Financial Year 2020-21 & Assessment Year 2021-22 के लिए आयकर नियम
भारत में आयकर, आयकर अधिनियम, 1961 द्वारा लगाया जाता है भारतीय आयकर अधिनियम 1961 की धारा 14 के अनुसार में एक व्यक्ति की कुल आय को पांच प्रमुख में शीर्षकों में बांटा गया हैं
1.
वेतन- वेतन एक
कर्मचारी को अपने नियोक्ता से प्राप्त होने वाली नगद राशि तथा नियोक्ता द्वारा दी
गई निःशुल्क या रियायती सुविधाओं का मोद्रिक मूल्यांकन है, परन्तु कोई भी प्राप्ति, वेतन तभी मानी जाएगी, जब वेतन देने वाले तथा प्राप्त करने वाले के बीच
नियोक्ता-कर्मचारी का संबंध हो। आयकर की दृष्टि से वेतन एवं मजदूरी शब्द में कोई
भेद नहीं किया गया है वेतन अर्जित होते ही आय की श्रेणी में आ जाता है चाहे करदाता
को वित्तीय वर्ष में वास्तविक भुगतान हुआ हो या नहीं l इस प्रकार वेतन का प्राप्त होना या भुगतान होना, दोनों में जो पहले हुआ हो, के आघार पर वेतन कर योग्य होगा जैसे - शासकीय
कर्मचारियों की दशा में वेतन अगले माह की पहली तारीख को देय होता है, अर्थात् जनवरी माह का वेतन 1 फरवरी को देय होगा।अत: आयकर की दृष्टि से
मार्च से लेकर फरवरी तक का वेतन 12 माह का वेतन
सम्बंधित वित्तीय वर्ष की आय मानी जाती है। परन्तु जिन कर्मचारियों का वेतन माह के
अतिम दिन देय होता है, उनके लिए अप्रैल
से लेकर मार्च तक का 12 माह का वेतन,
सम्बंधित वित्तीय वर्ष के दौरान आय मानी जाएगी।
सकल
वेतन में निम्न शामिल होंगे :-
- सभी नगद प्राप्तियां :- मूल वेतन, कर योग्य/कर मुक्त भत्ते, बोनस, कमीशन आदि
- परिउपलब्धियों का मूल्यांकम:- रियायती/निःशुल्क मकान, कार आदि की सुविधा
- अग्रिम वेतन, बकाया वेतन (यदि पूर्व में आयकर नहीं दिया गया हों तो).
- अवकाश वेतन, क्षतिपूर्ति भत्ता, एकमुश्त वेतन आदि।
- वेतन के स्थान पर लाभ तथा भविष्यनिधि/ NPS खाते में नियोक्ता का अंशदान।
2.
पूँजीगत लाभ- पूंजीगत लाभ के तहत कोई पूंजीगत संपत्ति की
बिक्री से हुआ लाभ आता हैं किसी भी प्रकार
की संपत्ति जैसे वाणिज्यिक स्थान या घर, भूमि, इक्विटी, गहने, मशीनरी, ट्रेडमार्क, पेटेंट, वाहन, पट्टे आदि की
बिक्री से प्राप्त आय का आकलन पूंजीगत लाभ के अंतर्गत आता है
3.
गृह-सम्पत्ति से
आय- खुद के स्वामित्व वाले
मकान के किराए से आमदनी को घरेलू संपत्ति से आय माना जाता है
4.
व्यवसाय अथवा
पेशे से आय- इसमे किसी
व्यवसाय या पेशे से होने वाला लाभ, व्यापार के तहत
प्राप्त किया ब्याज, साझेदारी के
पार्टनर को मिला वेतन या बोनस आदि आते हैं|
5.
अन्य स्रोतों से
आय- बैंक डिपॉजिट और
सिक्योरिटीज पर मिला ब्याज, शेयरों पर मिले
लाभांश, रॉयल्टी इनकम, लॉटरी या रेस जीतने और उपहार के रूप में मिली
रकम को अन्य स्रोत से आय माना जाता है|
इन सभी मदों से प्राप्त
कुल आय सकल आय या GrossTotal
Income कहलाती है
वेतन से आय पर आयकर की गणना करते समय मुख्य तौर पर सकल वेतन में से निम्नलिखित कटौतियाँ मान्य होती हैं
1.
मकान किराया
भत्ता – यदि कर्मचारी स्वयं के
मकान में रहता है अथवा वह जिस मकान में रह रहा है उसके लिये कोई भी राशि किराये के
रूप में नहीं दी जा रही है तो कर्मचारी को मिलने वाला मकान किराया भत्ता पूर्णतः
कर योग्य होगा।
आयकर कानून के धारा 10(13A)
के अंतर्गत कुछ सीमाओं के अधीन HRA पर टैक्स छूट ली जा सकती है.
HRA के रूप में हुई
आमदनी पर टैक्स की बचत केवल वही नौकरीपेशा व्यक्ति कर सकता है जिसके वेतन में HRA शामिल हो और वह किराए के मकान में रहता हो.
मकान का किराया आपकी
सैलरी के 10 % से ज्यादा होना चाहिए तथा आपके पास मकान मालिक के साथ रेंट एग्रीमेंट होना चाहिए
मकान किराया भत्ते की
गणना के लिये वेतन मूल वेतन व महंगाई भत्ता का योग होता है।
यदि कर्मचारी मकान मालिक
को एक लाख रुपये से अधिक किराये का भुगतान करता है तो उसे मकान मालिक का PAN
देना अनिवार्य होगा।
3000 रु. तक मकान
किराया भत्ता प्राप्त करने वाले कर्मचारी मकान किराया भुगतान रसीद प्रस्तुत करने
से मुक्त रहेंगे।
यदि कर्मचारी किराये के मकान में रहता है तो उसे निम्न में से जो भी कम हो के बराबर मकान किराया भत्ते में छूट दी जायेगीः
- वास्तविक मकान किराये भत्ते की प्राप्त राशि
- वेतन का 50% यदि कर्मचारी (चैन्नई, मुम्बई, कोलकत्ता, दिल्ली मेट्रो शहर) तथा अन्य स्थानों पर वेतन का 40% हे
- वार्षिक वेतन के 10% से अधिक किराये के रूप में व्यय की गई राशि अर्थात् चुकाया गया वार्षिक किराया – वेतन का 10%
किसी इम्पलॉई का मूल वेतन और महंगाई भत्ता 100000 रुपये है.उसे HRA के रूप में 45000 रुपये मिलते हैं. वह इम्पलॉई दिल्ली में अपने मकान का किराया 30000 रुपये चुकाता है
वेतन + महंगाई भत्ता 100000X12 =12,00,000 मकान किराया 45000X12 = 5,40,000 दिल्ली में घर का किराया 30मूल000X12= 3,60,000 वास्तविक मकान किराया 45000X12= 5,40,000 सैलरी का 50% (क्योंकि घर मेट्रो सिटी में है) 1200000 X 50%=6,00,000 वास्तव में चुकाया गया किराया – सैलरी का 10% (12X30000 - 1200000X10%)
3,60,000 - 1,20,000 =2,40,000
धारा 10(13A) के अंतर्गत मकान किराये पर छूट (तीनो में से सबसे कम) 2,40,000
2.
मानक कटौती - धारा 16 (ia) के तहत रू. 50,000 /-अथवा वेतन की राशि, इनमें से जो सबसे कम हो
3.
मनोरंजन भत्ता- धारा 16 (ii) के तहत रू. 5,000 /- या वेतन का 5 वाँ हिस्सा या मनोरंजन भत्ते की
राशि, इनमें से जो सबसे कम हो |
4.
व्यावसायिक
भत्त्ता,/रोजगार कर- धारा 16(iii) के तहत भुगतान की गई वास्तविक राशि
5.
वाहन भत्ता- धारा 10(14) के तहत कार्यालय के कर्तव्य पालन
के लिये किये गयें खर्च की सीमा तक वाहन भत्ता कर मुक्त है
6. गृह संपत्ति से होने वाली आय में से कटौतियां—
- धारा 24 के तहत गृह सम्पति से प्राप्त किराये पर 30 % की छूट मिलाती हैय
- यदि गृह निर्माण, नया घर खरीदने, मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए होम लोन लिया है तो होम लोन के ब्याज पर धारा 24 B के तहत सालान टैक्स छूट निम्नानुसार मिलती है
- यदि होम लोन 01-04-1999 से पहले लिया गया है अधिकतम छूट 30000 रू तक मिलती है य
- यदि होम लोन 01.04.1999 को या उसके बाद लिया गया है तो यदि घर निर्माण या नया घर खरीदने के लिए होम लोन लिया गया है तो अधिकतम छूट 2 लाख रुपये तक मिलती है
- यदि होम लोन मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए लिया गया है तो अधिकतम छूट 30000 रू तक मिलती है
7. धारा 80C के तहत कटौती- धारा 80C, धारा 80CCC व 80CCD(1) के तहत कर बचत की अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है। इसकी कोई न्यूनतम सीमा नहीं है।
निम्नलिखित निवेश और भुगतान आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत कटौती के लिए पात्र हैं:
👉 जीवन बीमा प्रीमियम(LIC)
👉 पी.एल.आई. (PLI)
👉 राज्य बीमा (SI)
👉 पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
👉 राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (NSC)
👉 सुकन्या समृद्धि योजना
👉 ट्यूशन फीस
👉 टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट
👉 गृह ऋण मूलधन किस्त
👉 इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम(ELSS)
👉 यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (ULIP)
👉 सामूह दुर्घटना बीमा प्रीमियम (GIS)
👉 सामान्य प्रावधायी निधि (GPF)
👉 म्यूचुअल फंड
👉 आस्थगित वार्षिकी
👉 कर्मचारी भविष्य निधि (EPF )
👉 वरिष्ठ नागरिक बचत योजना
👉 स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क
8.
धारा 80 CCC तहत कटौती - धारा 80
CCC के तहत पेंशन पाने के लिए LIC या किसी अन्य बीमाकर्ता की वार्षिकी योजना के
तहत भुगतान की गई राशि की कटौती की छुट मिलती है
9.
धारा 80CCD
तहत कटौती
♛ धारा 80CCD(1) - धारा 80CCD(1)
के तहत NPS खाते में कर्मचारी के अंशदान (अधिकतम 150000 रू) की छूट
मिलाती है
♛ धारा 80CCD(1B) - धारा 80CCD(1B) के तहत करदाता द्वारा अपने NPS खाते में जमा की गई राशि के लिए 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त कटौती की छूट ले सकता है
यह छूट 150000 के अलावा है
♛ धारा 80CCD (2) -धारा 80CCD
(2) के तहत NPS में नियोक्ता द्वारा आपके वेतन से 10% तक के अंशदान की छूट मिलती है। इस कटौती पर कोई मौद्रिक
सीमा नहीं है।
10.
धारा 80
TTA तहत कटौती - बैंक, सहकारी समिति या डाकघर के साथ अपने बचत खाते से प्राप्त अधिकतम ब्याज 10,000 रुपये की कटौती की छूट हैं। बशर्त बचत बैंक
खाते से होने वाले ब्याज को अन्य आय में शामिल करें।
11.
धारा 80D तहत कटौती - धारा 80D के तहत स्वयं, पति या पत्नी और आश्रित बच्चों के लिए चिकित्सा बीमे पर 25,000 रुपये तथा माता-पिता के चिकित्सा बीमा के लिए 25,000 रुपये की कटौती की छूट हैं। करदाता 60 वर्ष या उससे अधिक हैं, तो 50,000 रुपये तथा माता-पिता
60 से ऊपर की आयु के हैं,
तो 50,000 की कटौती की छूट है
इसका भुगतान नकद के अलावा
अन्य किसी तरीके से किया जाना चाहिए
धारा 80D के तहत स्वास्थ्य जांच पर रू 5,000 की कटौती की अनुमति है। स्वास्थ्य जांच का
भुगतान नकद में किया जा सकता है यह कटौती उपरोक्त सीमा में सम्मलित है
12.
धारा 80DD तहत कटौती - धारा 80DD के तहत विकलांग
आश्रित रिश्तेदार के चिकित्सा उपचार (नर्सिंग सहित), प्रशिक्षण और पुनर्वास पर किया गया व्यय विकलांगता 40% या उससे अधिक है लेकिन 80% से कम है तो 75,000 रुपये की निश्चित कटौती और गंभीर विकलांगता (विकलांगता 80% या उससे अधिक है) तो 1,25,000 रुपये की निश्चित कटौती की छूट है इस कटौती का दावा करने के लिए निर्धारित
चिकित्सा प्राधिकरण से विकलांगता का प्रमाण पत्र आवश्यक है।
13.
धारा 80DDB तहत कटौती - अपने या अपने किसी आश्रित के लिए विशिष्ट बीमारियों के
उपचार के लिए किए गए किसी भी खर्च के लिए धारा
80DDB के तहत 40,000 रुपये की छूट उपलब्ध है। सीनियर सिटीजन के लिए अधिकतम सीमा 1 लाख रुपए है.
14. धारा 80U तहत कटौती -धारा 80U के तहत सामान्य विकलांगता (40%) की स्थिति में 75,000 रुपये की कटौती व गंभीर विकलांगता(80%) के मामले में 1,25,000 रुपये की कटौती की छुट उपलब्ध है
15. धारा 80G तहत कटौती – यह धारा धर्मार्थ संस्थाओ में दिए गये दान सेसंबंधित है 2000 रुपये से ऊपर के दान को 80G कटौती के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए नकद के अलावा किसी भी मोड में किया जाना चाहिए।
- बिना किसी लिमिट के 100% कटौती - इस प्रकार की कटौती में राष्ट्रीय रक्षा निधि, प्रधानमंत्री राहत निधि, राष्ट्रीय बीमारी सहायता निधि आदि के दान शामिल हैं, इनमें 100%, राशि कटौती के लिए पात्र है.
- पात्रता शर्तों पर 100% कटौती - इसमें उन संगठनों के लिए दान शामिल हैं, जो परिवार नियोजन और खेल के विकास को बढ़ावा देते हैं. ये 100% कटौती के लिए पात्र हैं जिसकी अधिकतम लिमिट कुल आय का 10% है.
- बिना किसी लिमिट के 50% कटौती - पीएम के सूखा राहत कोष, राजीव गांधी फाउंडेशन आदि को दान, 50% कटौती के लिए अर्हता प्राप्त.
- पात्रता शर्तों पर 50% कटौती - परिवार नियोजन और अन्य धर्म संस्थानों के अलावा धार्मिक स्थानों या स्थानीय प्राधिकारियों को दिए गए दान, 50% कटौती के लिए पात्र है, अगर यह राशि कुल आय के 10% तक है.
15.
धारा 80E तहत कटौती - धारा 80E उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए लिए गए ऋणों पर ब्याज के लिए किसी व्यक्ति को
कटौती की अनुमति है। यह ऋण करदाता, पति या पत्नी या
बच्चों के लिए या एक छात्र के लिए लिया गया हो सकता है जिसके लिए करदाता एक कानूनी
अभिभावक है। 80E कटौती अधिकतम 8 वर्षों के लिए उपलब्ध है
16. धारा 80GGA तहत कटौती- धारा 80GGA के तहत वैज्ञानिक अनुसंधान या ग्रामीण विकास के लिए किए गए दान (100%) के लिए कटौती की अनुमति है दान चेक या नकद में किया जा सकता है; हालांकि 10,000 रुपये से अधिक नकद दान की कटौती के रूप में अनुमति नहीं जाती है।
Financial Year 2020-21 & Assessment Year 2021-22 के लिए आयकर स्लैब
नई आयकर व्यवस्था वैकल्पिक है और करदाता चाहे तो छूट और कटौती के साथ पुरानी कर व्यवस्था में रह सकते हैं। नई कर व्यवस्था में कई कटौतियों का लाभ नहीं मिलता है।
कर योग्य आय नई टैक्स व्यवस्था पुरानी टैक्स व्यवस्था 2,50,000 तक 0% 0% 2,50,001 से 5,00,000 5% 5% 5,00,001 से 7,50,000 20% 10% 7,50,001 से 10,00,000 20% 15% 10,00,001 से 12,50,000 30% 20% 12,50,001 से 15,00,000 30% 25% 15,00,000 से अधिक 30% 30%
- वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष या उससे अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम) के लिए 300000 रु तक की आय कर मुक्त है वरिष्ठ नागरिक (80 वर्ष या अधिक) के लिए 500000 रु तक की आय कर मुक्त है
- यदि आपके पास चालू वित्त वर्ष में कोई व्यावसायिक आय है, तो आप नई व्यवस्था का विकल्प नहीं चुन सकते हैं।
- नई आयकर व्यवस्था में सरचार्ज और सेस की दरें पुरानी व्यवस्था की तरह ही है
- स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर : स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर अधिभार सहित आयकर की राशि पर 4 प्रतिशत की दर पर लगाया जाता है
अधिभार
- 50 लाख रु. से 1 करोड़ रू. तक आयकर का 10%
- 1 करोड़ से 2 करोड़ तक आयकर का 15%
- 2 करोड़ से 5 करोड़ तक आयकर का 25%
- 5 करोड़ से अधिक आयकर का 37 %
नईकर व्यवस्था के तहत निम्न छूट/कटौती की अनुमति नहीं मिलेगी
- आयकर अधिनियम की धारा 17 (ii) के तहत उपलब्ध 50,000 रुपये की मानक कटौती।
- धारा 80C से 80U तक
- धारा 10 (13ए) के तहत मकान किराया भत्ता
- धारा 24 B के तहत आवास ऋण पर ब्याज
- धारा0 (5) के तहत छुट्टी यात्रा रियायत (एलटीसी)
- धारा0 (14) के तहत भत्ते
- धारा 16 के तहत व्यावसायिक कर।
नई कर व्यवस्था के तहत कम आयकर ढांचे को चुना जाए तो भी छूटों के बाद अनुमति दी जाती है ।
- कर योग्य आय के मामले में धारा 87 A के तहत 12,500 रुपये तक के कर की छूट यदि कर योग्य आय 5 लाख रुपये से कम है।
- धारा 80CCD (2) के तहत नियोक्ता द्वारा NPS में योगदान