प्रकाश का परावर्तन -जब कोई प्रकाश की किरण एक माध्यम से चलकर दूसरे माध्यम की सतह से टकराकर वापस उसी माध्यम में लौट आती है तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।
प्रकाश परावर्तन के नियम
(i)आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं
(ii) आपतन कोण ∠i व परावर्तन कोण ∠r बराबर होते हैं
∠ i = ∠ r
समतल दर्पण से प्रतिबिंब निर्माण
1. समतल दर्पण से प्रतिबिंब आभासी व सीधा बनता है
2. प्रतिबिंब का साइज वस्तु के साइज के बराबर होता है
3. प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु सामने स्थित होती है
4. समतल दर्पण से प्रतिबिंब पार्श्व परिवर्तित होता है।
पार्श्व परावर्तन
समतल दर्पण से बने प्रतिबिंब में वस्तु का बायां भाग दांयी ओर तथा दायां भाग बांयी ओर दिखाई देता है इसे पार्श्व परावर्तन कहते हैं
गोलीय दर्पण
ऐसे दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ गोलीय होता है, गोलीय दर्पण कहलाता है गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते है
1.अवतल दर्पण- इसका परावर्तक पृष्ठ अन्दर की ओर धँसा हुआ होता है अवतल दर्पण प्रकाश की किरणों को अभिसरित (एकत्रित) करता है
2.उत्तल दर्पण-इसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की तरफ उभरा हुआ होता है उत्तल दर्पण प्रकाश की किरणो को अपसरित (फैलाता) करता है
गोलीय दर्पण से संबंधित पद
1.ध्रुव (P) – गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ का मध्य बिन्दु ध्रुव कहलाता है।
2.वक्रता केन्द्र (C) –गोलीय दर्पण को जिस गोले का कटा हुआ भाग माना जाता है उस गोले का केंद्र वक्रता केंद्र कहलाता है
3.वक्रता त्रिज्या (R) – गोलीय दर्पण को जिस गोले का कटा हुआ भाग माना जाता है उस गोले की त्रिज्या वक्रता त्रिज्या कहलाती है वक्रता त्रिज्या R फोकस दूरी F की दोगुनी होती है अर्थात R=2f
4.मुख्य अक्ष – गोलीय दर्पण के ध्रुव व वक्रता केन्द्र को मिलाने वाली रेखा मुख्य अक्ष कहलाती है।
5.मुख्य फोकस (F) –अवतल दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरणे परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष पर जिस बिन्दु पर मिलती है उसे अवतल दर्पण का फोकस कहते हैं।
उत्तल दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरणे परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के एक बिन्दु आती हूई प्रतीत होती है उसे उत्तल दर्पण का फोकस कहते हैं।
6.फोकस दूरी (f)- गोलीय दर्पण के ध्रुव व फोकस के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहलाती हैं।
7.द्वारक- गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ की वृत्ताकार सीमा रेखा का व्यास दर्पण का द्वारक कहलाता है
अवतल दर्पण से प्रतिबिम्ब निर्माण
1.जब वस्तु अनंत पर हो-
प्रतिबिंब मुख्य फोकस पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब अत्यधिक छोटा बिंदु जैसा बनता हैै
2.जब वस्तु वक्रता केंद्र व अनंत के मध्य हो
प्रतिबिंब फोकस हुए वक्रता केंद्र के बीच बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिंब छोटा बनता है
3.जब वस्तु वक्रता केंद्र पर हो
प्रतिबिंब वक्रता केंद्र पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब स्तु के बराबर बनता है
4.जब वस्तु वक्रता केंद्र व फोकस के मध्य हो
प्रतिबिंब वक्रता केंद्र से परे बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है
5.जब वस्तु मुख्य फोकस पर हो तो-
प्रतिबिंब अनंत पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक एवं उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब बहुत बड़ा बनता है
6.जब वस्तु फोकस व ध्रुव के मध्य हो
प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है
प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है
अवतल दर्पण के उपयोग
1.अवतल दर्पण का उपयोग वाहनों के अग्रदीपों में प्रकाश का शक्तिशाली समांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
2.उपग्रहों से प्राप्त संकेतों को एकत्रित कर रिसीवर तक पहुंचाने के लिए सेटेलाइट डिस एन्टीना में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है
3.दन्त विशेषज्ञों द्वारा दान्तो को बङा देखने के लिए अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है
4.अवतल दर्पण का उपयोग चेहरे का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए सेविंग दर्पण के रूप मे किया जाता है
5. सौर भट्टियों में सूर्य के प्रकाश को केंद्रित करने के लिए बड़े अवतल दर्पणों का उपयोग किया जाता है।
उत्तल दर्पण से प्रतिबिंब निर्माण
1.जब वस्तु अनंत पर हो-
प्रतिबिंब दर्पण के पीछे फोकस पर बनता है
प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब अत्याधिक छोटा बनता है
2. जब वस्तु अनंत व ध्रुव के बीच कहीं भी हो
प्रतिबिंब दर्पण के पीछे ध्रुव व फोकस के बीच बनता है
प्रतिबिंब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब छोटा बनता है
उत्तल दर्पण के उपयोग
1.उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों में पश्च दृश्य दर्पण एवं पार्श्व दर्पण के रूप में किया जाता है
2.ATM मशीन के पास सुरक्षा की दृष्टि से उत्तल दर्पण लगाए जाते हैं
दर्पण सूत्र
f= दर्पण की फोकस दूरी
u= वस्तु की दर्पण से दूरी
v= प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी
प्रकाश का अपवर्तन
जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो दोनों माध्यमों के पृथक्कारी तल पर अपने मूल मार्ग से विचलित हो जाती है इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते है जैसे पानी में आंशिक रूप से डूबी हुई पेंसिल का मुड़ा हुआ दिखाई देना, गिलास में बड़ा सिक्का ऊपर उठा हुआ दिखाई देना, नदी का पेंदा ऊपर उठा हुआ दिखाई देना
जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो प्रकाश के वेग में परिवर्तन होता है वेग में परिवर्तन के कारण अपवर्तन होता है
अपवर्तन के नियम
1.अपवर्तन के दौरान आपतित किरण, अपवर्तित किरण और अभिलंब तीनों एक ही तल में होते है
2.स्नेल का नियम -अपवर्तन में आपतन कोण की ज्या (sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sin r)का अनुपात सदैव स्थिर रहता है इसे स्नेल का नियम कहते हैं
अपवर्तनांक
प्रकाश का निर्वात या हवा में वेग तथा किसी माध्यम में प्रकाश के वेग का अनुपात अपवर्तनांक कहलाता है
अपवर्तनांक माध्यम की प्रकृति, घनत्व व प्रकाश के रंग पर निर्भर करता है। बैंगनी रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे अधिक तथा लाल रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे होता है
गोलीय लेंस
दो पृष्ठों से घिरा पारदर्शी माध्यम जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय होते है लेंस कहलाता है लेंस दो प्रकार के होते हैं
1.उत्तल लेंस- उत्तल लेंस किनारों पर पतला व बीच में से मोटा होता है उत्तल लेंस प्रकाश की किरणों को अपवर्तन के पश्चात एक स्थान पर अभिसरित (केन्द्रित ) करता है इसलिए इसे अभिसारी लेंस भी कहते हैं
2.अवतल लेंस -अवतल लेंस किनारों से मोटा व बीच में से पतला होते है अवतल लेंस प्रकाश की किरणों को अपवर्तन के पश्चात अपसरित ( फैला) देता है इसलिए इसे अपसारी लेंस भी कहते है
गोलीय लेंस से संबंधित पद
1.वक्रता केंद्र -लेंस को जिन गोलो का कटा हुआ भाग माना जाता है उन दोनों के केंद्र वक्रता केन्द्र कहलाते हैं 2.वक्रता त्रिज्या- लेंस को जिन गोलो का कटा हुआ भाग माना जाता है उन गोलो की त्रिज्या वक्रतात्रिज्या कहलाती है
3.मुख्य अक्ष- किसी लेंस के वक्रता केंद्रो को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा मुख्य अक्ष कहलाती है
4.प्रकाशिक केंद्र -किसी लेंस की मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिंदु जहां से गुजरने वाली प्रकाश की किरण बिना मुङे सीधी निकल जाती है
5.मुख्य फोकस - मुख्य के समांतर आने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष पर जिस बिंदु पर मिलती है अथवा मिलती हुई प्रतीत होती है उसे मुख्य फोकस कहते हैं
6.फोकस दूरी- लेंस के प्रकाशिक केंद्र व मुख्य पक्ष के बीच की दूरी फोकस दूरी कहलाती है
अवतल लैंस से प्रतिबिंब
1.जब वस्तु अनंत पर हो
प्रतिबिंब फोकस F₁ पर बनता है
प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब अत्याधिक छोटा बनता है
2.जब वस्तु अनंत व प्रकाश केंद्र के बीच कहीं भी हो
प्रतिबिंब फोकस F₁ व प्रकाश केंद्र के बीच बनता है
प्रतिबिंब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब छोटा बनता है
उत्तल लैस से प्रतिबिम्ब निर्माण
1.जब वस्तु अनंत पर हो-
प्रतिबिंब मुख्य फोकस F2 पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब अत्यधिक छोटा बिंदु जैसा बनता हैै
2.जब वस्तु अनंत व 2F₁ के मध्य हो-
प्रतिबिंब F2 व 2F2 के बीच बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिंब छोटा बनता है
3.जब वस्तु 2F₁ पर हो-
प्रतिबिंब 2F2 पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब वस्तु के बराबर बनता है
4.जब वस्तु 2F1 व F1के मध्य हो-
प्रतिबिंब 2F2 व अनन्त से परे बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है
5.जब वस्तु F₁ पर हो-
प्रतिबिंब अनंत पर बनता है
प्रतिबिम्ब वास्तविक एवं उल्टा बनता है
प्रतिबिम्ब बहुत बड़ा बनता है
6 .जब वस्तु F₁ व प्रकाश केंद्र के मध्य हो
प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है
प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता है
प्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है
लेंस सूत्र
f= लेंस की फोकस दूरी
u= वस्तु की लेंस से दूरी
v= प्रतिबिम्ब की लेंस से दूरी
आवर्धन
किसी लेंस द्वारा वस्तु को आवर्धित करने की क्षमता को आवर्धनता कहते हैं प्रतिबिंब की ऊंचाई एवं बिंब की ऊंचाई के अनुपात को आवर्धनता को दर्शाता है
उत्तल दर्पण के लिए आवर्धन का मान हमेशा धनात्मक होता है
लेंस क्षमता
किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा को उसकी क्षमता के रूप में व्यक्त किया जाता है। लेंस की फोकस(f) दूरी का व्युत्क्रम लेंस क्षमता कहलाता है
इसका मात्रक डायोप्टर होता है
यदि f को मीटर में व्यक्त करें तो क्षमता को डाइऑप्टर में व्यक्त किया जाता है। अतः 1 डाइऑप्टर उस लेंस की क्षमता है जिसकी फोकस दूरी 1 मीटर हो।
उतल लेंस की लेंस क्षमता धनात्मक व अवतल लेंस की लेंस क्षमता ॠणात्मक होती है
प्रकाश का विवर्तन - यदि प्रकाश के पथ में रखी अपारदर्शी वस्तु अत्यंत छोटी हो तो प्रकाश सरल रेखा में चलने की बजाय इसके किनारों पर मुड़ने की प्रवृत्ति दर्शाता है प्रकाश के इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं।
- प्रकाश का वेग सर्वाधिक किसमें होता हैनिर्वात में
- वक्रता त्रिज्या और फोकस दूरी में संबंध लिखिएवक्रता त्रिज्या R फोकस दूरी F की दोगुनी होती हैR=2f
- निर्वात्त में प्रकाश की चाल कितनी होती है?3 × 10⁸ m/s
- दंत विशेषज्ञ मरीजों के दाँतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए किस दर्पण का उपयोग करते हैं ?अवतल दर्पण का
- वाहनों के पश्च दृश्य दर्पणों के रूप में किस दर्पण का उपयोग किया जाता है ?उत्तल दर्पण का
- शेविंग दर्पण के रूप में किस दर्पण का उपयोग किया जाता है ?अवतल दर्पण
- अवतल लेंस के सामने रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब सदैव होता है ?आभासी व सीधा
- टॉर्च, सर्चलाइट तथा वाहनों के अग्रदीपों में प्रकाश समांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किस दर्पण का उपयोग किया जाता है ?अवतल दर्पण
- सौर भट्टियों में सूर्य के प्रकाश को केंद्रित करने के लिए किस बड़े दर्पणों का उपयोग किया जाता है ?अवतल दर्पण
- गोलीय लेंस की वृत्ताकार रूपरेखा का प्रभावी व्यास कहलाता है?द्वारक
- यदि किसी लेंस की क्षमता + 1D हो तो उस लेंस की फोकस दूरी कितनी होगी ?100 सेमी या 1 मीटर
- उस भौतिक राशि का नाम बताइये जो प्रकाश के एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करने पर अपरिवर्तित रहती है ?प्रकाश की आवृत्ति ।
- एक उत्तल दर्पण में सदैव किस प्रकार का प्रतिबिम्ब बनता है ?आभासी व सीधा
- प्रकाश का विवर्तन किसे कहते हैयदि प्रकाश के पथ में रखी अपारदर्शी वस्तु अत्यंत छोटी हो तो प्रकाश सरल रेखा में चलने की बजाय इसके किनारों पर मुड़ने की प्रवृत्ति दर्शाता है प्रकाश के इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं।
- प्रकाश का अपवर्तन क्यों होता हैजब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो प्रकाश के वेग में परिवर्तन होता है वेग में परिवर्तन के कारण अपवर्तन होता है
- प्रकाश के परावर्तन से क्या अभिप्राय हैजब कोई प्रकाश की किरण एक माध्यम से चलकर दूसरे माध्यम की सतह से टकराकर वापस उसी माध्यम में लौट आती है तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं। परावर्तन दो प्रकार का होता है
- पार्श्व परावर्तन किसे कहते हैंसमतल दर्पण से बने प्रतिबिंब में वस्तु का बायां भाग दांयी ओर तथा दायां भाग बांयी ओर दिखाई देता है इसे पार्श्व परावर्तन कहते हैं
- समतल दर्पण से किस प्रकार का प्रतिबिंब बनता है1.आभासी व सीधा बनताा है2.प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु सामने स्थित होती है
- उत्तल दर्पण के उपयोग लिखिए1.उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों में पश्च दृश्य दर्पण एवं पार्श्व दर्पण के रूप में किया जाता है2.ATM मशीन के पास सुरक्षा की दृष्टि से उत्तल दर्पण लगाए जाते हैं
- प्रकाश परावर्तन के नियम लिखिए(i)आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं(ii)आपतन कोण ∠i व परावर्तन कोण ∠r बराबर होते हैं ∠ i = ∠ r
- प्रकाश का अपवर्तन किसे कहते हैंजब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो दोनों माध्यमों के पृथक्कारी तल पर अपने मूल मार्ग से विचलित हो जाती है इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते है जैसे पानी में आंशिक रूप से डूबी हुई पेंसिल का मुड़ा हुआ दिखाई देना, गिलास में बड़ा सिक्का ऊपर उठा हुआ दिखाई देना, नदी का पेंदा ऊपर उठा हुआ दिखाई देना
- लेंस क्षमता से क्या अभिप्राय है इसका मात्रक लिखिएकिसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा को उसकी क्षमता के रूप में व्यक्त किया जाता है। लेंस की फोकस(f) दूरी का व्युत्क्रम लेंस क्षमता कहलाता है इसका मात्रक डायोप्टर होता हैउतल लेंस की लेंस क्षमता धनात्मक व अवतल लेंस की लेंस क्षमता ॠणात्मक होती है
- दर्पण सूत्र लिखिए
1f =1υ –1u f= दर्पण की फोकस दूरीu= वस्तु की दर्पण से दूरीv= प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी - लेंस सूत्र लिखिए=
1υ –1u f= लेंस की फोकस दूरीu= वस्तु की लेंस से दूरीv= प्रतिबिम्ब की लेंस से दूरी - वाहनों के पश्च-दृश्य दर्पणों में उत्तल दर्पणों का उपयोग क्यों किया जाता हैवाहनों के पश्च-दृश्य दर्पणों के रूप उत्तल दर्पणों को इसलिए भी प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि ये सदैव सीध प्रतिबिंब बनाते हैं यद्यपि वह छोटा होता है। इनका दृष्टि-क्षेत्रा भी बहुत अधिक है क्योंकि ये बाहर की ओर वक्रित होते हैं। अतः समतल दर्पण की तुलना में उत्तल दर्पण ड्राइवर को अपने पीछे के बहुत बड़े क्षेत्र को देखने में समर्थ बनाते हैं।
- अपवर्तन के नियम लिखिए1.अपवर्तन के दौरान आपतित किरण, अपवर्तित किरण और अभिलंब तीनों एक ही तल में होते है2.स्नेल का नियम -अपवर्तन में आपतन कोण की ज्या (sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sin r)का अनुपात सदैव स्थिर रहता है इसे स्नेल का नियम कहते हैं
sin i sin r = नियतांक - आवर्धनता से क्या अभिप्राय हैकिसी लेंस/दर्पण द्वारा वस्तु को आवर्धित करने की क्षमता को आवर्धनता कहते हैं प्रतिबिंब की ऊंचाई एवं बिंब की ऊंचाई के अनुपात को आवर्धनता को दर्शाता हैउत्तल दर्पण के लिए आवर्धन का मान हमेशा धनात्मक होता है
- गोलीय दर्पण किसे कहते हैं ये कितने प्रकार के होते हैऐसे दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ गोलीय होता है, गोलीय दर्पण कहलाता है गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते है1.अवतल दर्पण- इसका परावर्तक पृष्ठ अन्दर की ओर धँसा हुआ होता है अवतल दर्पण प्रकाश की किरणों को अभिसरित (एकत्रित) करता है2.उत्तल दर्पण-इसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की तरफ उभरा हुआ होता है उत्तल दर्पण प्रकाश की किरणो को अपसरित (फैलाता) करता है
- गोलीय लेंस किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैंदो पृष्ठों से घिरा पारदर्शी माध्यम जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय होते है लेंस कहलाता है लेंस दो प्रकार के होते हैं1.उत्तल लेंस- उत्तल लेंस किनारों पर पतला व बीच में से मोटा होता है उत्तल लेंस प्रकाश की किरणों को अपवर्तन के पश्चात एक स्थान पर अभिसरित (केन्द्रित ) करता है इसलिए इसे अभिसारी लेंस भी कहते हैं2.अवतल लेंस -अवतल लेंस किनारों से मोटा व बीच में से पतला होते है अवतल लेंस प्रकाश की किरणों को अपवर्तन के पश्चात अपसरित ( फैला) देता है इसलिए इसे अपसारी लेंस भी कहते है
- अवतल दर्पण के उपयोग लिखिए1.अवतल दर्पण का उपयोग वाहनों के अग्रदीपों में प्रकाश का शक्तिशाली समांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किया जाता है।2. सौर भट्टियों में सूर्य के प्रकाश को केंद्रित करने के लिए बड़े अवतल दर्पणों का उपयोग किया जाता है।3.उपग्रहों से प्राप्त संकेतों को एकत्रित कर रिसीवर तक पहुंचाने के लिए सेटेलाइट डिस एन्टीना में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है4.दन्त विशेषज्ञों द्वारा दान्तो को बङा देखने के लिए अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है5.अवतल दर्पण का उपयोग चेहरे का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए सेविंग दर्पण के रूप मे किया जाता है
- वास्तविक व आभासी प्रतिबिम्ब में अन्तर लिखिएवास्तविक प्रतिबिम्ब1.प्रकाश की किरणें परावर्तन के पश्चात जब किसी बिंदु पर वास्तव मिलती है तो बनने वाला प्रतिबिंब वास्तविक प्रतिबिंब कहलाता है2.वास्तविक प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है3.वास्तविक प्रतिबिंब सदैव उल्टे बनते हैंआभासी प्रतिबिम्ब1.प्रकाश की किरणें परावर्तन के पश्चात जब वास्तव में नहीं मिलती है बल्कि उन्हें पीछे की और बढ़ाने पर मिलती हुई प्रतीत होती है तो बनने वाला प्रतिबिंब आभासी प्रतिबिंब कहलाता है2.आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नही किया जा सकता है3.आभासी प्रतिबिंब सदैव सीधे बनते हैं
- अवतल लैंस से प्रतिबिंब निर्माण समझाइए1.जब वस्तु अनंत पर होप्रतिबिंब फोकस F1 पर बनता हैप्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता हैप्रतिबिम्ब अत्याधिक छोटा बनता है2.जब वस्तु अनंत व प्रकाश केंद्र के बीच कहीं भी होप्रतिबिंब फोकस F1 व प्रकाश केंद्र के बीच बनता हैप्रतिबिंब आभासी व सीधा बनता हैप्रतिबिम्ब छोटा बनता है
- उत्तल दर्पण से प्रतिबिंब निर्माण समझाइए1.जब वस्तु अनंत पर होप्रतिबिंब दर्पण के पीछे फोकस पर बनता हैप्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता हैप्रतिबिम्ब अत्याधिक छोटा बनता है2.जब वस्तु अनंत व ध्रुव के बीच कहीं भी होप्रतिबिंब दर्पण के पीछे ध्रुव व फोकस के बीच बनता हैप्रतिबिंब आभासी व सीधा बनता हैप्रतिबिम्ब छोटा बनता है
- गोलीय दर्पण से सम्बन्धित निम्न पदों को समझाइए।1.ध्रुव – गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ का मध्य बिन्दु ध्रुव कहलाता है।2.वक्रता केन्द्र –गोलीय दर्पण को जिस गोले का कटा हुआ भाग माना जाता है उस गोले का केंद्र वक्रता केंद्र कहलाता है3.वक्रता त्रिज्या – गोलीय दर्पण को जिस गोले का कटा हुआ भाग माना जाता है उस गोले की त्रिज्या वक्रता त्रिज्या कहलाती है4.मुख्य अक्ष – गोलीय दर्पण के ध्रुव व वक्रता केन्द्र को मिलाने वाली रेखा मुख्य अक्ष कहलाती है।5.मुख्य फोकस –अवतल दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरणे परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष पर जिस बिन्दु पर मिलती है उसे अवतल दर्पण का फोकस कहते हैं।उत्तल दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरणे परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के एक बिन्दु आती हूई प्रतीत होती है उसे उत्तल दर्पण का फोकस कहते हैं।6.फोकस दूरी (f)- गोलीय दर्पण के ध्रुव व फोकस के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहलाती हैं।7.द्वारक- गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ की वृत्ताकार सीमा रेखा का व्यास दर्पण का द्वारक कहलाता है
- गोलीय लेंस से संबंधित निम्न पदों को परिभाषित कीजिए1.वक्रता केंद्र -लेंस को जिन गोलो का कटा हुआ भाग माना जाता है उन दोनों के केंद्र वक्रता केन्द्र कहलाते हैं 2.वक्रता त्रिज्या- लेंस को जिन गोलो का कटा हुआ भाग माना जाता है उन गोलो की त्रिज्या वक्रतात्रिज्या कहलाती है3.मुख्य अक्ष- किसी लेंस के वक्रता केंद्रो को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा मुख्य अक्ष कहलाती है4.प्रकाशिक केंद्र -किसी लेंस की मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिंदु जहां से गुजरने वाली प्रकाश की किरण बिना मुङे सीधी निकल जाती है5.मुख्य फोकस - मुख्य के समांतर आने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष पर जिस बिंदु पर मिलती है अथवा मिलती हुई प्रतीत होती है उसे मुख्य फोकस कहते हैं6.फोकस दूरी- लेंस के प्रकाशिक केंद्र व मुख्य पक्ष के बीच की दूरी फोकस दूरी कहलाती है
- अवतल दर्पण से प्रतिबिम्ब निर्माण समझाइए1.जब वस्तु अनंत पर हो-प्रतिबिंब मुख्य फोकस पर बनता हैप्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा बनता हैप्रतिबिम्ब अत्यधिक छोटा बिंदु जैसा बनता हैै2.जब वस्तु वक्रता केंद्र व अनंत के मध्य होप्रतिबिंब फोकस हुए वक्रता केंद्र के बीच बनता हैप्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता हैप्रतिबिंब छोटा बनता है3.जब वस्तु वक्रता केंद्र पर होप्रतिबिंब वक्रता केंद्र पर बनता हैप्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता हैप्रतिबिम्ब स्तु के बराबर बनता है4.जब वस्तु वक्रता केंद्र व फोकस के मध्य होप्रतिबिंब वक्रता केंद्र से परे बनता हैप्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता हैप्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है5.जब वस्तु मुख्य फोकस पर हो तो-प्रतिबिंब अनंत पर बनता हैप्रतिबिम्ब वास्तविक एवं उल्टा बनता हैप्रतिबिम्ब बहुत बड़ा बनता है6.जब वस्तु फोकस व ध्रुव के मध्य होप्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता हैप्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता हैप्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है
- उत्तल लैस से प्रतिबिम्ब निर्माण समझाइए1.जब वस्तु अनंत पर हो-प्रतिबिंब मुख्य फोकस F2 पर बनता हैप्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा बनता हैप्रतिबिम्ब अत्यधिक छोटा बिंदु जैसा बनता हैै2.जब वस्तु अनंत व 2F1 के मध्य हो-प्रतिबिंब F2 व 2F2 के बीच बनता हैप्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता हैप्रतिबिंब छोटा बनता है3.जब वस्तु 2F1 पर हो-प्रतिबिंब 2F2 पर बनता हैप्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता हैप्रतिबिम्ब वस्तु के बराबर बनता है4.जब वस्तु 2F1 व F1के मध्य हो-प्रतिबिंब 2F2 व अनन्त से परे बनता हैप्रतिबिम्ब वास्तविक व उल्टा बनता हैप्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है5.जब वस्तु F1 पर हो-प्रतिबिंब अनंत पर बनता हैप्रतिबिम्ब वास्तविक एवं उल्टा बनता हैप्रतिबिम्ब बहुत बड़ा बनता है6.जब वस्तु F1 व प्रकाश केंद्र के मध्य होप्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता हैप्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनता हैप्रतिबिम्ब वस्तु से बड़ा बनता है
- 38 सेमी वक्रता त्रिज्या वाले उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिएवक्रता त्रिज्या R फोकस दूरी F की दोगुनी होती हैअर्थात R = 2fअतः f =चूंकि R = 38 सेमीअतः f =f = 19 सेमी
- उस लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी क्षमता -2.0 D है। यह किस प्रकार का लेंस है?लेंस की क्षमता के सूत्र सेP =f =
1P P =12 [लेंस की क्षमता P = -2.0D]f = -0.5 mf = -0.5 x 100 cm 100 cmf = -50 cmचूँकि फोकस दूरी ऋणात्मक है; अतः लेंस अवतल होगा। - 7.0 cm साइज़ का कोई बिंब 18 cm फोकस दूरी के किसी अवतल दर्पण के सामने 27 cm दूरी पर रखा गया है। दर्पण से कितनी दूरी पर किसी परदे को रखें कि उस पर वस्तु का स्पष्ट फोकसित प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सके? प्रतिबिंब का साइज़ तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।बिंब का आकार h = 7 cmदर्पण की बिम्ब से दूरी u=-27 cmफोकस दूरी f = -18 cmप्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी υ = ?
1f =1v +1u =1f -1v == –υ = – 54 cmअतः पर्दे को दर्पण के सामने 54 cm दूर रखना होगा। m=h'h =-v u m=h'7 =−54 27 h'7 =−54 27 h'7 = - 2h' = -14 cmप्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा 14 cm ऊँचा होगा। - कोई डॉक्टर 1.5 D क्षमता का संशोधक लेंस निर्धारित करता है। लेंस की पफोकस दूरी ज्ञात कीजिए। क्या निर्धरित लेंस अभिसारी है अथवा अपसारी?लेंस की क्षमता, P = +1.5 DP =
1 से,ff =1 Pf =1 m1.5f =11.5 x 100 cm = +67 cmचूँकि फोकस दूरी धनात्मक है; अतः लेंस अभिसारी होगा।