सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम
नियम 16 : (1) भण्डार को अधिशेष घोषित करना :
भंडार का शेष निर्धारित अधिकतम सीमा/मापन से अधिक नहीं रखा जाएगा।
(2) एक वर्ष से अधिक समय तक स्टॉक में रहने वाले सामान को सामान्यतः अधिशेष माना जाएगा, जब तक कि उन्हें अन्यथा मानने का कोई अच्छा कारण न हो।
नियम 17 : (1) सामान को अप्रचलित और अनुपयोगी घोषित करना : सामान को अप्रचलित और अनुपयोगी घोषित करने वाले प्रत्येक आदेश में उन्हें इस प्रकार घोषित करने के पूर्ण कारण निर्दिष्ट किए जाएंगे और ऐसे सभी सामान का उचित रिकॉर्ड उनके निपटान की निगरानी के लिए फॉर्म SR 5 में रखा जाएगा।
(2) सामान को अनुपयोगी घोषित करने वाला प्राधिकारी ऐसे सामान को अनुपयोगी घोषित करने के लिए आदेश जारी करने से पहले अनुलग्नक "बी" में दी गई वस्तुओं और वाहन की सेवा क्षमता की न्यूनतम अवधि को ध्यान में रखेगा।
नियम 18 : निरीक्षण/सर्वेक्षण के लिए समिति :
(i) अधिशेष, अप्रचलित और अनुपयोगी वस्तुओं का निरीक्षण एक समिति द्वारा किया जाएगा जिसमें वरिष्ठ राजपत्रित अधिकारी और A.O./A.A.O./लेखाकार/तहसील राजस्व लेखाकार, जैसा भी मामला हो, शामिल होंगे। समिति द्वारा ऐसे निरीक्षण के लिए एक प्रमाण पत्र दर्ज किया जाएगा और वस्तुओं की एक सूची प्रस्तुत की जाएगी। यह एस.आर. प्रपत्र 6 में होगी।
नियम 21: निपटान की प्रक्रिया - सर्वेक्षण रिपोर्ट: (i) नियम 20 के अन्तर्गत सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी आदेश प्राप्त होने पर कार्यालयाध्यक्ष भण्डार सामग्री के निपटान के लिए आगे की आवश्यक कार्रवाई करेगा।
(ii) निपटान हेतु सर्वेक्षण रिपोर्ट एसआर फॉर्म 6 में तैयार की जाएगी। इस रिपोर्ट पर कार्यालय प्रमुख या अन्य राजपत्रित अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे, जब वे स्वयं संतुष्ट हो जाएं कि रिपोर्ट में शामिल सभी वस्तुओं को निपटाने का आदेश दिया गया है।
(iii) यह सुनिश्चित करने के लिए कि अधिशेष, अप्रचलित, अनुपयोगी घोषित किए गए भंडारों से अधिकतम मूल्य प्राप्त हो, यह आवश्यक है कि उनके निपटान की कार्रवाई शीघ्र की जाए, क्रेता द्वारा उन्हें हटाए जाने तक उचित संरक्षण दिया जाए तथा घोषणा और वास्तविक निपटान के बीच समय अंतराल को न्यूनतम किया जाए।
(iv) नियम 18 में निर्धारित अनुसार समिति द्वारा नीलामी से पूर्व आरक्षित मूल्य निर्धारित किया जाएगा। अधिशेष हो चुके स्पेयर पार्ट्स तथा पीतल, तांबा, सीसा, जस्ता, एल्युमीनियम आदि धातु के घटकों वाली वस्तुओं के मामले में आरक्षित मूल्य निर्धारित करते समय विशेष सावधानी बरती जाएगी। आरक्षित मूल्य निर्धारित करते समय प्रचलित बाजार दर को ध्यान में रखा जाएगा।
नियम 22: निपटान/बिक्री/नीलामी समितियां का गठन : नियम 22 के अनुसार व्ययन/विक्रय/नीलामी समिति का गठन किया जाता है
(1) अपशिष्ट कागज के अलावा अन्य वस्तुओं के लिए:
A. 10 लाख रुपये और उससे अधिक मूल्य के सामान के लिए:
(i) विभागाध्यक्ष या विभागाध्यक्ष द्वारा नामित वरिष्ठतम अधिकारी
(ii) संबंधित कार्यालयाध्यक्ष
(iii) विभाग के वरिष्ठतम लेखा अधिकारी द्वारा नामित अधिकारी, जो AAO-II के पद से नीचे नहीं होना चाहिए। ऐसे मामले में जहां 15.00 लाख से अधिक मूल्य के सामान के सामान के मामले में, यह AAO-I के पद से नीचे नहीं होना चाहिए।
B. 2.00 लाख रुपये और उससे अधिक लेकिन 10.00 लाख रुपये से कम मूल्य के भंडार के लिए
(i) संबंधित कार्यालय प्रमुख
(ii) कार्यालय प्रमुख/क्षेत्रीय कार्यालय/विभागाध्यक्ष के AO/AAO-I/AAO-II
(iii) कोषागार अधिकारी/उप-कोषागार कार्यालय द्वारा नामित AAO-I/AAO-II/जूनियर अकाउंटेंट ।
C. 2 लाख से कम मूल्य के भंडार के लिए :
(i) कार्यालय प्रमुख/आहरण एवं संवितरण अधिकारी
(ii) एएओ-I/एएओ-II/मुख्यालय/क्षेत्रीय कार्यालय/विभागाध्यक्ष के कनिष्ठ लेखाकार
(iii) एएओ-I/एएओ-II/कोषागार अधिकारी/उपकोषागार कार्यालय द्वारा नामित कनिष्ठ लेखाकार।
(2) रद्दी कागज के लिए
(i) कार्यालयाध्यक्ष/आहरण एवं संवितरण अधिकारी ।
(ii) विभाग में पदस्थ AAO-I/AAO-II/जूनियर अकाउंटेंट ।
नियम 23: समितियों के कर्तव्य एवं शक्तियां:
(i) नीलामी समिति नीलामी की जा रही वस्तुओं का सूची (SR 5 व SR 6) से मिलान व निरीक्षण करेगी और उपयोगिता की जाँच कर सकती है।
(ii) नीलामी के लिए प्रक्रिया, नियम और शर्तें विभाग के विभागीय वार्षिक/विनियमों में निहित निर्देशों के अनुसार होंगी।
(iii) प्रारूप SR 7 में विक्रय लेखा तैयार किया जाएगा। विक्रय लेखा, नीलामी की कार्यवाही और बोलियों आदि के अन्य कागजात पर समिति के सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे।
(iv) नीलामी समिति नीलामी के समय लगायी गयी उच्चतम बोली को मंजूरी देने के लिए अंतिम प्राधिकारी होगी।
(v) सदस्य सचिव यह सुनिश्चित करेंगे कि लेखा सदस्य या सदस्य बैठक में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहें, उनकी अनुपस्थिति में बैठक आयोजित नहीं की जाएगी।
नियम 24 : बयाना राशि : नीलामी शुरू होने से पहले बोलीदाताओं से ली जाने वाली बयाना राशि सामान के मूल्य का 2% होगी, जो न्यूनतम 500/- रुपये और अधिकतम 50,000/- रुपये होगी।
नियम 25 : नीलामी के लिए प्रचार एवं समयावधि निम्नानुसार होगी :-
(i) 0.50 लाख रुपये तक -
समयावधि -7 दिन
प्रकाशन का तरीका -
(1) सभी क्षेत्रीय और संभागीय मुख्यालयों के नोटिस बोर्ड
(2) स्थानीय व्यक्तियों (कबाड़ी)को भी सूचित किया जाए।
(ii) 0.50 लाख रुपये से अधिक और 2.5 लाख तक
समयावधि- 10 दिन
प्रकाशन का तरीका -
(1) सभी क्षेत्रीय और संभागीय मुख्यालयों के नोटिस बोर्ड, जैसा भी मामला हो।
(2) एक क्षेत्रीय/राज्य समाचार पत्र - स्थानीय संस्करण।
(iii) 2.5 लाख रुपये से अधिक और 10.00 लाख रुपये तक
समयावधि -15 दिन
प्रकाशन का तरीका -
(1) सभी क्षेत्रीय और संभागीय मुख्यालयों के नोटिस बोर्ड, जैसा भी मामला हो।
(2) एक राज्य समाचार पत्र।
(iv) 10.00 लाख रुपये से अधिक
समयावधि- 20 दिन
(1) सभी क्षेत्रीय और संभागीय मुख्यालयों के नोटिस बोर्ड, जैसा भी मामला हो।
(2) एक राज्य समाचार पत्र ।
(3) एक अखिल भारतीय स्तर का समाचार पत्र।
(4) एनआईटी के प्रकाशन में विशेषज्ञता रखने वाली कोई भी ट्रेड जर्नल।
नियम 26: बिक्री के बाद की कार्रवाई: कार्यालय प्रमुख या कोई अन्य नामित राजपत्रित अधिकारी बेची गई वस्तुओं को जारी किए जाने के समय अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेगा। जब वस्तुओं को नीलामी के कुछ समय बाद जारी किया जाता है या जब इसमें वजन आदि की प्रक्रिया शामिल होती है, तो उसकी उपस्थिति सबसे आवश्यक है।
1. नीलामी प्रक्रिया सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम भाग II के नियम 16 से 27 के अनुसार की जाती है।
2. सामानों को नीलाम करने से पूर्व नियम 17(1) के अनुसार सामानों को अप्रचलित एवं अनुपयोगी घोषित करना होता है तथा सामानों के व्ययन (disposal) पर निगरानी के लिए SR 5 तैयार किया जाता है। इस पर संस्था प्रधान व प्रभारी के हस्ताक्षर होंगे
3. सामानों को अनुपयोगी/अप्रचलित घोषित करने के लिए नियम 17(2) के अनुसार अनुलग्नक ‘‘ख‘‘ में दी गई वस्तुओं की ‘‘उपयोगिता की न्यूनतम अवधि‘‘ का ध्यान रखा जाना चाहिए ।
4. नियम 18 (i) अनुसार सामानों के निरीक्षण के लिए निरक्षण (Survey) समिति का गठन किया जाता है जिसमें वरिष्ठ राजपत्रित अधिकारी और A.O./A.A.O./लेखाकार/तहसील राजस्व लेखाकार, जैसा भी मामला हो, शामिल होते है
5. नियम 21(ii) के अनुसार व्ययन (disposal) के लिए सर्वेक्षण रिपोर्ट SR 6 में तैयार की जाती है जिस पर कार्यालयाध्यक्ष व निरक्षण समिति के सदस्यों के हस्ताक्षर होते है ।
6. नियम 21(iv) के अनुसार नीलामी से पूर्व निरक्षण समिती द्वारा आरक्षण मूल्य (Reserve Price) निर्धारित किया जाता है । आरक्षण मूल्य निश्चित करते समय चालू बाजार दर को ध्यान में रखा जाता है ।
7. नियम 22 के अनुसार व्ययन/विक्रय/नीलामी समिति का गठन किया जाता है
8. नीलामी समिति नीलामी की जा रही वस्तुओं का सूची (SR 5 व SR 6) से मिलान करेगी
और उपयोगिता की जाँच कर सकती है।
9. नीलामी समिति नीलामी के समय लगायी गयी उच्चतम बोली को मंजूरी देने के लिए अंतिम प्राधिकारी होगी।
10. प्रारूप SR 7 में विक्रय लेखा तैयार किया जाएगा। विक्रय लेखा, नीलामी की कार्यवाही और बोलियों आदि के अन्य कागजात पर समिति के सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे।
11. नियम 24 के अनुसार नीलामी शुरू होने से पहले बोलीदाताओं से सामान के मूल्य का 2% बयाना राशि ली जाएगी जो न्यूनतम 500/- रुपये और अधिकतम 50,000/- रुपये होगी।
12. उच्चतम बोलीदाता से कुल बोली की 25 प्रतिशत राशि तत्काल मौके पर ही वसूल की
जाएगी, जिसमें धरोहर राशि समायोजित कर ली जायेगी।