जैव-विविधता - किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्रा में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को जैव-विविधता कहते हैं।
जैव विविधता के प्रकार -
आनुवांशिक जैव-विविधता - एक ही प्रजाति के विभिन्न सदस्यों में अनुवांशिक इकाई जीन के कारण पाई जाने वाली विभिन्नता अनुवांशिक विविधता कहलाती है
प्रजातीय विविधता - किसी क्षेत्र विशेष में पाए जाने वाले जीवो की विभिन्न प्रजातियों की कुल संख्या उस क्षेत्र की प्रजाति विविधता कहलाती है
पारितंत्रीय विविधता - भौगोलिक एवं पर्यावरणीय विभिन्नताओं के कारण विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों के जीवों में पायी जाने वाली भिन्नता पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता कहलाती है
जैव विविधता के तप्त स्थल
ऐसे क्षेत्र जहां बहुत अधिक जैव विविधता पाई जाती है तथा मानवीय गतिविधियों के कारण इन क्षेत्रों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है जैव विविधता के तप्त स्थल कहलाते हैं
जैव-विविधता का महत्त्व
जैव-विविधता की पारिस्थितिकीय भूमिका
(1) खाद्य श्रंखला का संरक्षण- जब किसी खाद्य श्रंखला में से एक प्रजाति विलुप्त हो जाती है तो पूरी खाद्य श्रंखला के खत्म होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है परंतु यदि जैवविविधता समृद्ध है तो उसमें विभिन्न खाद्य श्रंखलाएं मिलकर खाद्य जाल का निर्माण करती है और किसी खाद्य श्रंखला की एक प्रजाति विलुप्त होने से खाद्य जाल की अन्य प्रजातियां उसकी कमी को पूरा कर देती है
(2) पोषक चक्र नियंत्रण - जैव विविधता पोषण चक्र को गतिमान बनाए रखने में सहायक होते हैं मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्मजीव पोधौ व जीवों के मृत भागों को विघटित कर पौधों को पोषक तत्व पुनः उपलब्ध कराने में सहायक है
(3) पर्यावरण प्रदूषण का निस्तारण - कई वनस्पतियां, सूक्ष्मजीव व कवक प्रदूषकों का विघटन और अवशोषण करने का गुण रखती है एवं कई सूक्ष्म जीव औद्योगिक अपशिष्ट में उपस्थित भारी तत्वों को हटाने में सक्षम होते हैं
जैव-विविधता की आर्थिक भूमिका
(1) जैवविविधता हमें प्रत्यक्ष रुप से भोजन, ईंधन, चारा, इमारती लकड़ी एवं उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती है
(i) जैव विविधता कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ रोग रोधी तथा कीट रोधी फसलों की किस्मों के विकास में सहायक है
(ii) जेट्रोफा व करंज (बायोडीजल वृक्ष) के बीजों से जैव ईंधन बनाया जा सकता है
जैव-विविधता की वैज्ञानिक भूमिका
जीवन का आरंभ कैसे हुआ और यह भविष्य में कैसे विकसित होगा। जीवन कैसे चलता है और पारितंत्र जिसमें हम भी एक प्रजाति हैं, उसे बनाए रखने में प्रत्येक प्रजाति की क्या भूमिका है, इन्हें हम जैव-विविधता से समझ सकते हैं।
जैव-विविधता का ह्रास के कारण
(1) प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना- विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आबादी व कृषि भूमि में विस्तार के कारण जीवो के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं जिससे कई जंतु एवं वनस्पति प्रजातियां विलुप्त हो रही है
(2) प्राकृतिक आवास विखंडन- सड़क मार्ग, रेल मार्ग, गैस पाइपलाइन, नहर आदि के कारण जीवो के प्राकृतिक आवास विखंडित हो जाते हैं जिससे वन्यजीवों के प्राकृतिक क्रियाकलाप प्रभावित होते हैं तथा वे अपने आप को असहज महसूस करते हैं अनेक जीव वाहनों की चपेट में आकर के मर जाते हैं
(3) जलवायु परिवर्तन- मानवीय गतिविधियों के कारण आज वैश्विक उष्णता की समस्या उत्पन्न हो गई है जिसके कारण विश्व की जलवायु धीरे-धीरे बदल रही है जलवायु परिवर्तन के कारण कई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है
(4) पर्यावरण प्रदूषण- पर्यावरण प्रदूषण का असर प्राणियों एवं पौधों दोनों पर पड़ता है प्रदूषित जल, प्रदूषित भूमि एवं अम्लीय वर्षा के कारण अनेक सूक्ष्म जीव एवं वनस्पतियां नष्ट हो रही है कृषि में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के अत्याधिक उपयोग से मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव विलुप्त जाते हैं
(6) विदेशी प्रजातियों का आक्रमण- वांछित या अवांछित रूप से कई बार विदेशी प्रजातियों के आने के कारण स्थानीय प्रजातियों के अस्तित्व का खतरा उत्पन्न हो जाता है जिससे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता है जैसे लैंटाना, जलकुंभी (वाटर लिली) एवं गाजर घास के कारण स्थानीय जैव विविधता के लिए संकट उत्पन्न हो गया है
(7) अंधविश्वास व अज्ञानता- अंधविश्वास एवं भ्रामक अवधारणाओं के कारण कई जीव मनुष्य द्वारा मार दिए जाते हैं जिसके कारण जीवो की प्रजाति के लिए संकट उत्पन्न हो जाता है जैसे गागरोनी तोता, गोयरा व गोडावण आदि को भ्रामक अवधारणाओं के कारण मार दिया जाता है
प्राकृतिक संसाधनों व पर्यावरण संरक्षण की अंतर्राष्ट्रीय संस्था (IUCN) ने संकटापन्न पौधों व जीवों की प्रजातियोंको उनके संरक्षण के उद्देश्य से तीन वर्गों में विभाजित किया है।
संकटापन्न प्रजातियाँ - इसमें वे सभी प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जिनके लुप्त हो जाने का खतरा है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजरवेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज द्वारा विश्व की सभी संकटापन्न प्रजातियों को रेड डाटा बुक में सूचिबद्व किया गया है।
सुभेद्य प्रजातियाँ - इसमें वे प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जिन्हें यदि संरक्षितनहीं, किया गया या उनके विलुप्त होने में सहयोगीकारक यदि जारी रहे तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा है। इनकी संख्या अत्यधिक कम होने के कारण इनका जीवित रहना सुनिश्चित नहीं है।
दुर्लभ प्रजातियाँ - ऐसी प्रजातियां जो एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में ही रह गई है या जिनकी संख्या बहुत कम है दुर्लभ प्रजातियां कहलाती हैं
जैव-विविधता का संरक्षण
मानव के अस्तित्व के लिए जैव-विविधता अति आवश्यक है। जीवन का हर रूप एक दूसरे पर इतना निर्भर है कि किसी एक प्रजाति पर संकट आने से दूसरों में असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाती है। यदि पौधों और प्राणियों की प्रजातियाँ संकटापन्न होती हैं, तो इससे पर्यावरण में गिरावट उत्पन्न होती है और अन्ततोगत्वा मनुष्य काअपना अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।
सन् 1992 में ब्राजील के रियो-डी-जेनेरो में हुए जैव-विविधता के सम्मेलन में लिए गए संकल्पों का भारत अन्य 155 देशों सहित हस्ताक्षर किया है। विश्व संरक्षण कार्य योजना में जैव-विविधता संरक्षण के निम्न तरीके सुझाए गए हैं
1. संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए।
2. प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने के लिए उचित योजनाएँ व प्रबंधन जरूरी हैं।
3. खाद्यान्नों की किस्में, चारे संबंधी पौधों की किस्में, इमारती लकड़ी के पेड़, पशुधन, जंतु व उनकी वन्य प्रजातियों की किस्मों को संरक्षित करना चाहिए।
4. प्रत्येक देश को वन्य जीवों के आवास को चिन्हित कर उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए।
5. प्रजातियों के पलने-बढ़ने तथा विकसित होने के स्थान सुरक्षित व संरक्षित हों।
6.वन्य जीवों व पौधों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार,नियमों के अनुरूप हो।
भारत सरकार ने प्राकृतिक सीमाओं के भीतर विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को बचाने, संरक्षित करने और विस्तार करने के लिए, वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 पारित कियाहै, जिसके अंतर्गत नेशनल पार्क व पशु विहार स्थापित किये गए तथा जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र घोषित किये गए।
महा विविधता केद्र
उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में स्थित वे देशउनमें संसार की सर्वाधिक प्रजातीय विविधता पाईजाती है। उन्हें ‘महा विविधता केद्र’ कहा जाता है। इन देशों की संख्या 12 है
जैव विविधता के प्रकार -
आनुवांशिक जैव-विविधता - एक ही प्रजाति के विभिन्न सदस्यों में अनुवांशिक इकाई जीन के कारण पाई जाने वाली विभिन्नता अनुवांशिक विविधता कहलाती है
प्रजातीय विविधता - किसी क्षेत्र विशेष में पाए जाने वाले जीवो की विभिन्न प्रजातियों की कुल संख्या उस क्षेत्र की प्रजाति विविधता कहलाती है
पारितंत्रीय विविधता - भौगोलिक एवं पर्यावरणीय विभिन्नताओं के कारण विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों के जीवों में पायी जाने वाली भिन्नता पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता कहलाती है
जैव विविधता के तप्त स्थल
ऐसे क्षेत्र जहां बहुत अधिक जैव विविधता पाई जाती है तथा मानवीय गतिविधियों के कारण इन क्षेत्रों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है जैव विविधता के तप्त स्थल कहलाते हैं
जैव-विविधता का महत्त्व
जैव-विविधता की पारिस्थितिकीय भूमिका
(1) खाद्य श्रंखला का संरक्षण- जब किसी खाद्य श्रंखला में से एक प्रजाति विलुप्त हो जाती है तो पूरी खाद्य श्रंखला के खत्म होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है परंतु यदि जैवविविधता समृद्ध है तो उसमें विभिन्न खाद्य श्रंखलाएं मिलकर खाद्य जाल का निर्माण करती है और किसी खाद्य श्रंखला की एक प्रजाति विलुप्त होने से खाद्य जाल की अन्य प्रजातियां उसकी कमी को पूरा कर देती है
(2) पोषक चक्र नियंत्रण - जैव विविधता पोषण चक्र को गतिमान बनाए रखने में सहायक होते हैं मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्मजीव पोधौ व जीवों के मृत भागों को विघटित कर पौधों को पोषक तत्व पुनः उपलब्ध कराने में सहायक है
(3) पर्यावरण प्रदूषण का निस्तारण - कई वनस्पतियां, सूक्ष्मजीव व कवक प्रदूषकों का विघटन और अवशोषण करने का गुण रखती है एवं कई सूक्ष्म जीव औद्योगिक अपशिष्ट में उपस्थित भारी तत्वों को हटाने में सक्षम होते हैं
जैव-विविधता की आर्थिक भूमिका
(1) जैवविविधता हमें प्रत्यक्ष रुप से भोजन, ईंधन, चारा, इमारती लकड़ी एवं उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती है
(i) जैव विविधता कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ रोग रोधी तथा कीट रोधी फसलों की किस्मों के विकास में सहायक है
(ii) जेट्रोफा व करंज (बायोडीजल वृक्ष) के बीजों से जैव ईंधन बनाया जा सकता है
जैव-विविधता की वैज्ञानिक भूमिका
जीवन का आरंभ कैसे हुआ और यह भविष्य में कैसे विकसित होगा। जीवन कैसे चलता है और पारितंत्र जिसमें हम भी एक प्रजाति हैं, उसे बनाए रखने में प्रत्येक प्रजाति की क्या भूमिका है, इन्हें हम जैव-विविधता से समझ सकते हैं।
जैव-विविधता का ह्रास के कारण
(1) प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना- विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आबादी व कृषि भूमि में विस्तार के कारण जीवो के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं जिससे कई जंतु एवं वनस्पति प्रजातियां विलुप्त हो रही है
(2) प्राकृतिक आवास विखंडन- सड़क मार्ग, रेल मार्ग, गैस पाइपलाइन, नहर आदि के कारण जीवो के प्राकृतिक आवास विखंडित हो जाते हैं जिससे वन्यजीवों के प्राकृतिक क्रियाकलाप प्रभावित होते हैं तथा वे अपने आप को असहज महसूस करते हैं अनेक जीव वाहनों की चपेट में आकर के मर जाते हैं
(3) जलवायु परिवर्तन- मानवीय गतिविधियों के कारण आज वैश्विक उष्णता की समस्या उत्पन्न हो गई है जिसके कारण विश्व की जलवायु धीरे-धीरे बदल रही है जलवायु परिवर्तन के कारण कई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है
(4) पर्यावरण प्रदूषण- पर्यावरण प्रदूषण का असर प्राणियों एवं पौधों दोनों पर पड़ता है प्रदूषित जल, प्रदूषित भूमि एवं अम्लीय वर्षा के कारण अनेक सूक्ष्म जीव एवं वनस्पतियां नष्ट हो रही है कृषि में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के अत्याधिक उपयोग से मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव विलुप्त जाते हैं
(6) विदेशी प्रजातियों का आक्रमण- वांछित या अवांछित रूप से कई बार विदेशी प्रजातियों के आने के कारण स्थानीय प्रजातियों के अस्तित्व का खतरा उत्पन्न हो जाता है जिससे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता है जैसे लैंटाना, जलकुंभी (वाटर लिली) एवं गाजर घास के कारण स्थानीय जैव विविधता के लिए संकट उत्पन्न हो गया है
(7) अंधविश्वास व अज्ञानता- अंधविश्वास एवं भ्रामक अवधारणाओं के कारण कई जीव मनुष्य द्वारा मार दिए जाते हैं जिसके कारण जीवो की प्रजाति के लिए संकट उत्पन्न हो जाता है जैसे गागरोनी तोता, गोयरा व गोडावण आदि को भ्रामक अवधारणाओं के कारण मार दिया जाता है
प्राकृतिक संसाधनों व पर्यावरण संरक्षण की अंतर्राष्ट्रीय संस्था (IUCN) ने संकटापन्न पौधों व जीवों की प्रजातियोंको उनके संरक्षण के उद्देश्य से तीन वर्गों में विभाजित किया है।
संकटापन्न प्रजातियाँ - इसमें वे सभी प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जिनके लुप्त हो जाने का खतरा है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजरवेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज द्वारा विश्व की सभी संकटापन्न प्रजातियों को रेड डाटा बुक में सूचिबद्व किया गया है।
सुभेद्य प्रजातियाँ - इसमें वे प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जिन्हें यदि संरक्षितनहीं, किया गया या उनके विलुप्त होने में सहयोगीकारक यदि जारी रहे तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा है। इनकी संख्या अत्यधिक कम होने के कारण इनका जीवित रहना सुनिश्चित नहीं है।
दुर्लभ प्रजातियाँ - ऐसी प्रजातियां जो एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में ही रह गई है या जिनकी संख्या बहुत कम है दुर्लभ प्रजातियां कहलाती हैं
जैव-विविधता का संरक्षण
मानव के अस्तित्व के लिए जैव-विविधता अति आवश्यक है। जीवन का हर रूप एक दूसरे पर इतना निर्भर है कि किसी एक प्रजाति पर संकट आने से दूसरों में असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाती है। यदि पौधों और प्राणियों की प्रजातियाँ संकटापन्न होती हैं, तो इससे पर्यावरण में गिरावट उत्पन्न होती है और अन्ततोगत्वा मनुष्य काअपना अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।
सन् 1992 में ब्राजील के रियो-डी-जेनेरो में हुए जैव-विविधता के सम्मेलन में लिए गए संकल्पों का भारत अन्य 155 देशों सहित हस्ताक्षर किया है। विश्व संरक्षण कार्य योजना में जैव-विविधता संरक्षण के निम्न तरीके सुझाए गए हैं
1. संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए।
2. प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने के लिए उचित योजनाएँ व प्रबंधन जरूरी हैं।
3. खाद्यान्नों की किस्में, चारे संबंधी पौधों की किस्में, इमारती लकड़ी के पेड़, पशुधन, जंतु व उनकी वन्य प्रजातियों की किस्मों को संरक्षित करना चाहिए।
4. प्रत्येक देश को वन्य जीवों के आवास को चिन्हित कर उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए।
5. प्रजातियों के पलने-बढ़ने तथा विकसित होने के स्थान सुरक्षित व संरक्षित हों।
6.वन्य जीवों व पौधों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार,नियमों के अनुरूप हो।
भारत सरकार ने प्राकृतिक सीमाओं के भीतर विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को बचाने, संरक्षित करने और विस्तार करने के लिए, वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 पारित कियाहै, जिसके अंतर्गत नेशनल पार्क व पशु विहार स्थापित किये गए तथा जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र घोषित किये गए।
महा विविधता केद्र
उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में स्थित वे देशउनमें संसार की सर्वाधिक प्रजातीय विविधता पाईजाती है। उन्हें ‘महा विविधता केद्र’ कहा जाता है। इन देशों की संख्या 12 है
- जैव-विविधता का संरक्षण निम्न में किसके लिए महत्वपूर्ण है
(क) जंतु (ख) पौधे
(ग) पौधे और प्राणी (घ) सभी जीवधारी (घ) - निम्नलिखित में से असुरक्षित प्रजातियाँ कौन सी है
(क) जो दूसरों को असुरक्षा दें (ख) बाघ व शेर
(ग) जिनकी संख्या अत्यधिक हों (घ) जिन प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा है| (घ) - नेशनल पार्क (National parks) और पशुविहार (Sanctuaries) निम्न में से किस उद्देश्य के लिए बनाए गए हैं:
(क) मनोरंजन (ख) पालतू जीवों के लिए
(ग) शिकार के लिए (घ) संरक्षण के लिए (घ) - जैव-विविधता समृद्ध क्षेत्र हैं :
(क) उष्णकटिबंधीय क्षेत्र (ख) शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र
(ग) ध्रुवीय क्षेत्र (घ) महासागरीय क्षेत्र (क) - निम्न में से किस देश में पृथ्वी सम्मेलन (Earth summit) हुआ था :
(क) यू.के. (U.K.) (ख) ब्राजील
(ग) मैक्सिको (घ) चीन (ख) - जैव-विविधता क्या हैं?
किसी निशिचत भौगोलिक क्षेत्र में पाए जने वले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को जैव-विविधता कहते हैं| इसका संबंध पौधों के प्रकार, प्राणियों तथा सूक्ष्म जीवाणुओं से है| - जैव-विविधता के विभिन्न स्तर क्या हैं?
जैव-विविधता के तीन विभिन्न स्तर हैं :
आनुवांशिक जैव-विविधता-एक ही प्रजाति के विभिन्न सदस्यों में अनुवांशिक इकाई जीन के कारण पाई जाने वाली विभिन्नता अनुवांशिक विविधता कहलाती है
प्रजातीय विविधता-किसी क्षेत्र विशेष में पाए जाने वाले जीवो की विभिन्न प्रजातियों की कुल संख्या उस क्षेत्र की प्रजाति विविधता कहलाती है
पारितंत्राीय विविधता- भौगोलिक एवं पर्यावरणीय विभिन्नताओं के कारण विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों के जीवों में पायी जाने वाली भिन्नता पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता कहलाती है - हॉट-स्पॉट (Hot spots) से आप क्या समझते हैं?
ऐसे क्षेत्र जहां बहुत अधिक जैव विविधता पाई जाती है तथा मानवीय गतिविधियों के कारण इन क्षेत्रों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है जैव विविधता के तप्त स्थल कहलाते हैं - मानव जाति के लिए जंतुओं के महत्व का वर्णन संक्षेप में करें|
जीव व प्रजातियों ऊर्जा ग्रहण कर उसका संग्रहण करती हैं, कार्बनिक पदार्थ उत्पन्न एवं विघटित करती हैं और पारितंत्र में जल व पोषक तत्त्वों के चक्र को बनाए रखने में सहायक होती है| इसके अतिरिक्त प्रजातियाँ वायुमंडलीय गैस को स्थिर करती है और जलवायु को नियंत्रित करने में सहायक होती हैँ| - विदेशज प्रजातियों (Exotic species) से आप क्या समझते हैं?
वे प्रजातियाँ, जो स्थानीय आवास की मूल जैव प्रजाति नहीं है, लेकिन उस तंत्र में स्थापित की गई हैं, उन्हें विदेशज प्रजातियाँ (Exotic species) कहा जाता है| - प्रकृति को बनाए रखने में जैव-विविधता की भूमिका का वर्णन करें|
जैव-विविधता ने मानब संस्कृति के विकास में बहुत योगदान दिया है और इसी प्रकार, मानव समुदायों ने भी आनुवांशिक, प्रजातीय व पारिस्थितिक स्तरों पर प्राकृतिक विविधता को बनाए रखने में बड़ा योगदान दिया है|
जैव-विविधता की भूमिका निम्नलिखित है:
जैव-विविधता की पारिस्थितिकीय भूमिका
(i)खाद्य श्रंखला का संरक्षण- जब किसी खाद्य श्रंखला में से एक प्रजाति विलुप्त हो जाती है तो पूरी खाद्य श्रंखला के खत्म होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है परंतु यदि जैवविविधता समृद्ध है तो उसमें विभिन्न खाद्य श्रंखलाएं मिलकर खाद्य जाल का निर्माण करती है और किसी खाद्य श्रंखला की एक प्रजाति विलुप्त होने से खाद्य जाल की अन्य प्रजातियां उसकी कमी को पूरा कर देती है
(ii)पोषक चक्र नियंत्रण - जैव विविधता पोषण चक्र को गतिमान बनाए रखने में सहायक होते हैं मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्मजीव पोधौ व जीवों के मृत भागों को विघटित कर पौधों को पोषक तत्व पुनः उपलब्ध कराने में सहायक है
(ii)पर्यावरण प्रदूषण का निस्तारण -कई वनस्पतियां, सूक्ष्मजीव व कवक प्रदूषकों का विघटन और अवशोषण करने का गुण रखती है एवं कई सूक्ष्म जीव औद्योगिक अपशिष्ट में उपस्थित भारी तत्वों को हटाने में सक्षम होते हैं
जैव-विविधता की आर्थिक भूमिका
(i)जैवविविधता हमें प्रत्यक्ष रुप से भोजन, ईंधन, चारा, इमारती लकड़ी एवं उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती है
(ii) जैव विविधता कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ रोग रोधी तथा कीट रोधी फसलों की किस्मों के विकास में सहायक है
(iii) जेट्रोफा व करंज (बायोडीजल वृक्ष) के बीजों से जैव ईंधन बनाया जा सकता है
जैव-विविधता की वैज्ञानिक भूमिका
जीवन का आरंभ कैसे हुआ और यह भविष्य में कैसे विकसित होगा। जीवन कैसे चलता है और पारितंत्र जिसमें हम भी एक प्रजाति हैं, उसे बनाए रखने में प्रत्येक प्रजाति की क्या भूमिका है, इन्हें हम जैव-विविधता से समझ सकते हैं। - जैव-विविधता के ह्रास के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारकों का वर्णन करें| इसे रोकने के उपाय भी बताएँ|
जैव-विविधता का ह्रास के कारण
(1)प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना- विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आबादी व कृषि भूमि में विस्तार के कारण जीवो के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं जिससे कई जंतु एवं वनस्पति प्रजातियां विलुप्त हो रही है
(2)प्राकृतिक आवास विखंडन- सड़क मार्ग, रेल मार्ग, गैस पाइपलाइन, नहर आदि के कारण जीवो के प्राकृतिक आवास विखंडित हो जाते हैं जिससे वन्यजीवों के प्राकृतिक क्रियाकलाप प्रभावित होते हैं तथा वे अपने आप को असहज महसूस करते हैं अनेक जीव वाहनों की चपेट में आकर के मर जाते हैं
(3)जलवायु परिवर्तन- मानवीय गतिविधियों के कारण आज वैश्विक उष्णता की समस्या उत्पन्न हो गई है जिसके कारण विश्व की जलवायु धीरे-धीरे बदल रही है जलवायु परिवर्तन के कारण कई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है
(4) पर्यावरण प्रदूषण- पर्यावरण प्रदूषण का असर प्राणियों एवं पौधों दोनों पर पड़ता है प्रदूषित जल, प्रदूषित भूमि एवं अम्लीय वर्षा के कारण अनेक सूक्ष्म जीव एवं वनस्पतियां नष्ट हो रही है कृषि में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के अत्याधिक उपयोग से मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव विलुप्त जाते हैं
(6) विदेशी प्रजातियों का आक्रमण- वांछित या अवांछित रूप से कई बार विदेशी प्रजातियों के आने के कारण स्थानीय प्रजातियों के अस्तित्व का खतरा उत्पन्न हो जाता है जिससे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता है जैसे लैंटाना, जलकुंभी (वाटर लिली) एवं गाजर घास के कारण स्थानीय जैव विविधता के लिए संकट उत्पन्न हो गया है
(7)अंधविश्वास व अज्ञानता- अंधविश्वास एवं भ्रामक अवधारणाओं के कारण कई जीव मनुष्य द्वारा मार दिए जाते हैं जिसके कारण जीवो की प्रजाति के लिए संकट उत्पन्न हो जाता है जैसे गागरोनी तोता, गोयरा व गोडावण आदि को भ्रामक अवधारणाओं के कारण मार दिया जाता है
- भारत सरकार ने वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम कब पारित किया ?1972 में
- ब्राजील के रियो-डि-जेनेरो में जैव विविधता सम्मेलन कब हुआ व कितने देशो ने इसमें भाग लिया ?1992 में तथा 155 देशों ने इसमें भाग लिया।
- विश्व में किसी एक संकटापन्न प्रजाति का नाम बताओ ?रेड पांडा
- भारत में दो पारिस्थितिक हॉट-स्पॉट कौन से हैं ?पश्चिमी घाट व पूर्वी हिमालय
- महा विविधता केद्र किसे कहते है?उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में स्थित वे देशउनमें संसार की सर्वाधिक प्रजातीय विविधता पाईजाती है। उन्हें ‘महा विविधता केद्र’ कहा जाता है। इन देशों की संख्या 12 है