राजस्थान इतिहास के स्रोत : प्रमुख ताम्र-पत्र


राजस्थान के प्रमुख ताम्र-पत्र 

जब कोई राजा या महाराजा किसी भी अधिकारी, दरबारी, साधु-संत से खुश होकर उन्हें भूमि दान करता था। तो उन्हें साक्ष्य के रूप में ताम्रपत्र दिया जाता था।

1. चीकली ताम्रपत्र ( 1483 ई. )- किसानों से वसूल की जाने वाली विविध लाग-बागों एवं कर वसूलनें का उल्लेख मिलाता है

2. आहड़ ताम्र-पत्र (1206 ईस्वी)  यह ताम्र पत्र गुजरात के सोलंकी राजा भीमदेव (द्वितीय) का है। यह गुजरात के मूलराज से भीमदेव द्वितीय तक सोलंकी राजाओं की वंशावली डी गई है इससे यह भी पता चलता है कि भीमदेव के समय में मेवाड़ पर गुजरात का प्रभुत्व था। 

3. खेरादा ताम्र-पत्र (1437 ई.) - यह ताम्र-पत्र महाराणा कुंभा के समय का है। इसमें शंभू को 400 टके (मुद्रा) के दान का भी उल्लेख है। इसमें एकलिंगजी में राणा कुंभा द्वारा किए गए प्रायश्चित, उस समय दान किए गए खेत व  धार्मिक स्थिति की जानकारी मिलती है।

4. पुर का ताम्र-पत्र (1535 ई.) - यह ताम्र पत्र  विक्रमादित्य के समय का है। इसमें हाड़ी रानी कर्मवती द्वारा जौहर में प्रवेश करते समय दिए गए भूमि अनुदान के बारे में जानकारी दी गई है। यह ताम्रपात्र जौहर की प्रथा पर प्रकाश डालता है और इस ताम्रपत्र से चित्तौड़ के दूसरे साके का सटीक समय निर्धारण होता है।

5. धुलेव(उदयपुर) के दान पत्र (679 ई.) - इस दानपत्र में किष्किंधा के शासक भेटी द्वारा उब्बरक नामक गाँव को भट्टिनाग नामक ब्राह्मण को अनुदान के रूप में देने का उल्लेख है। इसका समय 23वां वर्ष अर्थात् हर्ष संवत है। इसमें संवत को अश्वाभुज संवत्सर कहा गया है।

6. ब्रोच गुर्जर ताम्रपात्र (978 ई.) -इस ताम्रपत्र के आधार पर कनिंघम ने राजपूतों की उत्पत्ति यू-ची जाति से मानी है। इस ताम्रपत्र में गुर्जर जाति के कबीले का सप्तसैंधव भारत से गंगा कावेरी तक के अभियान का उल्लेख है।

7. बेगूं का ताम्रपत्र (1715 ई.) - यह ताम्रपत्र महाराणा संग्राम सिंह के समय का है। इसमें प्रहलाद नामक व्यक्ति को बेगूं से एक गाँव दान में देने का उल्लेख मिलता है यह अनुदान भूमि के सभी वृक्ष, कुएँ तथा नींवाण सहित किया गया था।

8. सखेड़ी का ताम्रपत्र (1716 ई.) - यह ताम्रपत्र महारावत गोपाल सिंह का है।

इस ताम्रपत्र में कथकावल नामक कर का उल्लेख लागत-विलगत के साथ दिया गया है।

9. पाटण्या गाँव का दानपत्र (1677 ई.) - यह दानपत्र प्रतापगढ़ के महारावत प्रतापसिंह के समय का है। इसमें प्रतापसिंह द्वारा महता जयदेव को पाटण्या गाँव अनुदान में देने का उल्लेख है इस दानपत्र में प्रारंभिक गुहिल शासकों के नाम तथा प्रतापगढ़ के क्षेमकर्ण से हरिसिंह तक शासकों का उल्लेख मिलता है।

10. वरखेड़ी ताम्रपत्र (1739 ई.) - यह ताम्रपत्र प्रतापगढ़ के महारावल गोपाल सिंह के समय का है जिससें कान्हा को लाख पसाव में वरखेड़ी गाँव तथा लखणा की लागत देने की जानकारी प्राप्त होती है।

11. रंगीली ग्राम का ताम्रपत्र (1656 ई.) - यह ताम्रपत्र मेवाड़ महाराणा राजसिंह के समय का है। इसमें गाँव में लगने वाली खड़, लाकड़ और टका की लागत को भी छोड़े जाने की जानकारी मिलती है। इसमें गंधर्व मोहन को रंगीला नामक गाँव दान में देने का उल्लेख है। 

12. प्रतापगढ़ का ताम्रपत्र (1817 ई.) - यह ताम्रपात्र महारावत सामंत सिंह के समय की है। इस तामप्रत्र में महारावल सामंतसिंह के समय के ब्राह्मणों पर लगने वाले कर ‘टंकी’ (एक कर था जो प्रति रुपया एक आना लिया जाता था।) को समाप्त करने का उल्लेख है।

13. बाँसवाड़ा के दानपत्र (1747 ई. तथा 1750 ई.) -

यह दानपत्र महारावल पृथ्वीसिंह के शासनकाल का है।

इस दानपत्र में पृथ्वीसिंह द्वारा उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर जानी वसीहा को रहँट दान देने का उल्लेख मिलता है।

14. डीगरोल गाँव का ताम्रपत्र (1648 ई.) - यह ताम्रपत्र महाराणा जगतसिंह के समय का है। इस ताम्रपत्र में गढ़वी मोहनदास को आंगरिया परगने का डोगरोल गाँव अनुदान में देने का उल्लेख मिलता है। इसमें महाराणा द्वारा प्रतिवर्ष स्वर्ण तुलादान करने तथा भूमिदान करने की व्यवस्था का भी उल्लेख है।

15. पारसोली का ताम्रपत्र (1473 ई.) - यह ताम्रपत्र महाराणा रायमल के समय का है। इसमें भूमि की विभिन्न किस्मों-पीवल, गोरमो, मगरा, माल आदि का उल्लेख मिलता है।

16. राजसिंह का ताम्रपत्र (1678 ई.) - इस ताम्रपत्र में महाराणा राजसिंह के समय राजसमुद्र झील के किनारे रानी बड़ी पँवार द्वारा वेणा नागदा को दो गाँवों में तीन हल की भूमि दान करने का उल्लेख है

17. पारणपुर ताम्रपत्र (1676 ई.) - यह ताम्रपत्र रावत प्रतापसिंह के समय का है।

इसमें उस समय के पठित वर्ग तथा शासक वर्ग के नामों एवं धार्मिक अनुष्ठान करने की परम्परा का उल्लेख मिलता है।

इस ताम्रपत्र में लाग, टकी तथा रखवाली आदि करों का उल्लेख किया गया है।

18. लावा गाँव का ताम्रपत्र (1558 ई.) - इस ताम्रपत्र में महाराणा उदयसिंह द्वारा भोला ब्राह्मण को कन्याओं के विवाह के अवसर पर लिये जाने वाले ‘मापा’ नामक कर लेने की मनाही करने का उल्लेख है। बल्कि उस क्षेत्र की लड़कियों का विवाह कराने का उसका अधिकार पूर्ववत रहेगा।

19. कीटखेड़ी (प्रतापगढ़) का ताम्रपत्र (1650 ई.) - यह दान-पत्र गोवर्धन नाथ जी के मंदिर की प्रतिष्ठा का समय भट‌्ट विश्वनाथ को कीटखेड़ी गाँव दान देने के संबंध है। इस ताम्रपत्र के अंत में दो श्लोक दिए गए हैं जिसमें विश्वनाथ को ‘दीक्षागुरु’ कहा गया है।

20. कड़ियावद (प्रतापगढ़) का ताम्रपत्र (1663 ई.) - इस ताम्रपत्र में रावत हरिसिंह द्वारा बाटीराम को ‘नेग’ वसूल करने का अधिकार दिये जाने का उल्लेख है। इस ताम्रपत्र से यह प्रमाणित होता है कि ‘नेग’ वसूल करने का अधिकार चारणों को सूरजमल के समय से था।

21. गडबोड गाँव का ताम्रपत्र (1719 ई.) - यह ताम्रपत्र महाराणा संग्रामसिंह के समय का है। इसमें बाईजीराज तथा कुंवर जगतसिंह द्वारा चारभुजा मंदिर के लिए गाँव अनुदान में देने का उल्लेख किया गया है।

22. मथनदेव का ताम्रपत्र (959 ई.) - इस ताम्रपत्र में मथनदेव द्वारा देवालय के लिए भूमिदान देने का उल्लेख है।

23. बेड़वास का ताम्रपत्र (1599 ई.) -  इस ताम्रपत्र में उदयपुर बसाने के संवत् 1616 का उल्लेख मिलता है यह दानपत्र समरसिंह (बांसवाड़ा) के काल का है। इसमें एक हल भूमि दान का उल्लेख है।

24. वीरपुर का ताम्रपत्र (1185 ई.) - यह दान-पत्र के निकटवर्ती वीरपुर गाँव से प्राप्त हुआ था। इस ताम्रपत्र में गुजरात के चालुक्यों द्वारा सामंतसिंह से वागड़ का क्षेत्र छीनकर गुहिल वंश के अमृतपाल को देने का उल्लेख है। इस ताम्रपत्र में गुजरात राजा भीमदेव के सामंत वागड़ के गुहिल वंशीय राजा अमृतपालदेव के सूर्य पर्व पर भूमिदान का उल्लेख है।

25. ढोल का ताम्रपत्र (1574 ई.) - यह ताम्रपत्र महाराणा प्रताप के समय का है। इस ताम्रपत्र में प्रताप द्वारा ढोल नामक गाँव के प्रबंधक को भूमि अनुदान देने का उल्लेख मिलता है।

26. गांव पीपली (मेवाड़) का ताम्रपात्र (1576 ई.) - यह ताम्रपत्र महाराणा प्रतापसिंह के समय का है। इससे हमें जानकारी मिलाती है कि हल्दीघाटी के युद्ध के बाद, महाराणा ने मध्य मेवाड़ के क्षेत्र में लोगों को बसाने का काम शुरू किया। युद्ध के समय में जिन लोगों को नुकसान उठाना पड़ता था, उन्हें कभी-कभार मदद दी जाती थी।

27. ठीकरा गाँव की ताम्र-पत्र - इस ताम्रपत्र में  गाँव के लिए यहाँ ‘मौंजा’ शब्द का प्रयोग किया है।

28. कोघाखेड़ी (मेवाड़) का ताम्रपत्र - इस ताम्रपत्र में महाराणा संग्राम सिंह (II) द्वारा कोघाखेड़ी गाँव को दिनकर भट्ट को हिरण्याशवदान में देने का उल्लेख है

  1. गांव के लिये 'मौंजा' शब्द का प्रयोग कौनसे ताम्र पत्र में किया गया है  ? 
    ठीकरा गांव का ताम्र पत्र
  2. बेड़वास गांव का दान पत्र किस शासक से संबंधित है ? 
    समर सिंह ( बांसवाडा )
  3. उदयपुर बसाने की पुष्टि कौनसे ताम्र पत्र से होती है ?
    बेड़वास
  4. गांव गडबोड का ताम्र पत्र किसके समयाकाल का है ? 
    महाराणा श्री संग्रामसिंह
  5. किस ताम्र पत्र से पता चलता है कि बाटीराम को ' नेग ' वसुलने की अधिकार रावत हरिसिंहजी ने दिया था ? 
    कडियावद ताम्र पत्र 
  6. कड़ियावद ताम्रपत्र  के अनुसार नेग वसुलने का अधिकार चारणों को किसके समय से था
    सूरजमल  
  7. गोवर्धननाथजी के मंदिर की प्रतिष्ठा के समय दिया गया दान (कीटखेड़ी गाँव) कौनसे ताम्र पत्र में है ? 
    कीटखेडी ( प्रतापगढ़ ) का ताम्र पत्र
  8. विश्वनाथ को ' दीक्षागुरु ' कौनसे ताम्र पत्र में कहा गया है? 
    कीटखेडी ( प्रतापगढ़ ) का ताम्र पत्र
  9. महाराणा उदयसिंह द्वारा ब्राह्मण भोला को ' मापा ' कर नही लेने तथा कन्याओं का विवाह कराने का अधिकार बरकरार रखा ये बात कौनसे ताम्र से पता चलती है ? 
    लावा गाँव के ताम्र पत्र से
  10. पारणपुर दानपत्र किसके  समय का है ? 
    रावत प्रतापसिंह
  11. राजसमुद्र झील के किनारे रानी बड़ी पँवार द्वारा वेणा नागदा को दो गाँवों में तीन हल भूमि दान करने का उल्लेख किस ताम्रपत्र में है?
    राजसिंह ताम्र पत्र
  12. महाराणा जगतसिंह के काल का कौनसा ताम्र पत्र है? 
    डीगरोल गांव का ताम्र पत्र
  13. महाराणा जगतसिंह द्वारा प्रतिवर्ष स्वर्ण तुलादान और भूमिदान करने की व्यवस्था का किस ताम्रपत्रमें उल्लेख है ?
    डीगरोल गांव का ताम्र पत्र
  14. महारावल पृथ्वीसिंह द्वारा उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर जानी वसीहा को १ रहंट दान का उल्लेख किस ताम्र पत्र में है ? 
    बांसवाड़ा का ताम्र पत्र
  15. प्रतापगढ़ का ताम्र पत्र किसके समय का है ? 
    महारावत सामंतसिंह
  16. महाराणा राजसिंह ने किसे रंगीली ग्राम ( मेवाड़ ) दान में दिया था ?
    गंधर्व मोहन
  17. रंगीली ग्राम ( मेवाड़ ) का ताम्रपत्र कौनसे शासक से संबंधित है ? 
    महाराणा राजसिंह
  18. रंगीली ग्राम (मेवाड़ ) का ताम्र कब का है? 
    1656 ई.
  19. वरखेड़ी का ताम्र पत्र कब का है ? 
    1739 ई.
  20. वरखेड़ी का ताम्र पत्र किसके समय का है ? 
    महारावत गोपालसिंह
  21. महारावत गोपालसिंह द्वारा कथकावल नामक कर का उल्लेख लागत - विलगत के साथ कौनसे ताम्र पत्र में किया है ? 
    सखेड़ी का ताम्र पत्र
  22. प्रतापसिंह द्वारा महता जयदेव को पाटण्या गाँव अनुदान में देने का उल्लेख किस ताम्रपत्र में है ?
    पाटण्या ताम्र पत्र
  23. संग्रामसिंह द्वारा प्रहलाद को एक रहंट व भूमि पीवल, मांल  बाग के देने का उल्लेख कौनसे ताम्र पत्र में है ? 
    बेगूं का ताम्र पत्र  
  24. राजस्‍थान के कौन से ताम्रपत्र से रानी कर्मवती द्वारा जौहर के प्रमाण मिलते हैं ?
    पुर ताम्रपत्र
  25. गुजरात के शासक भीमदेव के समय में मेवाड़ पर गुजरात का अधिकार था यह जानकारी हमें किस ताम्रपत्र से मिलती है 
    आहड़ के ताम्रपत्र ( 1206 ) से
  26. किसके अनुसार ब्रोच गुर्जर ताम्रपात्र के आधार पर राजपूतों की उत्पत्ति कुषाणों की यू-ची जाति से मानी है।
    कनिंघम ने
  27. किसानों से वसूल की जाने वाली विविध लाग-बागों (कर) का उल्लेख किसमें प्राप्त होता है?
    चीकली ताम्रपत्र 1483 ई.



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