- 'डिस्कवरी ऑफ इण्डिया' पुस्तक के लेखक कौन थे
प. जवाहर लाल नेहरू - "दी ऑरिजन ऑफ स्पीशीज़"11 पुस्तक किसने लिखी
चार्ल्स डार्विन - जीव की उत्पत्ति में ईश्वर की भूमिका न करने वाले वैज्ञानिक कौन थे
चार्ल्स डार्विन - ऋग्वेद के किस सुक्त में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में उल्लेख है
नासदीय सूक्त में - उत्परिवर्तनवाद का सिद्धांत (नव डार्विनवाद) किसने दिया
ह्यूगो डी ब्रीज ने - विकासवाद का सिद्धांत किसने दिया
चार्ल्स डार्विन ने - आर्कियोप्टेरिक्स का जीवाश्म किस रूप में मिला है
आर्कियोप्टेरिक्स का जीवाशम चित्र रूप में मिला है - जाति किसे कहते हैं
पीढी दर पीढी अपने स्वरूप को बनाए रखने में सक्षम जीवो के समूह को जाति कहा जाता है - उत्परिवर्तन किसे कहते हैं
जीवों में अकस्मात होने वाले वंशानुगत परिवर्तन उत्परिवर्तन कहलाते हैं - कल्प से क्या अभिप्राय है
सृष्टि के कुछ समय सूक्ष्म रुप में रहकर फिर प्रकट होने के समय को एक कल्प कहते हैं - ब्रह्माण्ड विज्ञान किसे कहते हैं
ब्रह्माण्ड से संबंधित अध्ययन को ब्रह्माण्ड विज्ञान कहते हैं - जीवाश्मों की आयु ज्ञात करने की विधियों के नाम लिखिए
1.रेडियो कार्बन डेटिंग
2.खुदाई की गहराई (सापेक्ष) - जैव विकास से क्या अभिप्राय है
सरल जीवों से जटिल जीवों का क्रमिक विकास जैव विकास कहलाता है - जीवाश्म किसे कहते हैं दो जीवाश्मों के नाम लिखिए
प्राचीन जीवों के भूमि में दबे हुए परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं आर्कियोप्टेरिक्स व डायनासौर - ब्रह्माण्ड किसे कहते हैं
आकाश में दिखाई देने वाले ग्रहों, असंख्य तारों व अन्य खगोलीय पिण्डो के समूह को ब्रह्माण्ड कहते हैं - अवशेषी अंग किसे कहते हैं मानव के अवशेषी अंगो के नाम लिखिए
जीवो के शरीर में पाए जाने वाले अंग जिनका कोई उपयोग नहीं होता है अवशेषी अंग कहलाते हैं जैसे अक्ल दाढ, अपेन्डिक्स, पुच्छ कशेरूक, निमेषक पटल, कर्ण पल्लव की पेेशियाँ - जातिवृत से क्या अभिप्राय है उदाहरण सहित समझाइए
प्रत्येक जाति का विकास पूर्ववर्ती जाति से हुआ है अतः प्रत्येक जाति के विकसित होने का होने का अपना एक इतिहास होता है जिसे जातिवृत कहते है DNA विशलेषण द्वारा जाति का इतिहास जाना जा सकता है - जीव की उत्पत्ति के संबंध में ओपेरिन की अवधारणा समझाइए
ओपेरिन ने निर्जीव पदार्थों से जीवन की उत्पत्ति का सिद्धांत दिया। इस सिद्धांत के अनुसार प्रथम जीव की उत्पत्ति निर्जीव पदार्थों से हुई है ओपेरिन के अनुसार सजीव व निर्जीव में कोई मूलभूत अंतर नहीं होता है तथा रासायनिक पदार्थों के जटिल संयोजन से ही जीवन का विकास हुआ है अतः पृथ्वी के प्रारंभिक वायुमंडल में उपस्थित मीथेन, अमोनिया, हाइड्रोजन तथा जलवाष्प के संयोग से जटिल कार्बनिक यौगिकों का निर्माण हुआ इन जटिल कार्बनिक यौगिकों न ही जीवन की नींव रखी। - बिग बैंग सिद्धान्त का वर्णन कीजिए
इस सिद्धांत का प्रतिपादन जॉर्ज लैमित्रे ने किया। यह ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति की सर्वमान्य अवधारणा है इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति 13.8 अरब वर्ष पूर्व एक अत्यंत सघन व गर्म पिण्ड में महाविस्फोट के कारण हुई है इस महाविस्फोट के कारण ब्रह्माण्ड के भाग अभी भी फैलते हुए एक दूसरे से दूर जा रहे है विस्फोट के बाद हुए विस्तार के कारण ब्रह्माण्ड ठण्डा हुआ और उप-परमाणवीय कणों की उत्पत्ति हुई जिन से सरल परमाणु बने और परमाणु से प्रारम्भिक तत्व हाइड्रोजन, हीलियम व लिथियम के विशाल बादल बने। ये बादल गुरुत्व बल के कारण संघनित होकर तारो व आकाश गंगाओं मे बदल गए - जैव केन्द्रिकता के सिद्धांत का वर्णन कीजिए
इस सिद्धांत का प्रतिपादन राबर्ट लान्जा व बोब बर्मन ने किया इस सिद्धांत में दर्शन शास्त्र व भौतिक शास्त्र के सिद्धांतों को सम्मिलित किया गया है इस सिद्धांत के अनुसार जीवन के सृजन व विकास के लिए ही विश्व की रचना हुई है अतः विश्व का अस्तित्व जीवन के कारण ही है तथा चेतना के द्वारा ही विश्व के स्वरूप को समझा जा सकता है जैवकेन्द्रिकता सिद्धांत के अनुसार आइन्सटीन की स्थान व समय की अवधारणा का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है अपितु ये सब चेतना की ही अनुभूतियाँ है चेतना को केन्द्र में रखकर भौतिकी की कई अबूझ पहेलियों को समझा जा सकता है यह सिद्धांत मानता है कि प्रकृति की प्रत्येक घटना पूर्व नियोजित व मानव हित में घटित होती है जैसे अरबों वर्ष पहले हुआ उल्कापात मानव हित में ही हुआ जिससे डायनोसौर नष्ट हुए और अन्य स्तनधारियों का तेजी से विकास हुआ - सृष्टि की उत्पत्ति की भारतीय अवधारणा को स्पष्ट कीजिए
भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का अध्ययन किया जा रहा है ॠग्वेद के नासदीय सूक्त में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के पूर्व की स्थिति का वर्णन किया गया है मैक्स मूलर ने इस सूक्त को 'उत्पत्ति का गीत' कहा है प्रसिद्ध धारावाहिक "भारत एक खोज" में इस सूक्त को शीर्षक गीत के रूप में गया गया है इस सूक्त के अनुसार प्रलयकाल में पंच-महाभूत सृष्टि का अस्तित्व नहीं था और न ही असत् का अस्तित्व था। उस समय भूलोक, अंतरिक्ष तथा अन्तरिक्ष से परे अन्य लोक नहीं थे। सबको आच्छादित करने वाला (ब्रह्मांड) भी नहीं था। किसका स्थान कहाँ था? अगाध और गम्भीर जल का भी अस्तित्व कहाँ था?
स्वामी विवेकानंद के अनुसार चेतना ने एक से अनेक होते हुए ब्रह्माण्ड का निर्माण किया है
संसार में दिखाई देने वाले विभिन्न जीव व पदार्थ इस चेतना के ही रूप है स्वामी विवेकानंद के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति और विकास कैसे हुआ इस प्रश्न का उत्तर कई बार दिया जा चुका है और अभी कई बार और दिया जाएगा - जीव की उत्पत्ति संबंध में मिलर के प्रयोग को समझाइए
स्टैनले मिलर ने जीव की उत्पत्ति के भौतिक सिद्धांत को समझाने के लिए अमोनिया, मिथेन, हाइड्रोजन व जलवाष्प से अमीनो अम्ल के संश्लेषण को प्रयोग द्वारा समझाया मिलर ने एक बङे फ्लास्क में मिथेन, अमोनिया व हाइड्रोजन को 2:1:2 के अनुपात में भरकर इसे एक तरफ संघनक से तथा दूसरी तरफ छोटे फ्लास्क से जोड़ दिया। छोटे फ्लास्क में पानी भरकर उबालने का प्रबंध किया ताकि जलवाष्प पूरे उपकरण में घूमती रहे । बड़े फ्लास्क में एक सप्ताह तक विद्युत विसर्जन के बाद इन गैसों का संघनन कर विश्लेषण किया गया तो संघनित द्रव में अमीनो अम्ल व अन्य जटिल कार्बनिक पदार्थ पाए गए
16.ब्रह्मांड एवं जैव विकास
Sunday, May 20, 2018
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