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3. आनुवंशिकी

  1. अनुवांशिकी का जनक किसे कहा जाता है?
    मेंडल
  2. जेनेटिक्स शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया
    बेटसन
  3. मेंडल के नियमों की पुनः खोज किसने की
    ह्यूगो डी ब्रीज, कार्ल कोरेन्स व वाॅन शेरमाक
  4. एक संकर संकरण का लक्षणप्रारूप व जीनप्रारूप अनुपात लिखिए
    लक्षणप्रारूप अनुपात - 3:1  व  जीनप्रारूप अनुपात - 1:2:1
  5. द्विसंकर संकरण का लक्षण प्रारूप व जीन प्रारूप अनुपात लिखिए
    लक्षण प्रारूप 9:3:3:1 व जीन प्रारूप 1:2:2:4:1:2:1:2:1
  6. वंशानुगति (हेरिडिटी) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया स्पेन्सर ने
  7. आनुवंशिक लक्षण किसे कहते हैं
    वे लक्षण जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचरित होते हैं अनुवांशिक लक्षण कहलाते हैं
  8. सुजननिकी से क्या अभिप्राय है 
    मानव जाति के अनुवांशिक सुधार से संबंधित विज्ञान की शाखा सुजननिकी कहलाती है
  9. वंशागति (हेरोडिटी)किसे कहते हैं
    सजीवों में जनक से संतति में अनुवांशिक लक्षणों का संचरण वंशागति कहलाता है हेरोडिटी शब्द का प्रयोग स्पेन्सर ने किया
  10. जीन किसे कहते हैं
    वह कारक जो किसी एक लक्षण को नियंत्रित करता है जीन कहलाता है जीन शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग जोहंसन ने किया
  11. एक संकर संकरण किसे कहते हैं
    वह संकरण जिसमें एक लक्षण की वंशागति का अध्ययन किया जाता है एक संकर संकरण कहलाता है
  12. संकरपूर्वज या पश्च संकरण किसे कहते हैं (2020)
    वह संकरण जिसमें F1 पिढी का संकरण दोनों जनको में से किसी एक के साथ कराया जाता है तो उसे संकरपूर्वज संकरण कहते हैं
  13. मेंडलवाद किसे कहते हैं
    मेंडल ने उद्यान मटर पर कई प्रयोग करके परिणामों के आधार पर अनुवांशिकता के नियमों की खोज की जिन्हें मेंडलवाद के नाम से जाना जाता है
  14. आनुवंशिकी किसे कहते हैं
    जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें सजीवों के लक्षणों की वंशागति तथा विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है आनुवंशिकी कहलाती है
  15. युग्मविकल्पी किसे कहते हैं
    किसी एक लक्षण को नियंत्रित करने वाले जीन के दो विपर्यासी स्वरूप युग्मविकल्पी कहलाते हैं
    जैसे पौधे की ऊंचाई को नियंत्रित करने वाले जीन के दो युग्म विकल्पी T व t है
  16. लक्षणप्ररूप व जीनप्ररूप में अंतर लिखिए
    किसी सजीव के वे लक्षण जो हमें प्रत्यक्ष रुप से दिखाई देते हैं लक्षणप्रारूप कहलाते हैं जबकि किसी सजीव की अनुवांशिकीय रचना को जीन प्रारूप कहते हैं
  17. प्रभावी व अप्रभावी लक्षण किसे कहते हैं
    वह लक्षण जो F1 पीढी में प्रकट होता हैं प्रभावी लक्षण कहलाते हैं वह लक्षण जो F1 पीढ़ी में प्रकट नहीं होता हैं प्रभावी लक्षण कहलाते हैं
  18. मेंडल की सफलता के कारण लिखिए
    1.एक समय में एक ही लक्षण की वंशागति का अध्ययन
    2.मेण्डल द्वारा मटर के पौधे का चुनाव करना
    3.प्रयोग से प्राप्त आंकड़ों का सांख्यिकीय विश्लेषण करना 
  19. द्वि संकर संकरण किसे कहते हैं
    वह संकरण जिसमें दो लक्षणों की वंशागति का अध्ययन किया जाता है द्विसंकर संकरण कहलाता है
  20. त्रिसंकर संकरण किसे कहते हैं
    वह संकरण जिसमें तीन लक्षणों की वंशागति का अध्ययन किया जाता है त्रिसंकर संकरण कहलाता है
  21. समयुग्मजी व विषमयुग्मजी किसे कहते हैं
    जब किसी लक्षण को नियंत्रित करने वाले जीन के दोनों युग्मविकल्पी एक समान हो तो उसे समयुग्मजी कहते है जैसे-TT या tt
    जब किसी लक्षण को नियंत्रित करने वाले जीन के दोनो युग्मविकल्पी असमान हो तो उसे विषमयुग्मजी कहते है
    जैसे Tt
  22. व्युत्क्रम क्रॉस किसे कहते हैं
    वह संकरण जिसमे लक्षणों की वंशागति के अध्ययन के लिए जनकों की अदला बदली कर संकरण कराया जाए तो उसे व्युत्क्रम संकरण कहते हैं जैसे प्रथम संकरण लंबा समयुग्मजी नर पादप (TT)व बौना समयुग्मजी मादा पादप (tt) के मध्य कराया जाता है तथा दूसरासंकरण लंबा समयुग्मजी मादा पादप (TT)व बौना समयुग्मजी नर पादप (tt) के मध्य कराया जाता है
  23. मेंडल ने मटर के पौधे को क्यों चुना
    1.मटर का पौधा एकवर्षीय होता है जिससे कम समय में अनेक पीढ़ियों का अध्ययन किया जा सकता है
    2.मटर में द्विलिंगी पुष्प पाए जाते हैं अतः स्वपरागण द्वारा समयुग्मजी पौधे प्राप्त किए जा सकते हैं
    3.मटर के पौधे में 7 जोड़ी विपर्यासी लक्षण पाए जाते हैं
    4.मटर के पौधे में पर परागण भी आसानी से कराया जा सकता है
  24. मेंडल के वंशागति के नियमों का महत्व लिखिए
    1.मेंडल के पृथक्करण के नियम से से जीन संकल्पना की पुष्टि होती है
    2.मेंडल के नियमों का उपयोग से रोग प्रतिरोधक तथा अधिक उत्पादन वाली फसलों की किस्में विकसित की जा सकती है
    3. मानव जाति के सुधार से संबंधित विज्ञान की शाखा सुजननिकी मेंडल के नियमों पर आधारित है
    4. संकरण विधि से अनुपयोगी लक्षण को हटाया जा सकता है तथा उपयोगी लक्षणों को एक साथ एक ही जाति में लाया जा सकता है
    5.अधिकांस हानिकारक व घातक जीन अप्रभावी होने के कारण प्रभावी जीन की उपस्थिति में अपने आप को अभिव्यक्त नहीं कर पाते हैं
  25. मटर में पाए जाने वाले विपर्यासी लक्षणो की सूची बनाइए 
    क्र.सं.
    लक्षण
    प्रभावी
    अप्रभावी
    1
    पदप की लम्बाई
    लम्बा
    बौना
    2
    पुष्प की स्थिति
    कक्षीय
    अग्रस्थ
    3
    फली की आकृति
    फूली हुई
    संकिर्णित
    4
    फली का रंग
    हरा
    पीला
    5
    पुष्प का रंग
    बैंगनी
    सफेदी
    6
    बीज की आकृति
    गोल
    झुर्रीदार
    7
    बीज का रंग
    पीला
    हरा
  26. परीक्षण संकरण किसे कहते हैं?(2020)
    जब F1 पीढ़ी (Tt) का संकरण अप्रभावी जनक (tt) से कराया जाता है तो इसे परीक्षण संकरण कहते हैं|इस प्रकार के संकरण में  50% समयुग्मजी बौने  (tt) 50% विषमयुग्मजी लंबे (Tt) पौधे प्राप्त होते हैं|
  27. बाह्य संकरण से क्या समझते हैं?
    जब F1 पीढ़ी के पादप (Tt) का संकरण अपने प्रभावी जनक (TT) से करवाया जाता है| इसे बाह्य संकरण कहते हैं
    इसमें सभी पौधे लंबे प्राप्त होते हैं| जिनमें 50% समयुग्मजी लंबे (TT) 50% विषमयुग्मजी लंबे (Tt) पौधे प्राप्त होते हैं|
  28. प्रभाविता का नियम लिखिए
    यह नियम एक संकर संकरण पर आधारित है इस नियम के अनुसार जब एक जोड़ी विपर्यासी लक्षणो वाले
    समयुग्मजी पादपों में संकरण कराया जाता है तो वह लक्षण जो F1 पिढी में अभिव्यक्त होता है प्रभावी लक्षण कहलाता है तथा वह लक्षण जो F1 पिढी में अभिव्यक्त नहीं होता है अप्रभावी लक्षण कहलाता है

  29. मेंडल का पृथक्करण का नियम /युग्मकों की शुद्धता का नियम क्या है
    यह नियम मेंडल के एक संकर संकरण पर आधारित है इस नियम के अनुसार F1 पिढी में प्राप्त विषमयुग्मजी पौधों में युग्मक निर्माण के समय दोनों युग्म विकल्पी एक दूसरे से पृथक होकर अलग-अलग युग्मकों में चले जाते हैं तथा प्रत्येक युग्मक में एक लक्षण के लिए एक युग्मविकल्पी पाया जाता है

  30. मेंडल के स्वतंत्र अपव्यूहन नियम क्या है
    यह नियम द्विसंकर संकरण पर आधारित है इस नियम के अनुसार जब दो या दो से अधिक विपर्यासी लक्षणो वाले पौधों में संकरण कराया जाता है तो एक लक्षण की वंशागति का दूसरे लक्षण की वंशागति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात् प्रत्येक लक्षण के युग्मविकल्पी केवल पृथक ही नहीं होता अपितु विभिन्न लक्षणों के युग्मविकल्पी एक दूसरे के प्रति स्वतंत्र रूप से व्यवहार करते हैं 


लक्षण प्ररूप अनुपात  9:3:3:1

जीनप्ररूप अनुपात  1:2:2:4:1:2:1:2:1

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3 Comments
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  1. Ek Shankar sankran ka lakshan prarup anupat 1:3 Jin prarup anupat 1:2:1 hota hai

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  2. Ratio of independent assortment genotype is = 1:2:2:4:1:2:1:2:1

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