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15. पृथ्वी पर जीवन

  1. निम्नलिखित में से कौन जैवमंडल में सम्मिलित हैं :
    (क) केवल पौधे                 (ख) केवल प्राणी
    (ग) सभी जैव व अजैव जीव     (घ) सभी जीवित जीव        (ग)
  2. उष्णकटिबंधीय घास के मैदान निम्न में से किस नाम से जाने जाते हैं?
    (क) प्रेयरी                      (ख) स्टैपी
    (ग) सवाना                    (घ) इनमें से कोई नहीं        (ग)
    चट्टानों में पाए जाने वाले लोहांश के साथ ऑक्सीजन मिलकर निम्नलिखित में से क्या बनाती है?
    (क) आयरन कार्बोनेट          (ख) आयरन ऑक्साइड
    (ग) आयरन नाइट्राइट          (घ) आयरन सल्फेट         (ख)
  3. प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान, प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाईऑक्साइड जल के साथ मिलकर क्या बनाती है?
    (क) प्रोटीन                     (ख) कार्बोहाइड्रेट्स
    (ग) एमिनोएसिड                (घ) विटामिन            (ख)
  4. पारिस्थितिकी से आप क्या समझते हैं?
    जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवों और उनके पर्यावरण के बीच अन्तर्सम्बम्धों का अध्ययन किया जाता है। पारिस्थितिकी कहलाती है पारिस्थितिकी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सन् 1869 में हैकल ने किया
    पारिस्थितिकी (Ecology) शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों Oikos और logos से मिलकर बना है। Oikos का अर्थ है घर या निवास तथा logos का अर्थ 
    है  अध्ययन 
  5. पारितंत्र (Ecological system) क्या है? संसार के प्रमुख पारितंत्र प्रकारों को बताएं|
    पर्यावरण के समस्त जैविक और अजैविक कारको के बीच ऐसा अर्तंसंबंध जिसमें ऊर्जा प्रवाह व पोषण श्रृंखलाएं स्पष्ट रूप से समायोजित हों पारिस्थितिक तंत्र कहलाता है। पारिस्थितिकी तंत्र या पारितंत्र शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1935 में ए.जी. टोसले द्वारा किया गया था।
    पारितंत्र दो प्रकार के हैं :
    • स्थलीय पारितंत्र
    • जलीय पारितंत्र
  6. खाद्य श्रृंखला क्या है? चराई खाद्य श्रृंखला का एक उदाहरण देते हुए इसके अनेक स्तर बताएं|
    पारिस्थितिकी तंत्र में सभी जीवों की व्यवस्थित श्रंृखला जिसके द्वारा खाद्य पदार्थों व ऊर्जा का एक स्तर से दूसरे स्तर पर स्थानान्तरण होता है, खाद्य श्रृंखला कहलाती है।
    जैसे घास → टिड्डा → मेंढक → साँप
    चराई खाद्य शृंखला उत्पादक(हरे पौधो) से आरंभ होकर तृतीयक उपभोक्ता( माँसाहारी )जीवों पर समाप्त होती है, इसमें शाकाहारी मघ्यम स्तर होता हैं। खाद्य शृंखला में तीन से पाँच स्तर होते हैं और हर स्तर पर ऊर्जा कम होती जाती है।
    उदाहरण के लिए- पौधे पर जीवित रहने वाला एक कीड़ा (Bettle) एक मेंढक का भोजन है, जो मेंढक साँप का भोजन है और साँप एक बाज़ द्वारा खा लिया जाता है|
  7. खाद्य जाल (Food web) से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित बताएं|
    पारिस्थितिकी तंत्र में खाद्य शृंखलाएं विलगित अवस्था में क्रियाशील नहीं होती वरन एक दूसरे से जुड़ी होती हैं। खाद्य शृंखलाओं के विभिन्न पोषक स्तरों पर परस्पर जुडा यह जाल खाद्य जाल कहलाता है
    उदाहरणार्थ- एक चूहा, जो अन्न पर निर्भर है वह अनेक द्वितीयक उपभोक्ताओं का भोजन है और तृतीयक माँसाहारी अनेक द्वितीयक जीवों से अपने भोजन की पूर्ति करते हैं|
  8. बायोम (Biome) क्या है?
    पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीव जंतु तथा पेड़ पौधों को सम्मिलित रूप से बायोम कहते हैं।
    संसार के पाँच प्रमुख बायोम इस प्रकार हैं:
    अ. वन बायोम              ब. मरुस्थलीय बायोम
    स. घासभूमि बायोम         द. जलीय बायोम
    य. उच्च प्रदेशीय बायोम
  9. संसार के विभिन्न वन बायोम (Forest biomes) की महत्वपूर्ण विशेषताओं का वर्णन करे|
    संसार के विभिन्न वन बायोम को तीन उपभागों में वर्गीकृत किया गया है :
    1-उष्ण कटिबंधीय :-
    (क) भूमध्य रेखीय- यहाँ तापमान 20° से 25° से. होता है जिसका लगभग एक समान वितरण होता है| यहाँ की मृदा में अम्लीयता तथा पोषक तत्त्वों की कमी पायी जाती है| असंख वृक्षों के झुंड, लंबे तथा घने वृक्ष पाए जाते हैं|
    (ख) पर्णपाती- यहाँ का तापमान 25° से 30° से. तथा एक ऋतु में 1,000 मि.मी. वार्षिक औसत वर्षा होती है| मृदा पोषक तत्त्वों में धनी होती है| कम घने, मध्यम ऊँचाई के वृक्ष तथा अधिक प्रजाति एक साथ पाई जाती है| दोनों में कीट पतंगें, चमगादड़, पक्षी व स्तनधारी जंतु पाए जाते हैं|
    2-शीतोष्ण कटिबंधीय :-
    तापमान 20° से 30° से. तथा वर्षा 750 से 1,500 मि.मी. तक होती है| मृदा उपजाऊ, अवघटक जीवों से भरपूर होती है| मध्यम घने चौड़े पत्ते वाले वृक्ष पाए जाते हैं| पौधों की प्रजातियों में कम विविधता जैसे- ओक, बीच, मेप्प्ल आदि हैं| जंतुओं में गिलहरी, खरगोश, पक्षी, काले भालू, पहाड़ी शेर व स्कंक आदि पाए जाते हैं|
    3- बोरियल :-
    छोटी आर्द्र ऋतु व मध्यम रूप से गर्म ग्रीष्म ऋतु तथा लंबी (वर्षा रहित) शीत ऋतु पाई जाती है| यहाँ मुख्यत: हिमपात के रूप में 400 से 1,000 मि.मी. वर्षा होती है| यहाँ की मृदा में अम्लीयता तथा पोषक तत्त्वों की कमी पायी जाती है| मिट्टी की परत अपेक्षाकृत पतली होती है| सदाबहार कोणधारी वन जैसे- पाइन, फर व स्प्रूस आदि पाए जाते हैं| कठफोड़ा, चील, भालू, हिरन, खरगोश, भेड़िये व चमगादड़ आदि मुख्य प्राणी हैं|
  10. जैव भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical balance) क्या है? वायुमंडल में नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (Fixation) कैसे होता है? वर्णन करें|
    प्रकृति में सजीव व भौतिक पर्यावरण के मध्य रासायनिक तत्त्वों के चक्रीय प्रवाह को जैव भू-रासायनिक चक्र कहते हैं।
    जैव भू-रासायनिक चक्र दो प्रकार के हैं - एक गैसीय और दूसरा तलछटी चक्र
    गैसीय चक्र - गैसीय चक्र में चक्रीकरण करने वाले पदार्थे का मुख्य स्रोत वायुमंडल व महासागर हैं। जिसमें पदार्थे का चक्रीकरण मुख्यतः गैस के रूप में होता है तलछटी चक्र- तलछटी चक्र में चक्रीकरण करने वाले पदार्थे का मुख्य स्रोत पृथ्वी की भूपर्पटी पर पाई जाने वाली मिट्टी , तलछट व अन्य चट्टानें होती है हैं।
    नाइट्रोजन यौगिकीरण -वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन अन्य तत्वों के साथ क्रिया कर नाइट्रोजन के यौगिक बना लेती है इस क्रिया को नाइट्रोजन यौगिकीरण कहते हैं ये क्रिया दो प्रकार से होती है। तडित विसर्जन द्वारा नाइट्रोजन के ऑक्साइड में परिवर्तित होकर मृदा में मिल जाती है। और नाइट्रेट में बदल जाती है फलीदार पौधों की जड़ों में पाये जाने वाले राइजोबियम जैसे नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदल देते हैं।
  11. पारिस्थितिकी संतुलन (Ecological balance) क्या है? इसके असंतुलन को रोकने के महत्वपूर्ण उपायों की चर्चा करें|
    किसी पारितंत्र या आवास में जीवों के समुदाय में परस्पर गतिक साम्यता की अवस्था ही पारिस्थितिक संतुलन है| यह तभी संभव है जब जीवधारियों की विविधता अपेक्षाकृत स्थायी रहे|
    पारिस्थितिक असंतुलन के कारण- नईं प्रजातियों का आगमन, प्राकृतिक विपदाएँ और मानव जनित कारक हैं|
    इसके असंतुलन को रोकने के महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं :
    • प्रकृति में हस्तक्षेप न करके|
    • जनसंख्या पर नियंत्रण|
    • वस्तुओं का पुनः उपयोग और पुनःचक्रण|
    • प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग|
    • वनीकरण को प्रोत्साहन|

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