- प्रकाश का वेग सर्वाधिक किसमें होता है
निर्वात में - समतल दर्पण की फोकस दूरी कितनी होती है
अनंत - वक्रता त्रिज्या और फोकस दूरी में संबंध लिखिए
वक्रता त्रिज्या R फोकस दूरी F की दोगुनी होती है
R=2f - समतल दर्पण का आवर्धन कितना होता है
+1 - जब कोई वस्तु प्रकाश के सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है तो कैसी दिखाई देती है
काली - जब कोई वस्तु प्रकाश के सभी रंगो को परावर्तित कर देती है तो कैसी दिखाई देती है
सफेद - कोर्निया की गोलाई में अनियमितता के कारण कौन सा दोष उत्पन्न होता है
दृष्टि वैषम्य दोष - स्पेक्ट्रम किसे कहते हैं
प्रकाश के अवयवी वर्णों का पर्दे पर प्राप्त सप्त वर्ण (सात रंग) प्रतिरूप स्पेक्ट्रम कहलाता है - समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है
अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है समंजन क्षमता कहलाती है - प्रकाश का अपवर्तन क्यों होता है
जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो प्रकाश के वेग में परिवर्तन होता है वेग में परिवर्तन के कारण अपवर्तन होता है - पार्श्व परावर्तन किसे कहते हैं
समतल दर्पण से बने प्रतिबिंब में वस्तु का बायां भाग दांयी ओर तथा दायां भाग बांयी ओर दिखाई देता है इसे पार्श्व परावर्तन कहते हैं - दृष्टिवैषम्य दोष या अबिंदुकता दोष क्या होता है (2020)
कोर्निया की गोलाई में अनियमितता के कारण व्यक्ति को समान दूरी पर रखी ऊर्ध्वाधर व क्षेतिज रेखाएं एक साथ स्पष्ट दिखाई नहीं देती है इसे दृष्टिवैषम्य दोस्त कहते हैं - समतल दर्पण से किस प्रकार का प्रतिबिंब बनता है
1.आभासी व सीधा बनताा है
2.प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु सामने स्थित होती है - उत्तल दर्पण के उपयोग लिखिए
1.उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों में पश्च दृश्य दर्पण एवं पार्श्व दर्पण के रूप में किया जाता है
2.ATM मशीन के पास सुरक्षा की दृष्टि से उत्तल दर्पण लगाए जाते हैं - पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या है (2020)
जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो आपतन कोण का मान क्रान्तिक कोण से अधिक होने पर प्रकाश किरण पुन: उसी माध्यम में अपवर्तित हो जाती है। इस घटना को पूर्ण आन्तरिक परावर्तन कहते हैं। - प्रकाश परावर्तन के नियम लिखिए
(i)आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं
(ii)आपतन कोण ∠i व परावर्तन कोण ∠r बराबर होते हैं
∠ i = ∠ r - प्रकाश का अपवर्तन किसे कहते हैं
जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो दोनों माध्यमों के पृथक्कारी तल पर अपने मूल मार्ग से विचलित हो जाती है इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते है जैसे पानी में आंशिक रूप से डूबी हुई पेंसिल का मुड़ा हुआ दिखाई देना, गिलास में बड़ा सिक्का ऊपर उठा हुआ दिखाई देना, नदी का पेंदा ऊपर उठा हुआ दिखाई देना - क्रांतिक कोण किसे कहते हैं
जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो आपतन कोण का वह मान जिस पर अपवर्तित किरण दोनों माध्यमों की सतह के समांतर हो जाती है क्रान्तिक कोण कहलाता है - लेंस क्षमता से क्या अभिप्राय है इसका मात्रक लिखिए
लेंस की फोकस(f) दूरी का व्युत्क्रम लेंस क्षमता कहलाता है
इसका मात्रक डायोप्टर होता है
उतल लेंस की लेंस क्षमता धनात्मक व अवतल लेंस की लेंस क्षमता ॠणात्मक होती है - दर्पण सूत्र लिखिए
f= दर्पण की फोकस दूरी
u= वस्तु की दर्पण से दूरी
v= प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी - लेंस सूत्र लिखिए
f= लेंस की फोकस दूरी
u= वस्तु की लेंस से दूरी
v= प्रतिबिम्ब की लेंस से दूरी - वर्ण विक्षेपण से क्या अभिप्राय है
जब किसी कांच के प्रिज्म में से गुजरता है तो यह अपने अवयवी रंगो (सात रंगों) में विभाजित हो जाता है। इसे प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं। इन रंगों के विक्षेपण का क्रम निम्न होता है
बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल(VIBGYOR) - जरादूर दृष्टिता से क्या अभिप्राय है
आयु बढ़ने के साथ नेत्र लैंस एवं मांसपेशियों का लचीलापन कम होने से नेत्र की समंजन क्षमता कम हो जाती है जिसके कारण दूर दृष्टि दोष उत्पन्न हो जाता है अर्थार्त पास की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती है इसे जरा दूरदर्शिता कहते हैं
इसके निवारण केे लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है - मोतियाबिंद क्या होता है
आयु बढऩे के साथ नेत्र लेंस की पारदर्शिता खत्म होने लगती है एवं लेंस का लचिलापन कम होने लगाता है। इस कारण यह प्रकाश का परावर्तन करने लगता है। और वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखाई देती है। इस दोष को मोतियाबिंद कहते हैं।
इस दोष के निवारण के लिए नेत्र लेंस को हटाकर कृत्रिम लेंस लगाया जाता है। जिसे इन्ट्रा आक्यूलर लेंस कहते हैं। - अपवर्तनांक से क्या अभिप्राय है । यह पर निर्भर करता है?
प्रकाश का निर्वात या हवा में वेग तथा किसी माध्यम में प्रकाश के वेग का अनुपात अपवर्तनांक कहलाता है
अपवर्तनांक माध्यम की प्रकृति, घनत्व व प्रकाश के रंग पर निर्भर करता है। बैंगनी रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे अधिक तथा लाल रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे होता है - अपवर्तन के नियम लिखिए
1.अपवर्तन के दौरान आपतित किरण, अपवर्तित किरण और अभिलंब तीनों एक ही तल में होते है
2.स्नेल का नियम -अपवर्तन में आपतन कोण की ज्या (sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sin r)का अनुपात सदैव स्थिर रहता है इसे स्नेल का नियम कहते हैं - निकट बिन्दु व दूर बिन्दु से क्या अभिप्राय है
निकट बिंदु -वस्तु की नेत्र से वह न्यूनतम दूरी जहां से वस्तु को स्पष्ट देखा जा सकता है नेत्र का निकट बिंदु कहलाता है सामान्य नेत्र के लिए निकट बिंदु 25 सेमी पर स्थित होता है
दूर बिंदु - वस्तु की नेत्र वह अधिकतम दूरी जहां तक वस्तु को स्पष्ट देखा जा सकता है नेत्र का दूर बिंदु कहलाता है सामान्य आंख के लिए दूर बिंदु अनंत पर स्थित होता है
दृष्टि परास- निकट बिंदु व दूर बिंदु के बीच की दूरी (अनन्त से 25 सेमी के बीच की दूरी) दृष्टि परास कहलाती है - आवर्धनता से क्या अभिप्राय है (2020)
किसी लेंस द्वारा वस्तु को आवर्धित करने की क्षमता को आवर्धनता कहते हैं प्रतिबिंब की ऊंचाई एवं बिंब की ऊंचाई के अनुपात को आवर्धनता को दर्शाता है
उत्तल दर्पण के लिए आवर्धन का मान हमेशा धनात्मक होता है - गोलीय दर्पण किसे कहते हैं ये कितने प्रकार के होते है
ऐसे दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ गोलीय होता है, गोलीय दर्पण कहलाता है गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते है
1.अवतल दर्पण- इसका परावर्तक पृष्ठ अन्दर की ओर धँसा हुआ होता है अवतल दर्पण प्रकाश की किरणों को अभिसरित (एकत्रित) करता है
2.उत्तल दर्पण-इसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की तरफ उभरा हुआ होता है उत्तल दर्पण प्रकाश की किरणो को अपसरित (फैलाता) करता है - गोलीय लेंस किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं
दो पृष्ठों से घिरा पारदर्शी माध्यम जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय होते है लेंस कहलाता है लेंस दो प्रकार के होते हैं
1.उत्तल लेंस- उत्तल लेंस किनारों पर पतला व बीच में से मोटा होता है उत्तल लेंस प्रकाश की किरणों को अपवर्तन के पश्चात एक स्थान पर अभिसरित (केन्द्रित ) करता है इसलिए इसे अभिसारी लेंस भी कहते हैं
2.अवतल लेंस -अवतल लेंस किनारों से मोटा व बीच में से पतला होते है अवतल लेंस प्रकाश की किरणों को अपवर्तन के पश्चात अपसरित ( फैला) देता है इसलिए इसे अपसारी लेंस भी कहते है - अवतल दर्पण के उपयोग लिखिए
1.अवतल दर्पण का उपयोग वाहनों के अग्रदीपों में प्रकाश का शक्तिशाली समांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
परावर्तक टेलीस्कोप मेंं अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है
2.उपग्रहों से प्राप्त संकेतों को एकत्रित कर रिसीवर तक पहुंचाने के लिए सेटेलाइट डिस एन्टीना में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है
3.दन्त विशेषज्ञों द्वारा दान्तो को बङा देखने के लिए अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है
4.अवतल दर्पण का उपयोग चेहरे का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए सेविंग दर्पण के रूप मे किया जाता है - वास्तविक व आभासी प्रतिबिम्ब में अन्तर लिखिए
वास्तविक प्रतिबिम्ब
1.प्रकाश की किरणें परावर्तन के पश्चात जब किसी बिंदु पर वास्तव मिलती है तो बनने वाला प्रतिबिंब वास्तविक प्रतिबिंब कहलाता है
2.वास्तविक प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है
3.वास्तविक प्रतिबिंब सदैव उल्टे बनते हैं
आभासी प्रतिबिम्ब
1.प्रकाश की किरणें परावर्तन के पश्चात जब वास्तव में नहीं मिलती है बल्कि उन्हें पीछे की और बढ़ाने पर मिलती हुई प्रतीत होती है तो बनने वाला प्रतिबिंब आभासी प्रतिबिंब कहलाता है
2.आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नही किया जा सकता है
3.आभासी प्रतिबिंब सदैव सीधे बनते हैं - प्रकाश के परावर्तन से क्या अभिप्राय है
जब कोई प्रकाश की किरण एक माध्यम से चलकर दूसरे माध्यम की सतह से टकराकर वापस उसी माध्यम में लौट आती है तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं। परावर्तन दो प्रकार का होता है
1.नियमित परावर्तन- चिकने पृष्ठ द्वारा प्रकाश को किसी विशिष्ट दिशा में परिवर्तित करने की घटना नियमित परावर्तन कहलाती है
2.विसरित परावर्तन- खुदरे पृष्ठ द्वारा प्रकाश को सभी दिशाओं में परावर्तित करने (बिखेरने) की घटना विसरित परावर्तन कहलाती है - निकट दृष्टि दोष व दूर दृष्टि दोष से क्या अभिप्राय है
1.निकट दृष्टि दोष ( मायोपिया) – इस दोष में व्यक्ति को निकट की वस्तुएं तो साफ दिखाई देती है परन्तु दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती है इस दोष में नेत्र की वक्रता बढ जाती है जिससे दूर बिन्दु अनन्त पर न होकर पास आ जाता है इसलिए वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना से पहले बन जाता है।
इस दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता केअवतल लेंस का उपयोग किया जाता है
2.दूर/ दीर्घ दृष्टि दोष – इस दोष में व्यक्ति को दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती है परन्तु पास की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती है इस दोष में नेत्र का निकट बिन्दु दूर चला जाता है इसलिए वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के बाद बनता है।
इस दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है - अवतल लैंस से प्रतिबिंब निर्माण समझाइए
1.जब वस्तु अनंत पर हो
प्रतिबिंब फोकस F1 पर बनता है
प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब अत्याधिक छोटा बनता है
2.जब वस्तु अनंत व प्रकाश केंद्र के बीच कहीं भी हो
प्रतिबिंब फोकस F1 व प्रकाश केंद्र के बीच बनता है
प्रतिबिंब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब छोटा बनता है - उत्तल दर्पण से प्रतिबिंब निर्माण समझाइए
1.जब वस्तु अनंत पर हो
प्रतिबिंब दर्पण के पीछे फोकस पर बनता है
प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब अत्याधिक छोटा बनता है
2.जब वस्तु अनंत व ध्रुव के बीच कहीं भी हो
प्रतिबिंब दर्पण के पीछे ध्रुव व फोकस के बीच बनता है
प्रतिबिंब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब छोटा बनता है - गोलीय दर्पण से सम्बन्धित निम्न पदों को समझाइए।
1.ध्रुव – गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ का मध्य बिन्दु ध्रुव कहलाता है।
2.वक्रता केन्द्र –गोलीय दर्पण को जिस गोले का कटा हुआ भाग माना जाता है उस गोले का केंद्र वक्रता केंद्र कहलाता है
3.वक्रता त्रिज्या – गोलीय दर्पण को जिस गोले का कटा हुआ भाग माना जाता है उस गोले की त्रिज्या वक्रता त्रिज्या कहलाती है
4.मुख्य अक्ष – गोलीय दर्पण के ध्रुव व वक्रता केन्द्र को मिलाने वाली रेखा मुख्य अक्ष कहलाती है।
5.मुख्य फोकस –अवतल दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरणे परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष पर जिस बिन्दु पर मिलती है उसे अवतल दर्पण का फोकस कहते हैं।
उत्तल दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरणे परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के एक बिन्दु आती हूई प्रतीत होती है उसे उत्तल दर्पण का फोकस कहते हैं।
6.फोकस दूरी (f)- गोलीय दर्पण के ध्रुव व फोकस के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहलाती हैं।
7.द्वारक- गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ की वृत्ताकार सीमा रेखा का व्यास दर्पण का द्वारक कहलाता है - गोलीय लेंस से संबंधित निम्न पदों को परिभाषित कीजिए
1.वक्रता केंद्र -लेंस को जिन गोलो का कटा हुआ भाग माना जाता है उन दोनों के केंद्र वक्रता केन्द्र कहलाते हैं 2.वक्रता त्रिज्या- लेंस को जिन गोलो का कटा हुआ भाग माना जाता है उन गोलो की त्रिज्या वक्रतात्रिज्या कहलाती है
3.मुख्य अक्ष- किसी लेंस के वक्रता केंद्रो को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा मुख्य अक्ष कहलाती है
4.प्रकाशिक केंद्र -किसी लेंस की मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिंदु जहां से गुजरने वाली प्रकाश की किरण बिना मुङे सीधी निकल जाती है
5.मुख्य फोकस - मुख्य के समांतर आने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष पर जिस बिंदु पर मिलती है अथवा मिलती हुई प्रतीत होती है उसे मुख्य फोकस कहते हैं
6.फोकस दूरी- लेंस के प्रकाशिक केंद्र व मुख्य पक्ष के बीच की दूरी फोकस दूरी कहलाती है - मानव नेत्र की संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए। (2020)
मानव नेत्र ऑटोफोक्स कैमरे की तरह कार्य करती है इसके निम्न भाग होते है
1. श्वेत पटल – यह नेत्र की सबसे बाहरी परत है जो अपारदर्शी होती है इसे दृढ पटल भी कहते है
2.रक्त पटल - श्वेत पटल के नीचे रक्त वाहिकाओं की एक परत होती है जिसे रक्त पटल या मध्य पटल कहते हैं यह पटल भी अपारदर्शक होती है यह पटल रेटीना को ऑक्सीजन व पोषण प्रदान करती है तथा आंख में आने वाली वाले प्रकाश का अवशोषण कर आंख की भीतरी दीवारों से प्रकाश के परावर्तन को रोकती है
3.दृष्टि पटल (रेटिना)- यह आंख की सबसे भीतरी परत है जो पारदर्शक होती है रेटिना में दो तरह की प्रकाश ग्राही कोशिकाएं पाई जाती है रेटिना पर वस्तु का उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है जिसे मस्तिष्क उचित संयोजन करके हमें सीधा दिखाता है। रेटीना पर उपस्थित पीत बिंदु पर वस्तु का सबसे अच्छा प्रतिबिंब बनता है
4.कॉर्निया – श्वेत पटल का आगे का भाग उभरा हुआ पारदर्शक भाग काॅर्निया कहलाता है आंख में प्रकाश कोर्निया से ही होकर प्रवेश करता है
5.परितारिका- कॉर्निया के ठीक पीछे मांसपेशियों का एक अपारदर्शी काला पर्दा होता है। जिसे परितारिका कहते है इसके बीच में एक छिद्र होता है।
6.पुतली - परितारिका के बीच वाले छिद्र को पुतली कहते हैं परितारिका के संकुचन व फैलने से पुतली का आकार बदलता है तीव्र प्रकाश में इसका आकार कम हो जाता है एवं कम प्रकाश में इसका आकार बढ जाता है है इस प्रकार यह नियंत्रित प्रकाश को ही आँख में प्रवेश करने देती है
7.नेत्र लेंस – परितारिका के ठीक पीछे एक लचीला पारदर्शक पदार्थ का उतल लेंस होता है जो मांसपेशियों की सहायता से अपने स्थान पर रहता है। यह लैंस वस्तु का वास्तविक, उल्टा व छोटा प्रतिबिम्ब बनाता है
8. जलीय द्रव – नेत्र लेंस व कॉर्निया के मध्य पारदर्शक द्रव भरा रहता है। यह द्रव नेत्र की आकृति को गोल बनाये रखता है एवं कार्निया व अन्य भागों को पोषण प्रदान करता है
9..काचाभ द्रव – नेत्र लेंस व रेटिना के मध्य पारदर्शक द्रव भरा रहता है। जिसे काचाभ द्रव कहते हैं। - अवतल दर्पण से प्रतिबिम्ब निर्माण समझाइए
1.जब वस्तु अनंत पर हो-
प्रतिबिंब मुख्य फोकस पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब अत्यधिक छोटा बिंदु जैसा बनता हैै
2.जब वस्तु वक्रता केंद्र व अनंत के मध्य हो
प्रतिबिंब फोकस हुए वक्रता केंद्र के बीच बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिंब छोटा बनता है
3.जब वस्तु वक्रता केंद्र पर हो
प्रतिबिंब वक्रता केंद्र पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब स्तु के बराबर बनता है
4.जब वस्तु वक्रता केंद्र व फोकस के मध्य हो
प्रतिबिंब वक्रता केंद्र से परे बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है
5.जब वस्तु मुख्य फोकस पर हो तो-
प्रतिबिंब अनंत पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक एवं उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब बहुत बड़ा बनता है
6.जब वस्तु फोकस व ध्रुव के मध्य हो
प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है
प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है - उत्तल लैस से प्रतिबिम्ब निर्माण समझाइए
1.जब वस्तु अनंत पर हो-
प्रतिबिंब मुख्य फोकस F2 पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब अत्यधिक छोटा बिंदु जैसा बनता हैै
2.जब वस्तु अनंत व 2F1 के मध्य हो-
प्रतिबिंब F2 व 2F2 के बीच बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिंब छोटा बनता है
3.जब वस्तु 2F1 पर हो-
प्रतिबिंब 2F2 पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब वस्तु के बराबर बनता है
b
4.जब वस्तु 2F1 व F1के मध्य हो-
प्रतिबिंब 2F2 व अनन्त से परे बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है
5.जब वस्तु F1 पर हो-
प्रतिबिंब अनंत पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक एवं उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब बहुत बड़ा बनता है
6.जब वस्तु F1 व प्रकाश केंद्र के मध्य हो
प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है
प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है
9.प्रकाश
Monday, June 25, 2018
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