- खनिज:- पृथ्वी से प्राप्त वे पदार्थ जिनकी एक विशेष परमाण्विक संरचना होती है तथा जिनके निश्चित रासायनिक और भौतिक गुण पाए जाते हैं, उन्हें खनिज कहते हैं।
- निम्न में से कौन ग्रेनाइट के दो प्रमुख घटक हैं ?(क) लौह एवं निकेल (ख) सिलिका एवं एलूमिनियम
(ग) लौह एवं चाँदी (घ) लौह ऑक्साइड एवं पोटैशियम (ख) - निम्न में से कौन सा कायांतरित शैलों का प्रमुख लक्षण है ?
(क) परिवर्तनीय (ख) क्रिस्टलीय
(ग) शांत (घ) पत्रण (क) - निम्न में से कौन सा एकमात्र तत्व वाला खनिज नहीं है ?
(क) स्वर्ण (ख) माइका
(ग) चाँदी (घ) ग्रेफाइट (ख) - निम्न में से कौन सा कठोरतम खनिज है ?
(क) टोपाज (ख) क्वार्ट्ज
(ग) हीरा (घ) फेलसपार (ग) - निम्न में से कौन सी शैल अवसादी नहीं है ?
(क) टायलाइट (ख) ब्रेशिया
(ग) बोरैक्स (घ) संगमरमर (घ) - आग्नेय शैलों के मूल स्रोत क्या हैं
मेग्मा - आग्नेय शैलों के उदहारण दीजिए
बेसाल्ट, ग्रेनाइट तथा गेब्रो - विभंजन से क्या अभिप्राय है
खनिजों के अनियमित रूप से टूटने की प्रवृित विभंजन कहलाती है - विदलन से क्या अभिप्राय है
खनिजों की समतल सतह बनाने के लिए निश्चित दिशा में टूटने की प्रवृत्ति विदलन कहलाती है - आग्नेय शैलों को प्राथमिक शैल क्यों कहते हैं।
आग्नेय शैलों का निर्माण सबसे पहले होता है इसलिए इन्हें प्राथमिक शैल भी कहते हैं। - पेट्रोलोजी किसे कहते है
भूविज्ञान वह शाखा जिसमें शैलों के प्रकार, संरचना, व उत्पति का अध्ययन किया जाता है पेट्रोलोजी कहलाती है - खनिजों का मूल स्रोत क्या है
पृथ्वी के आंतरिक भाग में पाया जाने वाला मेग्मा सभी खनिजों का मूल स्रोत है - माइका नामक खनिज मुख्यतः किस उपयोग में आते है
माइका का उपयोग मुख्यतः विद्युत उपकरणों में होता है - शिली भवन की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है
आग्नेय, अवसादी व कायांतरित शैलौ का शैल चूर्ण व जीवाश्म जमकर सघनता के द्वारा अवसादी शैल में बदल जाते हैं यह प्रक्रिया शिलीभवन कहलाती है - शैल से आप क्या समझते हैं ? शैल के तीन प्रमुख वर्गों के नाम बताएँ |
एक या एक से अधिक खनिजों का मिश्रण जिनसे भूपर्पटी का निर्माण हुआ है शैल या चट्टान कहलाते हैं
शैल तीन प्रकार के होते हैं:
1. आग्नेय शैल 2.अवसादी शैल 3. कायांतरित शैल - आग्नेय शैल क्या है? आग्नेय शैल के निर्माण की पद्धति एवं उनके लक्षण बताएँ|
पृथ्वी के आंतरिक भाग के तप्त तरल मेग्मा व लावा के ठण्डा होकर जमने से निर्मित शैल को आग्नेय शैल कहा जाता है आग्नेय शब्द लैटिन भाषा के इग्निस (Igneous) शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है -अग्नि इन्हें प्राथमिक शैल भी कहते हैं। आग्नेय शैलों का निर्माण मैग्मा के ठंडे होकर घनीभूत होने से होता है। जब ये शैल धरातल के नीचे मैग्मा के धीरे-धीरे ठंडा होकर जमने से बनती है तो इनके कण बड़े बनते हैं। और जब ये शैल धरातल के ऊपर लावा के आकस्मिक शीतलता के कारण बनती है तो इनके कण छोटे बनते है बेसाल्ट, ग्रेनाइट तथा गेब्रो आग्नेय शैल के उदाहरण हैं।
आग्नेय शैलों के लक्षण:
❖आग्नेय शैलों में रन्ध्र नहीं पाये जाते हैं।
❖आग्नेय शैलें रवेदार होती हैं।
❖आग्नेय शैलों में जीवाश्म नहीं पाये जाते हैं।
❖आग्नेय अत्यधिाक कठोर होती हैं
❖आग्नेय शैलों में धात्विक खनिज मिलते हैं। - अवसादी शैल का क्या अर्थ है ? अवसादी शैल के निर्माण की पद्धति बताएँ।
अवसादी अर्थात् Sedimentary शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द सेडिमेंट्स से हुई है, जिसका अर्थ है व्यवस्थित होना। अपक्षय व अपरदन के द्वारा आग्नेय, अवसादी व कायांतरित शैलें टूटकर उसी स्थान पर या अन्यत्र जमा होती जाती हैं। इन विभिन्न शैलों के द्वारा प्राप्त शैल चूर्ण, जीवाश्म एवं वनस्पतियों के एक के ऊपर एक परतों के रुप में जमा होने से निर्मित शैल को अवसादी शैल कहते हैं।
अवसादी शैलो के लक्षण
❖अवसादी शैलौं में परतें पाई जाती है
❖अवसादी शैलौं में जीवाश्म पाए जाते हैं
❖अवसादी शैले मुलायम होती है
❖अवसादी शैलौं में रंध्र पाए जाते है - शैली चक्र के अनुसार प्रमुख प्रकार की शैलों के मध्य क्या संबंध होता है?
शैलें अपने मूल रूप में अधिक समय तक नहीं रहती हैं, बल्कि पुरानी शैलें परिवर्तित होकर नवीन शैल में बदल जाती है अर्थार्त एक प्रकार की शैल का दूसरे प्रकार की शैल में बदलने की क्रिया को शैली चक्र कहते है
शैली चक्र एक सतत् प्रक्रिया है सबसे पहले आग्नेय शैलों का निर्माण होता है इन शैलों से अन्य शैलों (अवसादी व कायांतरित) का निर्माण होता है आग्नेय शालों के अपक्षय द्वारा निर्मित कण उसी स्थान या अन्यत्र जाकर जम जाते है जिससे अवसादी शैलों का निर्माण होता है अवसादी शैले भी विखंडित होकर पुनः अवसादी शैले बना सकती है आग्नेय व अवसादी शैले ताप व दाब में परिवर्तन के कारण कायांतरित सैलों में बदल जाती है इस प्रकार निर्मित ये शैले (आग्नेय ,अवसादी व कायांतरित शैले ) पृथ्वी के आंतरिक भाग में चली जाती है एवं उच्च तापमान के कारण पिघकर मेग्मा में बदल जाती है जो आग्नेय शैलों के मूल स्रोत हैं - ‘खनिज’ शब्द को परिभाषित करें, एवं प्रमुख प्रकार के खनिजों के नाम लिखें।
पृथ्वी से प्राप्त वे पदार्थ जिनकी एक विशेष परमाण्विक संरचना होती है तथा जिनके निश्चित रासायनिक और भौतिक गुण पाए जाते हैं, उन्हें खनिज कहते हैं।
पृथ्वी के आंतरिक भाग में पाया जाने वाला मेग्मा सभी खनिजों का मूल स्रोत है
खनिजों का वर्गीकरण
सामान्यता खनिज दो प्रकार के होते हैं
1.धात्विक खनिज - वे खनिज जिनमें धात्विक अंश पाया जाता है धात्विक खनिज कहलाते हैं
धात्विक खनिज तीन प्रकार के होते हैं
लौहा धात्विक खनिज-लौहा, निकल, मैंगनीज
अलौह धात्विक खनिज-तांबा, सीसा, जस्ता, एलुमिनियम
बहुमूल्य धात्विक खनिज -सोना चांदी प्लैटिनम
2. अधात्विक खनिज- वे खनिज जिनमें धात्विक अंश नहीं पाया जाता है अधात्विक खनिज कहलाते है
जैसे गंधक, फास्फेट - कायांतरित शैल क्या हैं? इनके प्रकार एवं निर्माण की पद्धति का वर्णन करें।
'कायांतरित ' का अर्थ है स्वरूप में परिवर्तन
ताप, दाब व आयतन में परिवर्तन के द्वारा किसी मौलिक शैल में बिना विघटन व वियोजन के उसके संगठन व स्वरूप में परिवर्तन के फलस्वरुप बनी शैले कायान्तरित शैले कहलाती हैं
जब ऊपरी शैलों के कारण निचली शैलों पर अत्यधिक दाब पड़ता है तो इनका संगठन व स्वरूप बदल जाता है जिससे कायांतरित शैलो का निर्माण होता है
जैसे संगमरमर, हीरा, स्लेट, शिस्ट आदि
कायांतरित शैलो के लक्षण
❖कायांतरित शैलौं में बहुमूल्य खनिज पाये जाती है
❖कायांतरित शैलौं में जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं
❖कायांतरित शैले कठोर होती है
❖कायांतरित शैलौं में रंध्र नहीं पाए जाते हैं
कायांतरित शैलों के प्रकार
कायांतरित शैले दो प्रकार की होती है
1. पत्रित शैल- जब कायांतरण के दौरान चट्टानों में स्थित खनिज कण रेखाओं के रूप से व्यवस्थित हो जाते है तो उससे पत्रित चट्टानों का निर्माण होता है है
2. अपत्रित चट्टानें- : जब कायान्तरण के दौरान चट्टानों में स्थित खनिज कण रेखाओं के रूप से व्यवस्थित नही होते तो अपत्रित चट्टानों का निर्माण होता है
कायांतरण निम्न प्रकार से हो सकता है
1. गतिशील कायांतरण - बिना रसायनिक परिवर्तन के जब मूल शैलें टूटकर एवं पिसकर पुनः संगठित होती है तो यह गतिशील कायांतरण कहलाता है।
2. ऊष्मीय कायांतरण - उच्च तापमान के कारण शैलौ में पुनः क्रिस्टलीकरण होना ऊष्मीय कायांतरण कहलाता है
ऊष्मीय कायांतरण के दो प्रकार होते हैं -
(i) संपर्क कायांतरण- ज्वालामुखी उद्गार के समय जब शैलें ऊपर आते हुए मैग्मा एवं लावा के संपर्क में आती हैं तो उच्च तापमान के कारण शैल के पदार्थों का पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। और नए पदार्थ उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार के कायांतरण को संपर्क कायांतरण कहते हैं
(ii) प्रादेशिक कायांतरण - जब उच्च तापमान, दबाव अथवा इन दोनों के कारण एक बहुत बड़े क्षेत्र में शैलों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। तो यह कायांतरण प्रादेशिक कायांतरण कहलाता है
पृथ्वी के आंतरिक भाग में पाया जाने वाला मेग्मा सभी खनिजों का मूल स्रोत है
विदलन -खनिजों की समतल सतह बनाने के लिए निश्चित दिशा में टूटने की प्रवृत्ति विदलन कहलाती है
विभंजन- खनिजों के अनियमित रूप से टूटने की प्रवृित विभंजन कहलाती है
पेट्रोलोजी - भूविज्ञान वह शाखा जिसमें शैलों के प्रकार, संरचना, व उत्पति का अध्ययन किया जाता है पेट्रोलोजी कहलाती है
खनिजों का वर्गीकरण
सामान्यता खनिज दो प्रकार के होते हैं
1. धात्विक खनिज - वे खनिज जिनमें धात्विक अंश पाया जाता है धात्विक खनिज कहलाते हैं
धात्विक खनिज तीन प्रकार के होते हैं
लौहा धात्विक खनिज-लौहा, निकल, मैंगनीज
अलौह धात्विक खनिज-तांबा, सीसा, जस्ता, एलुमिनियम
बहुमूल्य धात्विक खनिज -सोना चांदी प्लैटिनम
2. अधात्विक खनिज- वे खनिज जिनमें धात्विक अंश नहीं पाया जाता है अधात्विक खनिज कहलाते है जैसे गंधक, फास्फेट
शैल (चट्टान) - एक या एक से अधिक खनिजों का मिश्रण जिनसे भू-पर्पटी का निर्माण हुआ है शैल या चट्टान कहलाता हैं
शैल तीन प्रकार के होते हैं
1. आग्नेय शैल [Igneous Rock]- (आग्नेय लैटिन भाषा के इग्निस (Igneous) शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है-अग्नि ) पृथ्वी के आंतरिक भाग के तप्त तरल मेग्मा व लावा के ठण्डा होकर जमने से निर्मित शैल को आग्नेय शैल कहा जाता है आग्नेय शैलों का निर्माण सबसे पहले होता है इसलिए इन्हें प्राथमिक शैल भी कहते हैं। आग्नेय शैलों का निर्माण मैग्मा के ठंडे होकर घनीभूत हो जाने पर होता है। जब ये शैल धरातल के नीचे मैग्मा के धीरे-धीरे ठंडा होकर जमने से बनती है तो इनके कण बड़े बनते हैं। और जब ये शैल धरातल के ऊपर लावा के आकस्मिक शीतलता के कारण बनती है तो इनके कण छोटे बनते है उदाहरण - बेसाल्ट, ग्रेनाइट तथा गेब्रो
आग्नेय शैलों के लक्षण
❖आग्नेय शैलों में रन्ध्र नहीं पाये जाते हैं।
❖आग्नेय शैलें रवेदार होती हैं।
❖आग्नेय शैलों में जीवाश्म नहीं पाये जाते हैं।
❖आग्नेय शैलें अत्यधिाक कठोर होती हैं
❖आग्नेय शैलों में धात्विक खनिज मिलते हैं।
2. अवसादी शैल [Sedimentary Rock]- अवसादी अर्थात Sedimentary शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द सेडिमेंट्स से हुई है, जिसका अर्थ है-व्यवस्थित होना। अपक्षय व अपरदन के द्वारा आग्नेय, अवसादी व कायांतरित शैलें टूटकर उसी स्थान पर या अन्यत्र जमा होती जाती हैं। इन विभिन्न शैलों के द्वारा प्राप्त शैल चूर्ण, जीवाश्म एवं वनस्पतियों के एक के ऊपर एक परतों के रुप में जमा होने से निर्मित शैल को अवसादी शैल कहते हैं।
अवसादी शैलो के लक्षण
❖अवसादी शैलौं में परतें पाई जाती है
❖अवसादी शैलौं में जीवाश्म पाए जाते हैं
❖अवसादी शैले मुलायम होती है
❖अवसादी शैलौं में रंध्र पाए जाते हैं
❖अवसादी शैलौं जोङ पाये जाते है
अवसादी शैलों का वर्गीकरण अवसादी शैले तीन प्रकार की होती है
यांत्रिकी रूप से निर्मित
कार्बनिक रूप से निर्मित
रासायनिक रूप से निर्मित
शिलीभवन- आग्नेय, अवसादी व कायांतरित शैलौ का शैल चूर्ण व जीवाश्म जमकर सघनता के द्वारा अवसादी शैल में बदल जाते हैं यह प्रक्रिया शिलीभवन कहलाती है
3. कायांतरित शैल [Metamorfic Rock]- कायांतरित शब्द का अर्थ है स्वरूप में परिवर्तन ताप, दाब व आयतन में परिवर्तन के द्वारा किसी मौलिक शैल में बिना विघटन व वियोजन के उसके संगठन व स्वरूप में परिवर्तन के फलस्वरुप बनी शैले कायान्तरित शैले कहलाती हैं जब ऊपरी शैलों के कारण निचली शैलों पर अत्यधिक दाब पड़ता है तो इनका संगठन व स्वरूप बदल जाता है जिससे कायांतरित शैलो का निर्माण होता है उदाहरण संगमरमर, हीरा, स्लेट, शिस्ट आदि
कायांतरण निम्न प्रकार से हो सकता है
1. गतिशील कायांतरण - बिना रसायनिक परिवर्तन के जब मूल शैलें टूटकर एवं पिसकर पुनः संगठित होती है तो यह गतिशील कायांतरण कहलाता है।
2. ऊष्मीय कायांतरण - उच्च तापमान के कारण शैलौ में पुनः क्रिस्टलीकरण होना ऊष्मीय कायांतरण कहलाता है ऊष्मीय कायांतरण के दो प्रकार होते हैं -
संपर्क कायांतरण- ज्वालामुखी उद्गार के समय जब शैलें ऊपर आते हुए मैग्मा एवं लावा के संपर्क में आती हैं तो उच्च तापमान के कारण शैल के पदार्थों का पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। और नए पदार्थ उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार के कायांतरण को संपर्क कायांतरण कहते हैं
प्रादेशिक कायांतरण - जब उच्च तापमान, दबाव अथवा इन दोनों के कारण एक बहुत बड़े क्षेत्र में शैलों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। तो यह कायांतरण प्रादेशिक कायांतरण कहलाता है
कायांतरित शैलों के प्रकार -कायांतरित शैले दो प्रकार की होती है
1. पत्रित शैल- जब कायांतरण के दौरान चट्टानों में स्थित खनिज कण रेखाओं के रूप से व्यवस्थित हो जाते है तो उससे पत्रित चट्टानों का निर्माण होता है है
2. अपत्रित चट्टानें- जब कायान्तरण के दौरान चट्टानों में स्थित खनिज कण रेखाओं के रूप से व्यवस्थित नही होते तो अपत्रित चट्टानों का निर्माण होता है
कायांतरित शैलो के लक्षण
❖कायांतरित शैलौं में बहुमूल्य खनिज पाये जाती है
❖कायांतरित शैलौं में जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं
❖कायांतरित शैले कठोर होती है
❖कायांतरित शैलौं में रंध्र नहीं पाए जाते हैं
शैली चक्र - शैलें अपने मूल रूप में अधिक समय तक नहीं रहती हैं, बल्कि पुरानी शैलें परिवर्तित होकर नवीन शैल में बदल जाती है अर्थार्त एक प्रकार की शैल का दूसरे प्रकार की शैल में बदलने की क्रिया को शैली चक्र कहते है शैली चक्र एक सतत् प्रक्रिया है सबसे पहले आग्नेय शैलों का निर्माण होता है इन शैलों से अन्य शैलों (अवसादी व कायांतरित) का निर्माण होता है आग्नेय शालों के अपक्षय द्वारा निर्मित कण उसी स्थान या अन्यत्र जाकर जम जाते है जिससे अवसादी शैलों का निर्माण होता है अवसादी शैले भी विखंडित होकर पुनः अवसादी शैले बना सकती है आग्नेय व अवसादी शैले ताप व दाब में परिवर्तन के कारण कायांतरित सैलों में बदल जाती है इस प्रकार निर्मित ये शैले (आग्नेय ,अवसादी व कायांतरित शैले ) पृथ्वी के आंतरिक भाग में चली जाती है एवं उच्च तापमान के कारण पिघकर मेग्मा में बदल जाती है जो आग्नेय शैलों के मूल स्रोत हैं
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