- समान कार्य करने वाली कोशिकाओं का समूह क्या कहलाता है
उत्तक - एक विशिष्ट कार्य करने वाले विभिन्न ऊतकों का समूह क्या कहलाता है
अंग - एक विशिष्ट प्रकार की क्रिया का संपादन करने वाले विभिन्न अंगों का समूह क्या कहलाता है
तंत्र - शरीर की मूलभूत संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई क्या है
कोशिका - यकृत की मूलभूत संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई क्या है
यकृत पालिकाएं - शरीर में पाए जाने वाली सबसे बड़ी ग्रंथि का नाम लिखो|
यकृत( लीवर) - मनुष्य के दांत किस प्रकार के होते हैं ( विशेषता)
गर्तदंती व द्विबारदन्ती व विषमदन्ती - मांसाहारी जीवो में कौन से दांत ज्यादा विकसित होते हैं
रदनक - बड़ी आंत का मुख्य कार्य क्या है
जल एवं लवण का अवशोषण - एपिग्लॉटिस का कार्य लिखिए
भोजन को श्वास नली में प्रवेश करने से रोकता है - भोजन का सर्वाधिक पाचन और अवशोषण किस अंग द्वारा होता है
छोटी आंत - लार में पाए जाने वाले एंजाइम का नाम हुए कार्य लिखिए
टायलिन (एमाइलेज) स्टार्च को माल्टोज में बदलता है - पाचन तंत्र में सम्मिलित ग्रंथियों के नाम लिखो
अग्नाशय, यकृत लार ग्रंथियां - मनुष्य में पाई जाने वाली लार ग्रंथियों के नाम लिखो
1.कर्णपूर्व ग्रंथि 2.अधोजंभ ग्रंथि 3.अधोजीह्वा ग्रंथि - संवरणी पेशियों का कार्य लिखिए।
भोजन, पचित भोजन रस व अवशिष्ट की गति को नियंत्रित करना - मानव मूत्र द्वारा किस पदार्थ का उत्सर्जन करता है
यूरिया - उत्सर्जन तंत्र की क्रियात्मक इकाई क्या है
नेफ्रॉन /वृक्काणु - त्वचा द्वारा उत्सर्जित होने वाले पदार्थों के नाम लिखिए
नमक, लैक्टिक अम्ल व यूरिया पसीने के साथ - मनुष्य में यूरिया का निर्माण कहां होता है
यकृत में - गैसों का विनिमय किसके द्वारा होता है
कुपिकाओं द्वारा - मानव नर लिंग हार्मोन का नाम लिखो (2020)
वृषण से स्रावित टेस्टोस्टेरोन हार्मोन - स्त्रियों के प्रमुख लिंग हार्मोन का नाम लिखिए|
अण्डाशय द्वारा स्रावित एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन हार्मोन - प्रसव किसे कहते हैं
मानव में शिशु जन्म की प्रक्रिया प्रसव कहलाती है - मानव के प्राथमिक जनन अंगों के नाम लिखिए
पुरुषों में वृषण तथा स्त्रियों में अंडाशय - पीनियल ग्रंथि कौन सा हार्मोन स्रावित करती है
मेलेटोनिन - शरीर के दैनिक लय नियमन के लिए कौन सा हार्मोन उत्तरदायी हैपीनियल ग्रंथि द्वारा स्रावित मेलेटोनिन हार्मोन
- थायराइड ग्रंथि कौनसा हार्मोन स्रावित करती है
थायरोक्सिन - पैराथायराइड ग्रंथि कौन सा हार्मोन स्रावित करती है
पैराथार्मोन - पैराथोर्मोन की कमी से कौनसा रोग होता है
टिटेनी - रुधिर में कैल्शियम व फास्फेट के स्तर को नियंत्रित कौन सा हार्मोन करता है
पैराथार्मोन - एड्रीनलीन हार्मोन का स्राव किस ग्रंथि के द्वारा किया जाता है?
अधिवृक्क ग्रंथि (एड्रिनल ग्रंथि) - किस हार्मोन को आपातकालीन हार्मोन कहते हैं
एड्रीनलीन - थाइमस ग्रंथि कौन सा हार्मोन स्रावित करती है
थाइमोसीन ( पेप्टाइड) - इंसुलिन की कमी से कौन सा रोग हो जाता है
मधुमेह - तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्या है
तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन - चालक तंत्रिकाओं द्वारा सक्रिय होने वाली शरीर की दो संरचनाएं कौन सी है
मांसपेशियां तथा ग्रंथियां - मानव में किस प्रकार का रक्त परिसंचरण तंत्र पाया जाता है
बंद परिसंचरण तंत्र - मानव रक्त रक्त का pH कितना होता है
7.4 - रक्त का निर्माण कहां होता है
लाल अस्थि मज्जा - भ्रूणावस्था व नवजात शिशु में रक्त का निर्माण कहां होता है
प्लीहा - सामान्य व्यक्ति में कितना रक्त पाया जाता है
5 लीटर - रक्त का थक्का जमने में कौन सी कोशिकाएं सहायक है
प्लेटलेट्स( थ्रोम्बोसाइट) - मानव शरीर की भक्षक कोशिकाओं के नाम लिखिएमोनोसाइट, न्यूट्रोफिल तथा महाभक्षक कोशिका
- द्विसंचरण परिसंचरण किसे कहते हैं
ऐसा रक्त परिसंचरण तंत्र जिसमें रक्त हृदय में से दो बार गुजरता है उसे द्विसंचरण या दोहरा परिसंचरण तंत्र कहते हैं - आमाशय में HCl के कार्य लिखिए
1.निष्क्रिय एन्जाइम पेप्सीनोजन को सक्रिय पेप्सिन में बदलता है
2.भोजन में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है - पाचन तंत्र किसे कहते हैं
भोजन के अंतर्ग्रहण से लेकर मल त्याग तक का तंत्र जिसमें कई अंग व ग्रंथियां सम्मिलित है पाचन तंत्र कहलाता है - युग्मक जनन किसे कहते हैंवृषण तथा अंडाशय में अगुणित युग्मको के निर्माण की क्रिया युग्मक जनन कहलाती है
- निषेचन किसे कहते हैंनर तथा मादा युग्मक के संयोजन द्वारा युग्मनज निर्माण की प्रक्रिया निषेचन कहलाती है
- योनि में उपस्थित लैक्टोबैसिलस जीवाणु की क्या भूमिका है
लैक्टोबैसिलस जीवाणु लैक्टिक अम्ल का निर्माण करते हैं जो योनि को अम्लीय बनाता है - श्वसन किसे कहते है (2020)
कार्बन डाइऑक्साइड व ऑक्सीजन का पर्यावरण, रक्त व कोशिकाओं के मध्य आदान-प्रदान श्वसन कहलाता है - श्वास नली में उपास्थि छल्लो का क्या कार्य है
यह छल्ले श्वास नली को आपस में चिपकने नहीं देते हैं तथा इसे सदैव खुला रखते हैं - पीयूष ग्रंथि को मास्टर ग्रंथि क्यों कहते हैं
क्योंकि यह ग्रंथि शरीर की अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों पर नियंत्रण रखती है - अंतःस्रावी ग्रंथियां (नलिकाविहीन ग्रंथि)किसे कहते हैं
वे ग्रंथियां जो अपना स्राव सीधा रक्त में स्रावित करती है अंतःस्रावी ग्रंथियां कहलाती है इन्हें भी कहते हैं - अग्नाशय द्वारा स्रावित हार्मोन के नाम लिखिए
अंतःस्रावी हार्मोन- इंसुलिन व ग्लुकागोन
बहि स्रावी हार्मोन- अग्नाशय रस - मिश्रित ग्रंथिंया किसे कहते हैं
ऐसी ग्रंथियां जो अंतः स्रावी होने के साथ साथ बहिः स्रावी भी होती है जैसे अग्नाशय, वृषण व अंडाशय - सिनेप्स से क्या अभिप्राय है
एक न्यूरॉन के द्रुमाक्ष्य को दूसरे न्यूरॉन के तंत्रिकाक्ष से मिलाने वाले स्थान को सीनेप्स कहते हैं - एपिग्लाटिस (घांटी ढक्कन) क्या है
घाटी ढक्कन एक पल्लेनुमा लोचदार उपास्थि संरचना है जो श्वास नली एवं आहार नली के मध्य एक स्विच का कार्य करती है तथा भोजन को श्वास नली में जाने से रोकती है - अग्नाशय रस में पाए जाने वाले हार्मोन के नाम व कार्य लिखो
1.एमाइलेज- स्टार्च को माल्टोज बदलता है
2.ट्रिप्सिन व काइमोट्रिप्सिन- प्रोटीन को पेप्टाइड में बदलता है
3.लाइपेज- वसा को ग्लिसरॉल व वसा अम्ल में बदलता है - इंसुलिन व ग्लुकागोन हार्मोन के कार्य लिखो
इंसुलिन ग्लुकोज को ग्लाइकोजन में बदलता है जबकि ग्लुकागोन ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदलता है इस प्रकार ये दोनों हार्मोन रक्त में ग्लुकोज की मात्रा को नियंत्रित करते है - मनुष्य में श्वसन के दौरान गैसों का विनिमय कितने स्तरों पर होता है (श्वसन के स्तर)
1.बाह्य श्वसन- इसमें गैसों का विनिमय कुपिकाओं व रक्त के मध्य गैसों के आंशिक दाब में अंतर के कारण होता है
2.आंतरिक श्वसन- इसमें गैसों का विनिमय रक्त तथा ऊतकों के मध्य विसरण के माध्यम से होता है - लार के कार्य लिखो
भोजन को चिकना व घुलनशील बनाती है
भोजन में उपस्थित स्टार्च को माल्टोज मे परिवर्तन द्वारा मुख में पाचन शुरु करती है
भोजन को निगलने में सहायता करती है - भोजन के पाचन में यकृत की क्या भूमिका है
यकृत पित्त रस का स्रावण करती है जो वसा का पायसीकरण करता है अर्थार्त वसा की बड़ी-बड़ी बूंदों को छोटी-छोटी गोलिकाओ में बदलता है तथा भोजन को क्षारीय बनाकर लाइपेज एंजाइम को सक्रिय करता है - न्यूरोट्रांसमीटर क्या होते है
सिनेप्टिक पुटिकाओ में उपस्थित रासायनिक पदार्थ जो तंत्रिका आवेगों को संधि स्थल(सिनेप्स) पर अधिक शक्तिशाली बनाकर आगे भेजते है न्यूरोट्रांसमीटर कहलाते है जैसे डोपामिन, ग्लाइसिन - मानव वृक्क के अलावा अन्य उत्सर्जन अंग कौन कौन से हैं
1.त्वचा- त्वचा नमक, लैक्टिक अम्ल व यूरिया पसीने के साथ उत्सर्जन तथा स्टेरोल व हाइड्रोकार्बन सीबम के साथ उत्सर्जन
2.यकृत- यकृत बिलीरुबिन, विटामिन व स्टेरॉयड हार्मोन का उत्सर्जन
3.फेफड़े- फेफड़े कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन - जठर रस( आमाशय रस) में पाए जाने वाले स्राव व उनके कार्य लिखिए
1.म्यूकस (श्लेष्मा ) - ग्रीवा कोशिकाओं द्वारा स्रावित म्यूकस अमाशय की दीवारों को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से बचाता है
2.हाइड्रोक्लोरिक अम्ल- ऑक्सिन्टिक कोशिकाओं द्वारा स्रावित HCl भोजन को अम्लीय माध्यम प्रदान करता है
3.एन्जाइम- पेप्सिन- प्रोटीन को पेप्टाइड में बदलता है
रेनिन-केसीन को पेरासीन में बदलता है (बच्चों में) - धमनी व शिरा में अंतर लिखिए
धमनी- 1.धमनीयां हृदय से अंगों तक रक्त पहुंचाती है।
2.इनमें रक्त दाब अधिक होता है ।
3.इनकी दीवारें मोटी होती है तथा वाल्व नहीं पाए जाते हैं
शिरा- 1.शिराएं रक्त को अंगों से हृदय की ओर लाती है
2.इनमें रक्तदाब कम होता है
3.इनकी दिवार पतली होती है तथा इनमें वाल्व पाए जाते हैं - रक्त के प्रमुख कार्य लिखिए
1.ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन
2.शरीर का pH नियंत्रण
3.पोषक तत्वों का परिवहन
4.शरीर का ताप नियंत्रण
5.प्रतिरक्षा कार्य
6.हार्मोन का परिवहन
7.उत्सर्जी उत्पाद को शरीर से बाहर निकालना - मनुष्य में दांत कितने प्रकार के होते हैं
1.कृंतक- ये प्रत्येक जबड़े में चार- चार होते हैं जो भोजन को कुतरने व काटने का कार्य करते हैं
2.रदनक- ये प्रत्येक जबड़े में दो-दो होते हैं(2020) जो भोजन को चीरने-फाड़ने का कार्य करते हैं (2019)
3.अग्र चवर्णक- ये प्रत्येक जबड़े में चार-चार होते हैं जो भोजन को चबाने में सहायक होते हैं
4.चवर्णक- ये प्रत्येक जबड़े में छः-छः होते हैं ये भी भोजन को चबाने में सहायक होते हैं - नाइट्रोजन अपशिष्ट के प्रकार लिखिए
1.अमोनिया- नाइट्रोजन अपशिष्ट पदार्थों को अमोनिया के रूप में उत्सर्जन करने वाले जीवो को अमोनिया उत्सर्गी (Ammonotelic) कहते हैं जैसे उभयचर, मछलियां आदि
2.यूरिया- नाइट्रोजनी अपशिष्टो को यूरिया के रूप में उत्सर्जित करने वाले जीवो को यूरिया उत्सर्जी (Ureotelic)कहा जाता है जैसे स्तनधारी
3.यूरिक अम्ल-नाइट्रोजनी अपशिष्टों को यूरिक अम्ल के रूप में उत्सर्जित करने वाले जीवो को यूरिकि अम्ल उत्सर्जी(Uricotelic)कहा जाता है जैसे पक्षी सरीसृप, व कीट - यकृत के कार्य लिखिए
1.यकृत पित्त रस स्रावित करता है
2.यूरिया का संश्लेषण करता है
3.वसा का पायसीकरण करता है
4.यकृत कोशिकाएं आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज की मात्रा को ग्लाइकोजन में बदल कर संग्रह कर लेती है इस क्रिया को ग्लाइकोजनेसिस कहते हैं
5.यकृत कोशिकाएं हिपेरिन प्रोटीन स्रावित करती है जो रुधिर को वाहिनियों में जमने से रोकता है
6.शरीर में उत्पन्न विषैले पदार्थों का निराविषकरण करती है
7.यकृत बिलीरूबिन, विटामिन व स्टेरॉयड हार्मोन आदि का मल के साथ उत्सर्जन करने में मदद करती है - मानव में मूत्र निर्माण की प्रक्रिया समझाइए (2019)
1.छानना या परानिस्यंदन - अभीवाही धमनी---(रक्त)--- ग्लोमेरुलस(निस्पंदन) 1से 1.2 लीटर प्रति मिनट रक्त छनता है रक्त से ग्लुकोज, लवण, अमीनो अम्ल, यूरिया आदि छनते हैं छनित बोमन सम्पुट मे एकत्रित हो जाता है
2.चयनात्मक पुनःअवशोषण -छनित जब वृक नलिका में पहुंचता है तो यहां छनित में से ग्लुकोज, लवण, जल व अमीनो अम्ल( 99%) का पुनः अवशोषण होता है तथा रक्त ग्लोमेरुलस में से अपवाही धमनी द्वारा बाहर निकल जाता है
3.स्रवण-शेष बचा छनित अब मूत्र कहलाता है जो मूत्राशय मे एकत्रित हो जाता है - यौवनारंभ किसे कहते हैं लड़के व लड़कियों में यौवनारंभ के लक्षण लिखिए
लैंगिक जनन हेतु उत्तरदायी जनन कोशिकाओं का विकास जिस अवधि में होता है उसे यौवनारंभ कहते हैं
लड़कों में यौवनारंभ (द्वितीयक गौण लैंगिक) लक्षण
1.आवाज का भारी होना
2.दाढ़ी मूंछ का आना
3.कांख व जननांग क्षेत्र में बालों का आना
4.त्वचा का तेलीय होना
लड़कियों में यौवनारंभ (द्वितीय गौण लैंगिक) लक्षण
1.आवाज का पतला होना
2.स्तनों का विकास
3.रजोधर्म की शुरुआत
4.त्वचा का तेलीय होना
5.कांख व जननांग क्षेत्र में बालों का आना - मानव मादा जनन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए
मादा जनन तंत्र के दो भाग होते हैं
1.प्राथमिक लैंगिक अंग- मादा में प्राथमिक लैंगिक अंगों के रूप में एक जोड़ी अंडाशय पाए जाते हैं जो मादा जनन कोशिकाओं (अंडाणु) का निर्माण करते हैं तथा मादा लिंग हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का स्रावण करते हैं अंडाणु का निर्माण अंडाशय में उपस्थित अंडाशय पुट्टीकाएं करती है
2.द्वितीयक लैंगिक अंग
(i)अंड वाहिनी- इन्हें फेलोपियन ट्यूब भी कहते हैं मानव मादा में एक जोड़ी अंडवाहिनियां पाई जाती है जो अंडाणुओं को अंडाशय से गर्भाशय में पहुंचाने का कार्य करती है निषेचन की क्रिया इन्हीं अण्डवाहिनियों में होती है
(ii)गर्भाशय- दोनों अंडवाहिकाएँ संयुक्त होकर एक लचीली थैलेनुमा संरचना का निर्माण करती हैं जिसे गर्भाशय कहते है भ्रूण का विकास गर्भाशय में ही होता है(iii)योनि-गर्भाशय ग्रीवा द्वारा योनि में खुलता है। योनि मैथुन कक्ष का कार्य करती है यह अंग स्त्रियों में रजोधर्म स्राव व प्रसव मार्ग का कार्य भी करती है - मानव नर जनन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए (2020)
नर जनन तंत्र के दो भाग होते हैं
1.प्राथमिक लैंगिक अंग - नर में प्राथमिक लैंगिक अंग वृषण होते है जो उदरगुहा के बाहर वृषण कोष में उपस्थित होते हैं वृषण नर जनन कोशिका (शुक्राणु) का निर्माण करते है तथा नर लिंग हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का स्रावण करते हैं
2.द्वितीयक लैंगिक अंग
(i)वृषण कोष- नर में वृषण उदर गुहा के बहार थैलीनुमा संरचना में उपस्थित होते हैं जिन्हें वृषण कोष कहते हैं शुक्राणु का निर्माण शरीर से कम तापमान पर होता है इसलिए वृषण शरीर से बाहर स्थित होते हैं
(ii)शुक्रवाहिनी- शुक्रवाहिनी वृषण से शुक्राणुओं को शुक्राशय तक पहुंचाती है जो मूत्र नलिका के साथ एक संयुक्त नलिका बनाती है
(iii)शुक्राशय- शुक्राशय एक थैलीनुमा संरचना होती है जिसमें शुक्राणु संग्रहित होते हैं शुक्राशय एक तरल पदार्थ का निर्माण करता है जो वीर्य निर्माण में सहायक होता है
(iv)प्रोस्टेट ग्रंथि -यह एक अखरोट के आकार की बाह्य स्रावी ग्रंथि है जो एक तरल पदार्थ का निर्माण करती है जो वीर्य का भाग बनता है
(v)मूत्र मार्ग- यह एक पेशीय नलिका होती हे जो मूत्राशय से निकल कर स्खलन वाहिनी से मिल कर मूत्र जनन नलिका बनाती है। मूत्र मार्ग द्वारा शुक्राणु एवं मूत्र दोनों ही बाहर निकलते हैं
(vi)शिशन- यह एक बेलनाकार अंग है जो वृषणकोषो के बीच लटकता रहता है। मैथुन के समय यह उन्नत अवस्था में आकर वीर्य को मादा जननांग में पहुँचाने का कार्य करता है। - तंत्रिका कोशिका का सचित्र वर्णन कीजिए(2019 चित्र)
तंत्रिका कोशिका के 3 भाग होते हैं
1.कोशिका काय (सायटोन)- यह तंत्रिका कोशिका का मुख्य भाग है इसमें एक केंद्रक व अन्य कोशिकांग पाए जाते हैं
2.द्रुमाक्ष्य- कोशिका काय से छोटे-छोटे तंतु निकले रहते हैं जिन्हें द्रुमाक्ष्य कहते हैं द्रुमाक्ष्य उद्दीपनो को कोशिका काय की ओर भेजते हैं3.तंत्रिकाक्ष- यह कोशिका काय से निकलने वाली एक लम्बी संरचना है इसके ऊपर माइलिन-आच्छद का आवरण पाया जाता है तंत्रिकाक्ष का अंतिम शिरा अनेक शाखाओं में विभाजित होकर फुली हुई संरचनाएं बनाता है जि सिनेऑप्टिक नोब कहते हैं सिनेऑप्टिक नोब में सिनेप्टक पुटिकाए पाई जाती है जिनमे न्यूरोट्रांसमीटर पदार्थ पाये जाते हैं - मानव मस्तिष्क का सचित्र वर्णन कीजिए
मानव मस्तिष्क शरीर का केंद्रीय अंग है जो खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है मानव मस्तिष्क का वजन 1.5 किलोग्राम होता है मानव मस्तिष्क तीन भागों में विभाजित होता है
1.अग्र मस्तिष्क -इसके तीन भाग होते है
प्रमस्तिष्क- प्रमस्तिष्क मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग है मस्तिष्क के इस भाग द्वारा ज्ञान, चेतना व सोचने-विचारने क कार्य संपादित होते हैं
थेलमस - यह संवेदी व प्रेरक संकेतों का केंद्र होता है
हाइपोथेलेमस - यह भूख,प्यास, निंद्रा, थकान आदि का ज्ञान कराता है
2. मध्यमस्तिष्क - मस्तिष्क का यह भाग हाइपोथैलेमस तथा पश्च मस्तिष्क के मध्य स्थित होता है यह दृष्टि व श्रवण के लिए उत्तरदायी है
3.पश्चमस्तिष्क -इसके दो भाग होते है
अनुमस्तिष्क- यह मस्तिष्क का दूसरा बड़ा भाग है जो ऐच्छिक पेशियों को नियंत्रित करता है
मेडुलाओब्लोगेटा- यह मस्तिष्क का अंतिम भाग है जो मेरुरज्जु से जुड़ा रहता है यह अनैच्छिक क्रियाओं जैसे हृदय की धड़कन, रक्तदाब, पाचन आदि को नियंत्रित करता है - मानव तंत्रिका तंत्र का वर्णन कीजिए
मानव तंत्रिका तंत्र दो भागों में विभाजित है
1.केंद्रीय तंत्रिका तंत्र - केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क, मेरूरज्जु तथा इनसे निकलने वाली कपाल तंत्रिकाएं व मेरु तंत्रिकाएं सम्मिलित है
2.परिधीय तंत्रिका तंत्र- यह दो प्रकार की तंत्रिकाओं से मिलकर बना होता है
(i)संवेदी तंत्रिकाएं- उद्दीपन को उत्तकों व अंगों से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक लाने वाली तंत्रिकाएं
(ii)प्रेरक तंत्रिकाएं- केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से नियामक उद्दीपन को संबंधित अंगों तक पहुंचाने वाली तंत्रिकाएं
परिधीय तंत्रिका तंत्र दो प्रकार का होता है
(a)कायिक तंत्रिका तंत्र- यह तंत्रिका तंत्र उन क्रियाओं को संपादित करता है जो हम अपनी इच्छा के अनुसार करते है
(b)स्वायत्त तंत्रिका तंत्र- यह तंत्रिका तंत्र उन क्रियाओं को उन क्रियाओं को संपादित करता है जो स्वतः होती है
स्वायत्त तंत्रिका तंत्र दो प्रकार का होता है
☆अनुकंपी तंत्रिका तंत्र- यह तंत्र शरीर की सतर्कता एवं उत्तेजना को नियंत्रित करता है
☆परानुकंपी तंत्रिका तंत्र- यह तंत्र शरीर में ऊर्जा संचय करता है - रुधिर की संरचना का वर्णन कीजिए
रुधिर एक तरल संयोजी उत्तक होता है जो दो भागों से मिलकर बना होता है
A.प्लाज्मा- प्लाज्मा रक्त का द्रव भाग है प्लाज्मा रक्त के 55% भाग का निर्माण करता है
B.रुधिर कोशिकाएं- रुधिर कोशिकाएं तीन प्रकार की होती है
1.लाल रुधिर कोशिकाएं (RBC)- कुल रक्त का 99% भाग RBC से बना होता है इनमें हिमोग्लोबिन पाया जाता है जिसके कारण रक्त का रंग लाल दिखाई देता है RBC केंद्रक विहीन कोशिकाएं होती है इनकी औसत आयु 120 दिन होती है
2.श्वेत रक्त कोशिकाएं (WBC)-WBC प्रतिरक्षा प्रदान करती है इन्हें ल्यूकोसाइट भी कहते हैं ये दो प्रकार की होती है (i)कणिकाणु- न्यूट्रोफिल, इओसिनोफिल व बेसोफिल। रक्त में न्यूट्रॉफिल्स की संख्या सर्वाधिक पाई जाती है
(ii)अकणिकाणु- लिंफोसाइट (लिंफोसाइट बी, लिंफोसाइट टी, व प्राकृतिक मारक कोशिकाएं) तथा मोनोसाइट। मोनोसाइट बाद में महाभक्षक कोशिका में बदल जाती है
3.बिंबाणु (थ्रोम्बोसाइट)- इनका जीवनकाल 10 दिन का होता है ये रक्त का थक्का बनाने में मदद करती है बिंबाणु केंद्रक विहीन कोशिकाएं होती है - मानव ह्रदय का सचित्र वर्णन कीजिए
मानव हृदय पेशीय ऊतको से बना होता है तथा दोहोरी परत केेे झिल्लीमय आवरण से घिरा रहता है जिसे हृदयावरण कहते हैं इसमें ह्रदयावरण द्रव्य भरा रहता है जो हृदय की बाह्य आघातों से रक्षा करता है हृदय में चार कक्ष पाए जाते हैं ऊपरी दो छोटे कक्ष आलिंद कहलाते हैं तथा निचले दो बड़े कक्ष निलय कहलाते हैं लंबवत रूप से हृदय के दाएं भाग में दायां आलिंद व दायां निलय तथा बाएं भाग में बायां आलिन्द व बायाँ निलय पाया जाता है बाएं आलिंद एवं बाएं निलय के बीच में द्विकपर्दी वाल्व पाया जाता है जिसे माइट्रल वाल्व या बायां एट्रियोवेंट्रिकुलर वाल्व कहते हैं दाएं आलिंद और निलय के बीच में एक त्रिकपर्दी वाल्व पाया जाता है जिसे दायां एट्रियोवेंट्रिकुलर वाल्व कहते हैं ये वाल्व रुधिर को विपरीत दिशा में जाने से रोकते हैं शरीर से अशुद्ध (अनाक्सीकृत) रक्त महाशिरा द्वारा दाएं अलिंद में प्रवेश करता है दाएं अलिंद से रक्त दाएं निलय से होकर फुफ्फुस धमनी द्वारा फेफड़ों में जाता है फेफड़ों से शुद्ध (आक्सीकृृत) रक्त फुफ्फुस शिरा द्वारा बायेें आलिंद में प्रवेश करता है बाएं आलिंद से रक्त बाएं निलय सेेे होकर महाधमनी द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में भेज दिया जाता है - उत्सर्जन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए (2019 चित्र)
मानव उत्सर्जन तंत्र के निम्नलिखित भाग होते हैं
1.वृक्क- वृक्क मानव का मुख्य उत्सर्जी अंग है वृक्क की मध्य सतह पर एक खांचो पायी जाती है जिसेे हाईलम कहते है हाईलम के भीतरी भाग में एक कीप के आकार की संरचना पायी जाती है जिसे पेल्विस कहते हैं वृक्क के दो भाग होते हैं बाहरी भाग को कोर्टेक्स और भीतरी भाग को मेडुला कहते हैं प्रत्येक वृृृक्क लाखों उत्सर्जन इकाइयों से मिलकर बना होता है जिन्हें नेफ्रॉन कहते हैं वृक्काणु या नेफ्रोन ही वृक्क की कार्यात्मक इकाई है प्रत्येक नेफ्रॉन में एक कीपनुमा संंरचना पायी जाती है जिसे बोमेन संपुटकहते हैं बोमेन संपुट में पतली रुधिर कोशिकाओं का कोशिकागुच्छ पाया जाता है जिसे ग्लौमेरुलस कहते हैं बोमन संपुट के निचले हिस्से से एक नलिका निकलती है जिसे वृक्क नलिका कहते है इसके तीन भाग होतेे हैं समीपस्थ नलिका, हेनले लूप व दूरस्थ नलिका
2.मूत्रवाहिनी- प्रत्येक वृक्क के पेल्विस से एक लम्बी तथा संकरी वाहिनी निकलती है जिसे मूत्रवाहिनी (Ureter) कहते हैं। दोनों ओर की मूत्रवाहिनियाँ मूत्राशय में खुलती है
- श्वसन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए (2020)
मानव श्वसन तंत्र को निम्न भागों में विभाजित किया जा सकता है
1.नासिका- नासिका एक जोड़ी नासा द्वार से शुरू होती है दोनों नासा द्वारा एक पतली हड्डी एवं झिल्ली से पृथक होते हैं नासिका गुहा में महीन बाल एवं श्लेष्मा पाया जाता है जो वायु के साथ आए धूल के कण, परागकणों एवं अन्य अशुद्धियों को फेफड़ों में जाने से रोक लेते हैं2.मुख-मुख्य श्वसन तंत्र में द्वितीयक अंग के रूप में कार्य करता है श्वास सामान्यता नासिका द्वारा लिया जाता है परंतु आवश्यकता पड़ने पर मुख द्वारा भी श्वास लिया जा सकता है3.ग्रसनी- ग्रसनी एक कीपनुमा संरचना है जो तीनभागों में विभक्त होती है नासाग्रसनी, मुखग्रसनी एवं कंठ ग्रसनी। नासिका गुहा का पृष्ठ भाग नासा ग्रसनी में खुलता है वायु नासिका गुहा से गुजरने केे पश्चात नासाग्रसनी से होकर मुख ग्रसनी में पहुंचती है मुख से ली गई वायु सीधे मुख ग्रसनी में पहुंचती है मुखग्रसनी से वायु अधोग्रसनी /कंठ ग्रसनी से होकर एपिग्लोटिस की सहायता से स्वर यंत्र में पहुंचती है
4.स्वर यंत्र- स्वर यंत्र कंठ ग्रसनी व श्वास नली को जोड़ता है स्वर यंत्र छः प्रकार की उपास्थियों से बना होता है स्वर यंत्र में स्वर रज्जु नामक संरचनाएं पाई जाती है जो विभिन्न प्रकार की ध्वनियां उत्पन्न करती है
5.श्वास नली- श्वास नली स्वर यंत्र व श्वसनी के मध्य C आकार के उपास्थि छलो से निर्मित एक नलिका होती है वक्ष गुहा में जाकर श्वास नली दो शाखाओं में विभाजित हो जाती है तथा दोनों ओर के फेफड़ों में प्रविष्ट कर जाती है इन शाखाओं को श्वसनी कहते हैं
6.श्वसनी एवं श्वसनिका- श्वास नली का अंतिम शिरा दो शाखाओं में विभक्त हो जाता है इन शाखाओं को श्वसनी कहते हैं प्रत्येक श्वसनी अपनी ओर के फेफड़े में प्रवेश करके अनेक शाखाओं में बंट जाती है। इन शाखाओं को श्वसनिकाएं कहते हैं। इन शाखाओं के अंतिम सिरे कुपिकाओं का निर्माण करते हैं इन कुपिकाओं में गैसों का आदान प्रदान होता है
7.फेफड़े- मध्यपट के ऊपर वक्षगुहा में एक जोड़ी फेंफड़े पाए जाते हैं बायां फेफड़ा दो खंडों तथा दांया फेफड़ा तीन खंडों में विभाजित होता है प्रत्येक फेफड़ा स्पंजी उत्तक का बना होता है जिसमें कई कोशिकाएं एवं लगभग 30 मिलीयन कूपिकाएं पाई जाती है
8.डायफ्राम-डायफ्राम कंकाल पेशियों से निर्मित एक पतली चादरनुमा संरचना है जब हम श्वास लेते हैं,तो डायफ्राम संकुचित हो पेट की गुहा में नीचे की ओर खींच लिया जाता है तथा जब हम श्वास बाहर निकालते हैं,तो डायफ्राम शिथिल होकर वक्ष गुहा में ऊपर की ओर खींच लिया जाता है - पाचन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए
मानव पाचन तंत्र को आहरनाल व ग्रंथियों में विभाजित किया जा सकता है
A.आहारनाल- पाचन तंत्र के सभी अंग मिलकर आहारनाल का निर्माण करते हैं जो मुख से शुरू होकर मलद्वार तक जाती है आहारनाल सामान्यता 8 से 10 मीटर लंबी होती है इसे पोषण नाल भी कहते हैं आहारनाल के निम्न भाग होते हैं
1.मुख- मुख एक कटोरे नुमा आकृति मुख-गुहा में खुलता है जिसमें ऊपर कठोर व नीचे कोमल तालू पाए जाते हैं मुख में चारों ओर गति कर सकने वाली मांसल जिव्हा पाई जाती है जो मुख गुहा के आधार तल से जीव्हा फ्रेनुलम के द्वारा जुङी रहती है मुंह को खोलने व बंद करने तथा भोजन पकड़ने हेतु मुख में दो मांशल होठ पाए जाते हैं मुख के ऊपरी तथा निचले जबड़ो में 16-16 दांत पाए जाते हैं जो भोजन को कुतरने, काटने, चीरने, फाड़ने व चबाने का काम करते हैं ये दांत चार प्रकार के होते हैं
2.ग्रसनी- मुख गुहा का पिछला भाग एक छोटी कीपनुमा आकृति में खुलता है जिसे ग्रसनी कहते हैं ग्रसनी से होकर भोजन ग्रासनली में तथा वायु श्वासनली में जाती है
3.ग्रासनली- ग्रसनी एक 25 सेमी लंबी पेशीय नली में खुलती है जिसे ग्रासनाल कहते हैं इसका प्रमुख कार्य भोजन को मुखगुहा से आमाशय तक पहुंचाना है। ग्रासनली के ऊपरी भाग में ऊत्तको का एक पल्ला पाया जाता है जिसे घाटी ढक्कन या एपिग्लोटिस या घाटी ढक्कन कहते हैं यह पल्ला भोजन निगलते समय श्वासनली को बंद कर देता है और भोजन को श्वास नली में जाने से रोकता है
4.आमाशय- ग्रासनली उदरगुहा के बांये भाग में एक थैलेनुमा संरचना में खुलती है जिसे आमाशय कहते हैं आमाशय तीन भागों में विभाजित होता है
जठरागम भाग ,फंडिश भाग व जठर निर्गम भाग।
ग्रासनली व आमाशय के बीच में ग्रासनलिका अवरोधनी पायी है जो आमाशय से अम्लीय भोजन को ग्रासनली में जाने से रोकती है अमाशय व छोटी आंत के बीच जठरनिर्गमीय अवरोधनी पाई जाती है जो आमाशय से छोटी आंत में भोजन निकास को नियंत्रित करती है
5. छोटी आंत- छोटी आंत आहरनाल का सबसे लंबा भाग है सामान्यतः छोटी आंत की लंबाई 7 मीटर होती है भोजन का सर्वाधिक पाचन और अवशोषण छोटी आंत में ही होता है छोटी आंत तीन भागो से मिलकर बनी होती है
▪ ग्रहणी- यह छोटी आंत का सबसे छोटा भाग है ग्रहणी में अग्नाशय रस व यकृत से पित्त रस आकर भोजन में मिलते हैं
▪ अग्रक्षुद्रांत्र- यह छोटी आंत का मध्य भाग है इस भाग में उपस्थित आंत्र कोशिकाओं द्वारा पचित आहर रस का अवशोषण होता है
▪ क्षुद्रांत्र- यह छोटी आंत का सबसे अंतिम भाग है छोटी आ॔त के इस भाग में पित्त लवण व विटामिंस का अवशोषण होता है क्षुद्रांत्र की आंतरिक दीवारों पर अंगुलियों के समान संरचनाएँ पायी जाती हैं जिन्हें आन्त्र रसांकुर कहते हैं। ये रसांकुर आँत की दीवार की अवशोषण सतह को बढ़ाते हैं।
6.बड़ी आंत- छोटी आंत का अंतिम भाग बड़ी आंत में खुलता है बड़ी आंत में शेष बचे भोजन का किण्वन क्रिया द्वारा पाचन होता है बड़ी आंत का मुख्य कार्य जल एवं खनिज लवणों का अवशोषण करना है बड़ी आंत दो भागों में विभाजित होती है
▪ अंधनाल-बड़ी आंत का क्षुद्रांत्र से जुड़ा भाग अंधनाल कहलाता है अंधनाल के नीचले भाग में एक अंगुली जैसी संरचना पाई जाती है जिसे कृमिरूप परिशेषिका या अपेंडिक्स कहते हैं
▪ वृहदान्त्र - बड़ी आंत का यह भाग उल्टे U आकार का होता है वृहदान्त्र चार भागों में विभाजित होता है आरोही वृहदान्त्र, अनुप्रस्थ वृहदान्त्र, अवरोही वृहदान्त्र, सिग्माकार वृहदान्त्र ।
7.मलाशय- मलाशय आहार नाल का अंतिम भाग है मलाशय का अंतिम भाग गुदानाल कहलाता है जो मलद्वार के द्वारा बहार खुलता है गुदानाल में सवर्णी पेशियां पाई जाती है जो अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन का नियंत्रण करती है
B.पाचक ग्रंथियां - पाचन तंत्र में मुख्य रूप से तीन पाचक ग्रंथियां पाई जाती है
1.लार ग्रंथियां-मुख गुहा में तीन जोड़ी लार ग्रंथियां पाई जाती है A.कर्णपूर्व ग्रंथि B.अधोजंभ ग्रंथि C.अधोजीह्वा ग्रंथि
लार ग्रंथियां लार का स्रावण करती है लार भोजन को चिकना व घुलनशील बनाती है तथा भोजन को निगलने में सहायता करती है लार में टायलिन(एमाइलेज) एंजाइम पाया जाता है जो भोजन में उपस्थित स्टार्च को माल्टोज मे परिवर्तन कर मुख में पाचन शुरु करती है
2.अग्नाशय- अग्नाशय एक मिश्रित ग्रंथि है जो गृहणी के बीच स्थित होती है एवं अग्नाशय रस का स्रावण करती है अग्नाशय रस में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा पाचक एंजाइम पाए जाते हैं
3.यकृत- यह शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है यकृत लगभग एक लाख छोटी-छोटी षटकोणीय संरचनात्मक एवं क्रियात्मक ईकाईयों से मिलकर बना होता है जिन्हें यकृत पालिकाएं कहते हैं यकृत पित्त रस का निर्माण करती है जो यकृत वाहिनी द्वारा पित्ताशय में एकत्रित होता है पित्ताशय से पित्त रस पित्ताशय नलिका द्वारा गृहणी में चला जाता है
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Nice cheptar thanks sir
ReplyDeleteVery helpful thanks
ReplyDeleteस्वाभाविक रूप से आपके पाचन में सुधार करने के तरीके
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