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13. अपशिष्ट एवं इसका प्रबंधन

  1. ग्रीन हाउस गैसों के नाम लिखिए ।
    कार्बन डाई ऑक्साइड, मेथेन, क्लोरोफ्लोरो कार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड 
  2. वर्मी कम्पोस्ट किसे कहते हैं ?
    केंचुए की मदद से बनाई जाने वाली कंपोस्ट खाद वर्मी कंपोस्ट कहलाती है
  3. बायो गैस कैसे बनाई जाती है ?
    बायोगैस जैविक पदार्थों जैसे गोबर का ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटन करवाकर बनाई जाती है
  4. अपशिष्ट क्या है इनके प्रकार लिखिए ।
    किसी भी प्रक्रम के अंत में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ अपशिष्ट कहलाते हैं अपशिष्ट दो प्रकार के होते हैं
    1.जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट. 2.अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट
  5. भूमिभराव से क्या अभिप्राय है ?
    भूमिभराव अपशिष्ट निस्तारण की एक विधि है इस विधि में ठोस अपशिष्ट पदार्थों  को गैर उपयोग की खानो, खनन रिक्तियों व गढ़ो में भरा जाता है तथा अपशिष्टों के ढेर को मिट्टी से ढक दिया जाता है 
  6. अपशिष्ट प्रबंधन से क्या अभिप्राय है ?
    अपशिष्ट प्रबंधन परिवहन, संसाधन पुनर्चक्रण व अपशिष्ट के काम में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह है अर्थात अपशिष्ट प्रबंधन में अपशिष्ट निर्माण से लेकर उसके संग्रहण, परिवहन, प्रसंस्करण व निस्तारण तक की सम्पूर्ण प्रकिया शामिल है 
  7. अपशिष्ट रहित विकास किस प्रकार संभव है ?
    अपशिष्ट रहित विकास सरकारी तंत्र, स्वयंसेवी संस्थाओं और नागरिकों के  सहयोग से उचित अपशिष्ट प्रबंधन द्वारा किया जा सकता है 
  8. शिवरमन कमेटी द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन हेतु सुझाए गये उपाय लिखिए।
    1.बड़े-बड़े कूड़ेदानों की स्थापना
    2.मानव मल-मूत्र निष्कासन की उचित व्यवस्था
    3.नगरों में कूड़ा करकट उठाने की समुचित व्यवस्था
    4.कूड़े के ढेरों को जलाकर भस्म करना
  9. पुनर्चक्रण से क्या अभिप्राय है ?
    अपशिष्ट पदार्थों में से उपयोगी वस्तुओं या संसाधनों को निकालना पुनर्चक्रण कहलाता है धात्विक अपशिष्ट, प्लास्टिक व कागज का आसनी से पुनर्चक्रण किया जा सकता है प्राकृतिक जैविक अपशिष्ट, वानस्पतिक अपशिष्ट, कागज, बचा हुआ भोजन आदि का उपयोग कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट व जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है 
  10. भस्मीकरण क्या है ? (2019) इसका उपयोग किन अपशिष्टों के निष्पादन हेतु किया जाता है ।
    भस्मीकरण अपशिष्ट प्रबंधन की विधि है  इस विधि में ठोस, तरल व गैसीय अपशिष्ट पदार्थों का दहन  किया जाता है जिससे ये अपशिष्ट ताप, गैस, भाप और राख में बदल जाते है  यह जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट पदार्थों के निस्तारण की व्यावहारिक विधि है जो जापान में सर्वाधिक प्रचलित है इस विधि में भूमि की कम जरूरत होती है। इस विधि में गैसीय प्रदूषकों के उत्सर्जन की समस्या रहती है 
  11. जैव निम्नीकरणीय व अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट में अन्तर लिखिए।
    वे अपशिष्ट पदार्थ जिनका जैविक कारकों द्वारा अपघटन हो जाता है जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं जैसे घरेलू कचरा, जैविक कचरा, कृषि अपशिष्ट व जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट आदि।
    वे अपशिष्ट पदार्थ जिनका जैविक कारको द्वारा अपघटन नहीं होता है अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं जैसे प्लास्टिक की बोतलें, पॉलीथिन, कांच, सीरींज, धातु के टुकड़े आदि।
  12. प्लास्टिक व पालीथीन अपशिष्टों के हानिकारक प्रभाव बताइए
    1.प्लास्टिक के ज्यादा सम्पर्क में रहने से खून में थेलेटस की मात्रा बढ़ जाती है जिससे गर्भवती महिलाओ के शिशु का विकास रुक जाता है
    2.प्लास्टिक में प्रयुक्त रसायन बिस्फेनाल शरीर में मधुमेह और लिवर एन्जाइम को असन्तुलित कर देता है
    3.पाॅलिथीन की थैलियों को नालो में फैंकने से जल बहाव अवरूद्ध हो जाता है और उसमे रोगकारक सूक्ष्म जीव पनपने लगते है
    4.कचरे में फैंकी गई पाॅलिथीन की थैलियों को जानवर खा लेते हैजो उनकी आंतों में फंस जाती है  जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है
    5.पाॅलिथीन कचरे को जलाने से हानिकारक गैसें निकलती है जिससे पर्यावरण प्रदूषण फैलता है और श्वसन, त्वचा व आंखों से सम्बंधित फैलने की आशंका बढ जाती है 
  13. अपशिष्टों के स्रोतो का वर्णन कीजिए।
    1.घरेलू स्रोत - घरों से कचरा जैसे कागज, सब्जियों व फलो के छिलके, प्लास्टिक,कपड़े आदि तथा समारोह के दौरान अत्यधिक कचरा उत्पन्न होता है जिसे घरों के बाहर या सङको पर डाल दिया जाता है
    2.नगरपालिका- नगरपालिका से उत्पन्न अपशिष्टों में घरेलू अपशिष्ट के अलावा विभिन्न संस्थाओं से उत्पन्न कचरा, बाजारो व सङको से उत्पन्न कचरा, मलबा आदि सम्मिलित हैं नगरपालिका अपशिष्ट की मात्रा नगर की जनसंख्या व विस्तार पर निर्भर करती है
    3.उद्योग एवं खनन कार्य-उद्योगो से बङी मात्रा में कचरा उत्पन्न होता है जैसे धातु के टुकड़े, रासायनिक पदार्थ, विषैले पदार्थ, तैलीय पदार्थ, राख आदि। इसी प्रकार खनन क्षेत्रो निकले मलबे के विशाल ढेर भी प्राकृतिक सुन्दरता को नष्ट करते है
    4.कृषि -कृषि से जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट उत्पन्न होते है  कृषि कार्य करने के बाद बचा भूसा, घास फूस, पत्तियां, डंठल आदि बरसात के पानी से सङकर बदबू उत्पन्न करते है (2020)
    5.चिकित्सा क्षेत्र- अस्पतालों से अनेक प्रकार के अपशिष्ट उत्पन्न होते है जैसे काँच व प्लास्टिक की बोतलें, ट्यूब, सिरिंज आदि अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट तथा रक्त, मांस के टुकड़े, संक्रमित उतक व अंग आदि जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट उत्पन्न होते है 
  14. अपशिष्ट प्रबंधन में 3R की क्या भूमिका है ?
    अपशिष्ट प्रबंधन में 3R की महत्वपूर्ण भूमिका है 3R अर्थात Reduse (कम उपयोग), Reuse (पुनः उपयोग) व Recycle (पुनर्चक्रण)  का उपयोग कर अपशिष्ट पदार्थों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया जा सकता है 
    1. Reduse - Reduce का अर्थ है वस्तुओं का कम से कम उपयोग करना। जिससे अपशिष्ट कम उत्पन्न हो 
    2.Reuse - Reuse का अर्थ है वस्तुओं का दुबारा उपयोग करना। जैसे कागज कागज के लिफाफों को फेंकने के बजाय दुबारा उपयोग किया जा सकता है 
    3.Recycle- Recycle का अर्थ है पुनर्चक्रण। पुनर्चक्रण से अपशिष्ट पदार्थों में से उपयोग वस्तुओं या संसाधनों को निकालकर पुनः नये उत्पाद बनाये जा सकते है 
  15. अपशिष्ट प्रबंधन के उपाय बताइए।
    1.गहरे महासागरों में अपशिष्ट पदार्थों को डालकर उनका निस्तारण किया जा सकता है 
    2.हड्डियों, वसा, पंख, रक्त आदि पशु अवशेषों को पकाकर चर्बी प्राप्त की जा सकती है जिससे साबुन बनाई जा सकती है 
    3.कूङे-करकट को अत्यधिक दाब से ठोस ईंटों में बदला जा सकता है 
    4.नगरीय मल-मूत्राषय का शुद्धीकरण कर जल का सिंचाई में उपयोग किया जा सकता है 
    5.सर्वाधिक आवश्यक है जन चेतना। लोग अपशिष्ट पदार्थों के हानिकारक प्रभावों के बारे जागृत होने पर स्वत ही कचरे को इधर-उधर नहीं फेंकंगे 
  16. अपशिष्ट प्रबंधन के तरीके/विधियां बताइए (2020 कृषि अपशिष्ट)
    1.भूमिभराव - इस विधि में ठोस अपशिष्ट को गैर उपयोग की खानो, खनन रिक्तियों व गढ़ो में भरा जाता है तथा अपशिष्टों के ढेर को मिट्टी से ढक दिया जाता है यह अपशिष्ट निपटान का साफ व सस्ता तरीका है
    2.भस्मीकरण- इस विधि में ठोस, तरल व गैसीय अपशिष्ट पदार्थों का दहन  किया जाता है जिससे अपशिष्ट ताप, गैस, भाप और राख में बदल जाता है  यह जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट पदार्थों के निस्तारण की व्यवहारिक विधि है जो जापान में सर्वाधिक प्रचलित है इस विधि में भूमि की कम जरूरत होती है। इस विधि में गैसीय प्रदूषकों के उत्सर्जन की समस्या रहती है
    3.पुनर्चक्रण- अपशिष्ट पदार्थों में से उपयोगी वस्तुओं या संसाधनों को निकालना पुनर्चक्रण कहलाता है धात्विक अपशिष्ट, प्लास्टिक व कागज का आसनी से पुनर्चक्रण किया जा सकता है प्राकृतिक जैविक अपशिष्ट जैसे वानस्पतिक अपशिष्ट, कागज, बचा हुआ भोजन आदि का उपयोग कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट व जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है
    4.रासायनिक क्रिया -कई अपशिष्ट पदार्थों को रासायनिक क्रिया द्वारा नष्ट किया जा सकता है या पुनः उपयोगी बनाया जा सकता है 
  17. अपशिष्टों के हानिकारक प्रभाव बताइए ।
    1.अनियमित तरीके से फैंका गया कचरा प्राकृतिक सौन्दर्य को नष्ट करता है
    2.जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट हानिकारक सूक्ष्म जीवों व कीटों को आकर्षित करता है जिसमें अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती है
    3.अपशिष्ट पदार्थों के सङने-गलने से दुर्गंध फैलती है एवं ग्रीन हाउस गैसे उत्सर्जित होती है
    4.जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट से हेपेटाइटिस-बी, टिटेनस एवं संक्रमित सुई चुभने से एड्स जैसी बीमारियां हो सकती है
    5.प्लास्टिक के ज्यादा सम्पर्क में रहने से खून में थेलेटस की मात्रा बढ़ जाती है जिससे गर्भवती महिलाओ के शिशु का विकास रुक जाता है
    6.प्लास्टिक में प्रयुक्त रसायन बिस्फेनाल शरीर में मधुमेह और लिवर एन्जाइम को असन्तुलित कर देता है
    7.पाॅलिथीन की थैलियों को नालो में फैंकने से जल बहाव अवरूद्ध हो जाता है और उसमे रोगकारक सूक्ष्म जीव पनपने लगते है
    8.कचरे में फैंकी गई पाॅलिथीन की थैलियों को जानवर खा लेते हैजो उनकी आंतों में फंस जाती है  जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है
    9.पाॅलिथीन कचरे को जलाने से हानिकारक गैसें निकलती है जिससे पर्यावरण प्रदूषण फैलता है
    10.नगरीय अपशिष्ट के एकत्रित होने से गन्दी बस्तियों का विकास हो रहा है जो नगरीय विकास पर एक कलंक है 
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