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4. कृषि

भारत एक कृषि प्रधान देश है। जिसकी दो-तिहाई आबादी कृषि गतिविधियों में लगी हुई है।
कृषि एक प्राथमिक गतिविधि है, जो उपभोग के लिए भोजन और उद्योगों के लिए कच्चा माल पैदा करती है।
चाय, कॉफी, मसाले आदि जैसे कुछ कृषि उत्पादों का निर्यात भी किया जाता है।
कृषि के प्रकार
1. प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि
यह कृषि का सबसे पुराना रूप है जो कुदाल, दाव और खुदाई करने वाले डंडे जैसे आदिम औजारों की मदद से ज़मीन के छोटे-छोटे टुकड़ों पर किया जाता है।
इस प्रकार की कृषि मानसून और मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर करती है।
इस कृषि में किसान उर्वरक या अन्य आधुनिक इनपुट का उपयोग नहीं करते हैं।
इस प्रकार की कृषि में भूमि की उत्पादकता कम होती है।
इसे ' कर्तन  एवं  दहन ' कृषि या स्थानांतरित कृषि के रूप में भी जाना जाता है।
इस कृषिमें किसान पेड़ों और झाड़ियों को काटकर ज़मीन का एक टुकड़ा साफ करते हैं और उन्हें जला देते हैं। जलाने के बाद बची राख मिट्टी के लिए खाद का काम करती है। जब मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है, तो किसान दूसरी ज़मीन पर चले जाते हैं।
प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि के विभिन्न नाम:
उत्तर पूर्वी प्रदेशों (असम, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड)  में इसे ‘झूम’ कहा जाता है मणिपुर में पामलू और छत्तीसगढ़ के  बस्तर जिले और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में इसे ‘दीपा’ कहा जाता है।
मध्य प्रदेश में इसे ‘बेबर या दहिया’, आंध्रप्रदेश में ‘पोडु’ अथवा ‘पेंडा’, ओडिशा में ‘पामाडाबी’ या ‘कोमान’ या ‘बरीगाँ’, पश्चिम घाट में कुमारी’, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में ‘वालरे’ या ‘वाल्टरे’, हिमालयन क्षेत्र में ‘खिल’, झारखंड में ‘कुरुवा’ आदि नामों से जाना जाता है ।
मैक्सिको और मध्य अमेरिका में ‘मिल्पा’, वेनेजुएला में ‘कोनुको’, ब्राजील में ‘रोका’, मध्य अफ्रीका में ‘मसोले’, इंडोनेशिया में ‘लदांग’ और वियतनाम में ‘रे’ के नाम से जाना जाता है।
2. गहन जीविका कृषि
इस प्रकार की कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ भूमि पर जनसंख्या का दबाव अधिक होता है। यह श्रम-गहन खेती है जहाँ अधिक उत्पादन के  लिए अधिक मात्रा में जैव- रासायनिक निवेशों और सिंचाई का प्रयोग किया जाता है।
भूस्वामित्व में विरासत के  अधिकार के  कारण पीढ़ी दर पीढ़ी जोतों का आकार छोटा और अलाभप्रद होता जा रहा है और किसान वैकल्पिक रोशगार न होने के  कारण सीमित भूमि से अधिकतम पैदावार लेने की कोशिश करते हैं। अतः कृषि भूमि पर बहुत अधिक दबाव है।
3. वाणिज्यिक कृषि 
वाणिज्यिक कृषि एक ऐसी कृषि है जिसमें फसल उत्पादन वाणिज्यिक उद्देश्य से किया जाता है। इस प्रकार की कृषि में उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के लिए अधिक पैदावार देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के योग से उच्च पैदावार प्राप्त करना है।
रोपण कृषि भी एक प्रकार की वाणिज्यिक कृषि है।
रोपण कृषि, उद्योग और कृषि के  बीच एक अंतरापृष्ठ  है। रोपण कृषि व्यापक क्षेत्र में की जाती है जो अत्यधिक पूँजी और श्रमिकों की सहायता से की जाती है। इससे प्राप्त सारा उत्पादन उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है। भारत में चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला इत्यादि महत्त्वपूर्ण रोपण फसले हैं। असम और उत्तरी बंगाल में चाय, कर्नाटक में कॉफी वहाँ की मुख्य रोपण फसलें हैं। चूँकि रोपण कृषि में उत्पादन बिक्री के लिए होता है इसलिए इसके विकास में परिवहन और संचार साधन से संबंधित उद्योग और बाजार महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
शस्य प्रारूप
भारत में तीन शस्य ऋतुएँ हैं
रबी फसलें: रबी की फसलें अक्टूबर से दिसंबर तक सर्दियों में बोई जाती हैं और अप्रैल से जून तक गर्मियों में काटी जाती हैं। (अक्टूबर से मार्च) उदाहरण: गेहूं, जौ, मटर, चना और सरसों। गेहूं रबी की प्रमुख फसल है। शीत ऋतु में शीतोष्ण पश्चिमी विक्षोभों से होने वाली वर्षा इन फसलों के अधिक उत्पादन में सहायक होती है। 
खरीफ फसलें : खरीफ फसलें मानसून की शुरुआत के साथ उगाई जाती हैं और सितंबर-अक्टूबर (जून से सितंबर) में काटी जाती हैं। उदाहरण: धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूंग, उड़द, कपास, जूट, मूंगफली और सोयाबीन। असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में साल में धान की तीन फसलें उगाई जाती हैं। ये हैं औस, अमन और बोरो।
जायद फसलें: रबी और खरीफ सीजन के बीच, गर्मी के महीनों के दौरान एक छोटा सीजन होता है जिसे जायद सीजन के रूप में जाना जाता है। जायद की फसलें मुख्य रूप से मार्च से जून तक जायद सीजन में उगाई जाती हैं। उदाहरण: तरबूज, खरबूजा, खीरा, सब्जियां और चारा फसलें। 
प्रमुख फसलें
1. चावल
भारत में अधिकांश लोगों का खाद्यान्न चावल है। हमारा देश चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। चावल हरियाणा और पंजाब में एक व्यावसायिक फसल है, लेकिन ओडिशा में यह एक जीविका फसल है
चावल के लिए आवश्यक जलवायु/भौगोलिक परिस्थितियाँ:
यह एक खरीफ की फसल है जिसे उगाने के  लिए उच्च तापमान (25° सेल्सियस से ऊपर) और अधिक आर्द्रता (100 सेमी. से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे सिंचाई
करके  उगाया जाता है।
उत्पादक क्षेत्र :
चावल उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है। नहरों के जाल और
नलकुपों की सघनता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कम वर्षा वाले क्षेत्रों
में चावल की फसल उगाना संभव हो पाया है 
2. गेहूँगेहूँ भारत की दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। जो देश के  उत्तर और उत्तर-पश्चिमी भागों में
पैदा की जाती है।
गेहूँ के लिए आवश्यक जलवायु/भौगोलिक परिस्थितियाँ:
यह रबी की फसल है।
इसे उगाने के  लिए शीत ऋतु और पकने के समय खिली धूप की आवश्यकता होती है। 
इसे उगाने के लिए 50 से 75 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
उत्पादक क्षेत्र :
भारत में गेहूँ उगाने वाले दो मुख्य क्षेत्र हैं 
उत्तर-पश्चिम में गंगा-सतलुज का मैदान और दक्कन का काली मिट्टी वाला प्रदेश। 
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, और राजस्थान के  कुछ भाग गेहूँ पैदा करने वाले मुख्य राज्य हैं।
मोटे अनाज - ज्वार, बाजरा और रागी भारत में उगाए जाने वाले मुख्य मोटे अनाज हैं। इन्हे मोटा अनाज कहा जाता है परंतु इनमें पोषक तत्त्वों की मात्रा अत्यधिक होती है। 
बाजरा: बाजरा बलुआ और उथली काली मिट्टी पर अच्छी तरह से उगता है। प्रमुख बाजरा उत्पादक राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा हैं। 
ज्वार: ज्वार क्षेत्रफल और उत्पादन के मामले में तीसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है। यह एक वर्षा आधारित फसल है जो ज्यादातर नमी वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है, जिन्हें शायद ही सिंचाई की आवश्यकता होती है। प्रमुख ज्वार उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश हैं। 
रागी: रागी में लोहा, कैल्शियम और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। रागी शुष्क क्षेत्रों की फसल है और लाल, काली, बलुआ, दोमट और उथली काली मिट्टी में अच्छी तरह से उगती है। रागी के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं: कर्नाटक, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश। 
मक्का: यह एक ऐसी फसल है जिसका उपयोग भोजन और चारे दोनों के रूप में किया जाता है। यह खरीफ की फसल है जिसके लिए 21 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान की आवश्यकता होती है। यह पुरानी जलोढ़ मिट्टी में अच्छी तरह से उगती है। बिहार में मक्का रबी के मौसम में भी उगाया जाता है। प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हैं।
दालें: भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। शाकाहारी भोजन में ये प्रोटीन का प्रमुख स्रोत हैं। भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख दालें हैं अरहर, उड़द, मूंग, मसूर, मटर और चना। दालों को कम नमी की आवश्यकता होती है और ये शुष्क परिस्थितियों में भी जीवित रहती हैं।
दलहनी फसलें होने के कारण, अरहर को छोड़कर ये सभी फसलें हवा से नाइट्रोजन को स्थिर करके मिट्टी की उर्वरता को बहाल करने में मदद करती हैं। इसलिए, इन्हें ज़्यादातर अन्य फसलों के साथ फसलों के  आवर्तन में (बारी-बारी से )उगाया जाता है।
भारत में प्रमुख दाल उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक हैं।
गन्ना:
भारत ब्राज़ील के बाद गन्ने का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। यह चीनी, गुड़, खांडसारी और गुड़ का मुख्य स्रोत है।
यह एक उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय फसल है।
यह 21 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस के तापमान और 75 सेमी. और 100 सेमी. के बीच वार्षिक वर्षा के साथ उष्ण और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ती है।
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई की आवश्यकता होती है।
प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पंजाब और हरियाणा हैं।
तिलहन: भारत में उत्पादित मुख्य तिलहन मूंगफली, सरसों, नारियल, तिल, सोयाबीन, अरंडी, कपास के बीज, अलसी और सूरजमुखी हैं। तिलहन देश के कुल फसली क्षेत्र के लगभग 12 प्रतिशत क्षेत्र में उगाए जाते हैं। अधिकांश तिलहन खाने योग्य होते हैं और खाना पकाने के माध्यम के रूप में उपयोग किए जाते हैं। कुछ तिलहनों का उपयोग साबुन, सौंदर्य प्रसाधन और मलहम के उत्पादन में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। मूंगफली एक खरीफ फसल है और देश में उत्पादित प्रमुख तिलहनों का लगभग आधा हिस्सा इसका होता है। चीन के बाद दुनिया में मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक गुजरात मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक है, उसके बाद राजस्थान और तमिलनाडु का स्थान आता है। 
अलसी और सरसों रबी की फसलें हैं। 
तिल उत्तर भारत में खरीफ की फसल है और दक्षिण भारत में रबी की फसल है। 
अरंडी के बीज को रबी और खरीफ दोनों फसलों के रूप में उगाया जाता है। 
चाय: चाय की कृषि रोपण कृषि है। यह एक महत्वपूर्ण पेय फसल है इसे भारत में अंग्रेजों द्वारा लाया गया था। आज, अधिकांश चाय बागान भारतीयों के स्वामित्व में हैं।
चाय का पौधा उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है
चाय का पौधा जलवायु, ह्यूमस और जीवांश युक्त गहरी मिट्टी तथा सुगम जल निकास वाले ढलवाँ क्षेत्रों में भलीभाँति उगाया जाता है। 
चाय की झाड़ियों को पूरे साल गर्म और नम पालारहित जलवायु की आवश्यकता होती है।
वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की बौछारें इसकी कोमल पत्तियों के विकास में सहायक होती हैं।
चाय एक श्रम-प्रधान उद्योग है। इसके लिए प्रचुर, सस्ते और कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
मुख्य चाय उत्पादक राज्य असम, दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिलों की पहाड़ियाँ, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल हैं।
कॉफी: भारतीय कॉफी दुनिया भर में अपनी अच्छी गुणवत्ता के लिए जानी जाती है।
भारत में अरेबिका किस्म की कॉफी का उत्पादन होता है जिसे यमन से लाया गया था।
शुरुआत में इसकी कृषि बाबा बुदन पहाड़ियों पर शुरू की गई थी और आज भी इसकी कृषि कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में नीलगिरि तक ही सीमित है।
बागवानी फसलें: बागवानी फलों और सब्जियों की विशेष कृषि है। भारत चीन के बाद दुनिया में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत उष्ण और शीतोष्ण कटिबंधीय फलों का उत्पादक है। 
आम - महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल
संतरे - नागपुर और चेरापूंजी (मेघालय) 
केले - केरल, मिजोरम, महाराष्ट्र और तमिलनाडु 
लीची और अमरूद - उत्तर प्रदेश और बिहार 
अनानास - मेघालय
अंगूर - आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र 
सेब, नाशपाती, खुबानी और अखरोट - जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश 
रबर: यह भूमध्यरेखीय क्षेत्र की फसल है  लेकिन विशेष परिस्थितियों में इसे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी उगाया जाता है।
इसके लिए 200 सेमी से अधिक वर्षा और 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान के साथ नम और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
रबर एक महत्वपूर्ण औद्योगिक कच्चा माल है।
यह मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और मेघालय की गारो पहाड़ियों में उगाया जाता है।
रेशे वाली फसलें: कपास, जूट, सन और प्राकृतिक रेशम भारत में उगाई जाने वाली चार प्रमुख रेशेदार फसलें हैं। पहली तीन फसलें मिट्टी में उगाई जाने वाली फसलों से प्राप्त होती हैं, जबकि चौथी फसलें हरी पत्तियों, खासकर मलबरी पर पलने वाले रेशम के कीड़ों के कोकून से प्राप्त होती हैं।
रेशम के रेशे के उत्पादन के लिए रेशम के कीड़ों को पालने को सेरीकल्चर के रूप में जाना जाता है।
कपास: भारत को कपास के पौधे का मूल घर माना जाता है। कपास सूती वस्त्र उद्योग के लिए मुख्य कच्चे माल में से एक है।
चीन के बाद भारत कपास का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
दक्कन के पठार की काली कपास मिट्टी के शुष्क भागों में कपास अच्छी तरह से उगता है।
इसके विकास के लिए उच्च तापमान, हल्की वर्षा या सिंचाई, 210 पाला रहित दिन और तेज धूप की आवश्यकता होती है। यह खरीफ की फसल है और इसे पकने में 6 से 8 महीने लगते हैं। 
प्रमुख कपास उत्पादक राज्य हैं- महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश। 
जूट: इसे सुनहरा रेशा कहा जाता है। जूट बाढ़ के मैदानों में अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी पर अच्छी तरह से उगता है जहाँ हर साल मिट्टी का नवीनीकरण होता है। विकास के समय उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा और मेघालय प्रमुख जूट उत्पादक राज्य हैं। इसका उपयोग बोरियाँ, चटाई, रस्सी, धागा, कालीन और अन्य कलाकृतियाँ बनाने में किया जाता है। इसकी उच्च लागत के कारण, यह सिंथेटिक फाइबर और पैकिंग सामग्री, विशेष रूप से नायलॉन के लिए बाजार खो रहा है। 
प्रौद्योगिकीय और संस्थागत सुधार
(i) भूमि सुधार: सामूहिकीकरण, जोतों का समेकन, सहयोग और ज़मींदारी उन्मूलन। 
(ii) कृषि सुधार: हरित क्रांति और श्वेत क्रांति (ऑपरेशन फ्लड)। 
(iii) भूमि विकास कार्यक्रम (1980 और 1990 के दशक): सूखा, बाढ़, चक्रवात आदि के खिलाफ फसल बीमा का प्रावधान। ऋण प्रदान करने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और बैंकों की स्थापना। 
(iv) भारत सरकार द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना (PAIS) शुरू की गई। 
(v) रेडियो और टीवी पर किसानों के लिए विशेष मौसम बुलेटिन और कृषि कार्यक्रम शुरू किए गए। 
(vi) सरकार ने किसानों के शोषण को रोकने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और लाभकारी और खरीद मूल्य की घोषणा की। 
भूदान - ग्रामदान महात्मा गांधी ने विनोबा भावे को अपना आध्यात्मिक उत्तराधिकारी घोषित किया। एक बार, जब वे आंध्र प्रदेश के पोचमपल्ली में व्याख्यान दे रहे थे, तो कुछ गरीब भूमिहीन ग्रामीणों ने अपनी आर्थिक भलाई के लिए कुछ जमीन की मांग की। विनोबा भावे उन्हें तुरंत इसका वादा नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि अगर वे सहकारी कृषि करते हैं तो वे उनके लिए भूमि के प्रावधान के बारे में भारत सरकार से बात करेंगे। अचानक, श्री राम चंद्र रेड्डी ने खड़े होकर 80 एकड़ जमीन 80 भूमिहीन ग्रामीणों के बीच वितरित करने की पेशकश की। इस अधिनियम को 'भूदान' के रूप में जाना जाता था।
कई गांवों के मालिकों, कुछ जमींदारों ने कुछ गांवों को भूमिहीनों में वितरित करने की पेशकश की। इसे ग्रामदान के रूप में जाना जाता था। विनोबा भावे द्वारा शुरू किए गए इस भूदान-ग्रामदान आंदोलन को रक्तहीन क्रांति के रूप में भी जाना जाता है।

  1. प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि को किस अन्य नाम से जाना जाता है?
    'कर्तन एवं दहन’ कृषि 
  2. अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में की जाने वाली कृषि का नाम बताइये
    गहन जीविका कृषि
  3. किस फसल को सुनहरा रेशा  के रूप में जाना जाता है?
    जूट
  4. भारत दुनिया में किस कृषि उत्पाद का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है?
    दालें
  5. मेक्सिको में झूमिंग कृषि को किस नाम से जाना जाता है?
    मिल्पा
  6. कौन सी फसल मानसून की शुरुआत के साथ उगाई जाती है और सितंबर और अक्टूबर के महीने में काटी जाती है ?
    खरीफ।
  7. भारत में उत्पादित किन्हीं चार तिलहनों के नाम बताइए।
    (i) मूंगफली (ii) सरसों (iii) नारियल (iv) तिल
  8. चावल का सर्वाधिक उत्पादन किस देश में होता है? 
    चीन
  9. दो खरीफ की फसलों के नाम बताइए।
    चावल, बाजरा, मक्का, मूंगफली, जूट, कपास।
  10. भारत में दो सबसे महत्वपूर्ण प्रधान खाद्य फसलों के नाम बताइए।
    चावल और गेहूँ
  11. भारत के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी भागों में उगाई जाने वाली मुख्य खाद्य फसल कौन सी है।
    गेहूँ
  12. वाणिज्यिक फसलों कोई चार उदाहरण लिखिए।
    चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला
  13. मक्का किस प्रकार की मिट्टी में अच्छी तरह से उगता है?
    पुरानी जलोढ़
  14. किस फसल का उपयोग भोजन और चारे दोनों के रूप में किया जाता है?
    मक्का
  15. अंग्रेजों द्वारा भारत में लाई गई महत्वपूर्ण पेय फसल का नाम बताइए।
    चाय
  16. भारत में उत्पादित होने वाली कॉफी की एक किस्म का नाम बताइए। 
    अरेबिका 
  17. रोपण फसलों के नाम बताइए।
    चाय, कॉफी, रबर, गन्ना और केला
  18. मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक कौन सा राज्य है ?
    गुजरात मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक है। 
  19. दक्षिण भारत के दो प्रमुख चाय उत्पादक राज्यों का नाम लिखिए ।
    तमिलनाडु और केरल
  20. रेशम उत्पादन(सैरिकल्चर) क्या है ?
    रेशम के रेशे के उत्पादन के लिए रेशम के कीड़ों को पालने को सेरीकल्चर के रूप में जाना जाता है।
  21. रबी की 5 फसलों के नाम बताइए।
    गेहूँ, जौ, मटर, चना और सरसों
  22. भारत के किन दो क्षेत्रों में मुख्य रूप से संतरे का उत्पादन होता है?
    नागपुर (महाराष्ट्र) और चेरापूंजी (मेघालय)
  23. भारत में उगाई जाने वाली दो प्रमुख रेशेदार फसलों के नाम लिखिए।
    कपास व जूट 
  24. श्वेत क्रांति किससे संबंधित है?
    श्वेत क्रांति दूध के उत्पादन से संबंधित है। इसे ऑपरेशन फ्लड भी कहा जाता है
  25. व्यापारिक फसलें क्या है ?
    जो फ़सलें मुख्य रूप से बिक्री के लिए उगाई जाती हैं, उन्हें व्यावसायिक फ़सल कहा जाता है जैसे गन्ना, कॉफ़ी, चाय
  26. भारत में मक्का की फसल के विकास के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ का वर्णन करें। 
    (i) यह एक खरीफ फसल है जिसके लिए 21°C से 27°C के बीच तापमान की आवश्यकता होती है 
    (ii) यह पुरानी जलोढ़ मिट्टी में अच्छी तरह से उगती है।
  27. भारत में गेहूँ उगाने वाले दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों के नाम बताइए।
    (i) उत्तर-पश्चिम में गंगा-सतलुज के मैदान
    (ii) दक्कन का काली मिट्टी वाला क्षेत्र।
  28. तिलहन के उपयोग लिखिए  
    ज़्यादातर तिलहन खाने योग्य होते हैं और खाना पकाने के माध्यम के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
    कुछ तिलहनों का उपयोग साबुन, सौंदर्य प्रसाधन और मलहम के उत्पादन में कच्चे माल के रूप में किया जाता है।
  29. गेहूं की कृषि के लिए भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें
    गेहूँ एक रबी की फसल है।
    इसे उगाने के  लिए शीत ऋतु और पकने के समय खिली धूप की आवश्यकता होती है। 
    इसे उगाने के लिए 50 से 75 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
  30.  गन्ने की कृषि के लिए किन भौगोलिक परिस्थितियों की आवश्यकता होती है? 
    यह एक उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय फसल है।
    यह 21 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस के तापमान और 75 सेमी. और 100 सेमी. के बीच वार्षिक वर्षा के साथ उष्ण और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ती है।
    कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  31. कपास की कृषि के लिए आवश्यक भौगोलिक स्थितियों का वर्णन करें। 
    दक्कन के पठार की काली कपास मिट्टी के शुष्क भागों में कपास अच्छी तरह से उगता है।
    इसके विकास के लिए उच्च तापमान, हल्की वर्षा या सिंचाई, 210 पाला रहित दिन और तेज धूप की आवश्यकता होती है। 
    यह खरीफ की फसल है और इसे पकने में 6 से 8 महीने लगते हैं। 
  32. निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत चावल की कृषि का वर्णन करें
    (अ) जलवायु
    (i) यह खरीफ की फसल है।
    (ii) उच्च तापमान (25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर)।
    (iii) 100 सेमी से अधिक वार्षिक वर्षा के साथ उच्च आर्द्रता।
    (ब) उत्पादन क्षेत्र.
    उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेश
  33. आदिम निर्वाह कृषि  और व्यावसायिक कृषि  की तुलना करें
    आदिम निर्वाह कृषि, कृषि एक ऐसी कृषि है जिसमें फसल उत्पादन जीविका निर्वाह के उद्देश्य से किया जाता है।
    वाणिज्यिक कृषि एक ऐसी कृषि है जिसमें फसल उत्पादन वाणिज्यिक उद्देश्य से किया जाता है।
    आदिम निर्वाह कृषि, कृषि का सबसे पुराना रूप है जो आदिम औजारों की मदद से ज़मीन के छोटे-छोटे टुकड़ों पर किया जाता है।
    वाणिज्यिक कृषि कृषि का नवीनतम रूप है जो अत्याधुनिक मशीनों की मदद से जमीन के विस्तृत क्षेत्र पर किया जाता है।
  34. चाय की कृषि के लिए आवश्यक किन्हीं चार भौगोलिक स्थितियों का वर्णन करें। 
    चाय का पौधा उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है
    चाय का पौधा जलवायु, ह्यूमस और जीवांश युक्त गहरी मिट्टी तथा सुगम जल निकास वाले ढलवाँ क्षेत्रों में भलीभाँति उगाया जाता है। 
    चाय की झाड़ियों को पूरे साल गर्म और नम पालारहित जलवायु की आवश्यकता होती है।
    वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की बौछारें इसकी कोमल पत्तियों के विकास में सहायक होती हैं।







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