- सूर्य के उत्तरायण व दक्षिणायन का क्या कारण है ?
पृथ्वी का 23. 5° पर झुका होना - पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह कौन है ? (2019)
चन्द्रमा - भूकंप मापने की इकाई क्या है ?
रिक्टर पैमाना - आज जहां हिमालय है वहां पहले क्या था ?
टेथिस सागर - पृथ्वी की सतह पर कितनी विवर्तनिक प्लेटे पाई जाती है ?
29 प्लेटे। जिनमें से 6 प्रमुख है - सुनामी उत्पन्न होने का प्रमुख कारण लिखिए ।
सागर तल में आया 7 ईकाई से अधिक का भूकम्प - चक्रवात क्यों उत्पन्न होते हैं ?
चक्रवात केंद्र में वायुदाब कम होने के कारण उत्पन्न होता है - हिमनद या ग्लेशियर किसे कहते हैं ?
बहती हुई बर्फ की परत को हिमनद या ग्लेशियर कहते हैं - विवर्तनिक प्लेटो के किनारों के प्रकार लिखिए
विवर्तनिक प्लेटो के तीन प्रकार के किनारे होते हैं
1. रचनात्मक 2.विनाशी 3. संरक्षी - ग्लोबल वार्मिंग किसे कहते हैं
ग्रीन हाउस गैसों के कारण विश्व के औसत तापमान में वृद्धि हो रही है इसे ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं - जैवमण्डल किसे कहते हैं
जलमंडल, थलमंडल व वायुमंडल का वह भाग जिसमें जीवन पाया जाता है जैवमण्डल कहलाता है - आन्तरिक शक्तियां जब भूगर्भ के लम्बवत कार्य करती है तो क्या होता है
भूमि के कुछ भाग ऊपर उठ जाते हैं व कुछ भाग नीचे दब जाते हैं जिससे महाद्वीप, द्वीप, पठार व समुद्र बनते हैं - आन्तरिक शक्तियां जब भूगर्भ के क्षैतिज कार्य करती है तो क्या होता है
भूगर्भ में तंरगे उत्पन्न होती है जिससे धरातल पर वलन, भ्रंशन व चटकन पैदा होती है तथा घाटी व पर्वत बनते हैं - आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियों की उत्पत्ति कैसे हुई
पृथ्वी की सतह के अन्दर ताप से चट्टानो के संकुचन व फैलाव तथा मैग्मा स्थानांतरण के कारण आंतरिक विवर्तनिक शक्तियों की उत्पत्ति हुई - अपक्षयण शक्तियो का कृषि में महत्त्व लिखिए(2020)
1.अपक्षयण शक्तियों से मृदा निर्माण होता है
2. अपक्षयण शक्तियों से मैदानो का निर्माण होता है
3.अपक्षयण के कारण कई प्रकार के रसायन चट्टानों से बाहर आते हैं - अपक्षयण में सहायक कारकों(शक्तियों) के नाम लिखिए
1.भौतिक कारक- सूर्य की गर्मी, वर्षा, पाला व वायु
3.रासायनिक कारक- ऑक्सीकरण, कार्बोनेटीकरण, जलयोजन
3.जैविक कारक- पेड़-पौधे, जीव-जंतु व मानव - ग्लोबल वार्मिंग के दो प्रभाव लिखिए
1.ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमनद ज्यादा तङ रहे हैं अतः हिमनदों का आकार सिकुड़ने लगा है
2.ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है जिससे समुद्र तट पर बसे शहरों के जल में डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया है - समुद्री धाराएं क्या है
समुद्री धाराएं समुद्र में बहने वाली नदी है जिनमें एक निश्चित दिशा में जल निरंतर बहता है समुद्री जलधाराएं दो प्रकार की होती है ठंडी जलधारा और गर्म जलधारा। जिस स्थान पर ठंडी व गर्म जलधाराएं मिलती है वहां हरिकेन व टाइफून जैसे तूफान उत्पन्न होते हैं - अपरदन किसे कहते हैं अपरदनकारी शक्तियों के नाम लिखिए
वायु,जल व बर्फ जब बहते है तो ये रास्ते में आने वाली टूटी हुई चट्टानो तथा चट्टानों को तोङकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पर ले जाते है इसे ही अपरदन कहते है
अपरदन की तशक्तियां -
1.बहती वायु की शक्ति
2.बहते पानी की शक्ति
3.हिमनद - पृथ्वी की आन्तरिक संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए
(i) भूपर्पटी- यह पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है जिसे पृथ्वी की त्वचा भी कहते है इसकी मोटाई सब जगह समान नहीं है यह स्लथलमण्डल व जलमण्डल में बंटी हुई है इसका 70% भाग जल से ढका है व शेष 30% भाग स्थल है भूपर्पटी विशाल चट्टान खण्डो से बनी होती है जिन्हें विवर्तनिक प्लेटे कहते हैं ये प्लेटे धीरे-धीरे खिसक रही है
(ii) मेंटल- पृथ्वी की दूसरी परत मेंटल कहलाती है यह पृथ्वी की सबसे मोटी परत है जो पिघली हुई चट्टानो से बनी है इसकी मौटाई 2900 किमी. तक है। इस परत में लोहे तथा मैग्नीशियम की प्रचुर मात्रा पाई जाती है
(iii) क्रोड- यह पृथ्वी का सबसे आंतरिक भाग है। जो मेंटल के नीचे पृथ्वी के केन्द्र तक पाया जाता है। यहां लगभग सात हजार डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पाया जाता है इसकी गहराई 2900 किमी. से 6371 किमी. तक है यह सबसे गर्म व सघन भाग है पृथ्वी के चुंबकत्व का कारण क्रोड ही है क्रोड दो भागों में बंटा है आंतरिक क्रोड जो ठोस है तथा शुद्ध लौह का बना हुआ है बाहरी क्रोड जो तरल है तथा लौहा व निकिल का बना है - विवर्तनिक शक्तियां किसे कहते हैं इसके प्रकारो का संक्षिप्त वर्णन करो या पृथ्वी के ऊर्जा तंत्र को समझाइए
पृथ्वी की सतह को लगातार बदलने का कार्य करने वाली शक्तियां विवर्तनिक शक्तियां कहलाती है ये दो प्रकार की होती है
(अ) आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियां- पृथ्वी की सतह के अन्दर ताप से चट्टानो के संकुचन व फैलाव तथा मैग्मा स्थानांतरण के कारण उत्पन्न शक्तियां आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियां कहलाती है जैसे ज्वालामुखी व भूकम्प । आंतरिक विवर्तनिक शक्तियां सर्जनात्मक प्राकृतिक बल के रूप में कार्य करती है जब आंतरिक विवर्तनिक शक्तियांं भूगर्भ के लंबवत कार्य करती हैै तो सतह पर महाद्वीप, पठार, मैदान, समुद्र आदि का निर्मााण होता हैै और जब आंतरिक विवर्तनिक शक्तियां भूगर्भ क्षैतिज कार्य करती है तो पर्वत व घाटी बनते हैं
(ब) बाह्य विवर्तनिक शक्तियां- पृथ्वी की सतह के ऊपर कार्य करने वाली शक्तियां बाह्य विवर्तनिक कहलाती है बाह्य विवर्तनिक शक्तियां विनाशक प्राकृतिक बल के रूप में कार्य करती है ये दो प्रकार की होती है
1.अपक्षयण की शक्तियां- अपक्षयण शक्तियांं चट्टानोंं को तोड़़कर मिट्टी बनाती है चट्टानों का अपक्षय भौतिक, रासायनिक और जैविक कारकों द्वारा होता है सूर्य की गर्मी, वर्षा, पाला व वायु भौतिक रूप से चट्टानों को तोड़ते हैं रासायनिक रूप से चट्टानों का अपक्षय ऑक्सीकरण, कार्बोनेटीकरण, विलेयीकरण आदि क्रियाओं के द्वारा होता है तथा पेड़़ पौधे, जीव जंतु और मानव जैसी जैविक शक्तियां भी चट्टानों के अपक्षय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है (2020)2.अपरदन की शक्तियां- बहता जल, बहती हवा व हिमनद आदि अपरदनकारी शक्तियां टूटी हुई चट्टानों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का कार्य करती है अपरदन की शक्तियां चट्टानों के परिवहन के साथ-साथ अपक्षयण का कार्य भी करती है - निम्नलिखित विवर्तनिक शक्तियो का वर्णन कीजिए
(i) ज्वालामुखी- पृथ्वी के अन्दर पिघली हुई चट्टानो (मैग्मा) के भूपटल को फोङकर धुआँ, राख, वाष्प व गैसों के रूप में बाहर निकलने की क्रिया ज्वालामुखी क्रिया कहलाती है तथा बाहर निकला पदार्थ लावा कहलाता है यह लावा बहार निकल कर फैलने लगता है ज्वालामुखी के मुख से ज्वालाएं निकलने के कारण इसे ज्वालामुखी कहते हैं ज्वालामुखी के कारण जान माल की अपार हानि होती है ज्वालामुखी से विनाश के साथ लाभ भी होता है जैसे उपजाऊ मिट्टी बनती हैं कीमती धातुएँ व कीमती रसायन जैसे गंधक, बोरिक अम्ल आदि लावा के साथ बाहर आ जाते है तथा गर्म पानी के झरने बनते हैं
(ii)भूकम्प- आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियों के कारण धरातल के किसी भाग में उत्पन्न होने वाला आकस्मिक कम्पन भूकंप कहलाता हैं भूगर्भ में स्थित जिस स्थान से कम्पन प्रारम्भ होता है उसे अधिकेेेन्द्र (एपीसेन्टर) कहते है एपीसेंटर से तरंगे जब चारों ओर फैल कर भूमि की सतह पर पहुंचती है तो भूूूसतह पर कंपन उत्पन्न होता है तथा भूकंप आता है भूकंप का मापन भूकम्पमापी से करते हैं तथा भूकम्प की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर मापी जाती है प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत से भूकम्प की व्याख्या की जाती है भूकंप की तीव्रता भूगर्भीय हलचल की तीव्रता तथा एपीसेंटर से दूरी पर निर्भर करती है भूकम्प की उत्पत्ति पृथ्वी के अन्दर की बनावट में उत्पन्न असन्तुलन के कारण होती है यह असन्तुलन प्राकृतिक या मानवीय कारको द्वारा उत्पन्न होता है जब विवर्तनिक प्लेटें आपस में टकराती है तो अधिक तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप आते हैं
(iii) सुनामी- समुद्र में आए तीव्र भूकम्प (7ईकाई से अधिक) के कारण उत्पन्न उच्च ऊर्जा वाली लहरे समुद्र तट से टकराकर भारी विनाश लाती है जिन्हे सुनामी कहते हैं सुनामी जापानी भाषा का शब्द है इसका अर्थ होता है "भूकंपीय सागरीय लहरें"। सुनामी का प्रमुख कारण सागर तल में आया 7 इकाई से अधिक का भूकंप है सुनामी तटीय क्षेत्रों में भारी नुकसान पहुंचाती है सुनामी के साथ बहकर आया मलबा भवनो,मकानों व जानवरों को भारी नुकसान पहुंचाता है जन-धन की अपार हानि होती है सुनामी के कारण तटीय क्षेत्र पूरी तरह बर्बाद हो जाते हैं ऐसा माना जाता है कि गुजरात का धोलावीरा बंदरगाह सुनामी के कारण ही भूमि में दब गया।
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