- भारत में कितने प्रतिशत पशुधन पाया जाता है
20% - भारत का विश्व में गाय-बैल पालन में कौनसा स्थान है
द्वितीय (प्रथम- ब्राजील) - भारत का विश्व में भेङ पालन में कौन सा स्थान है I
द्वितीय (प्रथम- चीन) - भारत का विश्व में भैंस पालन में कौन सा स्थान है I
प्रथम - भारत में कितने प्रतिशत वन क्षेत्र है
21.34% - भारत में विश्व का कितने प्रतिशत पशु संसाधन पाया जाता है
20% - भारत का राष्ट्रीय वृक्ष क्या है
अशोक - नीरू-मीरू कार्यक्रम किस राज्य में चलाया जा रहा है
आन्ध्र प्रदेश - अरवारी पानी संसद कार्यक्रम कहाँ संचालित है
अलवर - सर्वाधिक ऊंट कहाँ पाले जाता है
राजस्थान - भारत की सबसे लम्बी नदी का नाम लिखिए
गंगा - दक्षिण की गंगा किस नदी को कहते हैं
कावेरी - वन निति के अनुसार देश में कितने प्रतिशत भाग पर वन होने चाहिए
33% - एल्युमिनियम के अयस्क का नाम लिखिए
बाक्साइट - वैदिक काल में नहर व कुए को क्या कहते थे
कुल्या व अवर - सुन्दरी वृक्ष व मेन्ग्रोव वृक्ष ( ज्वारीय वन)कहाँ पाये जाते हैं
गंगा ब्रह्मपुत्र डेल्टा व हुगली नदी डेल्टा - भारत में पाई जाने वाली भैसों की देशी नस्लों के नाम लिखिए
मुर्रा, जाफरावादी, मेहसाना, भदावरी - बंगाल मणिक क्या है
झारखण्ड व बिहार में पाया जाने वाला लाल रंग का उत्तम किस्म का अभ्रक बंगाल मणिक कहलाता है - निम्न को सुम्मेलित कीजिए
लौहा - कर्नाटक
ताम्बा - मध्यप्रदेश
एल्युमिनियम - उड़ीसा
अभ्रक – आन्ध्र प्रदेश - लौह अयस्क के नाम लिखिए
(1)हेमाटाइट (2)मेग्नेटाइट (3)लिमोनाइट - भारत में जल स्रोतों के नाम लिखिए
(1) भूमिगत- नलकूप, कुएँ, बावङी
(2) धरातलीय- तालाब, नदी, झील, बांध - सिंचाई किसे कहते हैं
वर्षा की कमी या अभाव के कारण शुष्क मौसम में खेतो में कृत्रिम ढंग से जल आपूर्ति की क्रिया को सिंचाई कहते है
है - जल संभर प्रबंधन किसे कहते हैं
वर्षा जल संग्रहण, भौम जल के संचयन व पुनर्भरण द्वारा धरातलीय व भूमिगत जल संसाधनों का दक्ष प्रबंधन जल संभरण प्रबंधन कहलाता है - जल संभर प्रबंधन के दो उद्देश्य लिखो (2014)
-भूमिगत जल का संचयन व पुनर्भरण
-प्राकृतिक संसाधनों व समाज के बीच सन्तुलन बनाना - भारत में धरातलीय जल व भूमिगत जल का विभिन्न सैक्टर में उपयोग बताइए
धरातलीय जल – कृषि 89%, घरेलू कार्य 9% व उद्योग 2%
भूमिगत जल - कृषि 92% घरेलू कार्य 5% व उद्योग 10% - आयस्टर कल्चर क्या है
आयस्टर मच्छलियो से कृत्रिम विधि से मोती प्राप्त करना आयस्टर कल्चर है - भारत में मत्स्य उपलब्धता की अनुकूल दशाएं बताइए
(1) छिछले समुद्र (2) नदियों के मुहाने
(3) ठण्डी व गर्म जल धाराओं के मिलन स्थल - भारत के मत्स्य क्षेत्रों के नाम लिखिए
(1) समुद्र तटीय मत्स्य क्षेत्र (2) नदी मुख मत्स्य क्षेत्र
(3) मीठे जल के मत्स्य क्षेत्र (4) मोती मत्स्य क्षेत्र
(5) शंख मत्स्य क्षेत्र - भारतीय वनों से प्राप्त प्रमुख उपजे बताइए
1.मुख्य उपजे- मुख्य उपज में वनों से लकड़ियां प्राप्त होती है जैसे साल, शीशम, देवदार, चीड़, चंदन, बबूल आदि से लकड़िया प्राप्त होती है
गौण उपजे - लाख, कत्था, रबर, गोंद, शहद, औषधियां, जड़ी-बूटियां, रंग, तारपीन का तेल आदि - भारत में मत्स्य उद्योग का महत्त्व लिखिए
(1) प्रोटीन युक्त आहार की प्राप्ति - मछलियां प्रोटीन का उत्तम स्रोत है अतः यह भोजन को संतुलित बनाकर कुपोषण से बचाती है
(2) रोजगार की प्राप्ति- मत्स्य व्यवसाय व इससे सम्बंधित व्यवसायों में करोड़ों लोग रोजगार लगे हुए हैं जिससे उनका जीवन स्तर सुधर रहा है
(3) विदेशी मुद्रा की प्राप्ति - मछलियों के निर्यात से विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है जो व्यापार संतुलित में सहायक है
(4) राष्ट्रीय आय में वृद्धि- मत्स्य व्यवसाय से रोजगार व अन्य सहायक व्यवसायों का सृजन हुआ है जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है - भारत मे पशु संसाधन विकास के उपाय बताइए
(1)पशुओं के पौष्टिक व पूर्ण आहार के लिए चारागाह का विकास किया जाना चाहिए
(2)गांवों में पशु चिकित्सालय व कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र खोलने चाहिए ताकि पशुओं की नस्ल सुधार हो सके।
(3) वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन किया जाना चाहिए ताकि पशु उत्पादन में वृद्धि हो सके।
4.ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सालय की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए ताकि बीमार पशुओं को दूर नहीं ले जाना पड़े एवं पशुओं के समय पर टीके लगाए जा सके। - ऊंट को रेगिस्तान का जहाज क्यों कहते है
ऊंट के गद्देदार पैर रेत में नहीं धंसते है इसलिए ऊंट रेगिस्तान में तेजी से दौड़ सकता है ऊंट का मल मूत्र गाढा एवं चमड़ी मोटे होने के कारण पसीना कम आता है इसलिए ऊंट को पानी कीऊंट को पानी की कम आवश्यकता होती है ऊंट की कूबड़ में चर्बी जमा रहती है जिसका उपयोग यह जल पूर्ति के लिए करता है इसलिए ऊंट सात दिन तक बिना पानी पिए रह सकता है एक में वर्षों बाद भी मार्ग पहचानने की अदभुत क्षमता पाई जाती है इसलिए गर्म और शुष्क मरुस्थल में ऊंट को आसानी से पाला जा सकता है - भारत में पशुधन कमी के कारण लिखिए
(1)पौष्टिक आहार व हरे चारे की कमी- भारत में बढ़ती जनसंख्या के उदर पूर्ति के लिए खाद्य उत्पादन प्रथम कार्य है इसलिए पशुओं को वर्षभर उत्तम चारागाह एवं हरा चारा उपलब्ध नहीं हो पाता है
(2) पशु बिमारियां- पशुओं को एक साथ चराने, एक साथ पानी पिलाने एवं एक साथ बांधने के कारण अनेक संक्रामक बीमारियां हो जाती है
(3) अच्छी पशु नस्लों का अभाव- भारत में सामान्यता कम दूध देने वाले पशु पाले जाते हैं जो उत्तम नस्ल के नहीं होते हैं
(4)पशुपालको की अज्ञानता व लापरवाही- पशुपालकों की अज्ञानता एवं लापरवाही के कारण पशुपालन में सावधानियां नहीं बरतते हैं जिससे पशु कमजोर होते हैं एवं कम दूध देते हैं - भारत में वन विनाश के कारण लिखिए
(1)कृषि भूमि की मांग में वृद्धि- बढ़ती जनसंख्या के भरण पोषण के लिए खाद्यान्न आपूर्ति के लिए वनों को काट कर कृषि भूमि का विस्तार किया जा रहा है जिससे वन क्षेत्र लगातार घट रहेे है
(2)तीव्र औद्योगीकरण व शहरीकरण- तीव्र औद्योगीकरण व नगरीकरण के कारण उद्योग, आवास, कार्यालय एवं सड़कों के लिए जमीन की आवश्यकता होती है इसलिए वनों की अन्धाधुन कटाई की जा रही है
(3)अनियंत्रित चराई- पशुओं की अनियंत्रित चढ़ाई से वन नष्ट हो रहे हैं हरे चारे के लिए पेड़ काटे जा रहे है पेेड़ो को पशु खा जाते हैं या फिर खुरों से नष्ट कर देते हैं
(4) स्थानांतरित कृषि- स्थानांतरित कृषिि में पेड़ों को काट कर जला दियाा जाता है जिससे पेड़ों की संख्या घट रही है
(5)घरेलू आवश्यकता हेतु वनों की कटाई- बढ़ती जनसंख्या के लिए इमारती लकड़ी की आपूर्ति के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही ।जिससे वन क्षेत्र घट रहे हैं - भारत में पशु संसाधन का महत्त्व लिखिए
1.कृषि कार्य- पशुओं का उपयोग अनेक कृषि कार्यो जैसे हल व पटेला चलाने, कुओं से पानी खींचने, फसलें व चारा ढोने आदि में किया जाता है
2.खाद्य पदार्थों की प्राप्ति- पशुओं से दूध, दुग्ध उत्पाद जैसे पौष्टिक आहार तथा मांस प्राप्त होते है
3.खाद निर्माण-पशुओं के मलमूत्र, गोबर व हड्डियों से खाद बनाई जाती है
4.परिवहन- पशुओं का उपयोग यातायात के साधनों के रूप में किया जाता है
5.चमङा व ऊन प्राप्ति- पशुओं से चमङा व ऊन प्राप्त होते है
6. पशुओं के सिंगों से विभिन्न प्रकार की कलात्मक वस्तुएं एवं कंघे बनाए जाते हैं - मत्स्य उपलब्धता की अनुकूल दशाएं बताइए
(1) छिछले समुद्र- छिछले समुद्र (600 फुट) में सूर्य की किरणें आसानी से पहुँचती है अतः यहाँ प्लवक व काई पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है इसलिए यहांं मछलियां खाने के लिए एवं अंडे देने के लिए अधिक मात्रा में एकत्रित होती है
(2)नदियों के मुहाने- नदियों के मुहाने पर प्लवको की पर्याप्त मात्रा में उपस्थिति के कारण मछलियां अधिक पाई जाती है
(3) ठण्डी व गर्म जल धाराओं के मिलन स्थल- ठंडी व गर्म जल धाराओं के मिलन स्थल पर प्लवको का विकास एवं वृद्धि अधिक होती है अतः यहाँ भोजन की उपलब्धता के कारण मछलियां अधिक पायी जाती है - भारत में सिंचाई के लिए जल की आवश्यकता बताइए
(1) जनसंख्या वृद्धि के कारण फसल उत्पादन की अधिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए सिंचाई आवश्यक है
(2) अनिश्चित व अनियमित वर्षा के कारण फसलो को पानी की आवश्यकता होती है
(3) गहन कृषि व बहुफसलीकरण के लिए सिंचाई आवश्यक है
(4) सुखे की समस्या का समाधान के लिए सिंचाई की आवश्यक है
(5) व्यावसायिक फसलों के उत्पादन में वृद्धि के लिए सिंचाई की जाती है
(6) शुष्क क्षेत्रो में फसलोत्पादन के लिए सिंचाईकी आवश्यकता होती है
(7) संकर फसलों को पानी की अधिक आवश्यकता होती है
(8) वर्षा का असमान वितरण व मौसमी होने के कारण फसलो को पानी की आवश्यकताा होोती है - वन विनाश के दुष्प्रभाव लिखिए
1.वन विनाश से वर्षा कम होती है जिससे जलवायु शुष्क होती है एवं भूजल स्तर गिरता है
2.वन विनाश से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है जो हरित गृह प्रभाव को जन्म देती है
3.वन विनाश से वन्यजीव का प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाता है और उनका जीवन संकट में पड़ जाता है
4.वन विनाश से इमारती एवं ईंधन की लकड़ी खत्म होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है
5.वन विनाश से वन आश्रित उद्योग बंद हो जायेंगे
6.वन विनाश से पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ जाता है
7.वन विनाश से मृदा अपरदन बढ़ता है
8.वन विनाश से वायु प्रदूषण बढ़ता है
9.वन विनाश से मरुस्थलीकरण बढ़ता है - जल संरक्षण के उपाय/ सुझाव लिखिए
(1)जल प्रदूषण पर नियंत्रण- जल प्रदूषण के कारण शुद्ध जल की मात्रा तेजी से घट रही है अतः जल प्रदूषण का प्रभावी निवारण कर जल को संरक्षित किया जा सकता है
(2)जल का पुनर्चक्रण व पुनः उपयोग- कम गुणवत्ता वाले जल का उपयोग शीतलन व आग बुझाने में किया जा सकता है नगरीय क्षेत्रों में स्नान करने, बर्तन धोने, व वाहन धोने में प्रयुक्त जल का उपयोग बागवानी में किया जा सकता है
(3)जल संभरण प्रबंधन- वर्षा जल, धरातलीय जल व भौम जल का दक्ष प्रबंधन जल संभरण प्रबंधन कहलाता है इसमें बहते जल को रोककर विधियों जैसे बांध, पुनर्भरण कुओं, अंतस्रवण तालाब आदि द्वारा भूमिगत जल का संचयन व पुनर्भरण किया जा सकता है
(4)वर्षा जल संचयन - वर्षा जल संचयन वर्षा जल को रोककर एकत्रित करने की विधि है वर्षा जल संचयन भूमिगत जल स्रोतों के पुनर्भरण के लिए किया जाता है यह कम मूल्य आधारित पारिस्थितिकी विधि है - भारत के पशुपालन क्षेत्र बताइए
(1)हिमालय पर्वतीय प्रदेश- इसमें उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, असम व पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ भाग सम्मिलित हैं इस क्षेत्र में मुख्यतः भेड़-बकरियां पाली जाती हैै जिनसे उन्नत किस्मम की श्वेत ऊन प्राप्त होती है
(2)उत्तरी पश्चिमी जलवायु क्षेत्र- इस क्षेत्र में राजस्थान, दक्षिण-पूर्व पंजाब,हरियाणा, गुजरात और पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि सम्मिलित है यहाँ भेङ-बकरियां, ऊंट, गाय आदि पशु पाले जाते है
(3) पूर्वी व पश्चिमी तट क्षेत्र-इस क्षेत्र में पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, पूर्वी तमिलनाडू, व केरल व पश्चिमी केरल सम्मिलित है यहाँ मुख्यतः भैंसे पाली जाती है
(4)मध्य वर्षा वाले क्षेत्र- इस क्षेत्र में दक्षिणी उत्तर प्रदेश,पश्चिमी आन्ध्र प्रदेश, पश्चिमी तमिलनाडू, पूर्वी महाााराष्ट्र, मध्य प्रदेश व कर्नाटक सम्मिलित है यह भारत का प्रमुख भेेङ पालन क्षेत्र है - भारत में पाये जाने वाले वनों का वर्णन कीजिए
(1)उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन- ये वन 200 सेमी या इससे अधिक वर्षा और 28°C वार्षिक तापमान वाले क्षेत्रों में पाये जाते है ये सदा हरे-भरे रहते हैं ये वन उत्तरी पूर्वी भारत, पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं। वृक्ष- नारियल, ताङ, रबङ, साल, आम
(2)मानसूनी या पतझड़ वन- ये वन 100 सेेे 200 से.मी. औसत वर्षा व 26-30°C औसत तापमान वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं ग्रीष्म ऋतु आते ही इनकी पत्तियांं झड़ जाती है ये वन हिमालय की निचली ढाल, मध्य भारत, पश्चिमी घाट के पूर्वी ढाल व पूर्वी घाट के दक्षिणी भाग पर पाए जाते हैं वृक्ष- सागवान, साल, शीशम, चन्दन, आंवला
(3)उष्णकटिबंधीय वन- ये वन 50 सेेे 100 से.मी. औसत वर्षा व 20-35°C औसत तापमान वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं ये वन उत्तरी पश्चिमी भारत व दक्षिणी प्रायद्वीप के शुष्क भागों में पाये जाते है वृक्ष- बबूल, खेजङा, आम, नीम, कीकर
(4)मरुस्थलीय वन-ये वन 50से.मी.से कम औसत वर्षा व 25-35°C औसत तापमान वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं ये वन पश्चिमी राजस्थान, दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब, गुजरात व मध्य प्रदेश के कम वर्षा वाले भागो में पाये जाते है वृक्ष- नागफनी, कैर, खरे, खेजङा, बबूल, खजूर
(5)पर्वतीय वन- येे वन शीतोष्ण सदाबहार वन कहलाते है ये वन हिमालय क्षेत्र, असम पहाड़ियोंं, मध्य प्रदेश के पंचमढी, महाराष्ट्र के महाबलेश्वर के पहाङी भागो में पाये जाते है
वृक्ष- चीङ, देवदार, फर, सनोवर, बर्च
(6) ज्वारीय वन- येे वन नदी के गंगाा-ब्रह्मपुत्र व हुगली नदी के डेल्टा तथा कृष्णा, कावेरी, महानदी व गोदावरी नदी के मुहाने पर कीचङ व दलदल में पाये जाते है ज्वार भाटा के कारणइन वृक्षों की जड़ें खारे पानी में डूबी रहती है गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में सुंदरी वृक्ष तथा हुगली नदी के डेल्टा में मैंग्रोव वृक्ष पाए जाते हैं वृक्ष- सुन्दरी, मैंग्रोव, रोजीफोरा, बेंत, ताज - वन संसाधनों का महत्व लिखिए
A. प्रत्यक्ष लाभ
1.वन संसाधन से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है
2.वनों से इमारती उपयोग, फर्नीचर, रेल के डिब्बे व ईंधन के लिए लकड़ी प्राप्त होती है
3.वनों से पशुओं के लिए चारा प्राप्त होता है
4.वन आदिवासियों की जीविका के प्रमुख साधन है
5.वन वन्यजीवों को भोजन व आश्रय प्रदान करते हैं
6. भारत की राष्ट्रीय आय का 2% वन संसाधन से प्राप्त होता है
7. वनों से गौण उपज के रूप में लाख, रबर, कागज, शहद गोंद, कत्था आदि प्राप्त होते हैं
8. वनों से विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियां एवं औषधियां प्राप्त होती है
B. अप्रत्यक्ष लाभ
1.वन ध्वनि को अवशोषित कर ध्वनि प्रदूषण रोकते हैं
2.वन मरुस्थल के प्रसार व मृदा अपरदन को रोकते हैं
3.वन वाष्पोत्सर्जन द्वारा वायु को आर्द्र बनाकर वर्षा में सहायक होते हैं
4.वन जैविक संतुलन, सौंदर्य व उत्तम स्वास्थ्य के प्रतिक है
5. वन कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कर हरित गृह प्रभाव को रोकते है
6. वन वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का संतुलन बनाए रखते हैं
7. भूमि में दबे वनों से दीर्घकाल में कोयले का निर्माण होता है
8. वन मृदा में ह्यूमस की मात्रा बढ़ाकर मृदा को उपजाऊ बनाते हैं
जैविक एवं अजैविक संसाधन
Tuesday, February 09, 2021
0