मानव बस्ती - मानव द्वारा निर्मित एवं विकसित घरों का संगठित समूह जिनमे मनुष्य रहते है मानव बस्ती कहलाती है
आधारभूत कार्यों के आधार पर मानव बस्तियां दो प्रकार की होती हैं।
1. ग्रामीण बस्तियाँ 2. नगरीय बस्तियाँ
1. ग्रामीण बस्तियाँ
ऐसी बस्तियाँ जिनमें निवास करने वाले लोग कृषि या प्राथमिक क्रियाकलापो में संलग्न रहते हैं ग्रामीण बस्तियाँ (गाँव) कहलाती हैं
ग्रामीण बस्तियाँ अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं अतः ग्रामीण लोगों का भूमि से निकट संबंध होता है
ग्रामीण लोगों में गतिशीलता कम पाई जाती है इसलिए उनमें घनिष्ठ सामाजिक संबंध पाये जाते है
ग्रामीण बस्तियाँ नगरीय बस्तियों को भोजन और कच्चा माल उपलब्ध कराती है
ग्रामीण बस्तियों में मानवीय मूल्यों की प्रगाढ़ता पाई जाती है
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार
बस्तियों के प्रकार निर्मित क्षेत्र के विस्तार और अंतर्वास दूरी द्वारा निर्धारित होता है। ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रकारों के लिए अनेक कारक और दशाएँ उत्तरदायी हैं।
(i) भौतिक करक – स्थलाकृति, उचावाच, जलवायु, जल की उपलब्धता,
(ii) सांस्कृतिक और मानवजातीय कारक – सामाजिक संरचना, जातीय संरचना, धर्मिक संरचना
(iii) सुरक्षा संबंधी कारक - चोरियों और डकैतियों से सुरक्षा
वृहत तौर पर भारत की ग्रामीण बस्तियों को चार प्रकारों में रखा जा सकता है
1. गुच्छित, संकुलित अथवा आकेंद्रित बस्तियाँ
2. अर्ध-गुच्छित अथवा विखंडित बस्तियाँ
3. पल्लीकृत बस्तियाँ
4. परिक्षिप्त अथवा एकाकी बस्तियाँ
1. गुच्छित बस्तियाँ
गुच्छित बस्तियों को संकुलित या आकेंद्रित बस्तियां भी कहते है गुच्छित ग्रामीण बस्ती घरों का एक संहत या संकुलित रूप से निर्मित क्षेत्र होता है। जिसमे रहन-सहन का सामान्य क्षेत्र स्पष्ट और चारों ओर फैले खेतों, खलिहानों और चरागाहों से पृथक होता है।
गुच्छित ग्रामीण बस्ती की विशेषताएं
1. गुच्छित ग्रामीण बस्ती में मकान पास-पास पाये जाते है
2. गुच्छित ग्रामीण बस्तियों में रहन सहन का एक स्पष्ट क्षेत्र होता है जिसके समीपवर्ती भागों में कृषि भूमि तथा चारागाह भूमि होती है।
3. गुच्छित ग्रामीण बस्ती में सभी घर एक स्थान पर संकेंद्रित होते हैं व बाहरी आक्रमणों से मिलकर मुकाबला करते हैं
4. ऐसी बस्तियाँ प्रायः उपजाऊ जलोढ़ मैदानों और भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में पाई जाती है।
5. मध्य भारत के बुंदेलखंड प्रदेश और नागालैंड में सुरक्षा अथवा प्रतिरक्षा कारणों से गुच्छित बस्तियों का विकास हुआ हैं राजस्थान में जल के अभाव में उपलब्ध जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग के कारण गुच्छित बस्तियों का विकास हुआ हैं
2. अर्ध-गुच्छित बस्तियाँ
अर्ध-गुच्छित बस्तियों को विखंडित बस्तियाँ भी कहते है परिक्षिप्त बस्ती के किसी सीमित क्षेत्र में गुच्छित होने या किसी बड़े संहत गाँव के विखंडन के परिणामस्वरूप अर्ध-गुच्छित बस्तियों का निर्माण होता है
अर्ध-गुच्छित बस्तियों की विशेषताएँ
(1) अर्ध-गुच्छित बस्तियों का निर्माण परिक्षिप्त बस्ती के किसी सीमित क्षेत्र में गुच्छित होने या किसी बड़े संहत गाँव के विखंडन के कारण होता है
(2) संहत गाँव के विखंडन की स्थिति में ग्रामीण समाज का एक या अधिक वर्ग स्वेच्छा से या मजबूरन मुख्य गाँव से थोड़ी दूर पर अलग बस्ती बनाकर रहने लगते है
(3) इन बस्तियों में आमतौर पर जमींदार और अन्य प्रमुख समुदाय मुख्य गाँव के केंद्रीय भाग में तथा समाज के निचले तबके के लोग और निम्न कार्यों में संलग्न लोग गाँव के बाहरी हिस्सों में बसते हैं।
(4) अर्ध-गुच्छित बस्तियाँ बस्तियाँ गुजरात के मैदान और राजस्थान के कुछ भागों में व्यापक रूप से पाई जाती हैं।
3. पल्ली बस्तियाँ
जब कोई बस्ती भौतिक रूप से एक दूसरे से अलग होकर अनेक इकाइयों में बंट जाता है जिनका नाम एक ही होता है तो उसे पल्ली बस्ती कहते हैं इन इकाइयों देश के विभिन्न भागों में पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी इत्यादि नामों से जाता है।
पल्ली बस्तियों की विशेषताएँ
(1) पल्ली बस्ती की इकाइयों को देश के विभिन्न भागों में पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी इत्यादि नामों से जाता है।
(2) किसी विशाल गाँव का ऐसा विखंडन प्रायः सामाजिक एवं मानवजातीय कारकों द्वारा अभिप्रेरित होता है।
(3) इस प्रकार की बस्तियों का निर्माण जातीय व्यवस्था के कारण उत्पन्न सामाजिक अलगाव से होता है
(4) इस प्रकार की बस्तियां मध्य और निम्न गंगा के मैदान, छत्तीसगढ़ और हिमालय की निचली घाटियों में पाई जाती है
4. परिक्षिप्त बस्तियाँ
1. परिक्षिप्त बस्तियों को एकाकी या प्रकीर्ण बस्तियां भी कहते है इन बस्तियों में किसान खेतों में ही घर बना कर रहता है
2. भारत में परिक्षिप्त बस्तियाँ सुदूर वन क्षेत्रों या छोटी पहाड़ियों की ढालों पर खेतों अथवा चरागाहों में एकाकी रूप मे मिलती है
3. इन बस्तियों का विकास निवास क्षेत्र के भूमि संसाधनों की अत्यधिक विखंडित प्रकृति के कारण होता है।
4. ये बस्तियां मुख्यतः मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल के अनेक भागों में पाई जाती है।
2. नगरीय बस्तियाँ
ऐसी बस्तियाँ जिनमें निवास करने वाले अधिकांश लोग द्वितीयक या तृतीयक व्यवसाय में संलग्न रहते हैं नगरीय बस्तियाँ कहलाती हैं
नगरीय बस्तियाँ अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति द्वितीयक या तृतीयक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं।
नगरीय जनसंख्या अधिक गतिशील होती है इसलिए उनमें सामाजिक प्रगाढ़ता का अभाव पाया जाता है
नगर आर्थिक वृद्धि के नोड के होते हैं जो ग्रामीण बस्तियों को तैयार माल और सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।
नगरीय बस्तियों में मानवीय मूल्यों की प्रगाढ़ता नहीं पाई जाती है
नगरीय बस्तियाँ सामान्यतः संहत और विशाल आकार की होती हैं। ये बस्तियाँ अनेक प्रकार के गैरकृषि, आर्थिक और प्रशासकीय प्रकार्यों में संलग्न होती हैं। नगर गाँवों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार से जुड़े होते हैं नगरीय और ग्रामीण बस्तियों के बीच प्रकार्यात्मक संबंध परिवहन और संचार परिपथ के माध्यम से स्थापित होता है ।
भारत में नगरों का विकास
भारत में नगरों का विकास प्रागैतिहासिक काल से हुआ है। सिंधु घाटी सभ्यता काल में भी हमारे देश में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे नगर अस्तित्व में थे विभिन्न युगों में उनके विकास के आधार पर भारतीय नगरों को तीन वर्गों में बांटा जा सकता है
1. प्राचीन नगर,
2. मध्यकालीन नगर,
3. आधुनिक नगर।
1. प्राचीन नगर
भारत में 2000 से अधिक वर्षों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले नगर जिनमें से अधिकांश का विकास धार्मिक अथवा सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में हुआ है। प्राचीन नगर की श्रेणी में आते है वाराणसी, प्रयाग (इलाहाबाद), पाटलिपुत्र (पटना), मदुरई आदि देश में प्राचीन नगरों के उदाहरण हैं।
2. मध्यकालीन नगर
वर्तमान के लगभग 100 नगरों का विकास मध्यकालीन रजवाड़ों और राज्यों के मुख्यालयों के रूप में हुआ है इनका निर्माण प्राचीन नगरों के खंडहरों पर हुआ है। ये किला नगर हैं ऐसे नगरों में दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ, आगरा और नागपुर महत्त्वपूर्ण हैं।
3. आधुनिक नगर
भारत में आधुनिक नगरों का विकास अंग्रेजों और अन्य यूरोपियों द्वारा किया। इन्होने सूरत, दमन, गोआ, पांडिचेरी को व्यापारिक पत्तन के रूप में विकसित किया। और मुंबई, चेन्नई और कोलकाता का अंग्रेजी शैली में निर्माण किया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात चंडीगढ़, भुवनेश्वर, गांधीनगर प्रशासनिक केंद्रों और जैसे दुर्गापुर, भिलाई, सिंदरी, बरौनी औद्योगिक केंद्रों के रूप में विकसित हुए।
पुराने नगर महानगरों के चारों ओर अनुषंगी नगरों के रूप में विकसित हुए जैसे दिल्ली के चारों ओर गाजियाबाद, रोहतक और गुरूग्राम इत्यादि।
नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण
विशेषीकृत प्रकार्यों के आधार पर भारतीय नगरों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है
1. प्रशासनिक नगर
उच्च क्रम के प्रशासनिक मुख्यालय जिनमें प्रशासनिक कार्यों की प्रधानता मिलती है, प्रशासनिक नगर कहलाते हैं। इनमें राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियाँ प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं। उदाहरण के लिए चण्डीगढ़, लखनऊ, नई दिल्ली, श्रीनगर, भोपाल, जयपुर, पटना, गाँधीनगर तथा चेन्नई आदि।
2. औद्योगिक नगर
ऐसे नगर जिनमें उद्योग प्रमुख संचालित बल के रूप में कार्य करते हैं, औद्योगिक नगरों की श्रेणी में आते हैं। उनमें से कुछ औद्योगिक नगर ऐसे भी होते हैं जिनमें किसी एक विशेष प्रकार के उद्योग का विकास देखने को मिलता है। कानपुर, अहमदाबाद सोम, कोयम्बदर, मोदीनगर, जमशेदपुर, हुगली, भिलाई तथा राउरकेला इस श्रेणी के प्रमुख नगर हैं।
3. परिवहन नगर
ऐसे नगर जो परिवहन सेवाएँ में संलग्न होते हैं वे परिवहन नगर की श्रेणी में आते हैं। इनमें देश के सभी बन्दरगाह नगर ( मुम्बई, मारमागाओ, कान्दला, व कोच्चि आदि) तथा आन्तरिक परिवहन के केद्र (जैसे- भुसावल, मुगलसराय, ृण्डला, इटारसी, कटनी तथा सिलीगुड़ी) सम्मिलित हैं।
4. वाणिज्यिक/ व्यापारिक नगर
ऐसे नगर जिसके द्वारा किये जाने वाले केन्द्रीय कार्यों में व्यापार तथा वाणिज्य की प्रधानता होती है, व्यापारिक नगर की श्रेणी में आते हैं। कोलकाता, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, हापुड़, हाथरस तथा सतना इस श्रेणी के प्रमुख भारतीय नगर हैं।
5. खनन नगर
खनिज सम्पन्न क्षेत्रों में विकसित नगर जिनके केन्द्रीय कार्यों में खनन कार्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते हैं। खनन नगर कहलाते है भारत में अंकलेश्वर, सिंगरौली, झरिया, रानीगंज तथा डिगबोई प्रमुख खनन नगर हैं।
6. गैरिसन /छावनी नगर
गैरिसन नगर या छावनी नगर की स्थापना सैन्य सम्बन्धी कार्यों के सम्पादन हेतु की जाती है। इन नगरों को कैण्ट भी कहा जाता है। इन नगरों में सैनिक अभ्यास, प्रशिक्षण, कार्यालय तथा सेना सम्बन्धी अन्य कार्य
मुख्य रूप से किए जाते हैं। अंबाला, जालंधर, महू, बबीना तथा ऊधमपुर भारत के प्रमुख गैरिसन नगर हैं।
7. धार्मिक और सांस्कृतिक नगर
धार्मिक अथवा सांस्कृतिक महत्व वाले नगर धार्मिक और सांस्कृतिक नगर कहलाते है उदाहरण के लिए मथुरा, वृन्दावन, वाराणसी, हरिद्वार, इलाहाबाद, बौद्धगया, पुरी, अजमेर, अमृतसर, तिरुपति, कृरुक्षेत्र
8. शैक्षिक नगर
ऐसे नगर जो शिक्षा केंद्रों के रूप में विकसित हुए है शैक्षणिक नगर कहलाते है जैसे रुड़की, वाराणसी, अलीगढ़, पिलानी, इलाहाबाद।
9. पर्यटन नगर
इस श्रेणी के नगरों द्वारा किए जाने वाले केन्द्रीय कार्यो में पर्यटन कार्य सर्वाधिक प्रभावी होते हैं। नैनीताल, शिमला, मसूरी, पंचमढ़ी, दार्जिलिंग, माउण्ट आबू, जोधपुर, जैसलमेर, आगरा तथा ऊटी देश के पर्यटन नगर हैं।
स्मार्ट सिटी मिशन
भारत में स्मार्ट सिटी मिशन के अन्तर्गत ऐसे नगरों को विकसित व प्रोत्साहित करना है जिनमें निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति की जा सके-
1. आधारभूत सुविधाओं एवं अवसंरचनाओं को विकसित करना
2. नगरों के निवासियों को स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त पर्यावरण प्रदान करना।
3. नगरों के निवासियों के लिए बेहतर जीवन सुविधाएँ प्रदान करना।
4. नगरों को प्राकृतिक आपदाओं के कम जोखिम वाले क्षेत्रों के रूप में निर्मित करना।
5. नगर में कम संसाधनों के माध्यम से सस्ती सुविधाएँ प्रदान करना।
6. नगरों के सतत तथा समग्र विकास को प्रोत्साहित करना।
7. नगरों को ऐसे स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाए जो एक मॉडल के रूप में देश के अन्य बढ़ते नगरों के लिए लाइट हाउस के रूप में कार्य करें।
- निम्नलिखित नगरों में कौन सा नगर नदी के तट पर स्थित नहीं है[अ]आगरा[ब]पटना[स]भोपाल[द]कोलकता [स]
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत रहा-[क] 26.87%[ब] 77.78%[स] 31.16%[द] 13.6% [स]
- राजस्थान में गुच्छित बस्तियों की अवस्थिति हेतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक हैं-[क] जातिगत संरचना[ब] जलीय संसाधनों को उपलब्धता[स] जलवायु[द] भूभाग की प्रकृति [ख]
- आकार के परिवर्तित होने पर बस्ती के निम्न में से किनमें बदलाव आता है[अ] आर्थिक अभिलक्षण[ब] सामाजिक संरचना[स] पारिस्थितिकी तथा प्रौद्योगिकी[द] उक्त सभी [द]
- वर्ष 2011 में भारत जनगणना में भारत में दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले महानगरों की संख्या कितनी थी[अ] 35[ब] 45[स] 53[ब] 58 [स]
- निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय नगर शैक्षणिक नगर नहीं है?[अ] रुड़की[ब] प्रयागराज [इलाहाबाद][स] अहमदाबाद[द] वाराणसी [स]
- निम्नलिखित में से कौन-सा भारतीय नगर गैरीसन नगर की श्रेणी में नहीं है[अ] अजमेर[ब] अम्बाला[स] जालंधर[द] बबीना [अ]
- निम्नलिखित में से किस नगरीय समूहन में प्रवासी जनसंख्या का अंश सर्वाधिक है[अ] मुंबई नगरीय समूहन[ब] दिल्ली नगरीय समूहन[स] बेंगलुरु नगरीय समूहन[द] चेन्नई नगरीय समूहन [अ]
- भारत की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सी एक विशेषता नगर की परिभाषा का अंग नहीं है[अ] जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी.[ब] नगरपालिका, निगम का होना[स] 75% से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खंड में संलग्न होना[द] जनसंख्या आकार 5000 व्यक्तियों से अधिक होना [स]
- निम्नलिखित में से किस पर्यावरण में परिक्षिप्त ग्रामीण बस्तियों की अपेक्षा नहीं की जा सकती है[अ] गंगा का जलोढ़ मैदान[ब] हिमालय की निचली घाटियाँ[स] राजस्थान के शुष्क और अर्द्ध-शुष्क प्रदेश[द] उत्तर-पूर्व के वन और पहाड़ियाँ [अ]
- निम्नलिखित में से नगरों का कौन-सा का वर्ग अपने पदानुक्रम के अनुसार क्रमबद्ध है[अ] वृहत मुंबई, बेंगलूरफ, कोलकाता, चेन्नई[ब] कोलकाता, वृहत मुंबई, चेन्नई, कोलकाता[स] दिल्ली, वृहत मुंबई, चेन्नई,[द] वृहत मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई [द]
- भारत का सर्वाधिक प्राचीन नगर कौनसा है[अ] वाराणसी[ब] जयपुर[स] अहमदाबाद[द] आगरा [अ]
- नगला क्या है[अ] गुच्छित बस्तियों का स्थानीय नाम[ब] पल्ली बस्तियों का स्थानीय नाम[स] परिक्षिप्त बस्तियों का स्थानीय नाम[द] अर्द्ध गुच्छित बस्तियों का स्थानीय नाम [अ]
- भारत का सबसे बड़ा महानगरीय संकुल कौन सा हैवृहत मुंबई
- राजस्थान में जल के अभाव में उपलब्ध जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग के कारण किस प्रकार की बस्तियों का विकास हुआ हैंगुच्छित बस्तियों का
- भारत में किस प्रकार की बस्ती में पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी आदि इकाइयाँ पाई जाती हैपल्ली बस्ती में
- सुरक्षा अथवा प्रतिरक्षा कारणों से गुच्छित बस्तियों का विकास कहाँ हुआ हैंमध्य भारत के बुंदेलखंड प्रदेश और नागालैंड में
- दिल्ली के चारों ओर क्व अनुषंगी नगरो के नाम लिखिएदिल्ली के चारों ओर गाजियाबाद, रोहतक और गुरूग्राम इत्यादि अनुषंगी नगर है ।
- भारत के किन क्षेत्रों में परिक्षिप्त बस्तियां पाई जाती है
भारत में परिक्षिप्त बस्तियां मुख्यतः मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल के अनेक भागों में पाई जाती है। - नगरीय और ग्रामीण बस्तियों के बीच प्रकार्यात्मक संबंध किसके के माध्यम से स्थापित होता है ।नगरीय और ग्रामीण बस्तियों के बीच प्रकार्यात्मक संबंध परिवहन और संचार परिपथ के माध्यम से स्थापित होता है ।
- मानव बस्ती से क्या अभिप्राय हैमानव द्वारा निर्मित एवं विकसित घरों का संगठित समूह जिनमे मनुष्य रहते है मानव बस्ती कहलाती है
- पल्ली बस्ती की इकाइयों को किन नामो से जाना जाता हैपल्ली बस्ती कीइकाइयों देश के विभिन्न भागों में पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी इत्यादि नामों से जाता है।
- भारत में नगरीकरण के स्तर को किस प्रकार मापा जाता है
भारत में नगरीकरण के स्तर का माप कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में किया जाता है। वर्ष 2011 में भारत में नगरीकरण का स्तर 31.16 प्रतिशत था - खनन नगर क्या है उदहारण दीजिएखनिज सम्पन्न क्षेत्रों में विकसित नगर जिनके केन्द्रीय कार्यों में खनन कार्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते हैं। खनन नगर कहलाते है भारत में अंकलेश्वर, सिंगरौली, झरिया, रानीगंज तथा डिगबोई प्रमुख खनन नगर हैं।
- भारत में पल्लीकृत बस्तियां किन क्षेत्रों में पाई जाती है
भारत में पल्लीकृत बस्तियां मध्य और निम्न गंगा के मैदान, छत्तीसगढ़ और हिमालय की निचली घाटियों में पाई जाती है - पलीकृत बस्तियां किसे कहते हैंजब कोई अधिवास भौतिक रूप से एक दूसरे से अलग होकर अनेक इकाइयों में बंट जाता है जिनका नाम एक ही होता है उसे पल्ली या पुराना अधिवास कहते हैं
- महानगर क्या होते हैं? ये नगरीय संकुलों से किस प्रकार भिन्न होते हैं?10 लाख से 50 लाख तक की जनसंख्या वाले नगरों को महानगर कहा जाता है। जबकि कई महानगर एवं मेगा नगर मिलकर नगरीय संकुल बनाते हैं जिनमें जनसंख्या 50 लाख से अधिक होती है।
- मरुस्थली प्रदेशों में गाँवों के अवस्थिति के कौन-से मुख्य कारक होते हैं।मरुस्थलीय प्रदेशों में गांवों की अवस्थिति का मुख्य करक जल की उपलब्धता है इसके अलावा कृषि योग्य भूमि की उपलब्धता व जलवायु भी मरुस्थलीय प्रदेशों में गांवों की अवस्थिति को प्रभावित करती है
- प्राचीन नगर क्या है इनका विका किस आधार पर हुआ भारत के प्राचीन नगरो के नाम लिखिएभारत में 2000 से अधिक वर्षों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले नगर प्राचीन नगर कहलाते है इनका विकास धार्म अथवा सांस्कृति के आधार पर ममाना जाता है। वाराणसी, प्रयाग (इलाहाबाद), पाटलिपुत्र (पटना), मदुरई आदि भारत के प्राचीन नगरों के उदाहरण हैं।
- भारत में गुच्छित ग्रामीण बस्तियाँ कान्हा पाई जाती हैभारत में गुच्छित ग्रामीण बस्तियाँ प्रायः उपजाऊ जलोढ़ मैदानों और भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में पाई जाती है। इसके अलावा मध्य भारत के बुंदेलखंड प्रदेश व नागालैंड तथा राजस्थान में भी गुच्छित बस्तियों का विकास हुआ हैं
- ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रकारों के लिए कौन-कौन से कारक उत्तरदायी हैं।(i) भौतिक करक – स्थलाकृति, उचावाच, जलवायु, जल की उपलब्धता,(ii) सांस्कृतिक और मानवजातीय कारक – सामाजिक संरचना, जातीय संरचना, धर्मिक संरचना(iii) सुरक्षा संबंधी कारक - चोरियों और डकैतियों से सुरक्षा
- गैरिसन/ छावनी नगर क्या होते हैं? उनका क्या प्रकार्य होता है?गैरिसन नगर या छावनी नगर की स्थापना सैन्य सम्बन्धी कार्यों के सम्पादन हेतु की जाती है। इन नगरों को कैण्ट भी कहा जाता है। इन नगरों में सैनिक अभ्यास, प्रशिक्षण, कार्यालय तथा सेना सम्बन्धी अन्य कार्यमुख्य रूप से किए जाते हैं। अंबाला, जालंधर, तथा ऊधमपुर भारत के प्रमुख गैरिसन नगर हैं
- भारत में नगरीय क्षेत्रों के लिए क्या मापदंड है है1.जनसंख्या- 5000 व्यक्ति2. जनसंख्या घनत्व- 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी3. व्यवसायिक संरचना- 75% से अधिक जनसंख्या का गैर कृषि कार्यों में संलग्न होना4.प्रशासन- नगर पालिका, छावनी बोर्ड और अधिसूचित नगरीय क्षेत्र समिति का होना
- ग्रामीण बस्तियाँ कितने प्रकार की होती हैं नाम लिखिएवृहत तौर पर भारत की ग्रामीण बस्तियों को चार प्रकारों में रखा जा सकता है1. गुच्छित, संकुलित अथवा आकेंद्रित बस्तियाँ2. अर्ध-गुच्छित अथवा विखंडित बस्तियाँ3. पल्लीकृत बस्तियाँ4. परिक्षिप्त अथवा एकाकी बस्तियाँ
- किसी नगरीय संकुल की पहचान किस प्रकार की जा सकती है?कई महानगर व मेगा नगर मिलकर एक नगरीय संकुल बनाते है भारत के ज्यादातर महानगर और मेगा नगर नगरीय संकुल हैं। एक नगरीय संकुल में निम्नलिखित तीन संयोजकों में से किसी एक का समावेश होता है1. एक नगर व उसका संलग्न विस्तार2. विस्तार सहित अथवा रहित दो अथवा दो से अधिक सटे हुए नगर3. एक नगर और उससे सटे हुए एक या एक से अधिक नगरो व उनका क्रमिक विस्तार
- अर्ध-गुच्छित बस्तियों की विशेषताएँ लिखिए(1) अर्ध-गुच्छित बस्तियों का निर्माण परिक्षिप्त बस्ती के किसी सीमित क्षेत्र में गुच्छित होने या किसी बड़े संहत गाँव के विखंडन के कारण होता है(2) संहत गाँव के विखंडन की स्थिति में ग्रामीण समाज का एक या अधिक वर्ग स्वेच्छा से या मजबूरन मुख्य गाँव से थोड़ी दूर पर अलग बस्ती बनाकर रहने लगते है(3) इन बस्तियों में आमतौर पर जमींदार और अन्य प्रमुख समुदाय मुख्य गाँव के केंद्रीय भाग में तथा समाज के निचले तबके के लोग और निम्न कार्यों में संलग्न लोग गाँव के बाहरी हिस्सों में बसते हैं।(4) अर्ध-गुच्छित बस्तियाँ बस्तियाँ गुजरात के मैदान और राजस्थान के कुछ भागों में व्यापक रूप से पाई जाती हैं।
- परिक्षिप्त /एकाकी बस्तियों की विशेषताएं लिखिए1. परिक्षिप्त बस्तियों को एकाकी या प्रकीर्ण बस्तियां भी कहते है इन बस्तियों में किसान खेतों में ही घर बना कर रहता है2. भारत में परिक्षिप्त बस्तियाँ सुदूर वन क्षेत्रों या छोटी पहाड़ियों की ढालों पर खेतों अथवा चरागाहों में एकाकी रूप मे मिलती है3. इन बस्तियों का विकास निवास क्षेत्र के भूमि संसाधनों की अत्यधिक विखंडित प्रकृति के कारण होता है।4. ये बस्तियां मुख्यतः मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल के अनेक भागों में पाई जाती है।
- सघन या गुच्छित बस्तियों की विशेषताएं लिखिए1. गुच्छित ग्रामीण बस्ती में मकान पास-पास पाये जाते है2. गुच्छित ग्रामीण बस्तियों में रहन सहन का एक स्पष्ट क्षेत्र होता है जिसके समीपवर्ती भागों में कृषि भूमि तथा चारागाह भूमि होती है।3. गुच्छित ग्रामीण बस्ती में सभी घर एक स्थान पर संकेंद्रित होते हैं व बाहरी आक्रमणों से मिलकर मुकाबला करते हैं4. ऐसी बस्तियाँ प्रायः उपजाऊ जलोढ़ मैदानों और भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में पाई जाती है।5. मध्य भारत के बुंदेलखंड प्रदेश और नागालैंड में सुरक्षा अथवा प्रतिरक्षा कारणों से गुच्छित बस्तियों का विकास हुआ हैं राजस्थान में जल के अभाव में उपलब्ध जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग के कारण गुच्छित बस्तियों का विकास हुआ हैं
- ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में अंतर लिखिए1.ग्रामीण बस्तियाँ अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं जबकि नगरीय बस्तियाँ अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति द्वितीयक या तृतीयक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं।2. ग्रामीण लोगों में गतिशीलता कम पाई जाती है इसलिए उनमें घनिष्ठ सामाजिक संबंध पाये जाते है जबकि नगरीय जनसंख्या अधिक गतिशील होती है इसलिए उनमें सामाजिक प्रगाढ़ता का अभाव पाया जाता है3. ग्रामीण बस्तियाँ नगरीय बस्तियों को भोजन और कच्चा माल उपलब्ध कराती है जबकि नगर आर्थिक वृद्धि के नोड के होते हैं जो ग्रामीण बस्तियों को तैयार माल और सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।4. ग्रामीण बस्तियों में मानवीय मूल्यों की प्रगाढ़ता पाई जाती है जबकि नगरीय बस्तियों में मानवीय मूल्यों की प्रगाढ़ता नहीं पाई जाती है
- ग्रामीण बस्तियाँ किसे कहते हैं ग्रामीण बस्तियों की विशेषताएं लिखिएऐसी बस्तियाँ जिनमें निवास करने वाले लोग कृषि या प्राथमिक क्रियाकलापो में संलग्न रहते हैं ग्रामीण बस्तियाँ (गाँव) कहलाती हैं1. ग्रामीण बस्तियाँ अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं अतः ग्रामीण लोगों का भूमि से निकट संबंध होता है2. ग्रामीण लोगों में गतिशीलता कम पाई जाती है इसलिए उनमें घनिष्ठ सामाजिक संबंध पाये जाते है3. ग्रामीण बस्तियाँ नगरीय बस्तियों को भोजन और कच्चा माल उपलब्ध कराती है4. ग्रामीण बस्तियों में मानवीय मूल्यों की प्रगाढ़ता पाई जाती है5. गांवो में आधुनिकता का प्रभाव नहीं होता है
- नगरीय बस्तियाँ किसे कहते हैं इनकी विशेषताएं लिखिएऐसी बस्तियाँ जिनमें निवास करने वाले अधिकांश लोग द्वितीयक या तृतीयक व्यवसाय में संलग्न रहते हैं नगरीय बस्तियाँ कहलाती हैं1. नगरीय बस्तियाँ अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति द्वितीयक या तृतीयक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं।2. नगरीय जनसंख्या अधिक गतिशील होती है इसलिए उनमें सामाजिक प्रगाढ़ता का अभाव पाया जाता है3. नगर आर्थिक वृद्धि के नोड के होते हैं जो ग्रामीण बस्तियों को तैयार माल और सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।4. नगरीय बस्तियों में मानवीय मूल्यों की प्रगाढ़ता नहीं पाई जाती है5. नगरीय बस्तियाँ सामान्यतः संहत और विशाल आकार की होती हैं। ये बस्तियाँ अनेक प्रकार के गैरकृषि, आर्थिक और प्रशासकीय प्रकार्यों में संलग्न होती हैं।
- क्या एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना की जा सकती है? नगर बहुप्रकार्यात्मक क्यों हो जाते हैं?कुछ नगर को किसी विशेषीकृत प्रकार्य में विशिष्टता प्राप्त होती है तथा उसे उस विशिष्ट प्रकार्य के लिए जाना जाता है लेकिन नगर को जीवित रखने के लिए उस विशिष्ट प्रकार्य के साध अन्य कुछ विशिष्ट प्रकार्यों को भी करना पड़ता है। जैसे एक परिवहन नगर में परिवहन प्रकार्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकता है लेकिन परिवहन नगर में परिवहन कार्य के साथ-साथ प्रशासनिक, औद्योगिक, वाणिज्यिक, शैक्षणिक तथा चिकित्सा कार्य भी गौण रूप में अनिवार्य रूप से देखने को मिलते हैं। बस्तुत: एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना नहीं की जा सकती है।नगर बहुप्रकार्यात्मक हो जाते हैं क्योंकि किसी विशिष्ट नगर के जन्म के लिए कोई एक प्रकार्य उत्तरदायी हो सकता है लेकिन जब एक बार नगर स्थापित हो जाता है तो उसे अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए प्रशासनिक, औद्योगिक, वाणिज्यिक, शैक्षणिक तथा चिकित्सा, परिवहन, शिक्षा, जनोपयोगी सेवा तथा बाजार व वाणिज्य सेवा सम्बन्धी अनेक प्रकार्यों का संचालन करना पड़ता है। इसी कारण नगर बहुप्रकार्यात्मक होते जाते है।
- भारतीय नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण कीजिएविशेषीकृत प्रकार्यों के आधार पर भारतीय नगरों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है1. प्रशासनिक नगरउच्च क्रम के प्रशासनिक मुख्यालय जिनमें प्रशासनिक कार्यों की प्रधानता मिलती है, प्रशासनिक नगर कहलाते हैं। जैसे चण्डीगढ़, लखनऊ, नई दिल्ली, जयपुर आदि।2. औद्योगिक नगरऐसे नगर जिनमें उद्यगों की प्रधानता मिलाती है, औद्योगिक नगर कहलाते हैं। कानपुर, अहमदाबाद जमशेदपुर, हुगली, भिलाई तथा राउरकेला इस श्रेणी के प्रमुख नगर हैं।3. परिवहन नगरऐसे नगर जो परिवहन सेवाएँ में संलग्न होते हैं परिवहन नगर कहलाते हैं। सभी बन्दरगाह (मुम्बई, कान्दला, व कोच्चि आदि) तथा आन्तरिक परिवहन के केद्र ( मुगलसराय,सिलीगुड़ी) आदि4. वाणिज्यिक/ व्यापारिक नगरऐसे नगर जिसके द्वारा किये जाने वाले केन्द्रीय कार्यों में व्यापार तथा वाणिज्य की प्रधानता होती है, व्यापारिक नगर कहलाते हैं। कोलकाता, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर आदि5. खनन नगरखनिज सम्पन्न क्षेत्रों में विकसित नगर जिनके केन्द्रीय कार्यों में खनन कार्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते हैं। खनन नगर कहलाते है भारत में अंकलेश्वर, झरिया, रानीगंज तथा डिगबोई प्रमुख खनन नगर हैं।6. गैरिसन /छावनी नगरगैरिसन नगर या छावनी नगर की स्थापना सैन्य सम्बन्धी कार्यों के सम्पादन हेतु की जाती है। इन नगरों को कैण्ट भी कहा जाता है। अंबाला, जालंधर, तथा ऊधमपुर भारत के प्रमुख गैरिसन नगर हैं।7. धार्मिक और सांस्कृतिक नगरधार्मिक अथवा सांस्कृतिक महत्व वाले नगर धार्मिक और सांस्कृतिक नगर कहलाते है उदाहरण के लिए मथुरा, वृन्दावन, वाराणसी, हरिद्वार, इलाहाबाद,8. शैक्षिक नगरऐसे नगर जो शिक्षा केंद्रों के रूप में विकसित हुए है शैक्षणिक नगर कहलाते है जैसे रुड़की, वाराणसी, अलीगढ़, पिलानी, इलाहाबाद।9. पर्यटन नगरइस श्रेणी के नगरों द्वारा किए जाने वाले केन्द्रीय कार्यो में पर्यटन कार्य सर्वाधिक प्रभावी होते हैं। नैनीताल, शिमला, दार्जिलिंग, माउण्ट आबू, जोधपुर, आगरा तथा ऊटी देश के पर्यटन नगर हैं।
Sir kuch lessons ki pdf nhi dali ha apne
ReplyDeleteSabhi Lessons Ki PDF Dal Di h
DeleteSabhi Lessons Ki PDF Dal Di h
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