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परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी [Probation Trainyee]

प्रोबेशनर ट्रेनी : सामान्य नियम
☛ नियम 8
(i) दिनांक 20.01.2006 को या उसके बाद सरकारी सेवा में नियुक्त व्यक्ति को 2 साल की अवधि के लिए परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु के रूप में रखा जाएगा। 
(ii) एक प्रोबेशनर-प्रशिक्षु सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित नियत पारिश्रमिक प्राप्त करेगा
(iii)परिवीक्षा काल के सफल समापन के बाद उसे उसके पद के पे मेट्रीक्स में पे लेवल की प्रथम सेल में वेतन स्वीकृत की अनुमति दी जाएगी
(iv) परिवीक्षा प्रशिक्षण की अवधि वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए नहीं गिनी जाएगी।
 नियम 24
(i) कोई सरकारी कर्मचारी, जो पहले से ही राज्य सरकार की नियमित सेवा में है, यदि 20.1.2006 को या उसके बाद दो वर्ष की अवधि के लिए परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो उसे अपने पिछले पद के वेतनमान में वेतन  या सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित दरों पर निश्चित पारिश्रमिक जो भी उसके लिए लाभदायक हो, दिया जाएगा तथा परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु की अवधि सफलतापूर्वक पूरी होने के बाद, उसका वेतन नियम 26 के प्रावधानों के अनुसार नए पद के वेतनमान में निर्धारित किया जाएगा।
 नियम 122ए 
(i) परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को परिवीक्षा अवधि के दौरान कोई अवकाश नहीं मिलेगा। 
(ii) महिला परिवीक्षाधीन प्रशिक्षुओं को नियम 103 और 104 के अनुसार मातृत्व अवकाश दिया जाएगा।
(iii) पुरुष परिवीक्षाधीन प्रशिक्षुओं को नियम 103 ए के अनुसार पितृत्व अवकाश दिया जाएगा।
☛ परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी को परिवीक्षा काल में नियत पारिश्रमिक के अलावा अन्य किसी भी प्रकार के भत्ते देय नहीं होंगे |
☛ परिवीक्षा काल में राज्य बीमा कटौती नहीं होगी
☛ परिवीक्षा काल में सामूहिक दुर्घटना बीमा की कटौती होगी | 
☛ राजस्थान पुनरीक्षित वेतनमान (संशोधित) नियम 2017 के परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थीयों के लिए नियत पारिश्रमिक:-

 क्र. सं.

 मौजूदा  ग्रेड पे

 मौजूदा ग्रेड   पे  सं. 

मौजूदा पारिश्रमिक

नया लेवल  

[01.01.2017 से]

संशोधित पारिश्रमिक

1

1700

2

6670

L-1

 12400 

2

1750

3

7400

L-2

12600

3

1900

4

7400

L-3

12800 

4

2000

5

7790

L-4

13500 

5

2400

9

8910

L-5

14600 

6

2400

 9A

8910

L-6

15100 

7

2400

2401

8910

L-7

15700 

8

2800

10

11820

L-8

18500 

9

2800

 10A

11820

L-9

20100 

10

3600

11

13200

L-10

23700 

11

4200

12

14660

L-11

26500 

12

4800

14

17230

L-12

31100 

13

5400

15

22180

L-14  

39300 

14

6000

16

24030

L-15

42500 

15

6600

17

26670

L-16

47200 

16

6800

18

28120

L-17

 49700 

17

7200

19

29840

L-18

52800 

18

7600

20

31620

L-19

56000 

19

8200

21

35180

L-20

62300 

20

8700

22

48710

L-21

86200 

21

8900

23

51350

L-22

90800 

22

9500

 23A

54120

L-23

 102100 

23

10000

24

57820

L-24

104200 


सामान्य अवकाश  
☛ परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी को एक कलैंडर वर्ष [01 जुलाई से 30 जून] में 15 आकस्मिक अवकाश देय होंगे एक कलैंडर वर्ष से कम अवधि के लिए आकस्मिक अवकाश अनुपातिक रूप से देय होंगे (एक complete माह की सेवा पूर्ण करने पर 1.25 CL देय होगी) 
☛ "राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम - 2017 ( अधिसूचना क्रमांक एफ. 5 - (1) वित्त / नियम-2017 जयपुर दिनांक 30.10.2017 ) के नियम-16 की अनुसूची - IV की टिप्पणीं संख्या - 4 के अनुसार "Probationer trainee shall be eligible for casual leave of 15 days in a calendar year and for period of less than a calander year. It shall be admissible in proportion on the basis of completed months." आकस्मिक अवकाश जनवरी से दिसम्बर तक की अवधि को कैलण्डर वर्ष मानकर स्वीकृत करने के निर्देश दिये गये थे । उक्त आदेश को राजस्थान सेवानियम-1951 खण्ड द्वितीय के परिशिष्ट-1 के प्रावधानानुसार संशोधित किया जाकर शैक्षिक विभागो (विश्रामकालीन विभाग) के शैक्षणिक कर्मचारियो के लिए आकस्मिक अवकाश के लिए कलैण्डर वर्ष 01 जुलाई से 30 जून तक रहेगा । आदेश दिनांक 22.05.2019, 04.09.2019 व 18.09.2019 [ निदेशक ]
☛  पुरुष प्रोबेशनर- प्रशिक्षु को राजस्थान सेवा नियम,1951 के नियम 103 ए के अनुसार पितृत्व अवकाश दिया जाएगा ➥वित्त विभाग के आदेश दिनांक 30/10/2017  /संशोधित आदेश दिनांक 09/12/2017
असाधारण अवकाश
☛ परिवीक्षाधीन प्रशिक्षार्थी कर्मचारियों को एक माह तक का असाधारण अवकाश नियुक्ति अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है 

☛ एक माह से अधिक असाधारण अवकाश प्रशासनिक विभाग स्वीकृत करता है एक माह (30 दिन) से अधिक लिए गए असाधारण अवकाश पर 
परिवीक्षा काल में असाधारण अवकाश की पूरी  अवधि  की वृद्धि होगी 
☛असाधारण छुट्टी की पूर्व मंजूरी पूर्व-अपेक्षित होगी।
☛स्वयं, पत्नी/पति, माता, पिता एवं बच्चों की गंभीर बीमारी के लिए आवेदित असाधारण अवकाश की स्थिति में अधिकृत चिकित्सा परिचारक के प्रमाण पत्र के आधार पर असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
 [वित्त विभाग के आदेश दिनांक 25/10/2019]  ⬇
☛ 11/06/2014 से पहले 90 दिन अवैतनिक ले सकते थे । 90 दिन अवैतनिक तक प्रोबेशन आगे नही बढता था।
☛ 11.06.2014 से पहले तीन महीने से अधिक असाधारण छुट्टी का लाभ उठाने वाले कर्मचारियों के सभी लंबित मामलों में परिवीक्षा की अवधि को तीन महीने से अधिक असाधारण छुट्टी की अवधि तक बढ़ाया जाना है।
☛ जो कर्मचारी 11.06.2014 से पहले और उसके बाद भी तीन महीने से अधिक असाधारण छुट्टी का लाभ उठा रहे थे, ऐसे मामलों में भी परिवीक्षा अवधि को तीन महीने से अधिक असाधारण छुट्टी की अवधि तक बढ़ाया जाना है।
☛ 11/06/14 और इससे आगे 07/08/19 तक एक माह से अधिक अवैतनिक अवकाश पर रहने पर एक माह से जितना ज्यादा उतना प्रोबेशन आगे बढ़ेगा ।
जो कर्मचारी 08.08.2019 से पहले और उसके बाद भी एक महीने से अधिक असाधारण छुट्टी का लाभ उठा रहे थे, ऐसे मामलों में भी परिवीक्षा अवधि को एक महीने से अधिक असाधारण छुट्टी की अवधि तक बढ़ाया जाना है।
08/08/2019 को और इसके बाद  30 दिन से अधिक अवैतनिक अवकाश लेने पर परिवीक्षा अवधि असाधारण छुट्टी की पूरी अवधि के लिए बढ़ा दी जाएगी।
☛  परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु जो परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु के रूप में सेवा में शामिल होने से पहले अध्ययन के किसी भी पाठ्यक्रम को जारी रख रहा था या नजदीकी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था और छुट्टी पर जाने से पहले असाधारण छुट्टी के लिए आवेदन किया है तो  उसे अध्ययन के किसी भी पाठ्यक्रम को जारी रखने या नजदीकी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की अवधि के लिए असाधारण छुट्टी की अनुमति दी जा सकती है । [वित्त विभाग के आदेश दिनांक 22/02/2021]
☛ परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु अवधि को अध्ययन के निरंतर पाठ्यक्रम को पूरा करने या निकटवर्ती प्रतियोगी परीक्षा के उद्देश्य से स्वीकृत असाधारण छुट्टियों की अवधि तक बढ़ाया जाएगा ।
☛ इस ज्ञापन के जारी होने से पहले प्रोबेशनर ट्रेनी की सेवा में शामिल होने से पहले अध्ययन के किसी भी पाठ्यक्रम को पूरा करने या निकट प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी से संबंधित असाधारण छुट्टी के लंबित मामलों पर भी इस आदेश से  नियुक्ति प्राधिकारी और प्रशासनिक विभाग के प्रशिक्षुओं द्वारा निर्णय लिया जा सकता है ।
सामान्य प्रावधायी निधि 
प्रोबेशनर ट्रेनी के रूप में नियुक्त कार्मिकों के लिये पुरानी पेंशन योजना लागू करने के निर्णय के दृष्टिगत सामान्य प्रावधायी निधि हेतु अभिदान की नियत पारिश्रमिक से मासिक कटौती
संदर्भः वित्त विभाग का समसंख्यक आदेश दिनांक 25-5-2022.

क्र.सं.

पे मेट्रिक्स में पे-लेवल

GPF अभिदान की राशि (रुपये)

1

L-1 से L-7 तक

700

2

L-8 से 19 तक

800

3

L-10 से L-11 तक

1100

4

L-12 से L-14 तक

1400

5

L-15

1800

6

L-16 से L-17 तक

2100

7

L-18 से L-19 तक

2400

8

L-20 से L-21 तक

3000

9

L-22 से L-23 तक

4500

10

L-24

5000

☛ माह अप्रेल 2022 एवं माह मई 2022 के GPF अभिदान की कटौती माह मई 2022 के नियत पारिश्रमिक से ( 1 जून 2022 को देय) की जावेगी। इन कार्मिकों के नियमित वेतन श्रंखला प्राप्त करने पर GPF अभिदान की राशि की कटौती राज्य कर्मचारियों के लिये निर्धारित GPF अभिदान के अनुसार की जायेगी।
HRA
मकान किराया भत्ता उन कर्मचारियों को देय होगा जो अपने परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु अवधि के सफलतापूर्वक पूरा होने के एक माह के भीतर या नियमित वेतनमान में वेतन प्राप्त करने के एक माह के भीतर, एचआरए नियम, 1989 के नियम 4(4) में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार आवेदन करते हैं।
(वित्त विभाग के आदेश दिनांक 29/01/2020 )
RGHS
☛ परिवीक्षाधीन अवधि में राज मेडिक्लेम की सुविधा देय है। अतः आदेश दिनांक 07.07.2021 में दिनांक 01.01.2004 एवं उसके पश्चात नियुक्त कार्मिकों के अनुसार आरजीएचएस फण्ड के अन्तर्गत कटौती की जानी है। इस हेतु परिवीक्षाधीन कार्मिक जिस पद पर नियुक्त हुए हैं, उस पद की पे-मैट्रिक्स के अनुसार निर्धारित स्लेब में, जो कि दिनांक 01.01.2004 एवं उसके पश्चात नियुक्त कार्मिकों पर लागू है, निम्नानुसार  हुए कटौती की जानी है।

वेतन मैट्रिक्स में 18000/- तक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी

रु. 265

वेतन मैट्रिक्स में मूल वेतन रु. 180001 से 33500 तक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी

रु. 440

वेतन मैट्रिक्स में 18000/- तक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी

रु. 265

वेतन मैट्रिक्स में रु.33500/- से 54000/- तक मूल वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारी

रु. 658

वेतन मैट्रिक्स में रु.54000/- से अधिक मूल वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारी

रु. 875

वेतन निर्धारण
☛ परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी द्वारा परिवीक्षा काल सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर पे मैट्रिक्स के सम्बन्धित पे लेवल में वेतन प्रथम सेल (न्यनतम वेतन) में अनुज्ञात किया जायेगा
☛ एक सरकारी कर्मचारी जो पहले से ही राज्य सरकार की नियमित सेवा में है यदि उसकी नियुक्ति किसी अन्य समान या उच्च पद पर परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप में होती है और वह पूर्व पद के पे लेवल में वेतन प्राप्त करने का विकल्प प्रस्तुत करता है तो उसे परिवीक्षा काल में पूर्व के पद के पे लेवल में वार्षिक वेतन वुद्धि देय होगी तथा परिवीक्षा काल के सफल समापन पर नये पद के निर्धारित पे लेवल के समान सेल में स्थिर किया जायेगा, समान सेल उपलब्ध नहीं होने पर उसी लेवल मे अगले उच्चतर सेल में स्थिर किया जायेगा।
☛ यदि राज्य सेवा में किसी पद पर नियुक्त एक प्रोबेशनर एक पद की निर्धारित परिवीक्षा अवधि पूर्ण किये बिना किसी दूसरे पद पर नियुक्त हो जाता है तो पू्र्व पद पर की गई सेवा को नवीन पद के सम्बन्ध में नहीं गिना जाएगा   ➥नियम 26(1) (वित्त विभाग के आदेश दिनांक 30/10/2017 )
☛ मकान किराया भत्ता उन कर्मचारियों को स्वीकार्य होगा जो एचआरए नियम 1989 के नियम 4(4) में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार, अपनी परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु अवधि के सफल समापन के एक महीने के भीतर या नियमित वेतनमान में वेतन आरहण  के एक महीने के भीतर आवेदन करते हैं । .
☛ आमतौर पर परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को परिवीक्षा अवधि के दौरान Child Care Leave स्वीकृत नहीं किया जाएगा। तथापि, विशेष परिस्थितियों में यदि परिवीक्षा अवधि के दौरान Child Care Leave स्वीकृत किया जाता है तो परिवीक्षा काल उतने ही दिन आगे बढेगा जितने दिन की Child Care Leave स्वीकृत किया जाता है
राजस्थान सरकार
 वित्त विभाग (नियम प्रभाग) 
अधिसूचना 
संख्या एफ.आई(2)एफ.डी//2006                                                      जयपुर, दिनांक : 13.03.2006 
भारत के संविधान के अनुच्छेद 300 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त प्रावधानों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल, राजस्थान सेवा नियम, 1951 को और संशोधित करने के लिए निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात्:-
1. इन नियमों को राजस्थान सेवा (संशोधन) नियम, 2006 कहा जा सकेगा। 
2. ये 20.1.2006 से प्रभावी माने जाएंगे। 
3 उक्त नियमों में -
(i) RSR 1951 के नियम 7 के खंड (8) के उपखंड (क) के विद्यमान मद (iii) के नीचे, निम्नलिखित नया मद (iv) सम्मिलित किया जाएगा, अर्थात्:- "(iv) परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु"
(ii) मौजूदा नियम 8 को नियम 8 ए (प्रथम नियुक्ति पर आयु) के रूप में पुनः क्रमांकित किया जाएगा तथा निम्नलिखित नया नियम 8 सम्मिलित किया जाएगा, अर्थात्: "
➥नियम 8. दिनांक 20.01.2006 को या उसके बाद सरकारी सेवा में नियुक्त व्यक्ति को 2 साल की अवधि के लिए परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु के रूप में रखा जाएगा। एक प्रोबेशनर-प्रशिक्षु सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित नियत पारिश्रमिक प्राप्त करेगा और परिवीक्षा काल के सफल समापन के बाद उसे उसके पद के पे मेट्रीक्स में पे लेवल की प्रथम सेल में वेतन स्वीकृत की अनुमति दी जाएगी तथा परिवीक्षा प्रशिक्षण की अवधि वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए नहीं गिनी जाएगी।
(iii) RSR 1951 के नियम 7 के विद्यमान खण्ड (30) के नीचे, निम्नलिखित नया खण्ड (30क) अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात्; 
"(30 क) परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु : इसका तात्पर्य सेवा संवर्ग में स्पष्ट रिक्ति के विरुद्ध सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्त व्यक्ति से है, जिसे दो वर्ष की अवधि या बढ़ाई गई अवधि, यदि कोई हो, के लिए निश्चित पारिश्रमिक पर प्रशिक्षण दिया गया हो।"
(iv) विद्यमान नियम 24 के अंत में निम्नलिखित नए प्रावधान जोड़े जाएंगे, अर्थात्:-
"इसके अतिरिक्त, परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित दरों पर निश्चित पारिश्रमिक मिलेगा तथा परिवीक्षा अवधि पूरी होने पर, परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूरी होने के अगले दिन से, इस नियम के अंतर्गत पद के वेतनमान का न्यूनतम वेतन दिया जाएगा। 
इसके अतिरिक्त, यह भी प्रावधान है कि कोई सरकारी कर्मचारी, जो पहले से ही राज्य सरकार की नियमित सेवा में है, यदि 20.1.2006 को या उसके बाद दो वर्ष की अवधि के लिए परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो उसे अपने पिछले पद के वेतनमान में वेतन  या सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित दरों पर निश्चित पारिश्रमिक दिया जाएगा, जो भी उसके लिए लाभदायक हो तथा परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु की अवधि सफलतापूर्वक पूरी होने के बाद, उसका वेतन नियम 26 के प्रावधानों के अनुसार नए पद के वेतनमान में निर्धारित किया जाएगा।"
(v) नियम 26 के विद्यमान उपनियम (1) के अंत में निम्नलिखित नया प्रावधान जोड़ा जाएगा, अर्थात्: -
"परन्तु परिवीक्षा अवधि के दौरान इस नियम के प्रावधान लागू नहीं होंगे। परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को उसके पूर्व पद के वेतनमान में वेतन या नियम 24 के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित पारिश्रमिक दिया जाएगा। परिवीक्षा प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने के पश्चात उसका वेतन इस नियम के प्रावधानों के अंतर्गत निर्धारित किया जाएगा।
(vi) विद्यमान नियम 27 बी के नीचे, निम्नलिखित नया नियम 27सी जोड़ा जाएगा, अर्थात्:-
"27 सी- नियम 27 ए और 27बी के प्रावधान परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु पर लागू नहीं होंगे। परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूरी करने के पश्चात, परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को परिवीक्षा अवधि के दौरान वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं मिलेगी ।
(vii) मौजूदा नियम 122 के नीचे,  निम्नलिखित नया नियम 122ए जोड़ा जाएगा, अर्थात्: 
122 ए   (i) परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को परिवीक्षा अवधि के दौरान कोई अवकाश नहीं मिलेगा। 
           (ii) महिला परिवीक्षाधीन प्रशिक्षुओं को नियम 103 और 104 के अनुसार मातृत्व अवकाश दिया जाएगा।
राजस्थान सरकार 
वित्त विभाग (नियम प्रभाग) 
ज्ञापन 
संख्या एफ.1(2)एफडी(नियम)/06 भाग-I                                             जयपुर, दिनांक : 22.05.2009 
विषय: परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षुओं द्वारा परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने तथा पद के वेतनमान/चालू वेतन बैंड में वेतन दिए जाने के संबंध में। 
राजस्थान सेवा नियमों के नियम 24 में निहित प्रावधानों के अनुसार, परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित दरों पर एक निश्चित पारिश्रमिक का हकदार है तथा परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर, परिवीक्षा प्रशिक्षण अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने के अगले दिन से, पद के वेतनमान/चालू वेतन बैंड का न्यूनतम वेतन इस नियम के अंतर्गत अनुमन्य किया जाएगा। राजस्थान सेवा नियमों के नियम 27 सी में निहित प्रावधानों के अनुसार, परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को परिवीक्षा प्रशिक्षण की अवधि के दौरान वार्षिक वेतन वृद्धि के अनुदान का अधिकार नहीं है। 
राजस्थान सेवा नियमों के नियम 96 (बी) के तहत, राजस्थान सरकार के निर्णय संख्या 3 के साथ पठित, एक अस्थायी सरकारी कर्मचारी केवल तीन महीने के लिए असाधारण अवकाश का हकदार है। 
राजस्थान सेवा नियमों के नियम 122ए (i) के अनुसार, एक परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को परिवीक्षा अवधि के दौरान कोई अवकाश अर्जित नहीं करना चाहिए। असाधारण अवकाश प्रदान करने के लिए उसे अस्थायी आधार पर नियुक्त व्यक्ति के समान माना जा सकता है। 
सरकार के ध्यान में कुछ मामले आए हैं, जिनमें एक परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को परिवीक्षा प्रशिक्षण की अवधि के दौरान तीन महीने की अवधि से परे असाधारण अवकाश की अनुमति दी गई है/उसने इसका लाभ उठाया है। 
एक प्रश्न उठाया गया है कि एक परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु की अवधि के 'सफल समापन' के निर्धारण की प्रक्रिया क्या होनी चाहिए। 
परिवीक्षा प्रशिक्षण की अवधि को 'सफलतापूर्वक पूर्ण' करने के रूप में निर्धारित करने के लिए दो वर्ष की सेवा को उपयुक्त माना गया है। असाधारण अवकाश को सेवा के रूप में गिना जाता है, लेकिन ऐसे मामलों में, जहां कोई परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु लंबी अवधि के लिए असाधारण अवकाश पर रहता है, यह नहीं कहा जा सकता है कि उसने परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु के रूप में सफलतापूर्वक कार्य किया है। किसी परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु के वास्तविक कार्य को निर्धारित किए बिना, सक्षम प्राधिकारी द्वारा यह सत्यापित नहीं किया जा सकता है कि परिवीक्षा प्रशिक्षण की अवधि के दौरान उसकी सेवा सफल रही है। 
तदनुसार, मामले पर विचार किया गया है और यह निर्णय लिया गया है कि नियुक्ति प्राधिकारी परिवीक्षा प्रशिक्षण की संपूर्ण अवधि के दौरान किसी परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को तीन माह तक का असाधारण अवकाश स्वीकृत कर सकता है। यदि नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा परिवीक्षा अवधि के दौरान तीन माह की अवधि से अधिक का असाधारण अवकाश असाधारण परिस्थितियों में वित्त विभाग की सहमति से स्वीकृत किया जाता है, तो परिवीक्षा की अवधि तीन माह से अधिक लिए गए असाधारण अवकाश की अवधि तक बढ़ाई जाएगी। हालांकि, अधिकतम अवधि जिसके लिए परिवीक्षा बढ़ाई जा सकती है, एक वर्ष होगी। .
जहां नियुक्ति प्राधिकारी, किसी परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु के परिवीक्षा प्रशिक्षण की अवधि पूरी होने पर, परिवीक्षा प्रशिक्षण की अवधि बढ़ाने का निर्णय लेता है, वहां परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को, परिवीक्षा प्रशिक्षण की विस्तारित अवधि के सफलतापूर्वक पूरा होने पर ही, पद के वेतनमान/रनिंग पे बैंड में वेतन की अनुमति दी जाएगी।
राजस्थान सरकार 
वित्त विभाग (नियम प्रभाग) 
ज्ञापन 
संख्या एफ.1(2)एफडी(नियम)/06 भाग-I                                              जयपुर, दिनांक : 11 जून 2014
विषय: परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षुओं द्वारा परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने तथा पद के वेतनमान/चालू वेतन बैंड में वेतन प्रदान करने के संबंध में। 
वित्त विभाग के समसंख्यक ज्ञापन दिनांक 22.05.2009 द्वारा परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को परिवीक्षा प्रशिक्षण अवधि में असाधारण अवकाश प्रदान करने तथा परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने के संबंध में प्रावधान किए गए हैं। नियुक्ति प्राधिकारी वर्तमान में परिवीक्षा प्रशिक्षण की संपूर्ण अवधि के दौरान परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को तीन माह तक का असाधारण अवकाश स्वीकृत करने के लिए प्राधिकृत है। नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा वित्त विभाग की सहमति से असाधारण परिस्थितियों में परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण अवधि में तीन माह से अधिक का असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। 
ज्ञापन में यह भी प्रावधान किया गया है कि परिवीक्षा अवधि को तीन माह से अधिक असाधारण अवकाश लिए जाने की अवधि तक बढ़ाया जाएगा, जो अधिकतम एक वर्ष तक हो सकता है।
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षुओं के असाधारण अवकाश के मामलों के शीघ्र निपटान के लिए, निम्नानुसार असाधारण अवकाश प्रदान करने की शक्तियां प्रत्यायोजित करने का निर्णय लिया गया है :-
क्र.सं.  असाधारण अवकाश अवधि                               अवकाश स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी
1.    तीन माह तक                                                                नियुक्ति प्राधिकारी
2.   तीन माह से अधिक परंतु एक वर्ष से अधिक अवधि नहीं। प्रशासनिक विभाग के अनुमोदन से नियुक्ति प्राधिकारी।
असाधारण एवं अपरिहार्य परिस्थितियों में एक वर्ष से अधिक अवधि का असाधारण अवकाश नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा कार्मिक विभाग एवं वित्त विभाग के पूर्व अनुमोदन से ही प्रदान किया जाएगा।
परिवीक्षा अवधि के विस्तार से संबंधित प्रावधान को संशोधित करने का भी निर्णय लिया गया है। ऐसे सभी मामलों में जहां एक माह से अधिक अवधि के लिए असाधारण अवकाश लिया जाता है, वहां एक माह से अधिक अवधि के लिए परिवीक्षा अवधि बढ़ाई जाएगी।
इस ज्ञापन के जारी होने से पहले प्रोबेशनर ट्रेनी से संबंधित असाधारण छुट्टी के लंबित मामलों पर भी नियुक्ति प्राधिकारी और प्रशासनिक विभाग द्वारा इस आदेश के अनुसार निर्णय लिया जा सकेगा । 
यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। 
राजस्थान सरकार 
वित्त विभाग (नियम प्रभाग)
एफ.1(2)एफडी/नियम/2006 भाग-I                                           जयपुर, दिनांकः 07 अगस्त 2014
ज्ञापन
विषय: परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु द्वारा परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने तथा पद के वेतनमान/चालू वेतन बैंड में वेतन प्रदान करने के संबंध में।
वित्त विभाग के समसंख्यक ज्ञापन दिनांक 22.05.2009 में निहित प्रावधानों के अनुसार जिन परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु ने परिवीक्षा अवधि के दौरान 90 दिवस से अधिक किन्तु एक वर्ष तक असाधारण अवकाश लिया है, उनकी परिवीक्षा अवधि 90 दिवस से अधिक अवधि के लिए बढ़ाई गई थी।
उक्त ज्ञापन में आंशिक संशोधन करते हुए वित्त विभाग के समसंख्यक ज्ञापन दिनांक 11.06.2014 के अनुसार एक माह से अधिक तथा एक वर्ष तक के लिए ली गई असाधारण छुट्टी की अवधि को एक माह से अधिक ली गई असाधारण छुट्टी की अवधि तक बढ़ाया जाना है तथा यह प्रावधान दिनांक 11.06.2014 को लंबित मामलों पर भी लागू किया गया है। इसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों के एक ही वर्ग के बीच असमानता उत्पन्न हो गई है, क्योंकि असाधारण छुट्टी की मंजूरी के मामलों पर निर्णय लेने में देरी संबंधित नियुक्ति प्राधिकारियों की ओर से थी, न कि संबंधित कर्मचारियों की ओर से। तदनुसार, मामले पर विचार किया गया है तथा यह निर्णय लिया गया है कि 11.06.2014 से पूर्व असाधारण छुट्टी का लाभ उठाने वाले कर्मचारियों के सभी लंबित मामलों में परिवीक्षा की अवधि को तीन माह से अधिक ली गई असाधारण छुट्टी की अवधि तक बढ़ाया जाना है। तथापि, छुट्टी स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी दिनांक 11/06/2014 के वित्त विभाग ज्ञापन के प्रावधान के अनुसार होगा। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि जो कर्मचारी 11.06.2014 से पहले भी असाधारण अवकाश का लाभ ले रहे हैं, ऐसे मामलों पर वित्त विभाग के समसंख्यक ज्ञापन दिनांक 11.06.2014 के प्रावधानों के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
राजस्थान सरकार वित्त विभाग 
(भूमिका विकास) 
ज्ञापन 
संख्या एफ.1(1)एफडी/नियम/2006-1 जयपुर,                                            दिनांक : 8 अगस्त 2019
विषय:- परिवीक्षाधीन प्रशिक्षुओं द्वारा परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने तथा पद के वेतनमान/चालू वेतन बैंड में वेतन प्रदान किए जाने के संबंध में। वित्त विभाग के समसंख्यक ज्ञापन दिनांक 11.06.2014 में आंशिक संशोधन करते हुए उक्त ज्ञापन के पैरा 2 एवं 3 में विद्यमान प्रावधानों के स्थान पर परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को असाधारण अवकाश प्रदान किए जाने की शक्तियां निम्नानुसार प्रत्यायोजित की जाती हैं:- असाधारण अवकाश की अवधि                                 ईओएल प्रदान करने हेतु सक्षम प्राधिकारी 
1. एक माह तक                                                                 नियुक्ति प्राधिकारी 
2 अपवादात्मक परिस्थितियों में एक माह से अधिक                    प्रशासनिक विभाग 
अपरिहार्य परिस्थितियों में असाधारण अवकाश प्रदान किए जाने की शक्तियां प्रत्यायोजित की जाती हैं। परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को असाधारण अवकाश स्वीकृत करने की शक्तियां निम्नलिखित दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अधीन होंगी:-
1. ऐसे सभी मामलों में असाधारण अवकाश की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य होगी।
2. बिना पूर्व स्वीकृति के असाधारण अवकाश पर जाने वालों को जानबूझकर अनुपस्थित माना जाएगा तथा उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
3. स्वयं, पत्नी/पति, माता, पिता एवं बच्चों की गंभीर बीमारी के कारण असाधारण अवकाश के आवेदन की स्थिति में अधिकृत चिकित्सा सहायक के प्रमाण-पत्र के आधार पर असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
4. चिकित्सा संबंधी अत्यावश्यक परिस्थितियों में असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जाएगा।
5. अध्ययन के उद्देश्य से तथा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोई असाधारण अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा।
6. यदि कोई व्यक्ति असाधारण अवकाश के लिए पूर्व स्वीकृति प्राप्त किए बिना अनुपस्थित रहता है अथवा ऐसे मामलों में जहां अनुपस्थिति उच्च अध्ययन/प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के कारण है, तो अनुपस्थिति की अवधि को मृत्यु अवधि माना जाएगा तथा किसी भी उद्देश्य के लिए इसकी गणना नहीं की जाएगी। 
7. ऐसे सभी मामलों में जहां असाधारण अवकाश अवधि एक माह से अधिक है, परिवीक्षा अवधि को असाधारण अवकाश की संपूर्ण अवधि के लिए बढ़ा दिया जाएगा।
राजस्थान सरकार वित्त विभाग (नियम प्रभाग)
 स्पष्टीकरण 
संख्या एफ.1(2)एफ.डी./नियम/2006-1                                               जयपुर, दिनांक : 25.10.2019
विषय:- परिवीक्षाधीन प्रशिक्षुओं द्वारा परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने तथा पद के वेतनमान/चालू वेतन बैंड में वेतन दिए जाने के संबंध में। दिनांक 22.05.2009, 11.06.2014, 07.08.2014 तथा 08.08.2019 के समसंख्यक वित्त विभाग ज्ञापन की ओर ध्यान आकृष्ट किया जाता है, जिसके अंतर्गत परिवीक्षाधीन प्रशिक्षुओं को असाधारण अवकाश दिए जाने के प्रावधान हैं। उपरोक्त ज्ञापनों के क्रियान्वयन हेतु कुछ स्पष्टीकरण/संदेह व्यक्त किए गए हैं। तदनुसार, मामले पर राजस्थान सेवा नियमों के नियम 4ए के प्रावधानों के संदर्भ में विचार किया गया है, जिसके अंतर्गत यह उल्लेख किया गया है कि किसी अधिकारी का अवकाश का दावा, अवकाश के लिए आवेदन करने तथा स्वीकृत किए जाने के समय लागू नियमों द्वारा विनियमित होगा। अतः यह स्पष्ट किया जाता है कि:-
1. दिनांक 11.06.2014 से पूर्व तीन माह से अधिक असाधारण अवकाश लेने वाले कर्मचारियों के सभी लंबित मामलों में परिवीक्षा अवधि को तीन माह से अधिक असाधारण अवकाश लेने की अवधि तक बढ़ाया जाएगा।
2. जो कर्मचारी दिनांक 11.06.2014 तथा उसके पश्चात भी तीन माह से अधिक असाधारण अवकाश लेते रहे हैं, ऐसे मामलों में भी परिवीक्षा अवधि को तीन माह से अधिक असाधारण अवकाश लेने की अवधि तक बढ़ाया जाएगा।
3. ऐसे सभी मामलों में जहां दिनांक 11.06.2014 को अथवा उसके पश्चात एक माह से अधिक असाधारण अवकाश लिया गया है, वहां दिनांक 07.08.2019 तक एक माह से अधिक असाधारण अवकाश लेने की अवधि तक परिवीक्षा अवधि बढ़ाई जाएगी।
4. जो कर्मचारी 08.08.2019 से पहले भी एक महीने से अधिक असाधारण छुट्टी का लाभ उठा रहे थे, ऐसे मामलों में भी परिवीक्षा की अवधि एक महीने से अधिक असाधारण छुट्टी का लाभ उठाने की अवधि तक बढ़ाई जानी है। 
5. ऐसे सभी मामलों में जहां 08.08.2019 को या उसके बाद एक महीने से अधिक की असाधारण छुट्टी का लाभ उठाया जाता है, परिवीक्षा अवधि को असाधारण छुट्टी की पूरी अवधि के लिए बढ़ाया जाएगा।
राजस्थान सरकार 
वित्त विभाग (नियम सं.वि.)
ज्ञापन
एफ.1(2)एफ.डी./नियम/2006 भाग-I                                                   जयपुर, दिनांक: 06.01.2020
विषय: परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु द्वारा परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने तथा पद के वेतनमान/चालू वेतन बैंड में वेतन प्रदान करने के संबंध में।
वित्त विभाग के दिनांक 11.06.2014 के समसंख्यक ज्ञापन में आंशिक संशोधन करते हुए, उक्त ज्ञापन के पैरा 2 और 3 में निहित विद्यमान प्रावधानों के स्थान पर परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को असाधारण अवकाश प्रदान करने के लिए निम्नानुसार शक्तियां प्रत्यायोजित की जाती हैं :-
असाधारण अवकाश की अवधि                                    ईओएल प्रदान करने के लिए सक्षम प्राधिकारी
1 एक माह तक                                                                       नियुक्ति प्राधिकारी
2 असाधारण और अपरिहार्य परिस्थितियों में एक माह से अधिक         प्रशासनिक विभाग
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को असाधारण अवकाश प्रदान करने की शक्तियां निम्नलिखित दिशानिर्देशों के अनुपालन के अधीन होंगी :-
1. ऐसे सभी मामलों में असाधारण अवकाश की पूर्व स्वीकृति पूर्व-अपेक्षित होगी।
2. अध्ययन के उद्देश्य और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोई असाधारण अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा।
3. उचित आधार पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा एक माह तक का असाधारण अवकाश प्रदान किया जाएगा। एक माह से अधिक का असाधारण अवकाश चिकित्सा संबंधी अत्यावश्यकता से संबंधित असाधारण और अपरिहार्य परिस्थितियों में प्रदान किया जाएगा। 
4. स्वयं, पत्नी/पति, माता, पिता एवं बच्चों की गंभीर बीमारी के कारण असाधारण अवकाश के लिए आवेदन किए जाने की स्थिति में, प्राधिकृत चिकित्सा सहायक के प्रमाण-पत्र के आधार पर असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा।
5. बिना पूर्व स्वीकृति के असाधारण अवकाश पर जाने वालों को जानबूझकर अनुपस्थित माना जाएगा तथा उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
6. यदि कोई व्यक्ति असाधारण अवकाश के लिए पूर्व स्वीकृति प्राप्त किए बिना अनुपस्थित रहता है अथवा उच्च अध्ययन/प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के कारण अनुपस्थित रहता है, तो अनुपस्थिति की अवधि को मृत्यु अवधि माना जाएगा तथा किसी भी उद्देश्य के लिए इसकी गणना नहीं की जाएगी।
7. ऐसे सभी मामलों में जहां असाधारण अवकाश अवधि एक माह से अधिक है, परिवीक्षा अवधि को असाधारण अवकाश की संपूर्ण अवधि के लिए बढ़ाया जाएगा।
राजस्थान सरकार
 वित्त विभाग (नियम प्रबंधन) 
एफ.1(2)एफडी/नियम/2006-I                                                    जयपुर, दिनांकः 28 जनवरी 2020
ज्ञापन
विषय :- परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु द्वारा परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने तथा पद के वेतनमान/चालू वेतन बैंड में वेतन प्रदान करने के संबंध में।
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षुओं द्वारा परिवीक्षा अवधि या परिवीक्षा अवधि के बाद के कार्य के संबंध में वेतन का पुराना मानक या अवैतनिक वेतनमान/चालू वेतनमान अवैतनिक पद का बैंड वित्त विभाग के समसंख्यक ज्ञापन दिनांक 06.01.2020 के अंत में निम्नलिखित नया पैरा जोड़ा जाएगा।
"वित्त विभाग का समसंख्यक ज्ञापन दिनांक 08.08.2019 प्रतिस्थापित माना जाएगा।
वित्त विभाग 06.07.2020 के ज्ञापन के प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए दिनांक 25.10.2019 का समसंख्यक स्पष्टीकरण लागू होगा।"
राजस्थान सरकार वित्त विभाग (नियम प्रभाग) 
ज्ञापन 
संख्या एफ. 1(2)एफ.डी.नियम/2006-I                                               जयपुर, दिनांक: 22 Feb 2021
विषय:- परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षुओं द्वारा परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने तथा पद के वेतनमान/रनिंग पे बैंड-I वेतन स्तर में वेतन प्रदान किए जाने के संबंध में। 
             वित्त विभाग के समसंख्यक ज्ञापन दिनांक 06.01.2020 एवं 28.01.2020 की ओर ध्यान आकृष्ट किया जाता है, जिसके तहत परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को असाधारण अवकाश प्रदान किए जाने की शक्तियां प्रत्यायोजित की गई हैं तथा इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को अध्ययन एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोई असाधारण अवकाश स्वीकार्य नहीं है। यदि परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु की अनुपस्थिति उच्च अध्ययन अथवा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के उद्देश्य से है, तो अनुपस्थिति की अवधि को शून्य माना जाएगा तथा किसी भी कारण से इसकी गणना नहीं की जाएगी, अर्थात परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को परिवीक्षा की अवधि नए सिरे से पूरी करनी होगी। उपरोक्त प्रावधान से उस परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को कठिनाई हुई है, जो परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु के रूप में सेवा में आने के समय उच्च अध्ययन का कोई कोर्स कर रहा था अथवा निकटवर्ती प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। तदनुसार, मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया गया है तथा उपरोक्त ज्ञापन में आंशिक संशोधन करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु, जो परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु के रूप में सेवा में आने से पूर्व कोई कोर्स कर रहा था अथवा निकटवर्ती प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था तथा छुट्टी पर जाने से पूर्व असाधारण अवकाश के लिए आवेदन किया था, उसे किसी कोर्स की पढ़ाई जारी रखने अथवा निकटवर्ती प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने की अवधि के लिए असाधारण अवकाश दिया जा सकता है। परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु की अवधि अध्ययन के जारी पाठ्यक्रम को पूरा करने या निकटवर्ती प्रतियोगी परीक्षा के लिए स्वीकृत असाधारण अवकाश की अवधि तक बढ़ाई जाएगी। जो लोग बिना पूर्व मंजूरी के असाधारण अवकाश पर चले गए हैं, उन्हें जानबूझकर अनुपस्थित माना जाएगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी माना जाएगा। इस ज्ञापन के जारी होने से पहले परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को सेवा में शामिल होने से पहले अध्ययन के किसी भी पाठ्यक्रम को पूरा करने या निकटवर्ती प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने से संबंधित असाधारण अवकाश के लंबित मामलों पर भी नियुक्ति प्राधिकारी और प्रशासनिक विभाग द्वारा इस आदेश के अनुसार निर्णय लिया जा सकता है।

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