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राजस्थान स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 2023

राजस्थान सरकार
कार्मिक (क- ग्रुप-2) विभाग
सं.एफ.5 (1) डीओपी/ए-II/2022                                                    जयपुर, दिनांक: 26.04.2023
अधिसूचना
भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राजस्थान के राज्यपाल, अनुकम्पात्मक आधारों पर स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की भर्ती को विनियमित करने के लिए, इसके द्वारा निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात्:-
राजस्थान स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 2023
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ.- ( 1 ) इन नियमों का नाम राजस्थान स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 2023 है।
(2) ये राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगे।
2. परिभाषाएं.- जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इन नियमों में, - (क) “ नियुक्ति प्राधिकारी” से संबंधित सेवा नियमों में यथा परिभाषित नियुक्ति प्राधिकारी अभिप्रेत है;
(ख) “स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी” से अखिल भारतीय सेवाओं के
राजस्थान राज्य के संवर्ग के किसी सदस्य सहित ऐसा व्यक्ति, जिसे राज्य के कार्यकलापों के संबंध में नियोजित किया गया था, और जो ड्यूटी पर रहते हुए किसी दुर्घटना के कारण स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त हो गया हो और जो नियमित आधार पर नियुक्ति के पश्चात् कोई स्थायी या अस्थायी पद धारित कर रहा था, अभिप्रेत है इसमें कोई परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी सम्मिलित है; (ग) “आश्रित" से अभिप्रेत है, -
(i) पति या पत्नी;
(ii) पुत्र, जिसमें स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी द्वारा उसकी स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से पूर्व वैध रूप से दत्तक ग्रहण किया गया पुत्र सम्मिलित है;
(iii) पुत्री, जिसमें स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी द्वारा उसकी स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से पूर्व वैध रूप से दत्तक ग्रहण की गयी पुत्री सम्मिलित है; (iv) अविवाहित स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के मामले में, माता या पिता या अविवाहित भाई या अविवाहित बहन जो स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी पर उसकी दिव्यांगता के समय पूर्ण रूप से आश्रित था / थी;
(घ) “सरकार" से राजस्थान सरकार अभिप्रेत है;
(ङ) “विभाग/कार्यालय का अध्यक्ष” से उस विभाग / कार्यालय का अध्यक्ष अभिप्रेत है जिसमें पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी अपनी दिव्यांगता के समय कार्यरत था
(च) “स्थायी पूर्ण दिव्यांगता” ऐसे सरकारी कर्मचारी के संबंध में है जो ड्यूटी पर रहते हुए पूर्ण रूप से और प्रत्यक्षत: किसी दुर्घटना के कारण, नीचे दी गयी सारणी में विनिर्दिष्ट स्वरूप में स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त हो गया है:-
1. दोनों हाथों की हानि या उच्चतर स्थान से अंग-विच्छेद होना
2.एक हाथ और एक पैर की हानि
3. पूरा पैर या जांघ का दोहरा अंग-विच्छेद, या एक तरफ का पैर या जांघ पर से अंग-विच्छेद और दूसरे पैर की हानि
4. ऐसी सीमा तक दृष्टि खो देना कि दावेदार ऐसे किसी कार्य को करने में असमर्थ हो जाये जिसके लिए आंखों की रोशनी आवश्यक हो
5 चेहरे की अति गंभीर विकृति
6. पूर्ण बधिरता
7. मानसिक दुर्बलता जो उसे सेवा के लिए स्थायी रूप से अक्षम बनाये
8. कर्मकारों की व्यावसायिक अर्थात् सीवरेज, स्वच्छता, खनन और विद्युत में दुर्घटना
टिप्पण: 'स्थायी पूर्ण दिव्यांगता' का निर्धारण स्थायी शारीरिक क्षीणता का मूल्यांकन करने के लिए चिकित्सकों के लिए मैनुअल (डीजीएचएस डब्ल्यूएचओ एएचएमएस नई दिल्ली 1981) के अनुसार किया जायेगा और विभागाध्यक्ष अस्थि रोग, विभागाध्यक्ष भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास और राजस्थान के किसी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष न्याय विज्ञान और संबंधित दिव्यांगता के किसी विशेषज्ञ से मिलकर गठित किसी चिकित्सा बोर्ड द्वारा प्रमाणित किया जायेगा; और
(छ) “राज्य” से राजस्थान राज्य अभिप्रेत है।
3. निर्वचन . - जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, राजस्थान साधारण खण्ड अधिनियम, 1955 ( 1955 का अधिनियम सं. 8) इन नियमों के निर्वचन के लिए उसी प्रकार लागू होगा जिस प्रकार वह किसी राजस्थान अधिनियम के निर्वचन के लिए लागू होता है।
4. विस्तार ये नियम, ऐसे स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के आश्रित की अनुकंपात्मक आधारों पर नियुक्ति को शासित करेंगे जो नियम 2 के खंड (च) के अनुसार स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त हो गया है और जो राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 35 के अधीन निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृत्ति लेता है और उसके आश्रित का किसी विशिष्ट पद का कोई अधिकार नहीं होगा।
5. कतिपय शर्तों के अध्यधीन रहते हुए नियुक्ति .- (1) जब कोई सरकारी कर्मचारी जो ड्यूटी पर रहते हुए किसी दुर्घटना के कारण स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त हो गया हो और नियम 2 के खंड (च) के नीचे दिये टिप्पण के अनुसार चिकित्सा बोर्ड द्वारा सरकारी सेवा के लिए स्थायी रूप से अनुपयुक्त घोषित कर दिया गया हो तथा राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 35 के अधीन निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृत्ति लेता है तब सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए उसके आश्रितों में से किसी एक पर विचार किया जा सकेगा। इन नियमों के अधीन नियुक्ति दी जायेगी यदि,-
(i) स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त होने की तारीख को स्थायी पूर्ण दिव्यांग कर्मचारी ने 55 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की हो;
(ii) स्थायी पूर्ण दिव्यांग कर्मचारी ने उसके स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त होने के एक वर्ष के भीतर-भीतर राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 35 के अधीन निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया हो ।
(2) इन नियमों के अधीन नियोजन उस मामले में अनुज्ञेय नहीं होगा जहां ऐसे स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी का / की पति या पत्नी या पुत्रों, पुत्रियों, दत्तक पुत्र / दत्तक पुत्री में से कम से कम एक सरकारी कर्मचारी की ऐसी दिव्यांगता होने के समय या आश्रित की नियुक्ति के समय केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के पूर्णत: या अंशत: स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन कानूनी बोर्ड, संगठन या निगम में, नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो;
परन्तु कोई विवाहित पुत्री जो स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी पर आश्रित नहीं है और केंद्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के पूर्णत: या अंशत: स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन कानूनी बोर्ड, संगठन या निगम में, नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो तो वह स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के किसी अन्य आश्रित की अनुकंपात्मक नियुक्ति के लिए अवरोध नहीं होगी। तथापि, जब स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के केवल पुत्रियां हों, जो विवाहित हों, और उनमें से एक नियमित आधार पर केंद्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार, केंद्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के पूर्णत: या अंशत: स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन कानूनी बोर्ड, संगठन या निगम में, नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो तब अन्य विवाहित पुत्रियां नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगी।
परन्तु यह और कि, अविवाहित सरकारी कर्मचारी की स्थायी पूर्ण दिव्यांगता के मामले में नियोजन वहां अनुज्ञेय नहीं होगा जहां ऐसे स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी की माता, पिता, भाई या अविवाहित बहन, ऐसे सरकारी कर्मचारी की दिव्यांगता होने के समय या आश्रित की नियुक्ति के समय केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के पूर्णत: या अंशत: स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन कानूनी बोर्ड, संगठन या निगम में, नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो ।
परंतु यह भी कि इस उप-नियम के उपबंध वहां लागू नहीं होंगे जहां ऐसे स्थायी पूर्ण दिव्यांग कर्मचारी की पत्नी स्वयं के लिए नियोजन चाहती हो।
(3) इन नियमों के अधीन नियुक्ति इस शर्त पर कि, अनुकंपात्मक आधार पर नियुक्त व्यक्ति स्थायी पूर्ण दिव्यांग कर्मचारी सहित कुटुम्ब के ऐसे सदस्यों का, जो स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी पर आश्रित थे, उचित तौर पर भरण-पोषण करेगा तथा यह लिखित परिवचन देने पर दी जायेगी कि वह कुटुम्ब के सदस्यों का, और स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी का उचित रूप से भरण-पोषण करेगा / करेगी। यदि तत्पश्चात्, किसी भी समय पर यह साबित हो जाता है कि स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी, जो निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृत्त हो गया है को सम्मिलित करते हुए कुटुम्ब के ऐसे आश्रित सदस्यों की उपेक्षा की जा रही है या उसके द्वारा उचित रूप से उन का भरण पोषण नहीं किया जा रहा है तो अनुकंपात्मक आधार पर नियुक्त व्यक्ति को नियुक्ति प्राधिकारी, क्यों न उसकी सेवाओं को समाप्त कर दिया जाये, स्पष्टीकरण मांगते हुए कारण बताओ नोटिस जारी कर, एक अवसर प्रदान करते हुए, नियुक्ति समाप्त कर सकेगा।
6. पदों का चयन.- (1) पे मैट्रिक्स के लेवल एल-9 तक के किसी पद पर, और जो अधीनस्थ सेवा, लिपिकवर्गीय सेवा सीधी भर्ती द्वारा भरे जाने के लिए तात्पर्यित हों, या यथास्थिति, चतुर्थ श्रेणी सेवा में आश्रित की नियुक्ति के लिए शैक्षिक अर्हता और अन्य सेवा शर्तों की पूर्ति करने पर स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के रैंक और प्रास्थिति पर ध्यान दिए बिना, विचार किया जा सकेगा।
(2) इन नियमों के अधीन किसी पद पर एक बार नियुक्ति हो जाये तो इन नियमों के अधीन आशयित फायदा भुक्त किया गया समझा जायेगा और किसी भी परिस्थिति में मामला किसी अन्य पद पर नियुक्ति के लिए पुन: नहीं खोला जायेगा ।
7. अर्हताएं (1) आश्रित के पास उसकी नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन पद के लिए विहित अर्हताएं होनी चाहिए।
(2) चतुर्थ श्रेणी सेवा में नियुक्ति के लिए विचार किए जाने के समय, पद के लिए शैक्षिक अर्हता की अपेक्षा से अभिमुक्ति दी जायेगी ।
(3) किसी आश्रित की नियुक्ति से पूर्व नियुक्ति प्राधिकारी स्वयं का समाधान करेगा कि उसके चरित्र और शारीरिक उपयुक्तता और संबंधित सेवा नियमों में विहित अन्य साधारण शर्तों की पूर्ति को देखते हुए, वह सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए अन्यथा पात्र है।
8. आयु.- आश्रित नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन पद के लिए विहित आयु सीमा के भीतर होना चाहिए:
परन्तु,-
(i) स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी की पत्नी के लिए ऊपरी आयु सीमा 55 वर्ष होगी।
(ii) आयु संगणित करने के लिए निर्णायक तारीख नियुक्ति के लिए आवेदन प्राप्ति की तारीख होगी। किसी उपयुक्त पद की व्यवस्था करने में व्यतीत किया गया समय, उस कालावधि के दौरान उसके अधिकायु होने के मामले में, आश्रित को निरर्हित नहीं करेगा।
9. प्रक्रियात्मक अपेक्षा आदि- चयन के लिए प्रक्रियात्मक अपेक्षा जैसे, -
(i) नियुक्ति के समय कम्प्यूटर अर्हता पर जोर नहीं दिया जायेगा। तथापि, आश्रितों को परिवीक्षा की कालावधि के भीतर सुसंगत नियमों में यथाविहित कंप्यूटर अर्हताओं में से कोई अर्हता प्राप्त करनी होगी, इसमें विफल होने पर उसकी परिवीक्षा को बढ़ाया हुआ समझा जायेगा जब तक कि नियुक्ति प्राधिकारी, उसका कार्य पूर्णत: असंतोषजनक पाये जाने पर उसकी सेवाओं को समाप्त न कर दे;
(ii) प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या कंप्यूटर टंकण पर नियुक्ति के समय जोर नहीं दिया जायेगा। तथापि आश्रितों से, स्थायीकरण के लिए हकदारी हेतु ऐसा प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या अंग्रेजी अथवा हिंदी में से किसी एक भाषा में कंप्यूटर टंकण परीक्षा तीन वर्ष की कालावधि के भीतर, जब तक कि कार्मिक विभाग द्वारा कालावधि शिथिल ना की जाये, उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जायेगी, जिसमें विफल होने पर उसकी नियुक्ति समाप्त होने के दायित्वाधीन होगी। जब तक वह ऐसी अर्हता अर्जित नहीं कर लेता है तब तक उसे कोई वार्षिक ग्रेड वेतन वृद्धि अनुज्ञात नहीं की जायेगी। ऐसी अर्हता अर्जित करने पर उसे नियुक्ति की तारीख से वार्षिक ग्रेड वेतनवृद्धियां काल्पनिक रूप से अनुज्ञात की जायेंगी किंतु उसे कोई बकाया संदत्त नहीं किए जायेंगे:
परंतु इन नियमों के उपबंधों के अधीन नियुक्त स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी की पत्नी को कंप्यूटर अर्हता और कंप्यूटर पर टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट दी जायेगी:
परंतु यह और कि इन नियमों के उपबंधों के अधीन नियुक्त दिव्यांगता वाले
आश्रित को कंप्यूटर पर टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट दी जायेगी।
10. प्रक्रिया.- (1) किसी सरकारी कर्मचारी के स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त होने पर पति या पत्नी स्वयं के लिए या किसी अन्य आश्रित के लिए नियुक्ति हेतु आवेदन करेगा/करेगी।
(2) जहां स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी का कोई जीवित पति या पत्नी न हो, वहां स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के किसी भी आश्रित द्वारा आवेदन किया जायेगा और अन्य आश्रितों को उसकी अभ्यर्थिता के लिए अपनी सहमति देनी होगी:
परंतु यह कि आश्रितों में से एक से अधिक द्वारा नियोजन चाहा जाये तो विभागाध्यक्ष संपूर्ण परिवार, विशिष्टतः अवयस्क सदस्यों के सम्पूर्ण हित और कल्याण को ध्यान में रखते हुए किसी एक का चयन करेगा।
(3) ऐसा आवेदन इन नियमों से संलग्न प्ररूप में सरकारी कर्मचारी की राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 35 के अधीन स्थायी पूर्ण दिव्यांगता के कारण निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृत्ति की तारीख से 90 दिवस की कालावधि के भीतर-भीतर कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष को किया जायेगा । आवेदक, आवेदन के भाग 1 के खण्ड-7 में उल्लिखित कुटुम्ब के समस्त सदस्यों की सभी स्रोतों से मासिक आय के समर्थन में एक शपथ-पत्र प्रस्तुत करेगा:
परन्तु किसी आपवादिकं मामले में, जहां राज्य सरकार के कार्मिक विभाग का यह समाधान हो जाता है कि इस उप-नियम के उपबंधों का प्रवर्तन, स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के कुटुम्ब को वित्तीय कठिनाई कारित करेगा और किसी विशिष्ट मामले में इस उप-नियम के उपबंधों का शिथिलीकरण आवश्यक या समीचीन समझता है तो वह इस नियम के उपबंध, ऐसी सीमा तक और ऐसी शर्तों के अध्यधीन, जो किसी मामले के न्याय- संगत तथा साम्यापूर्ण रूप से निपटाने के लिए आवश्यक हो, शिथिल कर सकेगा। (4) राजस्थान राज्य संवर्ग की अखिल भारतीय सेवाओं, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान लेखा सेवा, राजस्थान विधिक राज्य एवं अधीनस्थ सेवा और राजस्थान आर्थिक एवं सांख्यिकी सेवा आदि के मामलों में जहां अधिकारी सरकार के विभिन्न विभागों में पद- स्थापित किए जाते हैं वहां आवेदन उस विभागाध्यक्ष / कार्यालयाध्यक्ष जहां स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी, अपनी स्थायी पूर्ण दिव्यांगता के समय पदस्थापित था, के माध्यम से उस सेवा को नियंत्रित करने वाले प्रशासनिक विभाग को किये जायेंगे।
(5) विभागाध्यक्ष या, यथास्थिति, कार्यालयाध्यक्ष का यह दायित्व होगा कि वह आश्रितों को यथासंभव अपने विभाग में ही नियुक्ति दे।
(6) यदि कोई उपयुक्त पद रिक्त न हो किंतु निम्नतर वेतनमान में का कोई पद तुरंत उपलब्ध हो तो ऐसे निम्नतर पद का आवेदक को 'पहले आये पहले पाये' के आधार पर प्रस्ताव किया जा सकेगा और आवेदक के लिए यह विकल्प होगा कि वह या तो आवेदित पद के लिए प्रतीक्षा करे या उपलब्ध निम्नंतर पद स्वीकार करे। यदि आवेदक उपलब्ध निम्नतर पद स्वीकार करता है तो वह आवेदित उच्चतर पद के लिए अपना दावा खो देगा/ खो देगी और उसके दावे को प्रतीक्षा सूची में नहीं रखा जायेगा:
परंतु यदि उस विभाग में जिसमें स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी कार्यरत है, कोई रिक्त पद उपलब्ध नहीं हो तो मामला तुरंत कार्मिक विभाग को निर्दिष्ट किया जायेगा जो तर्कपूर्ण कारणों द्वारा सम्यक् रूप से समर्थित होगा और कार्मिक विभाग किसी अन्य विभाग में नियुक्ति उपलब्ध करायेगा ।
(7) राज्य संवर्ग वाली सेवाओं जैसे कार्मिक विभाग द्वारा नियंत्रित अखिल भारतीय सेवाओं, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान सचिवालय सेवा के सदस्यों की स्थायी पूर्ण दिव्यांगता की दशा में, आवेदन सचिव, कार्मिक विभाग को किया जायेगा और यह कार्मिक विभाग का दायित्व होगा कि वह किसी उपयुक्त पद की व्यवस्था करे ।
11. अध्यारोही प्रभाव - तत्समय प्रवृत्त किन्हीं नियमों, विनियमों या आदेश में अन्तर्विष्ट किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, इन नियमों के उपबंध और इसके अधीन जारी किये गये किसी आदेश का अध्यारोही प्रभाव रहेगा।
12. नोडल विभाग - कार्मिक विभाग इन नियमों को प्रशासित करने के, प्रयोजनार्थ नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा और वह ऐसा कोई सामान्य या विशेष आदेश कर सकेगा जो वह इन नियमों के उचित क्रियान्वयन के लिए आवश्यक या समीचीन समझे ।
13. शंकाओं का निराकरण - यदि इन नियमों के लागू करने, निर्वचन और विस्तार संबंधी कोई शंका उत्पन्न हो तो उसे सरकार के कार्मिक विभाग को निर्दिष्ट किया जायेगा जिसका उस पर विनिश्चय अंतिम होगा।
14. कठिनाईयों के निराकरण की शक्ति- यदि इन नियमों के उपबंधों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो राज्य सरकार ऐसे साधारण या विशेष आदेश जारी कर सकेगी जो वह ऐसी कठिनाई के निराकरण के लिए आवश्यक या समीचीन समझे ।


परिपत्र दिनांक: 02.09.2024
कार्मिक विभाग की अधिसूचना दिनांक 26.04.2023 के द्वारा राजस्थान स्थायी पूर्ण द्विव्यांग सरकारी कर्मचारी के आश्रितों की अनुकम्पा नियुक्ति नियम 2023 के अन्तर्गत राज्य सरकार के विभिन्न विभागों मे डयूटी पर कार्य करते हुए कार्मिक के पूर्णतः निःशक्त / आयोग्य (Disabled ) होने एवं उनके द्वारा स्वैच्छिक सेवा निवृति (निर्योग्यता पेंशन पर सेवा निवृति)  लिये जाने पर उनके एक आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने का प्रावधान है । इन नियमों के परिपेक्ष्य में नियुक्ति प्रदान करने हेतु निम्न बिन्दुओं पर विधि विभाग एवं वित्त विभाग से परामर्श कर निम्न निर्देश जारी किये जाते है:-
1. किसी भी सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी में रहते हुए उक्त नियम 2023 के जारी होने की तिथि 26.04.2023 से पूर्व वर्षों में दुर्घटना हुई हो, परन्तु स्थाई रूप से दिव्यांगता होने का प्रमाण पत्र मेडिकल बोर्ड से उक्त नियम, 2023 के लागू होने (अर्थात 26.04. 2023) के पश्चात जारी हुआ है, तो ऐसे प्रकरणों में उनके आश्रित को नियुक्ति देने पर विचार किया जा सकता है। अतः किसी कर्मचारी की स्थाई पूर्ण द्विव्यांगता, मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र जारी होने की तिथि से मानी जानी है
2. राजस्थान सेवा नियम 1951 के नियम 8 में कर्तव्य (Duty) को परिभाषित किया गया है। उक्त नियम के अन्तर्गत सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी में रहते हुए किसी दुर्घटना के कारण, स्थाई रूप से दिव्यांगता से ग्रस्त होना चाहिए। ऐसी स्थिति में एक सरकारी कर्मचारी ड्यूटी में तभी माना जायेगा जब वह अपने कार्यालय में उपस्थिति दे देता है और ड्यूटी से पृथक तब हो जाता है जब वह कार्यालय समय पूर्ण होने के पश्चात कार्यालय छोड देता है। इसके अलावा सरकारी ड्यूटी में वह कर्मचारी भी शामिल है जो कार्यालय अवकाश होने के बावजूद भी सक्षम अधिकारी के निर्देशों की पालना में कार्यालय में उपस्थित हो गया है।
3. स्थाई पूर्ण द्विव्यांग कर्मचारी का उसके स्थाई पूर्ण द्विव्यांगता से ग्रस्त होने के जारी मेडिकल प्रमाण पत्र के एक वर्ष के भीतर-भीतर राज. सिविल सेवा (पेशन) नियम, 1996 के नियम, 35 के अधीन निर्योग्यता पेंशन पर सेवा निवृति स्वीकृत होना आवश्यक है ।
4. राज. सिविल सेवा (पेशन) नियम, 1996 के नियम 35 के अधीन निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृति के लिए आवेदन किया जाना पर्याप्त नही है अपितु सेवानिवृति स्वीकृत होना आवश्यक है। साथ ही सेवा निवृति स्वीकृत करने से पूर्व विभागाध्यक्ष / नियुक्ति प्राधिकारी को अपने स्तर पर यह सुनिश्चित किया जाना हैं कि क्या कर्मचारी द्विव्यांगता नियम 2023 के अन्तर्गत नियमानुसार स्थाई पूर्ण द्विव्यांगता की पात्रता रखता है अथवा नहीं । अन्यथा कर्मचारी द्वारा निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृति लेने के बावजूद भी नियमानुसार उसके आश्रित को नियुक्ति देय नही होने पर कर्मचारी को आर्थिक नुकसान होने की स्थिति बन सकती है।
उपरोक्त के अलावा कुछ प्रकरण ऐसे भी हो सकते हैं जो नियमो के अर्न्तगत कवर नही हो पाते है, ऐसे प्रकरणो का परीक्षण उक्त नियम 2023 के नियम 14 के अर्न्तगत कार्मिक विभाग के स्तर पर गुणावगुण के आधार पर परीक्षण कर राय प्रदान की जा सकती है।
अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त विधवा महिला एवं निःशक्त कार्मिको को टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट दी गई है।

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