्रदूषण के कारण कई पवित्र नदियों का जल पीने योग्य नहीं रहा है
‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम
गंगा नदी जो भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार व प. बंगाल राज्यों में बहती है जिसमे कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना तथा कोलकाता जैसे नगर घरेलू कचरे को नदी में निर्मुक्त करते हैं। जिससे नदी जल प्रदूषण बढ़ रहा है गंगा नदी की स्थिति में सुधार के लिए, केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर गंगा सफाई के लिए निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम आरंभ किया है -
1.शहरों में सीवर ट्रीटमेंट की व्यवस्था कराना।
2. औद्योगिक प्रवाह की निगरानी।
3. नदियों का विकास।
4. नदी के किनारों पर वनीकरण जिससे जैवविविधता में वृद्धि हो।
5. नदियों के तल की सफाई।
6. उत्तराखंड, यू.पी., बिहार, झारखंड में ‘गंगा ग्राम’ का विकास करना।
7. नदी में किसी भी प्रकार के पदार्थों को न डालना भले ही वे किसी अनुष्ठान से संबंधित हों, इससे प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। इसके संबंध् में लोगों में जागरूकता पैदा करना।
वायु प्रदूषण
वायु के संगठन में होने वाला अनचाहा परिवर्तन जो जीव जगत को हानि पहुंचाता है वायु प्रदूषण कहलाता है
वायु प्रदूषण के कारण /स्रोत
1.प्राकृतिक करण/ स्रोत- ज्वालामुखी उद्गार, धूल भरी आंधियां, दावानल, भूस्खलन, तूफान आदि
2.मानवीय कारण /स्रोत- जीवाश्म ईंधन का दहन, उद्योग,खनन आदि
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव
1.वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिससे मनुष्य में श्वसन तंत्र, तंत्रिका तंत्र व रक्त परिसंचरण से संबंधित बीमारियां हो जाती है
2. वायु प्रदूषण से जलवायु एवं वायुमंडलीय दशाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जैसे ओजोन परत क्षरण व ग्रीन हाउस प्रभाव
3.वायु प्रदूषण के कारण महानगरों एवं नगरों में कोहरे के गुबंद बन जाते हैं हैं
4.वायु प्रदूषण का वनस्पति एवं जीव जंतु पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
ध्वनि प्रदूषण
अवांछित ध्वनि जो सुनने में अच्छी नहीं लगे तथा मनुष्य की श्रवण शक्ति, स्वास्थ्य एवं कार्य क्षमता को प्रभावित करती है ध्वनि प्रदूषण कहलाता है ध्वनि की तीव्रता मापने की इकाई डेसीबल है ध्वनि प्रदूषण स्थान विशिष्ट होता है तथा इसकी तीव्रता प्रदूषण के स्रोत से दूर कम होती जाती है।
ध्वनि प्रदूषण के कारण
1. परिवहन के साधन
2. उद्योग एवं कल-कारखाने
3. मनोरंजन के साधन
4. खनन कार्य
नगरीय अपशिष्ट निपटान
नगरीय क्षेत्रों को प्रायः अति संकुल, भीड़-भाड़ तथा तीव्र बढ़ती जनंसख्या के लिए अपर्याप्त सुविधाएँ और उसके परिणामस्वरूप साफ-सफाई की खराब स्थिति एवं प्रदूषित वायु के रूप में पहचाना जाता है। नगरीय क्षेत्रों में कूड़ा-करकट, रद्दी, गंदगी एवं कबाड़ आदि का दो स्रोतों से निपटान होता है-
घरेलू प्रतिष्ठानों से
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से।
घरेलू कचरे को या तो सार्वजनिक भूमि पर या निजी ठेकेदारों के स्थलों पर डाला जाता है जबकि औद्योगिक/व्यावसायिक इकाइयों के कचरा का संग्रहण एवं निपटान नगरपालिकाओं के द्वारा निचली सतह की सार्वजनिक जमीन पर निस्तारित किया जाता है।
नगरीय अपशिष्ट के हानिकारक प्रभाव
1. ठोस अपशिष्ट से अप्रिय बदबू, मक्खियों एवं कृतकों से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम पैदा हो जाते हैं जैसे टाइपफाइड गलघोटूँ, दस्त तथा हैजा आदि।
2. कूड़ा-कचरा अक्सर क्लेश पैदा करते हैं जब कभी भी इनका लापरवाही से निपटान किया जाता है तो यह हवा से फैलने एवं बरसाती पानी से छितरने के कारण परेशानी का कारण बनता है।
3. नगरीय क्षेत्रों में औद्योगिक कचरे को नदियों में डालने से जल प्रदूषण की समस्या होती है।
4. नगर आधारित उद्योगों तथा अनुपचारित वाहित मल के कारण नदियों के प्रदूषण से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएँ पैदा होती हैं।
5. भारत में अधिकांश शहरों में कचरा बिना एकत्र, किए छोड़ दिया जाता। जो गलियों में, घरों के पीछे खुली जगहों पर तथा परती जमीनों पर इकट्ठा हो जाता है जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा हो जाते हैं। अनुपचारित अपशिष्ट धीरे-धीरे सड़ते हैं और वातावरण में विषाक्त गैसें छोड़ते हैं जिनमें मिथेन गैस भी शामिल हैं।
ग्रामीण-शहरी प्रवास
नगरीय क्षेत्रों में मजदूरों की अधिक माँग, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के निम्न अवसर तथा नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच विकास के असंतुलित प्रारूप के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर जनसंख्या का प्रवाह होता है जिससे भारत में, नगरीय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। विकासशील देशों में गरीब, अर्धशिक्षित एवं अकुशल श्रमिक ग्रामीण क्षेत्रों से प्रायः शहरी क्षेत्रों में परिवार का पोषण करने के लिए प्रवास करते रहते हैं। चूँकि गंतव्य स्थान पर मजदूरी काफी कम होती है, इसलिए पत्नियों को गाँव में बच्चों और बड़ों की देखभाल के लिए छोड़ दिया जाता है। इसी कारण ग्रामीण-नगरीय प्रवास में पुरुषों का प्रभुत्व होता है। नगरीय जनसंख्या में वृद्धि एक प्राकृतिक वृद्धि के परिणामस्वरूप (जब मृत्यु दर की अपेक्षा जन्म दर अधिक हो), निवल आप्रवास (जहाँ बाहर जाने वालों की अपेक्षा आने वाले अधिक हो) और कभी-कभी नगरीय क्षेत्रों का पुनः वर्गीकरण जिसमें आसपास की ग्रामीण जनसंख्या को शामिल कर लिया जाता है, के कारण बढ़ती है।
भू-निम्नीकरण
स्थायी या अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता की कमी आना भू-निम्नीकरण कहलाता है
मृदा अपरदन, लवणता तथा भू-क्षारता से भू-निम्नीकरण होता है। भू-उर्वरकता के अप्रबंधन के साथ इसका अविरल उपयोग होने पर भू-निम्नीकरण होगा तथा उत्पादकता में कमी आएगी।
भूनिम्नीकरण दो प्रकियाओं द्वारा तीव्रता से होता है। ये प्रक्रियाएँ प्राकृतिक तथा मानवजनित हैं। प्राकृतिक तथा मानवजनित प्रक्रियाओं से निम्नकोटि भूमियों में जलाक्रांत व दलदली क्षेत्र, लवणता व क्षारता से प्रभावित भूमियाँ, झाड़ी सहित व झाड़ियों रहित भूमियाँ आदि सम्मिलित हैं। कुछ अन्य निम्नकोटि भूमियाँ भी हैं जैसे स्थानांतरित कृषि जनित क्षेत्र, रोपण कृषि जनित, क्षरित वन, क्षरित चरागाह तथा खनन व औद्योगिक व्यर्थ क्षेत्र जो मानवीय प्रक्रियाओं से कृषि के अयोग्य हुई हैं।
गंदी बस्तियां
गंदी बस्तियाँ न्यूनतम वांछित आवासीय क्षेत्र होते हैं जहाँ जीर्ण-शीर्ण मकान, स्वास्थ्य की निम्न सुविधाएँ, खुली हवा का अभाव तथा पेयजल, प्रकाश तथा शौच सुविधाओं जैसी आधारभूत आवश्यक चीजों का अभाव पाया जाता है।
गंदी बस्तियों की समस्याएँ
1. जन सुविधाओं का अभाव – भारत में गन्दी बस्तियों में शुद्ध पेयजल, शौचालय, शिक्षा, चिकित्सा, जल निकासी की सुविधा,सीवर लाइन चौड़ी सड़कें जैसी जनसुविधाओं का अभाव पाया जाता है
2. निम्न स्तरीय स्वास्थ्य व बिमारियों की बहुलता- गंदी बस्तियों की अधिकांश जनसंख्या नगरीय अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र में कम वेतन और अधिक जोखिम भरा कार्य करते हैं। परिणामस्वरूप ये लोग अल्प-पोषित होते हैं और इन्हें विभिन्न रोगों और बीमारियों की संभावना बनी रहती है।
3. अपराधों में वृद्धि - गंदी बस्तियों में गरीबी उन्हें नशीली दवाओं, शराब, अपराध, गुंडागर्दी, पलायन, उदासीनता और अंततः सामाजिक बहिष्कार के प्रति उन्मुख करती है।
स्वच्छ भारत मिशन शहरों के नवीकरण का एक हिस्सा है जिसे भारत सरकार ने शहरी गंदी बस्तियों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए शुरू किया है।
धारावी - एशिया की विशालतम गंदी बस्ती
धारावी एशिया की विशालतम गंदी बस्ती है इस गंदी बस्ती से केवल एक मुख्य सड़क गुजरती है। इसे ‘नाइंटीपुफट रोड’ के गलत नाम से जाना जाता है। जो अपनी चौड़ाई में घटकर आधे से कम रह गई है। बसें सिर्फ बस्ती की परिधि से गुजरती हैं। गलियाँ एवं पगडंडियाँ इतनी सँकरी हैं कि वहाँ से एक साईकिल का गुजरना भी मुश्किल है। धारावी केंद्रीय मुंबई का एक हिस्सा है जहाँ तिपहिया वाहनों का प्रवेश भी निषेध है।
संपूर्ण बस्ती में दो से तीन मंजिले अस्थायी भवन है तथा उनमें जंग लगी लोहे की सीढ़ियाँ लगी हैं जहाँ एक ही कमरे को किराए पर लेकर पूरा परिवार रहता है। धारावी में शुद्ध वायु, पेयजल व प्रकाश की प्रयाप्त सुविधा नहीं है गंदे पानी की निकासी की सुविधा नहीं है शौचालय की सुविधा नहीं है धारावी में मृतिका शिल्प, मिट्टी के बर्तन, कसीदाकारी एवं जरी का काम, परिष्वृफत चमड़े का काम आदि काम होते है
केस अध्ययन
मेरठ के निकट दौराला में लोगों की प्रतिभागिता के सहारे पारिस्थितिकी के पुनर्भरण और मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रयास किया गया है। दौराला के उद्योगों के अनुपचारित अपशिष्ट जल का भू-जल स्तर में निक्षालन के कारण 12,000 लोगों की जनसंख्या वाले दौराला गाँव का भू-जल भारी धातुओं के संपर्क से संदूषित हो चुका था। सन् 2003 में दौरालावासियों की दयनीय दशा के कारण एक जनहित सभा रखी।
एन.जी.ओ. के कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों के स्वास्थ्य-स्तर संबंधी सर्वेक्षण किया और एक रिपोर्ट बनाई। संगठन, ग्रामीण समुदाय और जन-प्रतिनिधियों ने आपस में बैठकर इन समस्याओं के टिकाऊ समाधान ढूँढ़ने का प्रयास किया। उद्योगपतियों ने पारिस्थितिकी की गिरती दशा को नियंत्रित करने में गहरी रुचि दिखाई। गाँव की उपरली टंकी की क्षमता बढ़ाई गई और समुदाय को पीने योग्य जल उपलब्ध कराने के लिए 900 मीटर की अतिरिक्त पाइपलाइन बिछाई गई। गाँव के गाद-युक्त तालाब को साफ किया गया और इसे गाद-विमुक्त करके पुनः जल से भर दिया गया। बड़ी मात्रा में गाद को हटाकर अधिक मात्रा में जल का मार्ग प्रशस्त किया गया जगह-जगह वर्षा-जल संग्रहण की संरचनाएँ बनाई गई। जिनसे मानसून के पश्चात भू-जल के संदूषण में कमी आई। एक हजार वृक्षों की लगाए गए जिनसे पर्यावरण का संवर्धन हुआ।
केस अध्ययन
झबुआ जिला मध्य प्रदेश के अति पश्चिमी कृषि जलवायु क्षेत्र में अवस्थित है। यहाँ मुख्यत भील जनजाति पाई जाती है।यहाँ जंगल एवं भूमि दोनों संसाधनों के उच्च दर से निम्नीकरण के कारण लोग गरीबी की दशा में जी रहे हैं, यहाँ भारत सरकार के ‘ग्रामीण विकास’ तथा ‘कृषि मंत्रालय’ ने जल संभरण प्रबंधन कार्यक्रम क्रियान्वित किया गया है। पिछले पाँच वर्षों में, ग्रामीण विकास मंत्रालय से निधि प्राप्त राजीव गांधी मिशन द्वारा क्रियांवित जल संभरण प्रबंधन ने अकेले झबुआ जिले की लगभग 20 प्रतिशत भूमि का उपचार किया है। झबुआ जिले के पेटलावाड विकास खंड के भील समुदाय ने अपना स्वयं का प्रयास करके विस्तृत भागों की साझी संपदा संसाधनों को पुनर्जीवित किया है। प्रत्येक परिवार ने साझी संपदा में एक पेड़ लगाया और उसे अनुरक्षित किया। इसके साथ ही प्रत्येक परिवार ने चरागाह भूमि पर चारा घास को बोया और कम से कम दो वर्षों तक उसकी सामाजिक घेराबंदी की उनका कहना था, इन जमीनों पर कोई खुली चराई नहीं होगी और पशुओं की आहार पूर्ति हेतु नाँद बनाए जाएँगे और इस प्रकार से उन्हें यकीन था कि जो चरागाह उन्होंने विकसित किए हैं, वे भविष्य में उनके पशुओं का सतत पोषण करते रहेंगे। इस अनुभव का एक रोचक पक्ष यह है कि समुदाय इस चरागाह प्रबंधन प्रक्रिया की शुरुआत करते कि इससे पहले ही पड़ोसी गाँव के एक निवासी ने उस पर अतिक्रमण कर लिया। गाँव वालों ने तहसीलदार को बुलाया और साझी जमीन पर अपने अधिकारों को सुनिश्चित कराया। इस अनुवर्ती संघर्ष को गाँववालों द्वारा सुलझाया गया जिसके लिए उन्होंने साझी चरागाह भूमि पर अतिक्रमण करने वाले दोषी को अपने प्रयोक्ता समूह का सदस्य बनाकर उसे साझी चरागाह भूमि की हरियाली से लाभांश देना आरंभ किया।
- निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है?(क) ब्रह्मपुत्र(ख) सतलुज(ग) यमुना(घ) गोदावरी। (ग)
- निम्नलिखित में से कौन-सा रोग जलजन्य है?(क) नेत्रश्लेष्मला शोथ(ख) अतिसार(ग) श्वसन संक्रमण(घ) श्वासनली शोथ। (ख)
- निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल वर्षा का एक कारण है?(क) जल प्रदूषण(ख) भूमि प्रदूषण(ग) शोर प्रदूषण(घ) वायु प्रदूषण (घ)
- . ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख स्रोत है –[क] उद्योग[ख] मोटर वाहन[ ग] लाउडस्पीकर[घ] उपरोक्त सभी [घ]
- प्रतिकर्ष और अपकर्ष कारक उत्तरदायी हैं-(क) प्रवास के लिए(ख) भू-निम्नीकरण के लिए(ग) गंदी बस्तियाँ(घ) वायु प्रदूषण (क)
- एशिया की विशालतम गन्दी बस्ती ‘धारावी’ किस नगर में स्थित है ?[अ] कोलकाता[ब] मुम्बई[स] दिल्ली[द] हैदराबाद [ब]
- निम्नांकित में से कौन-सा कारण जल प्रदूषण के लिए सर्वाधिक रूप से उत्तरदायी है?(क) वन विनाश(ख) सांस्कृतिक गतिविधियाँ(ग) औद्योगिक अपशिष्ट(घ) कृषि अपशिष्ट (ग)
- ध्वनि की तीव्रता का मापने की इकाई क्या है(क) ओम मीटर(ख) एम्पीयर(ग) बैकरल(घ) डेसीबल (घ)
- झबुआ जिला किस राज्य में है(क) गुजरात(ख) महाराष्ट्र(ग) उत्तर प्रदेश(घ) मध्य प्रदेश (घ)
- निम्न में से भू-निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारक है[अ] मृदा अपरदन[ब] लवणता[स] भू-क्षारता[द] उपरोक्त सभी। [द]
- औद्योगिक/व्यावसायिक इकाइयों के कचरे का निपटान ........................द्वारा किया जाता है
- यमुना भारत की सर्वाधिक प्रदूषित ............................... है ।
- ....................................एशिया की विशालतम गन्दी बस्ती है
- भारत में गाँवों को.................................. ने आदर्श गणतंत्र माना था
- धारावी बस्ती से गुजरने वाली एक मुख्य सड़क को ...........................नाम से जाना जाता है
- उर्वरक धरातलीय जल में ........................की मात्रा को बढ़ा देते हैं।
- ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड, यू.पी., बिहार, झारखंड में ....................... विकास करने का लक्ष्य रखा गया है
- धारावी में तिपहिया वाहनों का प्रवेश ................ है।
- नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच विकास के असंतुलित प्रारूप के कारण ......................प्रवास होता है
- ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता प्रदूषण के स्रोत से दूर .......... होती जाती है
- प्रदूषत जल से होने वाली किन्ही दो बिमारियों के मान लिखिएडायरिया व हेपेटाइटिस
- जल प्रदूषण के दो मुख्य कारण लिखिए ।1. औद्योगिक अपशिष्ट 2.सांस्कृतिक गतिविधियाँ
- गंगा नदी जो भारत के किन राज्यों में बहती हैउत्तर प्रदेश, बिहार व प. बंगाल में
- चार सर्वाधिक जल प्रदूषक उद्योगों के नाम लिखिएचमड़ा, लुगदी व कागज, वस्त्र तथा रसायन उद्योग
- वायु प्रदूषण से होने वाली बिमारियों से सम्बंधित किन्ही दो तंत्रों के नाम लिखिएश्वसन तंत्र व तंत्रिका तंत्र
- ध्वनि प्रदूषण में सर्वाधिक योगदान किस स्रोत का हैपरिवहन के साधन
- ध्वनि प्रदूषण को किस इकाई में मापा जाता हैडेसिबल
- एशिया की विशालतम गन्दी बस्ती का नाम लिखिएधारावी
- केंद्र सरकार द्वारा गंगा सफाई के लिए कौनसा कार्यक्रम आरंभ किया है‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम
- धारावी बस्ती से गुजरने वाली एक मुख्य सड़क को किस नाम से जाना जाता है‘नाइंटीफुट रोड’
- भारत सरकार द्वारा शहरी गंदी बस्तियों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कौन सा कार्यक्रम शुरू किया है ।स्वच्छ भारत मिशन
- नमामि गंगे’ कार्यक्रम के दो उद्देश्य लिखिए1. नदी के किनारों पर वनीकरण2. नदियों के तल की सफाई।
- भू-निम्नीकरण से क्या अभिप्राय हैस्थायी या अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता की कमी आना भू-निम्नीकरण कहलाता है
- भू-निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारकों के नाम लिखिएमृदा अपरदन, लवणता तथा भू-क्षारता
- वायु प्रदूषण के कारण /स्रोत बताइए ।जीवाश्म ईंधन का दहन, उद्योग व खनन
- नगरीय क्षेत्रों में घरेलू प्रतिष्ठानों से प्राप्त अपशिष्टों का निपटान कैसे किया जाता हैसार्वजनिक भूमि पर या निजी ठेकेदारों के स्थलों पर डालकर
- ग्रामीण-शहरी प्रवास के दो कारण लिखिए1. नगरीय क्षेत्रों में मजदूरों की अधिक माँग2. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के निम्न अवसर
- भूनिम्नीकरण से निर्मित निम्नकोटि भूमियों के उदाहरण लिखिए1. जलाक्रांत व दलदली क्षेत्र2. लवणता व क्षारता से प्रभावित भूमियाँ
- औद्योगिक/व्यावसायिक इकाइयों के कचरे का निपटान कैसे किया जाता हैऔद्योगिक/व्यावसायिक इकाइयों के कचरे का संग्रहण एवं निपटान नगरपालिकाओं के द्वारा निचली सतह की सार्वजनिक जमीन पर निस्तारित किया जाता है।
- पर्यावरण प्रदूषण किसका का परिणाम है।पर्यावरण प्रदूषण मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों से मुक्त द्रव्य एवं ऊर्जा का परिणाम है।
- निवल आप्रवास किसे कहते हैजब किसी क्षेत्र में बाहर जाने वालों लोगों की अपेक्षा आने वाले लोगों की संख्या अधिक हो तो इसे निवल आप्रवास कहते है
- गंदी बस्तियां किसे कहते हैगंदी बस्तियाँ न्यूनतम वांछित आवासीय क्षेत्र होते हैं जहाँ जीर्ण-शीर्ण मकान, स्वास्थ्य की निम्न सुविधाएँ, खुली हवा का अभाव तथा पेयजल, प्रकाश तथा शौच सुविधाओं जैसी आधारभूत आवश्यक चीजों का अभाव पाया जाता है।
- प्रदूषक किसे कहते हैंऐसे अवांछनीय पदार्थ जो पर्यावरण के किसी भी मूल तत्व में अपनी उपस्थिति से नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं या प्रदूषण फैलाते हैं प्रदूषक कहलाते हैं
- जल प्रदूषण से क्या अभिप्राय है ?जल की भौतिक, रासायनिक व जैविक विशेषताओं में होने वाले अवांछित परिवर्तन जो मानव सहित अन्य जीवो पर बुरा असर डालते हैं जल प्रदूषण कहलाता है
- वायु प्रदूषण से क्या अभिप्राय है ?वायु के संगठन में होने वाला अनचाहा परिवर्तन जो जीव जगत को हानि पहुंचाता है वायु प्रदूषण कहलाता है
- गंदी बस्तियों की समस्याएँ लिखिए1. जन सुविधाओं का अभाव2. निम्न स्तरीय स्वास्थ्य व बिमारियों की बहुलता3. अपराधों में वृद्धि
- ध्वनि प्रदूषण से क्या अभिप्राय है ?अवांछित ध्वनि जो सुनने में अच्छी नहीं लगे तथा मनुष्य की श्रवण शक्ति, स्वास्थ्य एवं कार्य क्षमता को प्रभावित करती है ध्वनि प्रदूषण कहलाता है
- जल प्रदूषण के दुष्परिणाम लिखिए ।1.प्रदूषित जल में विषाक्त पदार्थों के साथ-साथ कई बीमारियों के जीवाणु व विषाणु पाए जाते हैं अतः प्रदूषित जल से मनुष्यों में हैजा, डायरियाउ, पीलिया व हेपेटाइटिस जैसे रोग हो जाते हैं2.जल का तापमान बढ़ने से जलीय जीवों तथा वनस्पति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है3. जल प्रदूषण के कारण कई पवित्र नदियों का जल पीने योग्य नहीं रहा है
- ध्वनि प्रदूषण के कारण लिखिए ।1.परिवहन के साधन2.उद्योग एवं कल-कारखाने3.मनोरंजन के साधन4. खनन कार्य
- ध्वनि प्रदूषण से होने वाली हानियां लिखिए ।1.श्रवण शक्ति में ह्रास2.मानसिक स्तर में बदलाव जैसे चिड़चिड़ापन, अनिंद्रा, पागलपन आदि3.कार्य क्षमता में कमी4.स्मरण शक्ति में कमी
- अम्लीय वर्षा से क्या अभिप्राय है ?प्रदूषित वायु में उपस्थित सल्फर डाइऑक्साइड हुए नाइट्रिक ऑक्साइड वायुमंडलीय जल के साथ क्रिया करके क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल व नाइट्रिक अमल बनाते हैं जिससे वर्षा जल का ph मान घटकर 5 से कम हो जाता है इसे अम्लीय वर्षा कहते हैं
- वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय लिखिए ।1. वायु प्रदूषण रोकने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाए2. जीवाश्म ईंधन के स्थान पर ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग किया जाए3.निर्धूम चुल्हो का उपयोग किया जाना चाहिए4.ईट भट्टे एवं बर्तन उद्योग आबादी क्षेत्र से बाहर स्थापित किये जाए5.उद्योगों में नवीन तकनीकी का उपयोग किया जाए
- वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव बताइए ।1.वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिससे मनुष्य में श्वसन तंत्र, तंत्रिका तंत्र व रक्त परिसंचरण से संबंधित बीमारियां हो जाती है2.वायु प्रदूषण से जलवायु एवं वायुमंडलीय दशाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जैसे ओजोन परत क्षरण व ग्रीन हाउस प्रभाव3.वायु प्रदूषण के कारण महानगरों एवं नगरों में कोहरे के गुबंद बन जाते हैं हैं4.वायु प्रदूषण का वनस्पति एवं जीव जंतु पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है