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4.जल - संसाधन

पृथ्वी का अधिकांश भाग जल से घिरा है। इसका लगभग 71 प्रतिशत धरातल पानी से आच्छादित है जिसके कारण यह अंतरिक्ष से नीली दिखाई पड़ती है। यही कारण है कि हमारी पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहा जाता है। 

भारत के जल संसाधन

भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्र का लगभग 2.45 प्रतिशत, जल संसाधनों का 4 प्रतिशत, जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है। देश में एक वर्ष में वर्षण से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन कि.मी. है। धरातलीय जल और पुनः पूर्ति योग्य भौम जल की उपलब्धता 1, 869 घन कि.मी. है। इसमें से केवल 60 प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1,122 घन कि.मी. है। इसमें से 690 घन कि.मी. सतही जल तथा 433 घन कि.मी. पुनः पूर्ति योग्य भौम जल है । 

जल संसाधनों का वर्गीकरण 

भारत में जल संसाधनो को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है । 

1. धरातलीय जल संसाधन

धरातलीय जल के चार मुख्य स्रोत हैं  

◈नदियाँ

झीलें

तलैया 

तालाब

भारत  में 1.6 कि.मी. से अधिक लम्बाई वाली कुल 10, 360 नदियाँ हैं। इनका  वार्षिक प्रवाह 1, 869 घन कि.मी. है। धरातलीय जल का केवल लगभग 690 घन किमी. (32%) जल का ही उपयोग किया जा सकता है। भारत के कुल धरातलीय जल का 60 प्रतिशत जल गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंघु नदियों में पाया जाता है। 16% जलराशि गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में प्रवाहित होता है नदी में जल प्रवाह इसके जल ग्रहण क्षेत्र के आकार तथा इसके जल ग्रहण क्षेत्र में हुई वर्षा पर निर्भर करता है।

2. भौम जल संसाधन 

संतृष्त क्षेत्र में धरातलीय सतह के नीचे पाया जाने वाला जल भूमिगत जल कहलाता है। इसे कुओं नलकूपों तथा अन्य साधनों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। देश में, कुल पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधन लगभग 433 घन कि.मी. है। भारत में भूमिगत जल का वितरण सामान नहीं है पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तमिलनाडु राज्यों में भौम जल का उपयोग बहुत अधिक है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा और महाराष्ट्र अपने भौम जल संसाधनों का मध्यम दर से उपयोग कर रहे हैं। छत्तीसगढ़, ओडिशा, केरल आदि अपने भौम जल क्षमता का बहुत कम उपयोग करते हैं। 

लैगून और पश्च जल (कयाल) 

भारत की विशाल समुद्र तट रेखा कटी-फटी है इसी कारण भारत के पूर्वी तट(मालाबार तट ) पर बहुत-से लैगून और पश्च जल पाए जाते है केरल, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में इन लैगून और पश्च जल में बड़े धरातलीय जल संसाधन हैं सामान्यतः इन जलाशयों में खारा जल है, इसका उपयोग मछली पालन और चावल की कुछ निश्चित किस्मों, नारियल आदि की सिंचाई में किया जाता है। 

भारत में जल की माँग और उपयोग 

भारत की वर्तमान में जल की माँग, सिंचाई की आवश्यकताओं के लिए अधिक है। इसलिए धरातलीय और भौम जल का सबसे अधिक उपयोग कृषि में होता है। भारत में धरातलीय और भौम जल का उपयोग निम्नानुसार किया जाता है 

धरातलीय जल का उपयोग 

1. कृषि सेक्टर -89%

2. औद्योगिक सेक्टर – 2%

3.घरेलू सेक्टर  -9%

धरातलीय जल का उपयोग 

1. कृषि सेक्टर -92%

2. औद्योगिक सेक्टर -5%

3.घरेलू सेक्टर  -3%

सिंचाई के लिए जल की माँग 

कृषि में जल का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई के लिए होता है। भारत में सिंचाई आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है 

1.भारत में मानसून की अनिश्चितता व अनियमितता के कारण देश के अधिकांश भाग (उत्तर-पश्चिमी भारत और दक्कन का पठार) वर्षाविहीन और सूखाग्रस्त हैं। पर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र जैसे बंगाल और बिहार में भी मानसून के मौसम में अवर्षा सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न कर देती है अतः फसलों को सूखे से बचाने के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है  

2.देश के अधिकांश भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुओं में न्यूनाधिक शुष्कता पाई जाती है इसलिए शुष्क ऋतुओं में बिना सिंचाई के खेती करना कठिन होता है। 

3.कुछ फसलें जैसे चावल, गन्ना, जूट आदि के लिए अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है इन फसलों के उत्पादन के लिए सिंचाई आवश्यक है ।  

4. सिंचाई द्वारा एक ही साल में कई फसलें एक के बाद एक करके उगायी जा सकती है अतः सिंचाई द्वारा  बहुफसलीकरण को बढ़ावा मिलाता है  

सिंचित भूमि की कृषि उत्पादकता असिंचित भूमि की अपेक्षा ज्यादा होती है। साथ ही  फसलों की अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए आर्द्रता आपूर्ति नियमित रूप से आवश्यक है अतः सिंचाई द्वारा फसलों का उत्पादन बढाया जा सकता है। 

भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग के दुष्परिणाम

1. भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग से भौम जल स्तर नीचा हो गया है। 

2. राजस्थान और महाराष्ट्र में अधिक जल निकालने के कारण भूमिगत जल में फ्रलुओराइड की मात्रा बढ़ गई है । 

3.पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ भागों में अधिक जल निकालने के कारण भूमिगत जल में संखिया (आर्सेनिक) की मात्रा बढ़ गई है।

संभावित जल समस्या

जनसंख्या वृद्धि के कारण जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। साथ ही औद्योगिक, कृषि और घरेलू अपशिष्टों द्वारा  धरातलीय एवं भूमिगत जल प्रदूषित होता जा रहा है जो भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। प्रमुख जलीय समस्याएँ निम्मांकित हैं--

(1) जल का अधिक दोहन - देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण जल संसाधनो का अत्यधिक दोहन हो रहा है। एक तरफ भूमिगत जल के अधिक उपयोग हो रहा है और दूसरी तरफ वन विनाश के कारण वर्षा जल का भूमि के नीचे रिसाव कम हो रहा है  जिसके कारण भूमिगत जल का स्तर घट रहा है जो भविष्य में भारी जल संकट का संकेत है।

(2) जल प्रदूषण- नदियों के जल में औद्योगिक, कृषि और घरेलू अपशिष्ट मिल जाते हैं जिससे नदी जल की गुणवत्ता घट रही है। कभी- कभी इन अपशिष्टों से निकली भारी एवं विषैली धातुएं वर्षा जल के साथ रिसकर जमीन के अन्दर भूमिगत जल तक पहुँच जाते हैं  और भूमिगत जल को प्रदूषित कर देते है 

(3) जल के पुनःचक्रण में कमी - भूमिगत जल का भी उपयोग व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है और उसका पुन: चक्रण अपेक्षाकृत कम गति से हो रहा है नगरीय क्षेत्रों में पक्के मकानों एवं सड़कों के बन जाने से वर्षा जल का जमीन के अन्दर रिसाव नहीं हो रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के विस्तार एवं औद्योगीकरण के कारण वनों का तेजी से विनाश हुआ है जिससे वर्षा का जल शीघ्रता से बहकर नदियों में चला जाता है और भूमि में उसका अवशोषण नहीं हो पाता है जिससे जल का पुन: चक्रण प्रभावित हो रहा है 

जल के गुणों का ह्रास

जब जल में बाह्य पदार्थ (प्रदूषक) जैसे सूक्ष्म जीव, रासायनिक पदार्थ, औद्योगिक व घरेलू अपशिष्ट मिलकर जल में घुल जाते हैं या जल में निलंबित हो जाते हैं। तो जल प्रदूषित हो जाता है। इस प्रकार के पदार्थ जल में  मिलकर जल के गुणों में कमी लाते हैं और जल मानव उपयोग के योग्य नहीं रहता हैं। कभी-कभी ये प्रदूषक नीचे तक पहुँच जाते हैं और भौम जल को प्रदूषित करते हैं। जल के गुणों में कमी आने से जलीय तंत्र प्रभावित होते हैं। हमारे देश में गंगा और यमुना दो अत्यधिक प्रदूषित नदियाँ हैं। दिल्ली और इटावा के बीच यमुना नदी देश में सबसे अधिक प्रदूषित नदी है। कानपुर और वाराणसी में गंगा अत्यधिक प्रदूषित नदी है।

जल संरक्षण और प्रबंधन 

जल महत्वपूर्ण संसाधन है। यह भी कहा जा सकता है कि जल ही जीवन है। इसलिए इस महत्वपूर्ण संसाधन का संरक्षण जरुरी है । 

भारत में संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता 

1. भारत में स्वच्छ जल की उपलब्धता घाट रही है जबकि जनसंख्या वृद्धि के के कारण जल की मांग तीव्र गति से बढ़ रही है  

2. महासागरों के लवणीय जल को स्वच्छ जल में परिवर्तित करने में लागत बहुत आती है इसलिए विलवणीकरण द्वारा महासागरो से स्वच्छ जल प्राप्त करना कठिन है।

3. सतत पोषणीय विकास के लिए जल की सतत एवं पर्याप्त आपूर्ति आवश्यक है  

अतः भारत को जल संरक्षण हेतु प्रभावशाली उपाय अपनाने चाहिए एवं प्रभावशाली नीतियाँ और कानून बनाने चाहिए हैं  जल बचत तकनीकी और विधियों के विकास के अतिरिक्त, जल प्रदूषण से बचाव के प्रयास भी करने चाहिए। जल-संभर विकास, वर्षा जल संग्रहण, जल के पुनः चक्रण और पुनः उपयोग और लंबे समय तक जल की आपूर्ति के लिए जल के संयुक्त उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

1. जल प्रदूषण का निवारण

भारत की मुख्य नदियों के प्रायः पहाड़ी क्षेत्रों के उपरी भागों तथा कम बसे क्षेत्रों में अच्छी जल गुणवत्ता पाई जाती है। मैदानों में, नदी जल का उपयोग गहन रूप से कृषि, पीने, घरेलू और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। अपवाहिकाओं के साथ कृषिगत अपशिष्ट (उर्वरक और कीटनाशक), घरेलू अपशिष्ट और औद्योगिक बहिःस्राव नदी में मिल जाते है जिससे नदी का जल प्रदूषित हो जाता है भारी तथा विषैली धातुओं, फ्लुओराइड और नाइट्रेट्स आदि के संकेंद्रण के कारण भौम जल प्रदूषित हो रहा है। जल प्रदूषण निवारण हेतू भारत में कई  वैधानिक व्यवस्थाएँ की गई है  जैसे जल अधिनियम 1974, पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986   जल उपकर अधिनियम 1977  परन्तु ये अधिनियम प्रभावपूर्ण ढंग से कार्यान्वित नहीं हुए हैं। अतः जल प्रदूषण के प्रभावों के बारे में जागरूकता का प्रसार करने की आवश्यकता है। जन जागरूकता और जनभागीदारी से  कृषिगत, घरेलू और औद्योगिक विसर्जन से प्राप्त प्रदूषकों में बहुत प्रभावशाली ढंग से कमी लाई जा सकती है।

2. जल का पुनः चक्र और पुनः उपयोग 

पुनः चक्र और पुनः उपयोग द्वारा अलवणीय जल की उपलब्धता को सुधारा जा सकता है। कम गुणवत्ता के जल का उपयोग, जैसे शोधित अपशिष्ट जल का उपयोग उद्योगों में शीतलन एवं अग्निशमन के लिए कर सकते हैं। इसी तरह नगरीय क्षेत्रों में स्नान और बर्तन धोने में प्रयुक्त जल को बागवानी के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। वाहनों को धोने के लिए प्रयुक्त जल का उपयोग भी बागवानी में किया जा सकता है। इससे अच्छी गुणवत्ता वाले जल का पीने के उद्देश्य के लिए संरक्षण होगा। 

3. जल संभर प्रबंधन

भौम जल के संचयन व पुनर्भरण द्वारा  धरातलीय और भौम जल संसाधनों का दक्ष प्रबंधन जल संभर प्रबंधन कहलाता है। जल संभर प्रबंधन के अंतर्गत बहते जल को रोककर विभिन्न विधियों जैसे अंतः स्रवण तालाब, पुनर्भरण कुओं आदि के द्वारा भौम जल का संचयन और पुनर्भरण किया जाता है ।

जल संभर प्रबंधन के उद्देश्य 

1.  प्राकृतिक संसाधनों और समाज के बीच संतुलन स्थापित करना

2.  भूमिगत जल का संचयन एवं पुनर्भरण

केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा देश में निम्नलिखित जल- संभर विकास और प्रबंधन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं

  हरियाली’- ‘हरियाली’ केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल-संभर विकास परियोजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण जनसंख्या को पीने, सिंचाई, मत्स्य पालन और वन रोपण के लिए जल संरक्षण के लिए योग्य बनाना है।परियोजना लोगों के सहयोग से ग्राम पंचायतों द्वारा निष्पादित की जा रही है।

  नीरू-मीरू (जल और आप) कार्यक्रम (आंध्र प्रदेश में) तथा अरवारी पानी संसद (अलवर, राजस्थान) के अंतर्गत लोगों के सहयोग से विभिन्न जल संग्रहण संरचनाएँ  जैसे अंतः स्रवण तालाब ताल (जोहड़) की खुदाई की गई है और रोक बाँध बनाए गए हैं। 

◈ तमिलनाडु में घरों में जलसंग्रहण संरचना को बनाना आवश्यक कर दिया गया है। किसी भी इमारत का निर्माण बिना जल संग्रहण संरचना बनाए नहीं किया जा सकता है।

4. वर्षा जल संग्रहण

वर्षा जल संग्रहण मानव द्वारा विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने और एकत्र करने की विधि है। वर्षा जल संग्रहण का उपयोग भूमिगतजल स्रोतों के पुनर्भरण के लिए किया जाता है यह एक कम मूल्य और पारिस्थितिकी अनुकूल विधि है जिसके द्वारा पानी की प्रत्येक बूँद संरक्षित करने के लिए वर्षा जल को नलकूपों, गड्ढों और कुओं में एकत्र किया जाता है। हमारे देश में ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षाजल का संग्रहण परंपरागत सतह संचयन जलाशयों ( झीलों, तालाबों,सिंचाई तालाबों) में किया जाता है। राजस्थान में वर्षा जल संग्रहण के लिए एक ढका हुआ भूमिगत टांका होता है जिसे कुंड अथवा टाँका कहते है इसका  निर्माण घर अथवा गाँव के पास या घर में संग्रहित वर्षा जल को एकत्र करने के लिए किया जाता है। 

वर्षा जल संग्रहण का महत्व (महत्व)

1.  वर्षा जल संग्रहण पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है,  

2.  वर्षा जल संग्रहण लगातार नीचे गिरते भू जल स्तर को रोकता  है

3.  वर्षा जल संग्रहण से भूमिगत जल में फ्लोराइड और नाइट्रेट्स जैसे संदूषकों की सांद्रता को घटाया जाता है 

4.  वर्षा जल संग्रहण से मृदा अपरदन और बाढ़ को रोकता है 

5.  वर्षा जल संग्रहण का उपयोग भूमिगतजल स्रोतों के पुनर्भरण के लिए किया जाता है जिससे तटीय क्षेत्रों में लवणीय जल प्रवेश नहीं करता है।

6.  वर्षा जल संग्रहण घरेलू उपयोग के लिए, भूमिगत जल पर समुदाय की निर्भरता कम करता है।

भारतीय राष्ट्रीय जल नीति, 2002 की मुख्य विशेषताएँ 

राष्ट्रीय जल नीति 2002 में जल आवंटन प्राथमिकताएँ निम्नलिखित क्रम में निर्दिष्ट की गई हैं: पेयजल, सिंचाई, जलशक्ति, नौकायान, औद्योगिक और अन्य उपयोग। 

1.  जहाँ पेय जल के स्रोत का कोई भी विकल्प नहीं है। वहां सिंचाई और बहुउद्देशीय परियोजनाओं में पीने के पानी को घटक के रूप में में सम्मिलित करना चाहिए 

2.   पेय जल सभी मानवजाति और प्राणियों को उपलब्ध कराना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। 

3.  भौम जल के शोषण को सीमित और नियमित करने के लिए उपाय करने चाहिए।

4.  सतह और भौम जल दोनों की गुणवत्ता के लिए नियमित जाँच होनी चाहिए।

5.  दुर्लभ संसाधन के रूप में, जल के लिए जागरूकता विकसित करनी चाहिए।

6.  शिक्षा विनिमय, उपक्रमणों, प्रेरकों और अनुक्रमणों द्वारा संरक्षण चेतना बढ़ानी चाहिए।

जल क्रांति अभियान (2015 -16)

जल क्रांति अभियान भारत सरकार द्वारा 2015-16 में आरंभ किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य देश में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्ध्ता को सुनिश्चित करना है । 

रालेगॅन सिद्धि (अहमदनगर, महाराष्ट्र) में जल-संभर विकास: एक वस्तुस्थिति अध्ययन 

महाराष्ट्र में, अहमदनगर जिले में रालेगॅन सिद्धि एक छोटा-सा गाँव है। यह पूरे देश में जल-संभर विकास का एक उदाहरण है । 1975 में  यह गाँव गरीबी और शराब के गैर कानूनी व्यापार जाल में जकड़ा हुआ था। उस समय गाँव में परिवर्तन आया जब सेना का एक सेवानिवृत्त कर्मचारी उस गाँव में बस गया और जल-संभर विकास का कार्य आरंभ किया। उसने गाँव वालों को परिवार नियोजन और ऐच्छिक श्रम, खुली चराई, वृक्षों की कटाई रोकने और मद्य निषेध के लिए तैयार किया। ऐच्छिक श्रम आर्थिक सहायता के लिए सरकार पर कम से कम निर्भर रहने के लिए आवश्यक था। उस स्वयंसेवी के कथनानुसार “इसने परियोजनाओं की लागत का समाजीकरण कर दिया।” जो व्यक्ति गाँव के बाहर काम कर रहे थे, उन्होंने भी प्रति वर्ष एक महीने का वेतन देकर विकास में सहयोग दिया। 

गाँव में अंतः स्रावी तालाब के निर्माण के साथ कार्य शुरू हुआ। 1975 में तालाब में पानी नहीं रुक सका। तटबंध की दीवारें रिस रही थीं। तटबंध को स्वैच्छिक रूप से मरम्मत करने के लिए लोगों को एकत्र किया गया। लोगों की याद में पहली बार गर्मी में इसके नीचे सात कुओं में जल भर गया। लोगों ने अपने नेता और उसके विचारों में अपना विश्वास दिखाया। नौजवानों का एक समूह बनाया गया जिसे ‘तरुण मंडल’ कहा गया। समूह ने दहेज प्रथा, जातिवाद और छुआछूत पर प्रतिबंध लगाने का काम किया। शराब आसवन इकाई खत्म कर दी गई और मद्य निषेध लागू कर दिया गया।

खुली चराई को पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया। गहन जल फसल, जैसे  गन्ने की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया गया। कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों, जैसे दालें, तिलहन और कुछ नगदी फसलों को प्रोत्साहित किया गया। 

स्थानिक संस्थाओं के सारे चुनाव सर्वसम्मति के आधार पर शुरू कर दिए गए। इसने संप्रदाय के नेताओं को लोगों का पूर्ण प्रतिनिधि बना दिया। न्याय पंचायत प्रणाली स्थापित की गई। तब से कोई भी मुकदमा पुलिस को नहीं दिया जाता। 22 लाख रुपए की लागत से एक विद्यालय की इमारत का निर्माण केवल गाँव के संसाधनों के उपयोग से किया गया। उसके लिए कोई भी दान नहीं लिया गया। आवश्यकता पड़ने पर धन को कर्ज लेकर बाद में वापस कर दिया गया। गाँव वालों को इस आत्मनिर्भरता से गर्व महसूस हुआ। गर्व की अनुप्रेरणा और ऐच्छिक भावना की इस अनुप्रेरणा से श्रम की हिस्सेदारी की एक नई प्रणाली का विकास हुआ। लोग कृषि कार्य में स्वेच्छा से एक-दूसरे की मदद करने लगे। भूमिहीन श्रमिकों को रोजगार मिल गया। आजकल ग्राम अपने समीपवर्ती ग्रामों में उनके लिए भूमि खरीदने की योजना बनाते हैं। वर्तमान में जल पर्याप्त मात्रा में है, खेती फल-फूल रही है, यद्यपि उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग अत्यधिक हो रहा है




1.देश में प्रयुक्त कुल जल का सबसे अधिक समानुपात निम्नलिखित सेक्टरों में से किस सेक्टर में है ?
[अ] सिंचाई 
[ब] घरेलू उपयोग
[स] उद्योग 
[द] इनमें से कोई नहीं                               [अ]
2.निम्नलिखित दक्षिण भारतीय राज्यों में से किस राज्य में भौम जल उपयोग [% में] इसके कुल भौम जल संभाव्य से ज्यादा है ?
[अ] तमिलनाडु 
[ब] आंध्रप्रदेश
[स] कर्नाटक 
[द] केरल                                                     [अ]
3.निम्नलिखित में से जल किस प्रकार का संसाधन है ?
[अ] अजैव संसाधन 
[ब] जैव संसाधन
[स] अनवीकरणीय संसाधन 
[द] चक्रीय संसाधन                                     [द]
4.भारत का पहला राज्य कौन सा है जिसने पूरे राज्य के सभी घरों के लिए छत पर वर्षा जल संचयन संरचना को अनिवार्य किया है?
[अ] बिहार 
[ब] तमिलनाडु
[स] राजस्थान 
[द] कर्नाटक                                            [ब]
5.निम्न में से भारत के किस राज्य में नीरू-मीरू कार्यक्रम चलाया गया ?
[अ] कर्नाटक 
[ब] आंध्रप्रदेश
[स] केरल 
[द] तमिलनाडु                                        [ब]
6.निम्न में से किस राज्य में अरवारी पानी संसद कार्यक्रम चलाया गया ?
[अ] हरियाणा                                    
[ब] पंजाब
[स] राजस्थान 
[द] उत्तरप्रदेश                                      [स]
7.निम्न में से कौन सा जल संभर कार्यक्रम केंद्र सरकार द्वारा चलाया गया ?
[अ] नीरू मीरू 
[ब] हरियाली
[स] A तथा B दोनों 
[द] इनमे से कोई नहीं                         [ब]
8.निम्न में से कौन से वर्षा जल संग्रहण ढाँचे का निर्माण राजस्थान में किया जाता है ?
[अ] तालाब 
[ब] जोहड़
[स] कुंड 
[द] पाश्च जल                                    [स]
9.वर्षण से प्राप्त जल कैसा होता है ?
[अ] अलवणीय 
[ब] लवणीय
[स] पृष्ठीय 
[द] इनमे से कोई नहीं                       [अ]
10. भारतीय राष्ट्रीय जल नीति के सन्दर्भ में कौन सा कथन सत्य है ?
[अ] पेयजल सभी प्राणियों को उपलब्ध करवाना प्राथमिकता
[ब] जल के सभी विविध प्रयोगों में कार्य क्षमता में सुधार
[स] भौम जल के शोषण को सीमित किया जाए
[द] उपरोक्त सभी                          [द]
11. यमुना नदी किन दो शहरों के बीच सबसे अधिक प्रदूषित होती है ?
[अ] हरियाणा और पंजाब 
[ब] दिल्ली और इटावा
[स] जयपुर और जोधपुर 
[द] इनमे से कोई नहीं                   [ब]
12. कानपुर तथा वाराणसी से सबसे प्रदूषित नदी कौन सी है ?
[अ] गंगा 
[ब] यमुना
[स] साबरमती 
[द] गोमती                                [अ]
13. भारत में विश्व का कितना प्रतिशत जल संसाधन पाया जाता है
[अ] 8% 
[ब] 4%
[स] 9% 
[द] 16%                                  [ब]
14. पृथ्वी के धरातल का लगभग कितने प्रतिशत भाग जल से आच्छादित है?
[अ] 39% 
[ब] 53%
[स] 71% 
[द] 66%                                [स]
15. दो राज्य जिनमें भूमिगत जल में संखिया [आर्सेनिक] का संकेंद्रण बढ़ने की समस्या हो गई है?
[अ] तमिलनाडु,केरल 
[ब] राजस्थान, महाराष्ट्र
[स] पश्चिम बंगाल, बिहार 
[द] गोवा, मिजोरम                     [स]
16. बहते जल को बाँध, झील, तालाब आदि बनाकर रोकना, एकत्र करना और विभिन्न विधियों द्वारा भूमिगत जल का पुनर्भरण क्या कहलाता है?
[अ] जल संभर प्रबंधन 
[ब] छत वर्षा जल संग्रहण
[स] भूमि बचत प्रौद्योगिकी 
[द] सिंचाई                                [अ]
17. देश के दो राज्य जहाँ भूमिगत जल के अधिक दोहन से भूमिगत जल में फ्लुओराइड [fluoride] का संकेंद्रण बढ़ गया है?
[अ] तमिलनाडु,केरल 
[ब] राजस्थान, महाराष्ट्र
[स] पश्चिम बंगाल, बिहार 
[द] गोवा, मिजोरम                       [ब]
18. जल संभर प्रबंधन के एक बेहतरीन उदाहरण के रूप में स्थापित रालेगॅन सिद्धि गांव महाराष्ट्र के किस जिले में है
[अ] मुंबई 
[ब] अहमदनगर
[स] नासिक 
[द] नागपुर                                 [ब]
19. भारत के किन राज्यों में लैगून और पश्च जल में बड़े धरातलीय जल संसाधन हैं
[अ] केरल, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल
[ब] केरल, राजस्थान और पश्चिम बंगाल
[स] केरल, उड़ीसा और महाराष्ट्र 
[द] पंजाब, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल        [अ]
20. पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम ....... पारित हुआ था
[अ] 1980 [ब] 1982
[स] 1984 [द] 1986                     [द]
21. प्रदूषण का निवारण और नियन्त्रण सम्बन्धी जल अधिनियम ...... बनाया गया था
[अ] 1970 
[ब] 1972
[स] 1974 
[द] 1954                                      [स]
22. अरवारी पानी संसद' कार्यक्रम राजस्थान के ...........जिले में चलाया गया है
[अ] अजमेर 
[ब] अलवर
[स] भरतपुर 
[द] जयपुर                                      [ब]
23. भारतीय राष्ट्रीय जल नीति कब घोषित की गयी?
[अ] [2002 
[ब] 2012
[स] 2005 
[द] 2004                                      [अ]
24. जल उपकर अधिनियम 1977 कब पारित हुआ
[अ] 1970 
[ब] 1972
[स] 1974 
[द] 1977                                        [द]

1. प्रदूषण एवं नियंत्रण सम्बन्धी जल अधिनियम कब बनाया गया
1974 में
2. जल किस प्रकार का संसाधन है ?
चक्रीय संसाधन
3. यमुना नदी किन दो शहरों के बीच सबसे अधिक प्रदूषित होती है ?
दिल्ली और इटावा
4. किस राज्य में जल संग्रहण संरचना आवश्यक है ?
तमिलनाडु
5. भारत के किस राज्य में नीरू-मीरू कार्यक्रम चलाया गया ।
आंध्रप्रदेश
6. राष्ट्रीय जल नीति कब लागू की गई ।
सन् 2002 में
7. भारत में विश्व जल संसाधन का कितना भाग पाया जाता है ?
4 प्रतिशत
8. भारत के किस राज्य में अरवारी पानी संसद कार्यक्रम चलाया गया
अलवर, राजस्थान
9. देश में कुल पुनः पूर्ती योग्य भौम जल संसाधन लगभग घन किलोमीटर हैं ?
432 घन किलोमीटर
10. गंगा नदी किन स्थानों पर सबसे प्रदूषित नदी है ?
कानपुर तथा वाराणसी में
11. भारत में कौन सा सैक्टर [आर्थिक क्रिया] धरातलीय और भौम जल का सर्वाधिक उपयोग करता है ?
धरातलीय और भौम जल का सबसे अधिक उपयोग कृषि क्षेत्र में होता है ।
12. पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम व जल उपकर अधिनियम कब पारित किए गए
पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986 में व जल उपकर अधिनियम 1977 में
13. भारत को दो अत्यधिक प्रदूषित नदियाँ कौन सी हैं ?
गंगा व यमुना
14. भारत में लैगून व पश्च जल कहाँ पाए जाते है ?
भारत में केरल, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में लैगून और पश्च जल में बड़े धरातलीय जल संसाधन हैं
15. जल की गुणवत्ता से क्या तात्पर्य है?
जल की गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है ।
16. सिंचाई किसे कहते हैं ?
वर्षा की कमी या अभाव के कारण शुष्क मौसम में खेतो में कृत्रिम ढंग से जल आपूर्ति की क्रिया को सिंचाई कहते है
17. लोगों पर संदूषित जल/गन्दे पानी के उपभोग के क्या सम्भव प्रभाव हो सकते हैं ?
संदूषित/गन्दे जल के उपभोग से मनुष्य को अनेक रोग लग जाते हैं जिनमें हैजा, पेचिश, तपेदिक, पीलिया आदि प्रमुख हैं ।
18. भौमजल संसाधन का अत्यधिक उपयोग करने वाले चार राज्यों के नाम बताइये ।
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तमिलनाडू ।
19. भारत की दो बहुउद्देश्य परियोजनाओं के नाम लिखो ।
भाखड़ा नागल परियोजना
हीराकुण्ड परियोजना
20. सी.पी.सी.बी. का पुरा नाम क्‍या है?
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ।
21. जल क्रांति अभियान कब शुरू किया गया इसका का मुख्य उद्देश्य क्या है?
जल क्रांति अभियान भारत सरकार द्वारा 2015-16 में आरंभ किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य देश में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्ध्ता को सुनिश्चित करना है ।
22. भारत में मिलने वाली लैगूनों तथा पश्च जल [झील] के महत्व को बताइए । [लैगून और पश्च जल का उपयोग ]
लैगून और पश्च जल जलाशयों में खारा जल है, इसका उपयोग मछली पालन और चावल की कुछ निश्चित किस्मों, नारियल आदि की सिंचाई में किया जाता है ।
23. धरातलीय जल के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं ?
धरातलीय जल के चार मुख्य स्रोत हैं
1. नदियाँ 2. झीलें 3. तलैया 4. तालाब
24. भारत में जल स्रोतों के नाम लिखिए ।
भूमिगत- नलकूप, कुएँ, बावङी
धरातलीय- तालाब, नदी, झील, बांध
25. भूमिगत जल किसे कहते हैं ? भूमिगत जल कहाँ से प्राप्त होता है
संतृष्त क्षेत्र में धरातलीय सतह के नीचे पाया जाने वाला जल भूमिगत जल कहलाता है । इसे कुओं नलकूपों तथा अन्य साधनों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है ।
26. भारत में जल प्रदूषण के किन्हीं दो स्त्रोंतो का उल्लेख कीजिए
1.कृषिगत अपशिष्ट [कीटनाशक व उर्वरक ]
2.वाहित मल
3.औद्योगिक अपशिष्ट
27. कुंड अथवा टाँका क्या है
राजस्थान में वर्षा जल संग्रहण के लिए एक ढका हुआ भूमिगत टांका होता है जिसे कुंड अथवा टाँका कहते है इसका निर्माण घर अथवा गाँव के पास या घर में संग्रहित वर्षा जल को एकत्र करने के लिए किया जाता है ।
28. भारत में धरातलीय जल व भूमिगत जल का विभिन्न सैक्टर में उपयोग बताइए ।
धरातलीय जल - कृषि 89%, घरेलू कार्य 9% व उद्योग 2%
भूमिगत जल - कृषि 92% घरेलू कार्य 5% व उद्योग 10%
29. जल संभर प्रबंधन के दो उद्देश्य लिखिए
1.प्राकृतिक संसाधनों और समाज के बीच संतुलन स्थापित करना
2.भूमिगत जल का संचयन एवं पुनर्भरण
30. धरातलीय जल व भूमीगत जल में अंतर बताइए
धरातल पर स्थित विभिन्न जलस्रोतों जैसे नदियों, झीलों, नहरों, तालाबों आदि में उपलब्ध जल को धरातलीय जल कहते है जबकि संतृष्त क्षेत्र में धरातलीय सतह के नीचे पाया जाने वाला जल भूमिगत जल कहलाता है इसे कुओं नलकूपों तथा अन्य साधनों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है ।
31. ‘हरियाली’ क्या है ?
‘हरियाली’ केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल-संभर विकास परियोजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण जनसंख्या को पीने, सिंचाई, मत्स्य पालन और वन रोपण के लिए जल संरक्षण के लिए योग्य बनाना है ।परियोजना लोगों के सहयोग से ग्राम पंचायतों द्वारा निष्पादित की जा रही है ।
32. जल संभर प्रबंधन से क्या अभिप्राय है ?
भौम जल के संचयन व पुनर्भरण द्वारा धरातलीय और भौम जल संसाधनों का दक्ष प्रबंधन जल संभर प्रबंधन कहलाता है । जल संभर प्रबंधन के अंतर्गत बहते जल को रोककर विभिन्न विधियों जैसे अंतः स्रवण तालाब, पुनर्भरण कुओं आदि के द्वारा भौम जल का संचयन और पुनर्भरण किया जाता है ।
33. देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम होने की सम्भावना क्यों है?
वर्तमान में देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा अधिक है परन्तु भविष्य में विकास के साथ-साथ देश में औद्योगिक और घरेलू सेक्टरों में जल का उपयोग बढ़ने की संभावना है । जो कृषि पर लोगों की घटती निर्भरता का सूचक है अतः देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम होने की सम्भावना है
34. वर्षा जल संग्रहण से क्या तात्पर्य है ?
वर्षा जल संग्रहण मानव द्वारा विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने और एकत्र करने की विधि है । वर्षा जल संग्रहण का उपयोग भूमिगतजल स्रोतों के पुनर्भरण के लिए किया जाता है यह एक कम मूल्य और पारिस्थितिकी अनुकूल विधि है जिसके द्वारा पानी की प्रत्येक बूँद संरक्षित करने के लिए वर्षा जल को नलकूपों, गड्ढों और कुओं में एकत्र किया जाता है । हमारे देश में ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षाजल का संग्रहण परंपरागत सतह संचयन जलाशयों [झीलों, तालाबों,सिंचाई तालाबों] में किया जाता है ।
35. भारत में जल संसाधनों की कमी के लिए कौन -कौन से कारक उत्तरदायी है ?
1.सिंचाई के लिए भूमिगत जल का अधिक उपयोग
2.जनसंख्या वृद्धि के परिणामस्वरूप जल के उपयोग में वृद्धि
3.जल प्रदूषण में वृद्धि आदि ।
4.जल संरक्षण एवं प्रबंधन के प्रति जनचेतना का अभाव
36. भारत में संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है ?
1.भारत में संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता निम्न कारणों से है
2.भारत में स्वच्छ जल की उपलब्धता घाट रही है जबकि जनसंख्या वृद्धि के के कारण जल की मांग तीव्र गति से बढ़ रही है
3.महासागरों के लवणीय जल को स्वच्छ जल में परिवर्तित करने में लागत बहुत आती है इसलिए विलवणीकरण द्वारा महासागरो से स्वच्छ जल प्राप्त करना कठिन है ।
4.सतत पोषणीय विकास के लिए जल की सतत एवं पर्याप्त आपूर्ति आवश्यक है
37. केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा देश में कौन-कौन से जल- संभर विकास प्रबंधन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ?
केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा देश में निम्नलिखित जल- संभर विकास और प्रबंधन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं
◈ ‘हरियाली’- ‘हरियाली’ केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल-संभर विकास परियोजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण जनसंख्या को पीने, सिंचाई, मत्स्य पालन और वन रोपण के लिए जल संरक्षण के लिए योग्य बनाना है ।परियोजना लोगों के सहयोग से ग्राम पंचायतों द्वारा निष्पादित की जा रही है ।
◈ नीरू-मीरू [जल और आप] कार्यक्रम [आंध्र प्रदेश में] तथा अरवारी पानी संसद [अलवर, राजस्थान] के अंतर्गत लोगों के सहयोग से विभिन्न जल संग्रहण संरचनाएँ जैसे अंतः स्रवण तालाब ताल [जोहड़] की खुदाई की गई है और रोक बाँध बनाए गए हैं ।
◈ तमिलनाडु में घरों में जलसंग्रहण संरचना को बनाना आवश्यक कर दिया गया है । किसी भी इमारत का निर्माण बिना जल संग्रहण संरचना बनाए नहीं किया जा सकता है ।
38. वर्षा जल संग्रहण का महत्व महत्व [उद्देश्य] लिखिए ।
वर्षा जल संग्रहण का महत्व [उद्देश्य]
1.वर्षा जल संग्रहण पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है
2.वर्षा जल संग्रहण लगातार नीचे गिरते भू जल स्तर को रोकता है
3.वर्षा जल संग्रहण से भूमिगत जल में फ्लोराइड और नाइट्रेट्स जैसे संदूषकों की सांद्रता को घटाया जाता है
4.वर्षा जल संग्रहण से मृदा अपरदन और बाढ़ को रोकता है
5.वर्षा जल संग्रहण का उपयोग भूमिगतजल स्रोतों के पुनर्भरण के लिए किया जाता है जिससे तटीय क्षेत्रों में लवणीय जल प्रवेश नहीं करता है ।
6.वर्षा जल संग्रहण घरेलू उपयोग के लिए, भूमिगत जल पर समुदाय की निर्भरता कम करता है ।
39. राष्ट्रीय जल नीति, 2002 की विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।
1.राष्ट्रीय जल नीति 2002 में जल आवंटन प्राथमिकताएँ निम्नलिखित क्रम में निर्दिष्ट की गई हैं: पेयजल, सिंचाई, जलशक्ति, नौकायान, औद्योगिक और अन्य उपयोग ।
2.जहाँ पेय जल के स्रोत का कोई भी विकल्प नहीं है । वहां सिंचाई और बहुउद्देशीय परियोजनाओं में पीने के पानी को घटक के रूप में में सम्मिलित करना चाहिए
3.पेय जल सभी मानवजाति और प्राणियों को उपलब्ध कराना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए ।
4.भौम जल के शोषण को सीमित और नियमित करने के लिए उपाय करने चाहिए ।
5.सतह और भौम जल दोनों की गुणवत्ता के लिए नियमित जाँच होनी चाहिए ।
6.दुर्लभ संसाधन के रूप में, जल के लिए जागरूकता विकसित करनी चाहिए ।
7.शिक्षा विनिमय, उपक्रमणों, प्रेरकों और अनुक्रमणों द्वारा संरक्षण चेतना बढ़ानी चाहिए ।
40. भारत में सिंचाई की आवश्यकता क्‍यों है ? कारण दीजिए ।
अथवा
भारत मे सिंचाई का क्या महत्व है ?

कृषि में जल का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई के लिए होता है । भारत में सिंचाई आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है
1.भारत में मानसून की अनिश्चितता व अनियमितता के कारण देश के अधिकांश भाग [उत्तर-पश्चिमी भारत और दक्कन का पठार] वर्षाविहीन और सूखाग्रस्त हैं । पर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र जैसे बंगाल और बिहार में भी मानसून के मौसम में अवर्षा सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न कर देती है अतः फसलों को सूखे से बचाने के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है
2.देश के अधिकांश भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुओं में न्यूनाधिक शुष्कता पाई जाती है इसलिए शुष्क ऋतुओं में बिना सिंचाई के खेती करना कठिन होता है ।
3.कुछ फसलें जैसे चावल, गन्ना, जूट आदि के लिए अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है इन फसलों के उत्पादन के लिए सिंचाई आवश्यक है
4.सिंचाई द्वारा एक ही साल में कई फसलें एक के बाद एक करके उगायी जा सकती है अतः सिंचाई द्वारा बहुफसलीकरण को बढ़ावा मिलाता है
5.सिंचित भूमि की कृषि उत्पादकता असिंचित भूमि की अपेक्षा ज्यादा होती है । साथ ही फसलों की अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए आर्द्रता आपूर्ति नियमित रूप से आवश्यक है अतः सिंचाई द्वारा फसलों का उत्पादन बढाया जा सकता है ।
41. जल संरक्षण एवं प्रबंधन हेतु कोई तीन उपाय सुझाइए एवं उनका वर्णन कीजिए ।
जल संभर प्रबंधन
भौम जल के संचयन व पुनर्भरण द्वारा धरातलीय और भौम जल संसाधनों का दक्ष प्रबंधन जल संभर प्रबंधन कहलाता है । जल संभर प्रबंधन के अंतर्गत बहते जल को रोककर विभिन्न विधियों जैसे अंतः स्रवण तालाब, पुनर्भरण कुओं आदि के द्वारा भौम जल का संचयन और पुनर्भरण किया जाता है ।
केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा देश में निम्नलिखित जल- संभर विकास और प्रबंधन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं
◈ ‘हरियाली’- ‘हरियाली’ केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल-संभर विकास परियोजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण जनसंख्या को पीने, सिंचाई, मत्स्य पालन और वन रोपण के लिए जल संरक्षण के लिए योग्य बनाना है ।परियोजना लोगों के सहयोग से ग्राम पंचायतों द्वारा निष्पादित की जा रही है ।
◈ नीरू-मीरू [जल और आप] कार्यक्रम [आंध्र प्रदेश में] तथा अरवारी पानी संसद [अलवर, राजस्थान] के अंतर्गत लोगों के सहयोग से विभिन्न जल संग्रहण संरचनाएँ जैसे अंतः स्रवण तालाब ताल [जोहड़] की खुदाई की गई है और रोक बाँध बनाए गए हैं ।
◈ तमिलनाडु में घरों में जलसंग्रहण संरचना को बनाना आवश्यक कर दिया गया है । किसी भी इमारत का निर्माण बिना जल संग्रहण संरचना बनाए नहीं किया जा सकता है ।
वर्षा जल संग्रहण
वर्षा जल संग्रहण मानव द्वारा विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने और एकत्र करने की विधि है । वर्षा जल संग्रहण का उपयोग भूमिगतजल स्रोतों के पुनर्भरण के लिए किया जाता है यह एक कम मूल्य और पारिस्थितिकी अनुकूल विधि है जिसके द्वारा पानी की प्रत्येक बूँद संरक्षित करने के लिए वर्षा जल को नलकूपों, गड्ढों और कुओं में एकत्र किया जाता है । हमारे देश में ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षाजल का संग्रहण परंपरागत सतह संचयन जलाशयों [ झीलों, तालाबों,सिंचाई तालाबों] में किया जाता है । राजस्थान में वर्षा जल संग्रहण के लिए एक ढका हुआ भूमिगत टांका होता है जिसे कुंड अथवा टाँका कहते है इसका निर्माण घर अथवा गाँव के पास या घर में संग्रहित वर्षा जल को एकत्र करने के लिए किया जाता है ।
3.जल का पुनः चक्र और पुनः उपयोग
पुनः चक्र और पुनः उपयोग द्वारा अलवणीय जल की उपलब्धता को सुधारा जा सकता है । कम गुणवत्ता के जल का उपयोग, जैसे शोधित अपशिष्ट जल का उपयोग उद्योगों में शीतलन एवं अग्निशमन के लिए कर सकते हैं । इसी तरह नगरीय क्षेत्रों में स्नान और बर्तन धोने में प्रयुक्त जल को बागवानी के लिए उपयोग में लाया जा सकता है । वाहनों को धोने के लिए प्रयुक्त जल का उपयोग भी बागवानी में किया जा सकता है । इससे अच्छी गुणवत्ता वाले जल का पीने के उद्देश्य के लिए संरक्षण होगा ।
भारत में जल प्रदूषण समस्या निवारण
भारत की मुख्य नदियों के प्रायः पहाड़ी क्षेत्रों के उपरी भागों तथा कम बसे क्षेत्रों में अच्छी जल गुणवत्ता पाई जाती है । मैदानों में, नदी जल का उपयोग गहन रूप से कृषि, पीने, घरेलू और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है । अपवाहिकाओं के साथ कृषिगत अपशिष्ट [उर्वरक और कीटनाशक] , घरेलू अपशिष्ट और औद्योगिक बहिःस्राव नदी में मिल जाते है जिससे नदी का जल प्रदूषित हो जाता है भारी तथा विषैली धातुओं, फ्लुओराइड और नाइट्रेट्स आदि के संकेंद्रण के कारण भौम जल प्रदूषित हो रहा है । जल प्रदूषण निवारण हेतू भारत में कई वैधानिक व्यवस्थाएँ की गई है जैसे जल अधिनियम 1974, पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986 व जल उपकर अधिनियम 1977 परन्तु ये अधिनियम प्रभावपूर्ण ढंग से कार्यान्वित नहीं हुए हैं । अतः जल प्रदूषण के प्रभावों के बारे में जागरूकता का प्रसार करने की आवश्यकता है । जन जागरूकता और जनभागीदारी से कृषिगत, घरेलू और औद्योगिक विसर्जन से प्राप्त प्रदूषकों में बहुत प्रभावशाली ढंग से कमी लाई जा सकती है ।

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