सूचक
वे पदार्थ जो अपने रंग और गंध में परिवर्तन के द्वारा किसी विलयन में अम्ल एवं क्षारक की उपस्थिति को सूचित करते हैं। सूचक कहलाते है
प्राकृतिक सूचक: प्राकृतिक पदार्थों से प्राप्त होने वाले सूचक प्राकृतिक सूचक कहलाते है
Example - लिटमस, हल्दी, लाल पत्ता गोभी, गुड़हल का पुष्प
संश्लेषित सूचक: चक प्रयोगशाला में निर्मित सूचक संश्लेषित सूचक कहलाते है
Example -मेथिल ऑरेंज एवं फीनॉल्फथेलिन
लिटमस विलयन बैंगनी रंग का रंजक होता है जो थैलोफाइटा समूह के लिचेन पौधे से निकाला जाता है। लिटमस विलयन जब न तो अम्लीय होता है न ही क्षारकीय, तब यह बैंगनी रंग का होता है।
गंधीय सूचक : कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी गंध अम्लीय या क्षारकीय माध्यम में बदल जाती है। इन्हें गंधीय सूचक कहते हैं।
Example -वैनिला, प्याज एवं लौंग का तेल
सार्वत्रिक सूचक : सार्वत्रिक सूचक अनेक सूचकों का मिश्रण होता है, जो किसी विलयन में हाइड्रोजन आयन की विभिन्न सांद्रता को विभिन्न रंगों में प्रदर्शित करते हैं।
Example - pH स्केल
अम्ल
1. अम्ल स्वाद में खट्टे होते है
2. अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं।
3.
क्षारक
1. क्षारक का स्पर्श साबुन की तरह व स्वाद कड़वा होता है
2. क्षारक लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं।
3. इनकी प्रकृति संक्षारक होती है।
1. अम्ल एवं क्षारक की धातु के साथ अभिक्रिया
धातु व अम्ल की अभिक्रिया
अम्ल धातु से अभिक्रिया कर संगत लवण और हाइड्रोजन गैस बनाते है :
अम्ल + धातु → लवण + हाइड्रोजन गैस
Example -
जिंक सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके जिंक सल्फेट और हाइड्रोजन गैस बनाते है |
H2 SO4 + Zn → ZnSO4 + H2
वे पदार्थ जो अपने रंग और गंध में परिवर्तन के द्वारा किसी विलयन में अम्ल एवं क्षारक की उपस्थिति को सूचित करते हैं। सूचक कहलाते है
प्राकृतिक सूचक: प्राकृतिक पदार्थों से प्राप्त होने वाले सूचक प्राकृतिक सूचक कहलाते है
Example - लिटमस, हल्दी, लाल पत्ता गोभी, गुड़हल का पुष्प
संश्लेषित सूचक: चक प्रयोगशाला में निर्मित सूचक संश्लेषित सूचक कहलाते है
Example -मेथिल ऑरेंज एवं फीनॉल्फथेलिन
लिटमस विलयन बैंगनी रंग का रंजक होता है जो थैलोफाइटा समूह के लिचेन पौधे से निकाला जाता है। लिटमस विलयन जब न तो अम्लीय होता है न ही क्षारकीय, तब यह बैंगनी रंग का होता है।
गंधीय सूचक : कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी गंध अम्लीय या क्षारकीय माध्यम में बदल जाती है। इन्हें गंधीय सूचक कहते हैं।
Example -वैनिला, प्याज एवं लौंग का तेल
सार्वत्रिक सूचक : सार्वत्रिक सूचक अनेक सूचकों का मिश्रण होता है, जो किसी विलयन में हाइड्रोजन आयन की विभिन्न सांद्रता को विभिन्न रंगों में प्रदर्शित करते हैं।
Example - pH स्केल
अम्ल
1. अम्ल स्वाद में खट्टे होते है
2. अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं।
3.
क्षारक
1. क्षारक का स्पर्श साबुन की तरह व स्वाद कड़वा होता है
2. क्षारक लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं।
3. इनकी प्रकृति संक्षारक होती है।
1. अम्ल एवं क्षारक की धातु के साथ अभिक्रिया
धातु व अम्ल की अभिक्रिया
अम्ल धातु से अभिक्रिया कर संगत लवण और हाइड्रोजन गैस बनाते है :
अम्ल + धातु → लवण + हाइड्रोजन गैस
Example -
जिंक सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके जिंक सल्फेट और हाइड्रोजन गैस बनाते है |
H2 SO4 + Zn → ZnSO4 + H2
जिंक हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया करके जिंक क्लोराइड और हाइड्रोजन गैस बनाते है |
2 HCl + Zn → ZnCl2 + H2
धातु व क्षारक की अभिक्रिया
क्षारक धातुओं से अभिक्रिया कर संगत धातु का लवण और हाइड्रोजन गैस बनाते हैं |
क्षारक + धातु → लवण + हाइड्रोजन गैस
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड जिंक के साथ अभिक्रिया कर सोडियम ज़िन्केट और हाइड्रोजन गैस देता है |
2NaOH + Zn → Na2ZnO2 + H2
2. धातु कार्बोनेट/धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट के साथ अम्ल की अभिक्रिया
सभी धातु कार्बोनेट और हाइड्रोजनकार्बोनेट अम्ल के साथ अभिक्रिया कर संगत लवण, कार्बन डाइऑक्साइड और जल प्रदान करता है |
धातु कार्बोनेट + अम्ल ⟶ लवण + कार्बन डाइऑक्साइड + जल
सोडियम कार्बोनेट , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर सोडियम क्लोराइड, कार्बन डाइऑक्साइड और जल प्रदान करता है |
Na2CO3 + HCl ⟶ 2NaCl + H2O + CO2
इसी प्रकार सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर सोडियम क्लोराइड, कार्बन डाइऑक्साइड और जल प्रदान करता है |
धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट + अम्ल ⟶ लवण + कार्बन डाइऑक्साइड + जल
NaHCO3 + HCl ⟶ NaCl + H2O + CO2
उदासीनीकरण अभिक्रिया
अम्ल व क्षार परस्पर क्रिया करके एक दूसरे के प्रभाव को नष्ट कर देते हैं तथा लवण व जल बनाते हैं इसे उदासीनीकरण की अभिक्रिया कहते हैं यह ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया होती है
अम्ल + क्षारक ⟶ लवण + जल
Example-
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया करके साधारण नमक और जल बनाता है
NaOH + HCl → NaCl + H2O
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया करके सोडियम नाइट्रेट और जल बनाता है |
NaOH + HNO3 → NaNO3 + H2O
पोटेशियम हाइड्रोऑक्साइड, सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया करके पोटेशियम सल्फेट और जल बनाता है
2KOH + H2SO4 → K2SO4 + 2H2O
अम्ल और धात्विक ऑक्साइड की अभिक्रिया
अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रिया के समान ही अम्ल धात्विक ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करके लवण एवं जल प्रदान करते हैं, अतः धात्विक ऑक्साइड को क्षारकीय ऑक्साइड भी कहते हैं।
अम्ल + धातु ऑक्साइड ⟶ लवण + जल
Example-
कॉपर ऑक्साइड हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कॉपर क्लोराइड एवं जल प्रदान करता है |
CuO + 2HCl → CuCl2 + H2O
क्षारक और अधातु ऑक्साइड का अभिक्रिया :
क्षारक अधातु ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करके लवण एवं जल का निर्माण करते है।
क्षारक + अधातु ऑक्साइड ⟶ लवण + जल
Example-
जब कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड (चूने का पानी) में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित की जाती है कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड जो एक क्षारक है, कार्बन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करके लवण एवं जल का निर्माण करता है। चूँकि यह क्षारक एवं अम्ल के बीच होने वाली अभिक्रिया के समान है, अतः हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि अधात्विक ऑक्साइड अम्लीय प्रकृति के होते हैं।
Ca(OH)2 + CO2 CaCO3 H2O
जलीय विलियन में अम्ल व क्षारक
अम्ल का जलीय विलियन
अम्ल जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन [H+] उत्पन्न करते है, तथा इसी कारण उनके गुणधर्म अम्लीय होते है । अम्लों से हाइड्रोजन आयन [H+] केवल जलीय विलियन में ही उत्पन्न होते है ये हाइड्रोजन आयन [H+] स्वतंत्र रूप में नहीं रह सकते है इसलिए हाइड्रोजन आयन [H+] जल के साथ मिलकर हाइड्रोनियम आयन [H3O+] के रूप में पाए जाते है
HCl जल H++ Cl-
H+ + H2O ⟶ H3O+
HCl + H2O ⟶ H3O+ + Cl-
जल की उपस्थिति में HCl में हाइड्रोजन आयन उत्पन्न होते हैं। इसलिए HCl का जलीय विलियन अम्लीय होता है जबकि जल की अनुपस्थिति में HCl अणुओं से H+ आयन पृथक नहीं हो सकते हैं। इसलिए शुष्क HCl अम्लीय गुण प्रदर्शित नहीं करता है
क्षारक जलीय विलियन में हाइड्रॉक्साइड आयन [OH-] उत्पन्न करते हैं।
NaOH जल Na+ + OH-
सभी क्षारक जल में घुलनशील नहीं होते हैं। जल में घुलनशील क्षारक को क्षार कहते हैं ।
जल में अम्ल या क्षारक के घुलने की प्रक्रिया अत्यंत ऊष्माक्षेपी होती है। इसलिए जल में सांद्र नाइट्रिक अम्ल या सल्फ्यूरिक अम्ल को मिलाते समय अत्यंत सावधानी रखनी चाहिए। अम्ल को सदैव धीरे-धीरे तथा जल को लगातार हिलाते हुए जल में मिलाना चाहिए। जल में सांद्र अम्ल मिलाने पर उत्पन्न हुई ऊष्मा के कारण मिश्रण आस्फलित होकर बाहर आ सकता है तथा आप जल सकते हैं। साथ ही अत्यधिक स्थानीय ताप के कारण प्रयोग में उपयोग किया जा रहा काँच का पात्र भी टूट सकता है।
तनुकरण
जल में अम्ल या क्षारक मिलाने पर क्रमशः H3O+ व OH– आयन की सांद्रता में प्रति इकाई आयतन में कमी हो जाती है। इस प्रक्रिया को तनुकरण कहते हैं
प्रबल अम्ल
वे अम्ल जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित हो जाते हैं प्रबल अम्ल कहलाते हैं
या
जलीय विलियन में अधिक संख्या में H + आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलाते हैं
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl)
सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4)
नाइट्रिक अम्ल( HNO3)
दुर्बल अम्ल
वे अम्ल जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित नहीं होते हैं दुर्बल अम्ल कहलाते हैं
या
जलीय विलियन मेंकम H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल दुर्बल अम्ल कहलाते हैं
जैसे एसिटिक अम्ल, कार्बनिक अम्ल
प्रबल क्षार
वे क्षार जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित हो जाते हैं प्रबल क्षार कहलाते हैं
जैसे सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH), पोटेशियम हाइड्रोक्साइड (KOH)
दुर्बल क्षार
वे क्षार जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित नहीं होते हैं दुर्बल क्षार कहलाते हैं
जैसे मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड, कैल्शियम हाइड्रोक्साइड
pH स्केल
किसी विलियन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने वाली स्केल pH स्केल कहलाती है pH स्केल का निर्माण सोरेनसन ने किया pH स्केल में p जर्मन शब्द पुसांस अर्थात शक्ति का सूचक तथा H हाइड्रोजन आयनो का सूचक है pH स्केल से अम्ल क्षार की सामर्थ्य ज्ञात की जाती है यह एक प्रकार का सार्वत्रिक सूचक होता है |
किसी भी उदासीन विलयन के pH का मान 7 होगा |
यदि pH स्केल में किसी विलयन का मान 7 से कम है तो यह अम्लीय होगा pH मान 7 से कम होने पर H+ आयन की सांद्रता बढती है | अर्थात अम्ल की शक्ति बढ़ रही है |
यदि pH का मान 7 से अधिक है वह क्षार होगा pH मान 7 से अधिक होने पर OH- की सांद्रता बढती है अर्थात क्षारक की शक्ति बढ़ रही है |
विभिन्न पदार्थों का pH मान
जठर रस ⟹ 1.2
2 HCl + Zn → ZnCl2 + H2
धातु व क्षारक की अभिक्रिया
क्षारक धातुओं से अभिक्रिया कर संगत धातु का लवण और हाइड्रोजन गैस बनाते हैं |
क्षारक + धातु → लवण + हाइड्रोजन गैस
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड जिंक के साथ अभिक्रिया कर सोडियम ज़िन्केट और हाइड्रोजन गैस देता है |
2NaOH + Zn → Na2ZnO2 + H2
2. धातु कार्बोनेट/धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट के साथ अम्ल की अभिक्रिया
सभी धातु कार्बोनेट और हाइड्रोजनकार्बोनेट अम्ल के साथ अभिक्रिया कर संगत लवण, कार्बन डाइऑक्साइड और जल प्रदान करता है |
धातु कार्बोनेट + अम्ल ⟶ लवण + कार्बन डाइऑक्साइड + जल
सोडियम कार्बोनेट , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर सोडियम क्लोराइड, कार्बन डाइऑक्साइड और जल प्रदान करता है |
Na2CO3 + HCl ⟶ 2NaCl + H2O + CO2
इसी प्रकार सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर सोडियम क्लोराइड, कार्बन डाइऑक्साइड और जल प्रदान करता है |
धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट + अम्ल ⟶ लवण + कार्बन डाइऑक्साइड + जल
NaHCO3 + HCl ⟶ NaCl + H2O + CO2
उदासीनीकरण अभिक्रिया
अम्ल व क्षार परस्पर क्रिया करके एक दूसरे के प्रभाव को नष्ट कर देते हैं तथा लवण व जल बनाते हैं इसे उदासीनीकरण की अभिक्रिया कहते हैं यह ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया होती है
अम्ल + क्षारक ⟶ लवण + जल
Example-
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया करके साधारण नमक और जल बनाता है
NaOH + HCl → NaCl + H2O
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया करके सोडियम नाइट्रेट और जल बनाता है |
NaOH + HNO3 → NaNO3 + H2O
पोटेशियम हाइड्रोऑक्साइड, सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया करके पोटेशियम सल्फेट और जल बनाता है
2KOH + H2SO4 → K2SO4 + 2H2O
अम्ल और धात्विक ऑक्साइड की अभिक्रिया
अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रिया के समान ही अम्ल धात्विक ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करके लवण एवं जल प्रदान करते हैं, अतः धात्विक ऑक्साइड को क्षारकीय ऑक्साइड भी कहते हैं।
अम्ल + धातु ऑक्साइड ⟶ लवण + जल
Example-
कॉपर ऑक्साइड हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कॉपर क्लोराइड एवं जल प्रदान करता है |
CuO + 2HCl → CuCl2 + H2O
क्षारक और अधातु ऑक्साइड का अभिक्रिया :
क्षारक अधातु ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करके लवण एवं जल का निर्माण करते है।
क्षारक + अधातु ऑक्साइड ⟶ लवण + जल
Example-
जब कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड (चूने का पानी) में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित की जाती है कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड जो एक क्षारक है, कार्बन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करके लवण एवं जल का निर्माण करता है। चूँकि यह क्षारक एवं अम्ल के बीच होने वाली अभिक्रिया के समान है, अतः हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि अधात्विक ऑक्साइड अम्लीय प्रकृति के होते हैं।
Ca(OH)2 + CO2 CaCO3 H2O
जलीय विलियन में अम्ल व क्षारक
अम्ल का जलीय विलियन
अम्ल जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन [H+] उत्पन्न करते है, तथा इसी कारण उनके गुणधर्म अम्लीय होते है । अम्लों से हाइड्रोजन आयन [H+] केवल जलीय विलियन में ही उत्पन्न होते है ये हाइड्रोजन आयन [H+] स्वतंत्र रूप में नहीं रह सकते है इसलिए हाइड्रोजन आयन [H+] जल के साथ मिलकर हाइड्रोनियम आयन [H3O+] के रूप में पाए जाते है
HCl जल H++ Cl-
H+ + H2O ⟶ H3O+
HCl + H2O ⟶ H3O+ + Cl-
जल की उपस्थिति में HCl में हाइड्रोजन आयन उत्पन्न होते हैं। इसलिए HCl का जलीय विलियन अम्लीय होता है जबकि जल की अनुपस्थिति में HCl अणुओं से H+ आयन पृथक नहीं हो सकते हैं। इसलिए शुष्क HCl अम्लीय गुण प्रदर्शित नहीं करता है
क्षारक जलीय विलियन में हाइड्रॉक्साइड आयन [OH-] उत्पन्न करते हैं।
NaOH जल Na+ + OH-
सभी क्षारक जल में घुलनशील नहीं होते हैं। जल में घुलनशील क्षारक को क्षार कहते हैं ।
जल में अम्ल या क्षारक के घुलने की प्रक्रिया अत्यंत ऊष्माक्षेपी होती है। इसलिए जल में सांद्र नाइट्रिक अम्ल या सल्फ्यूरिक अम्ल को मिलाते समय अत्यंत सावधानी रखनी चाहिए। अम्ल को सदैव धीरे-धीरे तथा जल को लगातार हिलाते हुए जल में मिलाना चाहिए। जल में सांद्र अम्ल मिलाने पर उत्पन्न हुई ऊष्मा के कारण मिश्रण आस्फलित होकर बाहर आ सकता है तथा आप जल सकते हैं। साथ ही अत्यधिक स्थानीय ताप के कारण प्रयोग में उपयोग किया जा रहा काँच का पात्र भी टूट सकता है।
तनुकरण
जल में अम्ल या क्षारक मिलाने पर क्रमशः H3O+ व OH– आयन की सांद्रता में प्रति इकाई आयतन में कमी हो जाती है। इस प्रक्रिया को तनुकरण कहते हैं
प्रबल अम्ल
वे अम्ल जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित हो जाते हैं प्रबल अम्ल कहलाते हैं
या
जलीय विलियन में अधिक संख्या में H + आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलाते हैं
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl)
सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4)
नाइट्रिक अम्ल( HNO3)
दुर्बल अम्ल
वे अम्ल जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित नहीं होते हैं दुर्बल अम्ल कहलाते हैं
या
जलीय विलियन मेंकम H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल दुर्बल अम्ल कहलाते हैं
जैसे एसिटिक अम्ल, कार्बनिक अम्ल
प्रबल क्षार
वे क्षार जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित हो जाते हैं प्रबल क्षार कहलाते हैं
जैसे सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH), पोटेशियम हाइड्रोक्साइड (KOH)
दुर्बल क्षार
वे क्षार जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित नहीं होते हैं दुर्बल क्षार कहलाते हैं
जैसे मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड, कैल्शियम हाइड्रोक्साइड
pH स्केल
किसी विलियन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने वाली स्केल pH स्केल कहलाती है pH स्केल का निर्माण सोरेनसन ने किया pH स्केल में p जर्मन शब्द पुसांस अर्थात शक्ति का सूचक तथा H हाइड्रोजन आयनो का सूचक है pH स्केल से अम्ल क्षार की सामर्थ्य ज्ञात की जाती है यह एक प्रकार का सार्वत्रिक सूचक होता है |
किसी भी उदासीन विलयन के pH का मान 7 होगा |
यदि pH स्केल में किसी विलयन का मान 7 से कम है तो यह अम्लीय होगा pH मान 7 से कम होने पर H+ आयन की सांद्रता बढती है | अर्थात अम्ल की शक्ति बढ़ रही है |
यदि pH का मान 7 से अधिक है वह क्षार होगा pH मान 7 से अधिक होने पर OH- की सांद्रता बढती है अर्थात क्षारक की शक्ति बढ़ रही है |
विभिन्न पदार्थों का pH मान
जठर रस ⟹ 1.2
नींबू का रस ⟹ 2.2
शुद्ध जल ⟹ 7
रक्त ⟹ 7.4
मिल्क ऑफ मैग्नीशिया ⟹ 10
NaOH विलयन ⟹ 14
दैनिक जीवन में pH का महत्त्व
1. पौधे एवं पशुओं की pH के प्रति संवेदनशील
हमारा शरीर 7.0 से 7.8 pH परास के बीच कार्य करता है। जीवित प्राणी केवल संकीर्ण pH परास में ही जीवित रह सकते हैं। वर्षा के जल की pH मान जब 5.6 से कम हो जाती है तो वह अम्लीय वर्षा कहलाती है। अम्लीय वर्षा का जल जब नदी में प्रवाहित होता है तो नदी के जल के pH का मान कम हो जाता है। ऐसी नदी में जलीय जीवधारियों की उत्तरजीविता कठिन हो जाती है। शुक्र का वायुमंडल सल्फ्यूरिक अम्ल के मोटे श्वेत एवं पीले बादलों से बना है। अच्छी उपज के लिए पौधों को एक विशिष्ट pH परास की आवश्यकता होती है।
2. हमारे पाचन तंत्र का pH
हमारा उदर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल उत्पन्न करता है। यह उदर को हानि पहुँचाए बिना भोजन के पाचन में सहायक होता है। अपच की स्थिति में उदर अत्यधिक मात्र में अम्ल उत्पन्न करता है जिसके कारण उदर में दर्द एवं जलन का अनुभव होता है। इस दर्द से मुक्त होने के लिए ऐन्टैसिड जैसे क्षारकों का उपयोग किया जाता है। ऐन्टैसिड अम्ल की आधिक्य मात्र को उदासीन करता है। इसके लिए मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (मिल्क ऑपफ मैगनीशिया) जैसे दुर्बल क्षारक का उपयोग किया जाता है।
3. pH परिवर्तन के कारण दंत-क्षय
मुँह के pH का मान 5.5 से कम होने पर दाँतों का क्षय प्रारंभ हो जाता है। दाँतों का इनैमल कैल्सियम हाइड्रोक्सीएपेटाइट से बना होता है जो कि शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। यह जल में नहीं घुलता लेकिन मुँह की pH का मान 5.5 से कम होने पर यह संक्षारित हो जाता है। मुँह में उपस्थित बैक्टीरिया, भोजन के पश्चात मुँह में अवशिष्ट शर्करा एवं खाद्य पदार्थों का निम्नीकरण करके अम्ल उत्पन्न करते हैं। भोजन के बाद मुँह साफ करने से इससे बचाव किया जा सकता है। मुँह की सफाई के लिए क्षारकीय दंत-मंजन का उपयोग करने से अम्ल की आधिक्य मात्रा को उदासीन किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप दंत क्षय को रोका जा सकता है।
दंतक्षय क्या है समझाइए
भोजन के पश्चात मुख में उपस्थित जीवाणु दांतों पर लगे भोजन से क्रिया करके अम्ल उत्पन्न करते हैं जिससे मुख का pH 5.5 से कम हो जाता है और दांतों का इनैमल का क्षय होने लगता है अतः भोजन के पश्चात क्षारीय दंत समंजन का उपयोग करना चाहिए जो अम्ल को उदासीन कर देता है
4. पशुओं एवं पौधों द्वारा उत्पन्न रसायनों से आत्मरक्षा
मधुमक्खी का डंक एक अम्ल छोड़ता है जिसके कारण दर्द एवं जलन का अनुभव होता है। डंक मारे गए अंग में बेंकिग सोडा जैसे दुर्बल क्षारक के उपयोग से आराम मिलता है। नेटल के डंक वाले बाल मेथैनॉइक अम्ल छोड़ते हैं जिनके कारण जलन वाले दर्द का अनुभव होता है।
प्रकृति उदासीनीकरण के विकल्प देती है
नेटल एक शाकीय पादप है जो जंगलों में पाया जाता है। इसके पत्तों में डंकनुमा बाल होते हैं जो अगर गलती से छू जाएँ तो डंक जैसा दर्द होता है। इन बालों से मेथैनॉइक अम्ल का स्राव होने के कारण दर्द होता है। पारंपरिक तौर पर इसका इलाज डंक वाले स्थान पर डॉक पौधे की पत्ती रगड़कर किया जाता है। ये पौधे अधिकतर नेटल के पास ही पैदा होते हैं।
विभिन्न प्राकृतिक पदार्थों में पाए जाने वाले अम्ल
प्राकृतिक स्रोत ⟹ अम्ल
1. पौधे एवं पशुओं की pH के प्रति संवेदनशील
हमारा शरीर 7.0 से 7.8 pH परास के बीच कार्य करता है। जीवित प्राणी केवल संकीर्ण pH परास में ही जीवित रह सकते हैं। वर्षा के जल की pH मान जब 5.6 से कम हो जाती है तो वह अम्लीय वर्षा कहलाती है। अम्लीय वर्षा का जल जब नदी में प्रवाहित होता है तो नदी के जल के pH का मान कम हो जाता है। ऐसी नदी में जलीय जीवधारियों की उत्तरजीविता कठिन हो जाती है। शुक्र का वायुमंडल सल्फ्यूरिक अम्ल के मोटे श्वेत एवं पीले बादलों से बना है। अच्छी उपज के लिए पौधों को एक विशिष्ट pH परास की आवश्यकता होती है।
2. हमारे पाचन तंत्र का pH
हमारा उदर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल उत्पन्न करता है। यह उदर को हानि पहुँचाए बिना भोजन के पाचन में सहायक होता है। अपच की स्थिति में उदर अत्यधिक मात्र में अम्ल उत्पन्न करता है जिसके कारण उदर में दर्द एवं जलन का अनुभव होता है। इस दर्द से मुक्त होने के लिए ऐन्टैसिड जैसे क्षारकों का उपयोग किया जाता है। ऐन्टैसिड अम्ल की आधिक्य मात्र को उदासीन करता है। इसके लिए मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (मिल्क ऑपफ मैगनीशिया) जैसे दुर्बल क्षारक का उपयोग किया जाता है।
3. pH परिवर्तन के कारण दंत-क्षय
मुँह के pH का मान 5.5 से कम होने पर दाँतों का क्षय प्रारंभ हो जाता है। दाँतों का इनैमल कैल्सियम हाइड्रोक्सीएपेटाइट से बना होता है जो कि शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। यह जल में नहीं घुलता लेकिन मुँह की pH का मान 5.5 से कम होने पर यह संक्षारित हो जाता है। मुँह में उपस्थित बैक्टीरिया, भोजन के पश्चात मुँह में अवशिष्ट शर्करा एवं खाद्य पदार्थों का निम्नीकरण करके अम्ल उत्पन्न करते हैं। भोजन के बाद मुँह साफ करने से इससे बचाव किया जा सकता है। मुँह की सफाई के लिए क्षारकीय दंत-मंजन का उपयोग करने से अम्ल की आधिक्य मात्रा को उदासीन किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप दंत क्षय को रोका जा सकता है।
दंतक्षय क्या है समझाइए
भोजन के पश्चात मुख में उपस्थित जीवाणु दांतों पर लगे भोजन से क्रिया करके अम्ल उत्पन्न करते हैं जिससे मुख का pH 5.5 से कम हो जाता है और दांतों का इनैमल का क्षय होने लगता है अतः भोजन के पश्चात क्षारीय दंत समंजन का उपयोग करना चाहिए जो अम्ल को उदासीन कर देता है
4. पशुओं एवं पौधों द्वारा उत्पन्न रसायनों से आत्मरक्षा
मधुमक्खी का डंक एक अम्ल छोड़ता है जिसके कारण दर्द एवं जलन का अनुभव होता है। डंक मारे गए अंग में बेंकिग सोडा जैसे दुर्बल क्षारक के उपयोग से आराम मिलता है। नेटल के डंक वाले बाल मेथैनॉइक अम्ल छोड़ते हैं जिनके कारण जलन वाले दर्द का अनुभव होता है।
प्रकृति उदासीनीकरण के विकल्प देती है
नेटल एक शाकीय पादप है जो जंगलों में पाया जाता है। इसके पत्तों में डंकनुमा बाल होते हैं जो अगर गलती से छू जाएँ तो डंक जैसा दर्द होता है। इन बालों से मेथैनॉइक अम्ल का स्राव होने के कारण दर्द होता है। पारंपरिक तौर पर इसका इलाज डंक वाले स्थान पर डॉक पौधे की पत्ती रगड़कर किया जाता है। ये पौधे अधिकतर नेटल के पास ही पैदा होते हैं।
विभिन्न प्राकृतिक पदार्थों में पाए जाने वाले अम्ल
प्राकृतिक स्रोत ⟹ अम्ल
सिरका ⟹ ऐसीटिक अम्ल
खट्टा दूध (दही) ⟹ लैक्टिक अम्ल
संतरा ⟹ सिट्रिक अम्ल
नींबू ⟹ सिट्रिक अम्ल
इमली ⟹ टार्टरिक अम्ल
चींटी का डंक ⟹ मेथैनॉइक अम्ल
टमाटर ⟹ ऑक्सैलिक अम्ल
नेटल का डंक ⟹ मेथैनॉइक अम्ल
लवण
लवण अम्ल एवं क्षारक की उदासीनीकरण अभिक्रिया से निर्मित आयनिक उत्पाद है |
अम्लीय लवण :- अम्लीय लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होता है इन लवणों का pH मान 7 से कम होता है
HCl + NH4OH → NH4Cl + H2O
प्रबल अम्ल दुर्बल क्षारक अम्लीय लवण
उदासीन लवण :- उदासीन लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता है |इन लवणों का pH मान 7 होता है
HCl + NaOH → NaCl + H2O
प्रबल अम्ल प्रबल क्षारक उदासीन लवण
क्षारकीय लवण :- क्षारकीय लवण प्रबल क्षारक एवं दुर्बल अम्ल की आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता है |इन लवणों का pH मान 7 से अधिक होता है
CH3COOH + NaOH → CH3COONa + H2O
दुर्बल अम्ल प्रबल क्षारक क्षारकीय लवण
साधारण नमक से रसायन
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं सोडियम हाइड्रॉक्साइड के विलयन की अभिक्रिया से उत्पन्न लवण को सोडियम क्लोराइड कहते हैं। यह एक उदासीन लवण है।
विश्व के कई भागों में बड़े आकार के भूरे रंग के ठोस लवण का निक्षेप होता है। इसे खनिज नमक कहते हैं।
इस प्रकार प्राप्त साधारण नमक हमारे दैनिक उपयोग के कई पदार्थों जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड, बेंकिग सोडा, वाशिग सोडा, विरंजक चूर्ण आदि के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा पदार्थ है।
सोडियम हाइड्रॉक्साइड [NaOH]
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन से विद्युत प्रवाहित करने पर यह वियोजित होकर सोडियम हाइड्रॉक्साइड उत्पन्न करता है। इस प्रक्रिया को क्लोर-क्षार प्रक्रिया कहते हैं क्योंकि इससे निर्मित उत्पाद - क्लोरीन (क्लोर) एवं सोडियम हाइड्रॉक्साइड (क्षार) होते हैं।
2NaCl + 2H2O ⟶ 2NaOH+ Cl2 + H2
क्लोरीन गैस ऐनोड पर मुक्त होती है एवं हाइड्रोजन गैस कैथोड पर कैथोड पर सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन का निर्माण भी होता है।
विरंजक चूर्ण [CaOCl2]
विरंजक चूर्ण का रासायनिक नाम कैल्शियम ऑक्सी क्लोराइड है विरंजक चूर्ण इसका सामान्य नाम है
जब शुष्क बुझे हुए चूने की क्लोरीन से क्रिया कराई जाती है तो विरंजक चूर्ण का निर्माण होता है।
Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O
शुष्क बुझा हुआ चूना
विरंचक चूर्ण का उपयोगः
1. वस्त्र व कागज उद्योग में विरंजक के रूप में
2. पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए।
3. रासायनिक उद्योगों में एक उपचायक के रूप में
बेकिंग सोडा [NaHCO3]
इस यौगिक का रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट व सामान्य नाम बेकिंग सोडा है।
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलियन की CO2 व अमोनिया से क्रिया करवाकर बेकिंग सोडा बनाया जाता है।
NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NaHCO3 + NH4Cl
बेकिंग सोडा का उपयोग
1. बेंकिग पाउडर [बेंकिग सोडा + टार्टरिक ] बनाने में
जब बेकिंग पाउडर को गर्म किया जाता है या जल मिलाया जाता है तो इस अभिक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड बनती है कार्बन डाइऑक्साइड से पावरोटी या केक में खमीर उठता है इससे ये मुलायम एवं स्पंजी हो जाता है।
NaHCO3 Na2CO3+ H2O + CO2
2. सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट एक ऐन्टैसिड है। क्षारीय होने के कारण यह पेट में अम्ल की अधिकता को उदासीन करके राहत पहुँचाता है।
3. इसका उपयोग सोडा-अम्ल अग्निशामक में भी किया जाता है।
धोने का सोडा [Na2CO3.10H2O]
धोने के सोडे का रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट है
सोडियम कार्बोनेट के पुनः क्रिस्टलीकरण से धोने का सोडा प्राप्त होता है।
Na 2CO3 + 10H2O Na2CO3.10H2O
धोने के सोडे के उपयोग
सोडियम कार्बोनेट का उपयोग काँच, साबुन एवं कागज़ उद्योगों में होता है।
इसका उपयोग बोरेक्स जैसे सोडियम यौगिक के उत्पादन में होता है।
सोडियम कार्बोनेट का उपयोग घरों में साफ-सप़फाई के लिए होता है।
जल की स्थायी कठोरता को हटाने के लिए इसका उपयोग होता है।
प्लास्टर ऑफ पेरिस –
जिप्सम को 373 K पर गर्म करने पर यह जल के अणुओं का त्याग कर कैल्सियम सल्प़ेफट अर्धहाइड्रेट / हेमिहाइड्रेट बनाता है। इसे प्लास्टर ऑफ पेरिस कहते हैं।
CaSO4.2H2O 373 ⇾ CaSO4.½H2O +1½H2O
जिप्सम प्लास्टर ऑफ पेरिस
प्लास्टर ऑफ पेरिस एक सफेद चूर्ण है जो जल मिलाने पर शीघ्र ही जमकर ठोस व कठोर हो जाता है एवं पुनः जिप्सम में बदल जाता है इसीलिए प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्रता रोधी बर्तनों में रखा जाता है
CaSO4.½H2O +1½H2O → CuSO4.2H2O
प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग
डॉक्टर टूटी हुई हड्डियों को सही जगह पर स्थिर रखने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग करते हैं।
प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग खिलौना बनाने में किया जाता है
प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग सजावट का सामान एवं सतह को चिकना बनाने के लिए किया जाता है।
क्रिस्टलन का जल
लवण के इकाई सूत्र में उपस्थित जल के अणु की निश्चित संख्या क्रिस्टलन का जल कहलाती है
Example-
1. कॉपर सल्फेट [CuSO4.5H2O]
कॉपर सल्फेट में क्रिस्टलन के जल के पांच अणु होते है कॉपर सल्फेट क्रिस्टलन जल की उपस्थिति के कारण रंगीन होता है जब कॉपर सल्फेट को गर्म करते हैं तो इसमें उपस्थित जल हट जाता है एवं लवण का रंग श्वेत हो जाता है।
2. धोने का सोडा [Na2CO3.10H2O]
धोने का सोडा में जल के दस अणु पाए जाते है
लवण अम्ल एवं क्षारक की उदासीनीकरण अभिक्रिया से निर्मित आयनिक उत्पाद है |
अम्लीय लवण :- अम्लीय लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होता है इन लवणों का pH मान 7 से कम होता है
HCl + NH4OH → NH4Cl + H2O
प्रबल अम्ल दुर्बल क्षारक अम्लीय लवण
उदासीन लवण :- उदासीन लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता है |इन लवणों का pH मान 7 होता है
HCl + NaOH → NaCl + H2O
प्रबल अम्ल प्रबल क्षारक उदासीन लवण
क्षारकीय लवण :- क्षारकीय लवण प्रबल क्षारक एवं दुर्बल अम्ल की आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता है |इन लवणों का pH मान 7 से अधिक होता है
CH3COOH + NaOH → CH3COONa + H2O
दुर्बल अम्ल प्रबल क्षारक क्षारकीय लवण
साधारण नमक से रसायन
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं सोडियम हाइड्रॉक्साइड के विलयन की अभिक्रिया से उत्पन्न लवण को सोडियम क्लोराइड कहते हैं। यह एक उदासीन लवण है।
विश्व के कई भागों में बड़े आकार के भूरे रंग के ठोस लवण का निक्षेप होता है। इसे खनिज नमक कहते हैं।
इस प्रकार प्राप्त साधारण नमक हमारे दैनिक उपयोग के कई पदार्थों जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड, बेंकिग सोडा, वाशिग सोडा, विरंजक चूर्ण आदि के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा पदार्थ है।
सोडियम हाइड्रॉक्साइड [NaOH]
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन से विद्युत प्रवाहित करने पर यह वियोजित होकर सोडियम हाइड्रॉक्साइड उत्पन्न करता है। इस प्रक्रिया को क्लोर-क्षार प्रक्रिया कहते हैं क्योंकि इससे निर्मित उत्पाद - क्लोरीन (क्लोर) एवं सोडियम हाइड्रॉक्साइड (क्षार) होते हैं।
2NaCl + 2H2O ⟶ 2NaOH+ Cl2 + H2
क्लोरीन गैस ऐनोड पर मुक्त होती है एवं हाइड्रोजन गैस कैथोड पर कैथोड पर सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन का निर्माण भी होता है।
विरंजक चूर्ण [CaOCl2]
विरंजक चूर्ण का रासायनिक नाम कैल्शियम ऑक्सी क्लोराइड है विरंजक चूर्ण इसका सामान्य नाम है
जब शुष्क बुझे हुए चूने की क्लोरीन से क्रिया कराई जाती है तो विरंजक चूर्ण का निर्माण होता है।
Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O
शुष्क बुझा हुआ चूना
विरंचक चूर्ण का उपयोगः
1. वस्त्र व कागज उद्योग में विरंजक के रूप में
2. पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए।
3. रासायनिक उद्योगों में एक उपचायक के रूप में
बेकिंग सोडा [NaHCO3]
इस यौगिक का रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट व सामान्य नाम बेकिंग सोडा है।
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलियन की CO2 व अमोनिया से क्रिया करवाकर बेकिंग सोडा बनाया जाता है।
NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NaHCO3 + NH4Cl
बेकिंग सोडा का उपयोग
1. बेंकिग पाउडर [बेंकिग सोडा + टार्टरिक ] बनाने में
जब बेकिंग पाउडर को गर्म किया जाता है या जल मिलाया जाता है तो इस अभिक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड बनती है कार्बन डाइऑक्साइड से पावरोटी या केक में खमीर उठता है इससे ये मुलायम एवं स्पंजी हो जाता है।
NaHCO3 Na2CO3+ H2O + CO2
2. सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट एक ऐन्टैसिड है। क्षारीय होने के कारण यह पेट में अम्ल की अधिकता को उदासीन करके राहत पहुँचाता है।
3. इसका उपयोग सोडा-अम्ल अग्निशामक में भी किया जाता है।
धोने का सोडा [Na2CO3.10H2O]
धोने के सोडे का रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट है
सोडियम कार्बोनेट के पुनः क्रिस्टलीकरण से धोने का सोडा प्राप्त होता है।
Na 2CO3 + 10H2O Na2CO3.10H2O
धोने के सोडे के उपयोग
सोडियम कार्बोनेट का उपयोग काँच, साबुन एवं कागज़ उद्योगों में होता है।
इसका उपयोग बोरेक्स जैसे सोडियम यौगिक के उत्पादन में होता है।
सोडियम कार्बोनेट का उपयोग घरों में साफ-सप़फाई के लिए होता है।
जल की स्थायी कठोरता को हटाने के लिए इसका उपयोग होता है।
प्लास्टर ऑफ पेरिस –
जिप्सम को 373 K पर गर्म करने पर यह जल के अणुओं का त्याग कर कैल्सियम सल्प़ेफट अर्धहाइड्रेट / हेमिहाइड्रेट बनाता है। इसे प्लास्टर ऑफ पेरिस कहते हैं।
CaSO4.2H2O 373 ⇾ CaSO4.½H2O +1½H2O
जिप्सम प्लास्टर ऑफ पेरिस
प्लास्टर ऑफ पेरिस एक सफेद चूर्ण है जो जल मिलाने पर शीघ्र ही जमकर ठोस व कठोर हो जाता है एवं पुनः जिप्सम में बदल जाता है इसीलिए प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्रता रोधी बर्तनों में रखा जाता है
CaSO4.½H2O +1½H2O → CuSO4.2H2O
प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग
डॉक्टर टूटी हुई हड्डियों को सही जगह पर स्थिर रखने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग करते हैं।
प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग खिलौना बनाने में किया जाता है
प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग सजावट का सामान एवं सतह को चिकना बनाने के लिए किया जाता है।
क्रिस्टलन का जल
लवण के इकाई सूत्र में उपस्थित जल के अणु की निश्चित संख्या क्रिस्टलन का जल कहलाती है
Example-
1. कॉपर सल्फेट [CuSO4.5H2O]
कॉपर सल्फेट में क्रिस्टलन के जल के पांच अणु होते है कॉपर सल्फेट क्रिस्टलन जल की उपस्थिति के कारण रंगीन होता है जब कॉपर सल्फेट को गर्म करते हैं तो इसमें उपस्थित जल हट जाता है एवं लवण का रंग श्वेत हो जाता है।
2. धोने का सोडा [Na2CO3.10H2O]
धोने का सोडा में जल के दस अणु पाए जाते है
- दो संश्लेषित सूचकों के नाम लिखिए
मैथिल ऑरेंज और फिनोफ्थलीन - चींटी के डंक में कौन सा अम्ल पाया जाता है
फॉर्मिक अम्ल - लाइकेन से निष्कर्षित अम्ल क्षारक सूचक का नाम बताइए।
लिटमस - शुद्ध जल का ph मान क्या होता है?
7 - किसी विलियन की उदासीन प्रकृति के लिए pH का मन कितना होताहै 7
- कठोर जल को मृदु जल में बदलने के लिए किसका उपयोग किया जाता हैधोने का सोडा [Na2CO3.10H2O]/ सोडियम कार्बोनेट
- कोई विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है, इसका pH सम्भवतः क्या होगा?7 से अधिक 14 तक
- अपच का उपचार करने के लिए निम्न में से किस औषधि का उपयोग होता है ?ऐन्टैसिड (प्रतिअम्ल)
- कैल्सियम कार्बोनेट [CaCO3] के विविध रूपों के नाम लिखों ।चुना पत्थर , खडिया , संगमरमर ।
- हमारे उदर में कौन सा अम्ल पाया जाता है
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल - बैंकिंग पाउडर के घटकों के नाम लिखिएबेंकिग सोडा व टार्टरिक अम्ल
- क्षार किसे कहते हैं ?जल में विलेय क्षारक क्षार कहलाते हैं। जैसे NaOH
- दो प्राकृतिक संसूचकों के नाम लिखिए।लिटमस पत्र व हल्दी
- मिल्क ऑफ मैग्नीशिया क्या है इसका क्या उपयोग है
मैग्नीशियम को मिल्क ऑफ़ मेग्निशिय्स कहते है इसका पेट की अम्लता दूर करने के लिए एन्टएसिड (प्रति अम्ल) के रूप में उपयोग किया जाता है - CaOCl₂ [ कैल्शियम ऑक्सी क्लोराइड] यौगिक का प्रचलित नाम क्या हैCaOCl₂ [ कैल्शियम ऑक्सी क्लोराइड] का प्रचलित नाम विरंजक चूर्ण [ ब्लीचिंग पाउडर ] है
- pH किसे कहते हैं
किसी विलियन में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता[H+] का ऋणात्मक लघुगणक pH कहलाता है - दो सामान्य एण्टासिडों के नाम बताइए।
1.मिल्क ऑफ़ मैगनीशिया Mg(OH)2
2. बेकिंग सोडा [NaHCO3] - धातु व अधातु ऑक्साइड की प्रकृति बताइए
1.धातु ऑक्साइड-क्षारीय
2.अधातु ऑक्साइड-अम्लीय - मधुमक्खी या चिंटी के काटने पर त्वचा पर जलन क्यों होती है
मधुमक्खी या चिंटी के डंक में फॉर्मिक अम्ल पाया जाता है जिसके कारण हमारी त्वचा में जलन व दर्द होता है - पेट की अम्लता से राहत पाने के लिए दुर्बल क्षार का उपयोग क्यों किया जाता है
पेट में HCl की मात्र बढ़ने से अम्लता उत्पन्न होती है इससे राहत पाने के लिए दुर्बल क्षार जैसे मिल्क ऑफ मैग्नीशिया का उपयोग किया जाता है क्योंकि यह HCl को उदासीन कर देता है - दही अचार जैसे खट्टे पदार्थों को धातु के पात्र में क्यों नहीं रखना चाहिए
क्यों कि दही तथा अन्य खट्टे पदार्थों में मौजूद अम्ल, धातु के बर्तन से किया कर हाइड्रोजन गैस व विषैले धातु यौगिक बनाते हैं। - अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत का चालन करता है?
अम्ल जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन H+ उत्पन्न करते है इन H+ की उपस्थिति के कारण अम्ल का जलीय विलयन विद्युत का चालन करता है - प्लास्टर ऑफ पेरिस का रासायनिक नाम व सूत्र लिखिए
कैल्सियम सल्फेट अर्धहाइड्रेट
CaSO4.½H2O - गंधीय सूचक किसे कहते हैं? दो गंधीय सूचकों के नाम लिखिए कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी गंध अम्लीय या क्षारकीय माध्यम में बदल जाती है। इन्हें गंधीय सूचक कहते हैं।
- अम्ल व क्षार में अंतर लिखिए
1.अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं जबकि क्षार स्वाद में कड़वे होते हैं
2.अम्ल नीले लिटमस को लाल करते हैं जबकि क्षार लाल लिटमस को नीला करते हैं
3.अम्ल का pH मान 7 से कम होता है जबकि क्षार का pH मान 7 से अधिक व 14 तक होता है - दंतक्षय क्या है समझाइए
भोजन के पश्चात मुख में उपस्थित जीवाणु दांतों पर लगे भोजन से क्रिया करके अम्ल उत्पन्न करते हैं जिससे मुख का pH 5.5 से कम हो जाता है और दांतों का इनैमल का क्षय होने लगता है अतः भोजन के पश्चात क्षारीय दंत समंजन का उपयोग करना चाहिए जो अम्ल को उदासीन कर देता है - प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्रता रोधी बर्तनों में क्यों रखा जाता है
या प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया लिखिए
प्लास्टर ऑफ पेरिस में जल मिलाने पर शीघ्र ही जमकर ठोस व कठोर हो जाता है एवं पुनः जिप्सम में बदल जाता है इसीलिए प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्रता रोधी बर्तनों में रखा जाता है
CaSO4.½H2O +1½H2O → CuSO4.2H2O - बैंकिंग सोडे/खाने का सोडा का सूत्र व उपयोग लिखिए
NaHCO3(सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट)
बेकिंग सोडा का उपयोग
1. बेंकिग पाउडर [बेंकिग सोडा + टार्टरिक ] बनाने में
2. सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट एक ऐन्टैसिड है। क्षारीय होने के कारण यह पेट में अम्ल की अधिकता को उदासीन करके राहत पहुँचाता है।
3. इसका उपयोग सोडा-अम्ल अग्निशामक में भी किया जाता है। - धावन सोडे का सूत्र व उपयोग लिखिए
Na2CO3.10H2O
धोने के सोडे के उपयोग
सोडियम कार्बोनेट का उपयोग काँच, साबुन एवं कागज़ उद्योगों में होता है।
इसका उपयोग बोरेक्स जैसे सोडियम यौगिक के उत्पादन में होता है।
सोडियम कार्बोनेट का उपयोग घरों में साफ-सप़फाई के लिए होता है। - प्लास्टर ऑफ पेरिस के उपयोग लिखिए
1. डॉक्टर टूटी हुई हड्डियों को सही जगह पर स्थिर रखने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग करते हैं।
2. प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग खिलौना बनाने में किया जाता है
3. प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग सजावट का सामान एवं सतह को चिकना बनाने के लिए किया जाता है। क्लोर – क्षार अभिक्रिया किसे कहते है
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन से विद्युत प्रवाहित करने पर यह वियोजित होकर सोडियम हाइड्रॉक्साइड उत्पन्न करता है। इस प्रक्रिया को क्लोर-क्षार प्रक्रिया कहते हैं क्योंकि इससे निर्मित उत्पाद - क्लोरीन (क्लोर) एवं सोडियम हाइड्रॉक्साइड (क्षार) होते हैं।
2NaCl + 2H2O ⟶ 2NaOH+ Cl2 + H2- विरंजक चूर्ण का सूत्र व उपयोग लिखिए
CaOCl2 (कैल्शियम ऑक्सी क्लोराइड)
1. वस्त्र व कागज उद्योग में विरंजक के रूप में
2. पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए।
3. रासायनिक उद्योगों में एक उपचायक के रूप में - प्रबल अम्ल व दुर्बल अम्ल क्या होते हैं उदाहरण दीजिए
प्रबल अम्ल वे अम्ल जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित हो जाते हैं प्रबल अम्ल कहलाते हैं हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) नाइट्रिक अम्ल( HNO3)
दुर्बल अम्ल वे अम्ल जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित नहीं होते हैं दुर्बल अम्ल कहलाते हैं जैसे एसिटिक अम्ल , कार्बनिक अम्ल - धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया से कौन – सी गैस निकलती है ? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए। इस गैस की उपस्थिति की जाँच आप कैसे करेंगे ? धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर हाइड्रोजन (H2) गैस निकलती है।
- प्रबल क्षार व दुर्बल क्षार क्या होते हैं
प्रबल क्षार -वे क्षार जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित हो जाते हैं प्रबल क्षार कहलाते हैं जैसे सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH), पोटेशियम हाइड्रोक्साइड (KOH)
दुर्बल क्षार वे क्षार जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित नहीं होते हैं दुर्बल क्षार कहलाते हैं जैसे मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड, कैल्शियम हाइड्रोक्साइड - प्लास्टर ऑफ पेरिस किस प्रकार बनाया जाता है
जिप्सम को 373 K पर गर्म करने पर यह जल के अणुओं का त्याग कर कैल्सियम सल्प़ेफट अर्धहाइड्रेट / हेमिहाइड्रेट बनाता है। इसे प्लास्टर ऑफ पेरिस कहते हैं।
CaSO4.2H2O 373 ⇾ CaSO4.½H2O +1½H2O
जिप्सम प्लास्टर ऑफ पेरिस - क्रिस्टलन का जल किसे कहते हैं दो उदहारण दीजिए
लवण के इकाई सूत्र में उपस्थित जल के अणु की निश्चित संख्या क्रिस्टलन का जल कहलाती है
Example
1. कॉपर सल्फेट [CuSO4.5H2O ]
कॉपर सल्फेट में क्रिस्टलन जल के पांच अणु होते है
2. धोने का सोडा [Na2CO3.10H2O]
धोने के सोडे में जल के क्रिस्टलन दस अणु पाए जाते है - निम्नलिखित अभिक्रिया के लिए संतुलित समीकरण लिखिए –
(a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल दानेदार जिंक के साथ अभिक्रिया करता है।
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2 ↑
(b) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम पट्टी के साथ अभिक्रिया करता है।
Mg + 2HCl → MgCl2 + H2 ↑
(c) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
2Al+ 3H2SO4 → Al2(SO4)3 + 3H2 ↑
(d) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लोह के चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
Fe + 2HCl → FeCl2 + H2 ↑ - निम्न पदार्थों में कौन से अम्ल पाये जाते हैं सिरका ⟹ ऐसीटिक अम्ल
- उदासीनीकरण अभिक्रिया किसे कहते हैं
अम्ल व क्षार परस्पर क्रिया करके एक दूसरे के प्रभाव को नष्ट कर देते हैं तथा लवण व जल बनाते हैं इसे उदासीनीकरण की अभिक्रिया कहते हैं यह ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया होती है
अम्ल + क्षारक ⟶ लवण + जल
Example-
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया करके साधारण नमक और जल बनाता है
NaOH + HCl → NaCl + H2O
पोटेशियम हाइड्रोऑक्साइड, सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया करके पोटेशियम सल्फेट और जल बनाता है
2KOH + H2SO4 → K2SO4 + 2H2O - pH स्केल क्या है चित्र द्वारा समझाइए
किसी विलियन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने वाली स्केल pH स्केल कहलाती है
pH स्केल का निर्माण सोरेनसन ने किया pH स्केल में p जर्मन शब्द पुसांस अर्थात शक्ति का सूचक तथा H हाइड्रोजन आयनो का सूचक है pH स्केल से अम्ल क्षार की सामर्थ्य ज्ञात की जाती है
pH का मान 0 से 14 तक होता है जिन विलियनो का pH मान 7 से कम है वे अम्लीय होते हैं जिन विलियनो का pH मान 7 से अधिक 14 तक होता है वे क्षारीय होते हैं और pH मान 7 वाले विलियन उदासीन होते हैं - दैनिक जीवन में pH का महत्त्व लिखिए
1. पौधे एवं पशुओं की pH के प्रति संवेदनशील
हमारा शरीर 7.0 से 7.8 pH परास के बीच कार्य करता है। जीवित प्राणी केवल संकीर्ण pH परास में ही जीवित रह सकते हैं। वर्षा के जल की pH मान जब 5.6 से कम हो जाती है तो वह अम्लीय वर्षा कहलाती है। अम्लीय वर्षा का जल जब नदी में प्रवाहित होता है तो नदी के जल के pH का मान कम हो जाता है। ऐसी नदी में जलीय जीवधारियों की उत्तरजीविता कठिन हो जाती है। शुक्र का वायुमंडल सल्फ्यूरिक अम्ल के मोटे श्वेत एवं पीले बादलों से बना है। अच्छी उपज के लिए पौधों को एक विशिष्ट pH परास की आवश्यकता होती है।
2. हमारे पाचन तंत्र का pH
हमारा उदर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल उत्पन्न करता है। यह उदर को हानि पहुँचाए बिना भोजन के पाचन में सहायक होता है। अपच की स्थिति में उदर अत्यधिक मात्र में अम्ल उत्पन्न करता है जिसके कारण उदर में दर्द एवं जलन का अनुभव होता है। इस दर्द से मुक्त होने के लिए ऐन्टैसिड जैसे क्षारकों का उपयोग किया जाता है। ऐन्टैसिड अम्ल की आधिक्य मात्र को उदासीन करता है। इसके लिए मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (मिल्क ऑपफ मैगनीशिया) जैसे दुर्बल क्षारक का उपयोग किया जाता है।
3. pH परिवर्तन के कारण दंत-क्षय
मुँह के pH का मान 5.5 से कम होने पर दाँतों का क्षय प्रारंभ हो जाता है। दाँतों का इनैमल कैल्सियम हाइड्रोक्सीएपेटाइट से बना होता है जो कि शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। यह जल में नहीं घुलता लेकिन मुँह की pH का मान 5.5 से कम होने पर यह संक्षारित हो जाता है। मुँह में उपस्थित बैक्टीरिया, भोजन के पश्चात मुँह में अवशिष्ट शर्करा एवं खाद्य पदार्थों का निम्नीकरण करके अम्ल उत्पन्न करते हैं। भोजन के बाद मुँह साफ करने से इससे बचाव किया जा सकता है। मुँह की सफाई के लिए क्षारकीय दंत-मंजन का उपयोग करने से अम्ल की आधिक्य मात्रा को उदासीन किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप दंत क्षय को रोका जा सकता है।
4. पशुओं एवं पौधों द्वारा उत्पन्न रसायनों से आत्मरक्षा
मधुमक्खी का डंक एक अम्ल छोड़ता है जिसके कारण दर्द एवं जलन का अनुभव होता है। डंक मारे गए अंग में बेंकिग सोडा जैसे दुर्बल क्षारक के उपयोग से आराम मिलता है। नेटल के डंक वाले बाल मेथैनॉइक अम्ल छोड़ते हैं जिनके कारण जलन वाले दर्द का अनुभव होता है
Example -वैनिला, प्याज एवं लौंग के तेल
Example -
जब हम जलती हुई तीली इस गैस के पास लाते हैं तो यह फट – फट की ध्वनि के साथ जलती है।
जिंक सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके जिंक सल्फेट और हाइड्रोजन गैस बनाते है |
H2 SO4 + Zn → ZnSO4 + H2
इमली ⟹ टार्टरिक अम्ल
जठर रस ⟹ हाइड्रोकलोरिक अम्ल
नींबू ⟹ सिट्रिक अम्ल
टमाटर ⟹ आक्सैलिक अम्ल
संतरा ⟹ एस्कोरबिक अम्ल
खट्टा दूध (दही) ⟹ लैक्टिक अम्ल
नेटल का डंक ⟹ मेथैनॉइक अम्ल