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4. वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

बहुराष्ट्रीय कम्पनी (MNCs) - 
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs) वे होती हैं जो एक से अधिक देशों में उत्पादन का नियंत्रण रखती हैं। 
ये कंपनियाँ ऐसे स्थानों पर कारखाने और कार्यालय स्थापित करती हैं, जहाँ सस्ता श्रम और अन्य संसाधन आसानी से उपलब्ध हों, ताकि उत्पादन लागत को कम किया जा सके और अधिक लाभ कमाया जा सके।
उदाहरण : टाटा, सैमसंग, एप्पल
विश्व-भर के उत्पादन को एक-दूसरे से जोड़ना
1. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs): 
बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपने कारखाने उन क्षेत्रों में स्थापित करती हैं  -
जहां बाजार निकट हों
जहां सस्ता और कुशल श्रम उपलब्ध हों
जहाँ उत्पादन के अन्य आवश्यक कारकों की उपलब्धता।
सरकारी नीतियाँ जो उनके हितों का ध्यान रखें।
2. निवेश और विदेशी निवेश
किसी कंपनी द्वारा भूमि, भवन, मशीन और अन्य उपकरण जैसी संपत्ति खरीदने के लिए खर्च किया जाने वाला पैसा निवेश कहलाता है 
बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किया जाने वाला निवेश विदेशी निवेश कहलाता है।
3. बहुराष्ट्रीय कंपनियों का उत्पादन पर प्रभाव
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs) विभिन्न तरीकों से अपने उत्पादन का विस्तार करती हैं 
(अ) संयुक्त उत्पादन :  बहुराष्ट्रीय कम्पनियां स्थानीय कम्पनियों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से उत्पादन स्थापित करती हैं। जिससे स्थानीय कंपनी को दोहरा लाभ मिलता है।
(i) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ स्थानीय कम्पनी को अतिरिक्त निवेश के लिए धन उपलब्ध कराती हैं।
(ii) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अपने साथ उत्पादन के लिए नवीनतम तकनीक लेकर आती हैं।
(ब) स्थानीय कंपनियों की खरीद: MNCs अक्सर स्थानीय कंपनियों को खरीदकर उत्पादन का विस्तार करती हैं। उदाहरण के तौर पर, कारगिल फूड्स ने भारत की परख फूड्स को खरीदा और अब यह भारत में खाद्य तेलों की सबसे बड़ी निर्माता बन गई है।
छोटे उत्पादकों को आदेश देना: विकसित देशों में बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर देती हैं तथा उत्पादन पर नियंत्रण रखती हैं। छोटे उत्पादक बहुराष्ट्रीय कंपनियों को उत्पाद उपलब्ध कराते हैं, जिन्हें बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने ब्रांड नाम से ग्राहकों को बेचती हैं।
विदेश व्यापार और बाज़ारों का एकीकरण
विदेश व्यापार लंबे समय से देशों को आपस में जोड़ने का एक मुख्य माध्यम रहा है। यह उत्पादकों और उपभोक्ताओं को नए अवसर और विकल्प प्रदान करता है।
1. विदेश व्यापार का महत्व
घरेलू बाजार से बाहर पहुंच: उत्पादक अपने उत्पाद केवल अपने देश में ही नहीं, बल्कि अन्य देशों के बाजारों में भी बेच सकते हैं।
वस्तुओं में से चुनने का विकल्प: दूसरे देशों से वस्तुओं के आयात से उपभोक्ताओं के पास घरेलू रूप से उत्पादित वस्तुओं के अलावा विभिन्न देशों में उत्पादित  वस्तुओं में से चुनने का विकल्प होता है।
2. व्यापार का प्रभाव
व्यापार के खुलने से वस्तुओं का आवागमन एक बाजार से दूसरे बाजार में आसान हो जाता है। 
जब दो बाजार आपस में जुड़ते हैं, तो एक ही वस्तु का मूल्य दोनों जगह लगभग समान हो जाता है, जिससे मूल्य स्थिरता बनती है। 
दो देशों के उत्पादक, भले ही दूर-दूर हों, एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है।
3. विदेश व्यापार और बाज़ारों का जुड़ाव
विदेश व्यापार के माध्यम से अलग-अलग देशों के बाजार आपस में जुड़ते हैं। इससे बाजारों का एकीकरण होता है, जहाँ उत्पादक और उपभोक्ता दोनों को अधिक अवसर और लाभ मिलता है।
वैश्वीकरण : वैश्वीकरण का अर्थ है अपने देश की अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण करना। 
वैश्वीकरण देशों के तेजी से एकीकरण या अंतर्संबंध की प्रक्रिया है। 
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वैश्वीकरण प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं ।
निवेश और विदेशी निवेश : किसी कंपनी द्वारा भूमि, भवन, मशीन और अन्य उपकरणों जैसी परिसंपत्तियों को खरीदने के लिए खर्च किया जाने वाला धन निवेश कहलाता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किया जाने वाला निवेश विदेशी निवेश कहलाता है।
वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारक
वैश्वीकरण को बढ़ावा देने में सबसे बड़ा योगदान प्रौद्योगिकी में उन्नति का है। यह प्रौद्योगिकी की प्रगति ही है जिसने दुनिया को जोड़ने में मदद की है।
परिवहन प्रौद्योगिकी में सुधार: बीते 50 वर्षों में परिवहन के साधनों में काफी उन्नति हुई है, जिससे लंबी दूरी तक सामान को तेजी से और कम लागत में पहुंचाना आसान हो गया है।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का विकास: दूरसंचार, जैसे टेलीफोन, मोबाइल और फैक्स, ने दुनियाभर में संपर्क को आसान और तेज बना दिया है। संचार उपग्रहों की मदद से अब दूरस्थ इलाकों से भी संवाद संभव हो गया है।
इंटरनेट और कंप्यूटर का उपयोग: इंटरनेट ने दुनिया भर की सूचनाएँ एक जगह उपलब्ध कराई हैं, जबकि ई-मेल और वॉयस मेल जैसे माध्यमों ने लोगों को बेहद कम लागत पर तुरंत संपर्क करने की सुविधा दी है। साथ ही, कंप्यूटर ने लगभग हर क्षेत्र में क्रांति ला दी है।
विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश नीति का उदारीकरण।
उदारीकरण: विदेशी व्यापार पर सरकार द्वारा लगाए गए अवरोधों या प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण कहलाता है। 
भारत में यह प्रक्रिया 1991 से शुरू हुई।
व्यापार अवरोधक : विदेशी व्यापार को बढ़ाने या घटाने के लिए सरकार द्वारा वस्तुओं के आयात और निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों को व्यापार अवरोध कहा जाता है।
आयात पर कर व्यापार अवरोध का एक उदाहरण है। 
अगर सरकार आयातित वस्तुओं पर कर लगाती है, तो आयातित चीज़ें महंगी हो जाती हैं, जिससे घरेलू उत्पादकों को फायदा होता है 
विश्व व्यापार संगठन: 
विश्व व्यापार संगठन (WTO)
विश्व व्यापार संगठन (WTO) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है
विश्व के लगभग 160 देश वर्तमान में विश्व व्यापार संगठन के सदस्य हैं।
विश्व व्यापार संगठन (WTO) का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना है। 
विश्व व्यापार संगठन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संबंध में नियम स्थापित करता है, तथा यह सुनिश्चित करता है कि इन नियमों का पालन हो।
यह देशों को विदेशी व्यापार और निवेश पर रोकटोक हटाने के लिए प्रेरित करता है।
व्यवहार में समस्याएँ: विकसित देश कई बार अपने व्यापार अवरोधकों को बरकरार रखते हैं, जबकि विकासशील देशों पर अपने व्यापार अवरोध हटाने का दबाव डाला जाता है। 
इसका एक उदाहरण कृषि उत्पादों के व्यापार पर वर्तमान बहस है
भारत में वैश्वीकरण का प्रभाव:
वैश्वीकरण का सकारात्मक प्रभाव
शहरी इलाकों के संपन्न उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प और उत्कृष्ट गुणवत्ता के उत्पाद कम कीमत पर मिलने लगे हैं, जिससे उनका जीवन स्तर पहले से बेहतर हो गया है।
वैश्वीकरण के कारण MNCs ने भारत में अपना निवेश बढ़ाया है और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कच्चा माल आपूर्ति करने वाली स्थानीय कंपनियां समृद्ध हुई हैं।
MNCs ने शहरी क्षेत्रों में सेल फोन, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स, फास्ट फूड जैसे उद्योग स्थापित किए हैं। जिसके कारण नई नौकरियाँ पैदा हुई हैं।
वैश्वीकरण ने कुछ बड़ी भारतीय कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में उभरने में सक्षम बनाया है।
उदाहरण: टाटा मोटर्स (ऑटोमोबाइल), इंफोसिस (आईटी), रैनबैक्सी (दवाएँ), एशियन पेंट्स (पेंट), सुंदरम फास्टनर्स (नट और बोल्ट)
वैश्वीकरण ने विशेष रूप से आईटी क्षेत्र में सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियों के लिए भी नए अवसर पैदा किए हैं।
वैश्वीकरण का नकारात्मक प्रभाव
(i) वैश्वीकरण ने छोटे उत्पादकों और श्रमिकों को प्रभावित किया है क्योंकि वे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं।
(ii) छोटे निर्माता वैश्वीकरण के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं थे, इसलिए कई इकाइयां बंद हो गईं और कई श्रमिक बेरोजगार हो गए।
(iv) वैश्वीकरण और प्रतिस्पर्धा के दबाव के कारण श्रमिकों का रोजगार अनिश्चित हो गया है।
(v) श्रम कानूनों में लचीलेपन के कारण श्रमिकों की स्थिति खराब हो गई है। और 
श्रमिकों की नौकरी में अस्थिरता पैदा हुई है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) : भारत में केंद्र और राज्य सरकारें विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित करने के लिए औद्योगिक क्षेत्र स्थापित कर रही हैं, जिन्हें विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) कहा जाता है।
SEZ में बिजली, पानी, सड़क, परिवहन, भंडारण, मनोरंजन और शैक्षिक सुविधाओं जैसी विश्व स्तरीय सुविधाएँ हैं।
SEZ में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने वाली कंपनियों को पाँच साल की शुरुआती अवधि के लिए करों का भुगतान नहीं करना पड़ता है।
सरकार ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए श्रम कानूनों में लचीलापन भी दिया है।
कंपनियां नियमित आधार पर कर्मचारियों को काम पर रखने के बजाय, काम के अत्यधिक दबाव के समय कम अवधि के लिए कर्मचारियों को काम पर रखती हैं।

न्यायसंगत वैश्वीकरण के लिए संघर्ष
वैश्वीकरण से सभी को लाभ नहीं हुआ है। वैश्वीकरण से शिक्षित, कुशल और धनी लोगों को लाभ हुआ है जबकि कई लोग इससे वंचित रहे हैं।
न्यायसंगत वैश्वीकरण में सरकार की भूमिका
सरकार को ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए जो सभी वर्गों के हितों की रक्षा करें, न कि केवल धनी और प्रभावशाली लोगों के। 
श्रमिकों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए श्रम कानूनों का सही तरीके से पालन होना चाहिए। 
छोटे उत्पादकों को प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाने के लिए आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण जैसी मदद दी जानी चाहिए। 
आवश्यकता पड़ने पर सरकार व्यापार और निवेश पर रोक लगा सकती है और न्यायसंगत नियम सुनिश्चित करने के लिए विश्व व्यापार संगठन के साथ समझौते कर सकती है।
  1. बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को ..........................................कहा जाता है।
  2. एक साथ बहुत सारे देशों में व्यवसाय करने वाली कम्पनियां .....................................कहलाती हैं
  3. विदेशी निवेश वह निवेश है, जो कि.................................. के द्वारा किया जाता है।
  4. वैश्वीकरण को सक्षम करने वाले मूल कारक .......................है  
  5. आयात पर कर .......... का एक उदाहरण है।
  6. ...................................... आकर्षित करने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) स्थापित किए जा रहे हैं
  7. ........................(अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी) भारत में खाद्य तेल की  सबसे बड़ा उत्पादक कम्पनी है,  

  1. वर्तमान में विश्व के लगभग  कितने देश विश्व व्यापार संगठन के सदस्य हैं।
    विश्व के लगभग 160 देश वर्तमान में विश्व व्यापार संगठन के सदस्य हैं।
  2. कारगिल फूड्स (अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी) भारत में किसका उत्पादन करती है,
    खाद्य तेल का
  3. किस भारतीय कंपनी को एक बहुराष्टीय कंपनी 'कारगिल फूड्स' ने खरीद लिया है ? 
     परख फूड्स
  4. उस भारतीय कंपनी का नाम बताएँ जिसने फोर्ड मोटर्स के साथ भारतीय मोटरगाड़ी उद्योग में साझेदारी की है ? 
    महिंद्रा एण्ड महिंद्रा
  5. फोर्ड मोटर्स ने भारत में अपना पहला संयंत्र कहाँ स्थापित किया?
     चेन्नई
  6. वैश्वीकरण को सक्षम करने वाले मूल कारक का नाम बताइए।
    प्रौद्योगिकी
  7. MNC का पूरा नाम लिखिए
    बहुराष्ट्रीय कंपनी
  8. रैनबैक्सी कम्पनी क्या उत्पादन करती है?
    दवाईयां 
  9. सरकार द्वारा निर्धारित बाधाओं या प्रतिबंधों को हटाना क्या  कहलाता है:
     उदारीकरण
  10. 'व्यापार अवरोध' का कोई एक उदाहरण बताएँ। 
    आयात पर कर
  11. विश्व व्यापार संगठन के गठन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
    WTO के गठन का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना है। 
  12. वैश्वीकरण का अर्थ बताइए?
    वैश्वीकरण का अर्थ है अपने देश की अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण करना।वैश्वीकरण विभिन्न देशों के तेजी से एकीकरण या अंतर्संबंध की प्रक्रिया को 
    वैश्वीकरण कहते है। 
  13. उदारीकरण से क्या अभिप्राय  है? 
    विदेशी व्यापार पर सरकार द्वारा लगाए गए अवरोधों या प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण कहलाता है।
  14. आयात शुल्क क्या है
    आयात शुल्क
    किसी देश में विदेश से आने वाली वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर है.
  15. किसी भी दो बड़ी भारतीय कंपनियों के नाम बताइए जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में उभरी हैं
    1. टाटा मोटर्स    2. एशियन पेंट्स
  16.  MNCs अपने कार्यालय और कारखाने उन क्षेत्रों में क्यों स्थापित करते हैं जहाँ उन्हें सस्ते श्रम और अन्य संसाधन मिलते हैं? 
    अपनी उत्पादन लागत को कम करके अधिकतम लाभ कमाने के लिए ।
  17.  ‘बहुराष्ट्रीय कंपनियों’ के साथ सहयोग करके ‘स्थानीय कंपनियों’ को कैसे लाभ होता है? 
    (i) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ स्थानीय कंपनी को अतिरिक्त निवेश के लिए धन उपलब्ध कराती हैं,
    (ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने साथ उत्पादन के लिए नवीनतम तकनीक लाती हैं।
  18. बहुराष्ट्रीय कम्पनी किसे कहते है?
    एक कंपनी जो एक से अधिक देशों में उत्पादन का स्वामित्व या नियंत्रण रखती है उसे बहुराष्ट्रीय कम्पनी (MNC) कहा जाता है उदाहरण: टाटा, सैमसंग, एप्पल
  19. भारत में केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा विशेष आर्थिक क्षेत्र क्यों स्थापित किए जा रहे हैं?
    भारत में विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए 
  20. व्यापार अवरोध का क्या अर्थ है?
    विदेशी व्यापार को बढ़ाने या घटाने के लिए सरकार द्वारा वस्तुओं के आयात और निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों को व्यापार अवरोध कहा जाता है।
  21. निवेश का क्या अर्थ है?
    किसी कंपनी द्वारा भूमि, भवन, मशीन और अन्य उपकरण जैसी संपत्ति खरीदने के लिए खर्च किया जाने वाला धन निवेश कहलाता है।
  22. बहुराष्ट्रीय निगमों और घरेलू कंपनियों के बीच अंतर करें।
    एमएनसी एक ऐसी कंपनी है जो एक से अधिक देशों में उत्पादन का स्वामित्व या नियंत्रण करती है, जबकि एक घरेलू कंपनी देश के भीतर उत्पादन का स्वामित्व और नियंत्रण करती है।
  23. निवेश और विदेशी निवेश में अंतर बताइए?
    किसी कंपनी द्वारा भूमि, भवन, मशीन और अन्य उपकरण जैसी संपत्ति खरीदने के लिए खर्च किया जाने वाला पैसा निवेश कहलाता है जबकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किया जाने वाला निवेश विदेशी निवेश कहलाता है।
  24. बहुराष्ट्रीय कंपनियों अपनी उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने के लिए किन बातों का ध्यान रखती है ।
    (i) श्रम: उद्योगों के लिए सस्ते और कुशल श्रम की सहज उपलब्धता होनी चाहिए। इससे उत्पादन की लागत कम करने और लाभ को अधिकतम करने में मदद मिलेगी।
    (ii) बाजार: बाजार उत्पादन इकाइयों के करीब होना चाहिए ताकि परिवहन लागत पर कम खर्च हो।
    (iii) सरकारी नीतियाँ: उस विशेष देश की सरकारी नीतियाँ कंपनी के पक्ष में होनी चाहिए।
  25. बहुराष्ट्रीय कंपनियों  के तीन लाभों का आकलन करें
    (i) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अतिरिक्त निवेश के लिए धन उपलब्ध कराती हैं और अपने साथ उत्पादन के लिए नवीनतम तकनीक लाती हैं।
    (ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने बेहतर गुणवत्ता और कम कीमत के सामान उपलब्ध कराए हैं।
    (iii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा नई नौकरियाँ पैदा की गई हैं।
    (iv) लोग बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारण जीवन स्तर और सुविधाओं का उच्च स्तर है।
  26. छोटे उत्पादकों और श्रमिकों के लिए वैश्वीकरण द्वारा उत्पन्न समस्याओं का वर्णन करें।
    (i) वैश्वीकरण ने छोटे उत्पादकों और श्रमिकों को प्रभावित किया है क्योंकि वे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं।
    (ii) विभिन्न मॉल निर्माता वैश्वीकरण के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं थे।
    (iii) कई इकाइयाँ बंद हो गईं और कई श्रमिक बेरोजगार हो गए।
    (iv) बैटरी, कैपेसिटर, प्लास्टिक, खिलौने, टायर, डेयरी उत्पाद और वनस्पति तेल उद्योग जैसे स्थानीय निर्माताओं को प्रतिस्पर्धा के कारण भारी नुकसान हुआ है।
    (v) श्रम कानूनों में लचीलेपन के कारण श्रमिकों की स्थिति खराब हो गई है।
  27. भारत में वैश्वीकरण को सुविधाजनक बनाने वाले कारक लिखिए ।
    (i) प्रौद्योगिकी ।
    (ii) परिवहन प्रौद्योगिकी ।
    (iii) सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ।
    (iv) 
    इंटरनेट और कंप्यूटर का उपयोग
  28.  वैश्वीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने में प्रौद्योगिकी के योगदान का वर्णन करें
    परिवहन प्रौद्योगिकी में सुधार ने कम लागत पर लंबी दूरी तक माल की डिलीवरी को तेज कर दिया है।
    सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के विकास ने सूचना को तुरंत सुलभ बना दिया है।
    दूरसंचार सुविधाओं का उपयोग दुनिया भर में एक-दूसरे से संपर्क करने, तुरंत सूचना प्राप्त करने और दूरदराज के क्षेत्रों से संवाद करने के लिए किया जाता है। उपग्रह संचार उपकरणों द्वारा इसे सुगम बनाया गया है।
    इंटरनेट हमें नगण्य लागत पर दुनिया भर में तत्काल इलेक्ट्रॉनिक मेल (ई-मेल) भेजने और बात करने (वॉयस-मेल) की भी अनुमति देता है।

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1 Comments
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  1. सर इस अध्याय के निबंधात्मक प्रश्नोत्तर नही डाले आपने , यदि वह भी होते तो और अच्छा होता |

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