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19. जैव विविधता एवं इसका संरक्षण

  1. भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव कौन सा है
    गंगा डॉल्फिन (2009)
  2. अंतरराष्ट्रीय जैवविधता दिवस कब मनाया जाता है
    22 मई
  3. विश्व में वृहद जैव विविधता वाले देश कितने हैं
    17
  4. वर्तमान विश्व में कितने जैव विविधता तप्त स्थल है
    34
  5. NAB का पूरा नाम लिखो
    राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण
  6. विश्व में सर्वाधिक जैव विविधता कहां पाई जाती है
    भूमध्य रेखा पर
  7. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा किस वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष के रूप में मनाया गया
    2010
  8. CBD का पूरा नाम लिखिए
    कन्वेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी (जैवविविधता संधि)
  9. पारिस्थितिकीय तंत्र के संतुलन की मापक इकाई क्या है
    प्रजाति विविधता
  10. जैव विविधता के तप्त स्थल की अवधारणा किसने दी ?
    नार्मन मेयर्स
  11. भारत से पूर्ण रूप से विलुप्त जीवों के नाम लिखो
    एशियाई चीता, जावन गैण्डा, गुलाबी सिर वाली बत्तख, पर्वतीय बटैर।
  12. जैव विविधता के स्तरों के नाम लिखिए
    (i) प्रजाति विविधता
    (ii) अनुवांशिक विविधता
    (iii) पारिस्थितिकी तंत्र विविधता
  13. प्रजाति विविधता किसे कहते हैं (2020)
    किसी क्षेत्र विशेष में पाए जाने वाले जीवो की विभिन्न प्रजातियों की कुल संख्या उस क्षेत्र की प्रजाति विविधता कहलाती है
  14. अनुवांशिक विविधता किसे कहते हैं (2019)
    एक ही प्रजाति के विभिन्न सदस्यों में अनुवांशिक इकाई जीन के कारण पाई जाने वाली विभिन्नता अनुवांशिक विविधता कहलाती है
  15. विश्व के प्रमुख जैव विविधता तप्त स्थलों के नाम लिखिए
    1.पूर्वी मलेशियाई द्वीप समूह      2.अटलांटिक वन
    3.मेडागास्कर द्वीप समूह           4.इंडो बर्मा
    5.
    भारत का पश्चिमी घाट           6.पूर्वी हिमालय
  16. पारिस्थितिकी तंत्र विविधता किसे कहते हैं(2020)
    भौगोलिक एवं पर्यावरणीय विभिन्नताओं के कारण विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों के जीवों में पायी जाने वाली भिन्नता पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता कहलाती है
  17. भारत के जैवविविधता तप्त स्थलों नाम लिखिए
    (i)पूर्वी हिमालय जैव विविधता तप्त स्थल
    (ii) पश्चिमी घाट जैव विविधता तप्त स्थल
    (iii)इंडो बर्मा जैवविविधता तप्त स्थल
  18. जैवविविधता के तप्त स्थल क्या होते हैं
    ऐसे क्षेत्र जहां बहुत अधिक जैव विविधता पाई जाती है तथा मानवीय गतिविधियों के कारण इन क्षेत्रों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है जैव विविधता के तप्त स्थल कहलाते हैं
  19. प्रजाति किसे कहते हैं
    जीवों का ऐसा समूह जिसके सदस्य एक जैसे दिखाई देते हैं तथा प्राकृतिक परिवेश में प्रजनन कर संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो प्रजाति कहलाता है
  20. पारिस्थितिकी तंत्र किसे कहते हैं
    किसी क्षेत्र विशेष के समस्त जीवो तथा पर्यावरण के अजैविक घटकों के मध्य होने वाली अंतः क्रिया से निर्मित तंत्र पारिस्थितिकी तंत्र कहलाता है
    जैसे घास का मैदान, पहाड़, समुद्र, तालाब
  21. किसी क्षेत्र को जैव विविधता तप्त स्थल घोषित करने के लिए आवश्यक शर्ते लिखिए
    (i)उस क्षेत्र में विश्व की कुल स्थानबद्ध प्रजातियों की 0.5% (1500 प्रजातियां )से अधिक प्रजातियां उपस्थित होनी चाहिए
    (ii) उस क्षेत्र के मूल आवास का 70% भाग उजड़ चुका हो
  22. जैव विविधता किसे कहते हैं (2019)
    पृथ्वी पर पाये जाने वाले जीवधारियों के मध्य पायी जाने वाली विभिन्नता जैव विविधता कहलाती है।
    संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रौद्योगिकी आंकलन रिपोर्ट 1987  के अनुसार "पृथ्वी पर पाये जाने वाले जीव- जंतुओ में पाई जाने वाली विभिन्नता, विषमता तथा पारिस्थितिकीय जटिलता ही जैव विविधता कहलाती है"
  23. स्थानबद्ध प्रजातियां किसे कहते हैं उदाहरण दीजिए
    ऐसी प्रजातियां जो एक क्षेत्र विशेष में ही पाई जाती है अर्थात जिनका वितरण एक सीमित क्षेत्र में होता है स्थानबद्ध प्रजातियां कहलाती है जैसे लेमूर मेडागास्कर द्वीप पर तथा नीलगिरी तहर व मैकाक बंदर भारत के पश्चिमी घाट में ही पाये जाते हैं (2020) डोडो पक्षी मॉरिशस की एक स्थानबद्ध प्रजाति थी । 
  24. जैव विविधता का आर्थिक महत्व लिखिए
    (i)जैवविविधता हमें प्रत्यक्ष रुप से भोजन, ईंधन, चारा, इमारती लकड़ी एवं उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती है
    (ii) जैव विविधता कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ रोग रोधी तथा कीट रोधी फसलों की किस्मों के विकास में सहायक है
    (iii) जेट्रोफा व करंज (बायोडीजल वृक्ष) के बीजों से जैव ईंधन बनाया जा सकता है
  25. जैव विविधता का सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक महत्व लिखिए
    1.वनस्पतियों की कुछ प्रजातियां जैसे पीपल, बरगद, तुलसी, आंवला आदि हमारी संस्कृति में विशेष स्थान रखते हैं इन वनस्पतियों की विशेष अवसरों पर पूजा की जाती है
    2.कुछ जंतु जैसे गाय, चूहा आदि भी हमारी संस्कृति में विशेष स्थान रखते हैं इनकी भी विशेष अवसरों पर पूजा की जाती है
    3.हमारे देश में आज भी ऐसे वन क्षेत्र है जिन्हें देववन का जाता है
  26. जैव विविधता का औषधीय महत्व लिखिए
    वनों में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों का उपयोग अनेक बीमारियों के इलाज में किया जाता है जैसे-
    1.मलेरिया का इलाज सिनकोना की छाल से किया जाता है
    2.विनक्रिस्टीन व विनब्लास्टीन पौधों का उपयोग रक्त कैंसर तथा टैक्सस बकाटा वृक्ष की छाल का उपयोग कैंसर के इलाज किया जाता है
    3.सर्पगंधा से उच्च रक्तचाप का इलाज किया जाता है
    4.तुलसी, ब्राह्मी, अश्वगंधा, शतावरी आदि वनस्पतियों में एड्स रोधी गुण पाए जाते हैं
  27. जैवविविधता का पर्यावरणीय महत्व लिखिए(2020)
    (i)खाद्य श्रंखला का संरक्षण- जब किसी खाद्य श्रंखला में से एक प्रजाति विलुप्त हो जाती है तो पूरी खाद्य श्रंखला के खत्म होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है परंतु यदि जैवविविधता समृद्ध है तो उसमें विभिन्न खाद्य श्रंखलाएं मिलकर खाद्य जाल का निर्माण करती है और किसी खाद्य श्रंखला की एक प्रजाति विलुप्त होने से खाद्य जाल की अन्य प्रजातियां उसकी कमी को पूरा कर देती है
    (ii)पोषक चक्र नियंत्रण - जैव विविधता पोषण चक्र को गतिमान बनाए रखने में सहायक होते हैं मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्मजीव पोधौ व जीवों के मृत भागों को विघटित कर पौधों को पोषक तत्व पुनः उपलब्ध कराने में सहायक है 
    (iii)पर्यावरण प्रदूषण का निस्तारण -कई वनस्पतियां, सूक्ष्मजीव व कवक प्रदूषकों का विघटन और अवशोषण करने का गुण रखती है एवं कई सूक्ष्म जीव औद्योगिक अपशिष्ट में उपस्थित भारी तत्वों को हटाने में सक्षम होते हैं
  28. विश्व प्रजातियों का IUCN वर्गीकरण लिखिए (2020)
    (i) विलुप्त प्रजातियां- ऐसी प्रजातियां जो विश्व में कहीं भी जीवित अवस्था में नहीं मिलती है विलुप्त प्रजातियां कहलाती है जैसे डोडो पक्षी ,डायनासोर
    (ii) संकटग्रस्त प्रजातियां- ऐसी प्रजातियां जो विलुप्त होने के कगार पर है तथा जिनका संरक्षण नहीं किया गया तो शीघ्र ही विलुप्त हो जाएगी । इन्हें संकट ग्रस्त प्रजातियां कहते है जैसे चिता, बाघ, सर्पगंधा, गेंडा
    (iii) अति संवेदनशील प्रजातियां- ऐसी प्रजातियां जिनकी संख्या तेजी से कम हो रही है तथा शीघ्र ही संकटग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में आने की आशंका है संकटग्रस्त प्रजातियां कहलाती हैं जैसे याक, लाल पांडा, कोबरा
    (iv) दुर्लभ प्रजातियां- ऐसी प्रजातियां जो एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में ही रह गई है या जिनकी संख्या बहुत कम है दुर्लभ प्रजातियां कहलाती हैं  जैसे लाल भेड़िया, गिब्बन
    (v)अपर्याप्त रूप से ज्ञात प्रजातियां- ऐसी प्रजातियां जिनके बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है
  29. जैव विविधता संरक्षण के प्रकार /विधियां लिखिए
    (i) स्वस्थाने संरक्षण -जीवों का उनके प्राकृतिक आवास में ही अनुकूल परिस्थितियां व सुरक्षा उपलब्ध करा कर किया गया संरक्षण स्वस्थाने संरक्षण कहलाता है इसके तहत राष्ट्रीय उद्यान, अभ्यारण, जीवमंडल रिजर्व आदि की स्थापना की जाती है भारत में 14 जैव मंडल रिजर्व, 99 राष्ट्रीय उद्यान, 593 वन्य जीव अभ्यारण तथा 47 संरक्षित रिजर्व घोषित किए जा चुके हैं
    (ii)बहिस्थाने संरक्षण - जब किसी संकटग्रस्त पादप या जंतु प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास से बाहर कृत्रिम आवास में संरक्षण प्रदान किया जाता है तो इसे बहिस्थाने सरंक्षण कहते हैं इसके तहत वनस्पति प्रजातियों के संरक्षण के लिए वानस्पतिक उद्यान, बीज बैंक, उत्तक संवर्धन प्रयोगशाला आदि की स्थापना की जाती है जंतुओं के संरक्षण के लिए चिड़ियाघर, एक्वेरियम आदि की स्थापना की जाती है बीज बैंक में संकटग्रस्त पौधों एवं जंतुओं के जींस अंकुरणक्षम अवस्था में सुरक्षित रखे जाते हैं
  30. भारत के जैवविविधता तप्त स्थलों का वर्णन कीजिए
    1.पूर्वी हिमालय जैवविविधता तप्त स्थल - यह क्षेत्र असम,अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम व पश्चिम बंगाल में फैला हुआ है यहां हिमालय पर्वत श्रंखला में पर्याप्त जैवविविधता पाई जाती है यह 7.5 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है इस क्षेत्र में सुनहरा लंगूर, हिम तेंदुआ, उड़न गिलहरी व गंगा डॉल्फिन जैसे जीव पाए जाते हैं
    2.पश्चिमी घाट जैव विविधता तप्त स्थल - यह क्षेत्र भारत के पश्चिमी घाट के सहारे महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु राज्यों में फैला हुआ है यह क्षेत्र 1.6 लाख वर्ग किमी में फैैला है यहां निलगिरी तहर व मेकाक बंदर जैसी स्थानबद्ध जातियां पायी जाती है 
    3.इंडो बर्मा जैव विविधता तप्त स्थल - यह जैव विविधता तप्त स्थल भारत, चीन, म्यांमार, वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया, मलेशिया आदि देशों में फैला हुआ है इसका क्षेत्रफल लगभग 23.73 लाख वर्ग किलोमीटर है
  31. जैव विविधता संरक्षण हेतु किए जाने वाले प्रयासों का वर्णन कीजिए
    (अ)अंतर्राष्ट्रीय प्रयास-
    (i) अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण संघ -संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1968 में एक अंतरराष्ट्रीय संस्था "अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN)" की स्थापना की जिसने विभिन्न पादप एवं प्राणी जातियों का अध्ययन कर 1972 में एक पुस्तक रेड डाटा बुक प्रकाशित की इस पुस्तक में विलुप्त हो रही जातियों, उनके आवास तथा वर्तमान में उनकी संख्या को सूचीबद्ध किया गया है अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण संघ ने विश्व प्रजातियों को संरक्षण की दृष्टि से पांच भागों में बांटा है
    (ii) विश्व पृथ्वी सम्मेलन -1992 में रियो डी जेनेरो में विश्व पृथ्वी सम्मेलन हुआ और जैवविविधता संधि (CBD) अस्तित्व में आई जिसे 193 देशों ने स्वीकार कर लिया है इन सभी देशों ने जैवविविधता के संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की
    (ब)राष्ट्रीय प्रयास -
    (i)जैवविविधता एक्ट- भारत सरकार ने 2002 में जैव विविधता एक्ट बनाया जिसके तीन मुख्य उद्देश्य हैं
    ☆जैव विविधता का संरक्षण
    ☆जैव विविधता की दीर्घकालीन उपलब्धता
    ☆जैविक संसाधनों के लाभ का समान वितरण
    इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए जैव विविधता एक्ट 2002 में त्रिस्तरीय संगठन का प्रावधान है
    राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण ,राज्य स्तर पर जैव विविधता बोर्ड और स्थानीय स्तर पर प्रबंध समितियां का गठन किया गया है
    (ii) राष्ट्रीय हरित अधिकरण- भारत सरकार ने पर्यावरण, वन, जल, वायु व जैवविविधता विषयों से संबंधित विवादों को निपटाने के लिए 2 जून 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना की जिसका मुख्यालय भोपाल में है
  32. जैवविविधता ह्रास के लिए उत्तरदाई प्रमुख कारण लिखिए (2020)
    (i)प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना- विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आबादी व कृषि भूमि में विस्तार के कारण जीवो के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं जिससे कई जंतु एवं वनस्पति प्रजातियां विलुप्त हो रही है
    (ii)प्राकृतिक आवास विखंडन- सड़क मार्ग, रेल मार्ग, गैस पाइपलाइन, नहर आदि के कारण जीवो के प्राकृतिक आवास विखंडित हो जाते हैं जिससे वन्यजीवों के प्राकृतिक क्रियाकलाप प्रभावित होते हैं तथा वे अपने आप को असहज महसूस करते हैं अनेक जीव वाहनों की चपेट में आकर के मर जाते हैं
    (iii)जलवायु परिवर्तन- मानवीय गतिविधियों के कारण आज वैश्विक उष्णता की समस्या उत्पन्न हो गई है जिसके कारण विश्व की जलवायु धीरे-धीरे बदल रही है जलवायु परिवर्तन के कारण कई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है
    (iv) पर्यावरण प्रदूषण- पर्यावरण प्रदूषण का असर प्राणियों एवं पौधों दोनों पर पड़ता है प्रदूषित जल, प्रदूषित भूमि एवं अम्लीय वर्षा के कारण अनेक सूक्ष्म जीव एवं वनस्पतियां नष्ट हो रही है कृषि में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के अत्याधिक उपयोग से मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव विलुप्त जाते हैं
    (v) विदेशी प्रजातियों का आक्रमण- वांछित या अवांछित रूप से कई बार विदेशी प्रजातियों के आने के कारण स्थानीय प्रजातियों के अस्तित्व का खतरा उत्पन्न हो जाता है जिससे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता है जैसे लैंटाना, जलकुंभी (वाटर लिली) एवं गाजर घास के कारण स्थानीय जैव विविधता के लिए संकट उत्पन्न हो गया है
    (vi)अंधविश्वास व अज्ञानता- अंधविश्वास एवं भ्रामक अवधारणाओं के कारण कई जीव मनुष्य द्वारा मार दिए जाते हैं जिसके कारण जीवो की प्रजाति के लिए संकट उत्पन्न हो जाता है जैसे गागरोनी तोता, गोयरा व गोडावण आदि को भ्रामक अवधारणाओं के कारण मार दिया जाता है 

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